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डीयू के 28 कालेजों में गवनिर्ंग बॉड़ी के गठन पर सिसोदिया ने वीसी को फिर लिखा पत्र

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February 21, 2023
in राष्ट्रीय
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डीयू के 28 कालेजों में गवनिर्ंग बॉड़ी के गठन पर सिसोदिया ने वीसी को फिर लिखा पत्र
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नई दिल्ली, 21 फरवरी (आईएएनएस)। केजरीवाल सरकार ने दिल्ली विश्वविद्यालय के 28 कॉलेजों की गवनिर्ंग बॉडी के गठन में देरी पर चिंता जताई है। यह 28 कॉलेज दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं। अब इस विषय पर दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह को पत्र लिखा है। अपने इस पत्र में उन्होंने जल्द से जल्द जल्द से कॉलेजों की गवनिर्ंग बॉडी का गठन करने का अनुरोध किया है।

पत्र में सिसोदिया ने चिंता व्यक्त की है कि प्रोफेसरों को भर्ती करने के लिए साक्षात्कार पूरी तरह से कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी के बिना हो रहे थे। यह एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के एब्सोप्र्शन की नीति को उलट रहा था, जिससे इन कॉलेजों में प्रशासनिक संकट पैदा हो सकता था। मनीष सिसोदिया ने जोर देकर कहा है कि विश्वविद्यालय की अकादमिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता होती है। किसी भी तरह की देरी प्रमुख निर्णय लेने के लिए कॉलेज की क्षमता को बाधित कर सकती है। उन्होंने कहा कि मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए गवनिर्ंग बॉडी के गठन की प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू करने की जरूरत है। उन्होंने डीयू से दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित सभी 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यात्मक गवनिर्ंग बॉडी के गठन में तेजी लाने को कहा है।

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उनका कहना है कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 28 कॉलेजों के गवनिर्ंग बॉडी के लिए नामांकन 28 जनवरी 2023 को डीओ के माध्यम से विश्वविद्यालय को भेजे गए थे। इसपर 3 फरवरी 2023 को हुई कार्यकारी परिषद की बैठक में चर्चा की जानी थी, जो कि नहीं हुई। इस देरी को ध्यान में रखते हुए सिसोदिया ने 16 फरवरी 2023 को डीयू वीसी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि गवनिर्ंग बॉडी बनने तक स्थायी पदों के लिए होने वाले साक्षात्कार को रद्द कर दें। उपमुख्यमंत्री ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि इन कॉलेजों के वित्तीय फैसले दिल्ली सरकार पर भी वित्तीय प्रभाव डालते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय से दिल्ली सरकार की मंजूरी के बिना कोई वित्तीय निर्णय नहीं लेने का आग्रह किया था।

इसके बाद अभी किस फरवरी को फिर से लिखे गए पत्र में मनीष सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली सरकार के इन 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी (जीबी) समय की आवश्यकता है, क्योंकि साक्षात्कारों में लगभग सत्तर प्रतिशत एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के विस्थापित होने की सूचना मिली है।

उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अनुसार विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता है। इन 28 जीबी में दिल्ली सरकार के नामांकित लोगों की भागीदारी के लिए एक वैधानिक प्रावधान है। इसलिए, इन कॉलेजों में वर्षों से काम कर रहे एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों की सुरक्षा के लिए उन्हें अपने कर्तव्य का त्याग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

–आईएएनएस

जीसीबी/एएनएम

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नई दिल्ली, 21 फरवरी (आईएएनएस)। केजरीवाल सरकार ने दिल्ली विश्वविद्यालय के 28 कॉलेजों की गवनिर्ंग बॉडी के गठन में देरी पर चिंता जताई है। यह 28 कॉलेज दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं। अब इस विषय पर दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह को पत्र लिखा है। अपने इस पत्र में उन्होंने जल्द से जल्द जल्द से कॉलेजों की गवनिर्ंग बॉडी का गठन करने का अनुरोध किया है।

पत्र में सिसोदिया ने चिंता व्यक्त की है कि प्रोफेसरों को भर्ती करने के लिए साक्षात्कार पूरी तरह से कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी के बिना हो रहे थे। यह एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के एब्सोप्र्शन की नीति को उलट रहा था, जिससे इन कॉलेजों में प्रशासनिक संकट पैदा हो सकता था। मनीष सिसोदिया ने जोर देकर कहा है कि विश्वविद्यालय की अकादमिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता होती है। किसी भी तरह की देरी प्रमुख निर्णय लेने के लिए कॉलेज की क्षमता को बाधित कर सकती है। उन्होंने कहा कि मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए गवनिर्ंग बॉडी के गठन की प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू करने की जरूरत है। उन्होंने डीयू से दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित सभी 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यात्मक गवनिर्ंग बॉडी के गठन में तेजी लाने को कहा है।

उनका कहना है कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 28 कॉलेजों के गवनिर्ंग बॉडी के लिए नामांकन 28 जनवरी 2023 को डीओ के माध्यम से विश्वविद्यालय को भेजे गए थे। इसपर 3 फरवरी 2023 को हुई कार्यकारी परिषद की बैठक में चर्चा की जानी थी, जो कि नहीं हुई। इस देरी को ध्यान में रखते हुए सिसोदिया ने 16 फरवरी 2023 को डीयू वीसी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि गवनिर्ंग बॉडी बनने तक स्थायी पदों के लिए होने वाले साक्षात्कार को रद्द कर दें। उपमुख्यमंत्री ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि इन कॉलेजों के वित्तीय फैसले दिल्ली सरकार पर भी वित्तीय प्रभाव डालते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय से दिल्ली सरकार की मंजूरी के बिना कोई वित्तीय निर्णय नहीं लेने का आग्रह किया था।

इसके बाद अभी किस फरवरी को फिर से लिखे गए पत्र में मनीष सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली सरकार के इन 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी (जीबी) समय की आवश्यकता है, क्योंकि साक्षात्कारों में लगभग सत्तर प्रतिशत एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के विस्थापित होने की सूचना मिली है।

उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अनुसार विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता है। इन 28 जीबी में दिल्ली सरकार के नामांकित लोगों की भागीदारी के लिए एक वैधानिक प्रावधान है। इसलिए, इन कॉलेजों में वर्षों से काम कर रहे एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों की सुरक्षा के लिए उन्हें अपने कर्तव्य का त्याग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

–आईएएनएस

जीसीबी/एएनएम

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नई दिल्ली, 21 फरवरी (आईएएनएस)। केजरीवाल सरकार ने दिल्ली विश्वविद्यालय के 28 कॉलेजों की गवनिर्ंग बॉडी के गठन में देरी पर चिंता जताई है। यह 28 कॉलेज दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं। अब इस विषय पर दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह को पत्र लिखा है। अपने इस पत्र में उन्होंने जल्द से जल्द जल्द से कॉलेजों की गवनिर्ंग बॉडी का गठन करने का अनुरोध किया है।

पत्र में सिसोदिया ने चिंता व्यक्त की है कि प्रोफेसरों को भर्ती करने के लिए साक्षात्कार पूरी तरह से कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी के बिना हो रहे थे। यह एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के एब्सोप्र्शन की नीति को उलट रहा था, जिससे इन कॉलेजों में प्रशासनिक संकट पैदा हो सकता था। मनीष सिसोदिया ने जोर देकर कहा है कि विश्वविद्यालय की अकादमिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता होती है। किसी भी तरह की देरी प्रमुख निर्णय लेने के लिए कॉलेज की क्षमता को बाधित कर सकती है। उन्होंने कहा कि मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए गवनिर्ंग बॉडी के गठन की प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू करने की जरूरत है। उन्होंने डीयू से दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित सभी 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यात्मक गवनिर्ंग बॉडी के गठन में तेजी लाने को कहा है।

उनका कहना है कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 28 कॉलेजों के गवनिर्ंग बॉडी के लिए नामांकन 28 जनवरी 2023 को डीओ के माध्यम से विश्वविद्यालय को भेजे गए थे। इसपर 3 फरवरी 2023 को हुई कार्यकारी परिषद की बैठक में चर्चा की जानी थी, जो कि नहीं हुई। इस देरी को ध्यान में रखते हुए सिसोदिया ने 16 फरवरी 2023 को डीयू वीसी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि गवनिर्ंग बॉडी बनने तक स्थायी पदों के लिए होने वाले साक्षात्कार को रद्द कर दें। उपमुख्यमंत्री ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि इन कॉलेजों के वित्तीय फैसले दिल्ली सरकार पर भी वित्तीय प्रभाव डालते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय से दिल्ली सरकार की मंजूरी के बिना कोई वित्तीय निर्णय नहीं लेने का आग्रह किया था।

इसके बाद अभी किस फरवरी को फिर से लिखे गए पत्र में मनीष सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली सरकार के इन 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी (जीबी) समय की आवश्यकता है, क्योंकि साक्षात्कारों में लगभग सत्तर प्रतिशत एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के विस्थापित होने की सूचना मिली है।

उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अनुसार विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता है। इन 28 जीबी में दिल्ली सरकार के नामांकित लोगों की भागीदारी के लिए एक वैधानिक प्रावधान है। इसलिए, इन कॉलेजों में वर्षों से काम कर रहे एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों की सुरक्षा के लिए उन्हें अपने कर्तव्य का त्याग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

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पत्र में सिसोदिया ने चिंता व्यक्त की है कि प्रोफेसरों को भर्ती करने के लिए साक्षात्कार पूरी तरह से कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी के बिना हो रहे थे। यह एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के एब्सोप्र्शन की नीति को उलट रहा था, जिससे इन कॉलेजों में प्रशासनिक संकट पैदा हो सकता था। मनीष सिसोदिया ने जोर देकर कहा है कि विश्वविद्यालय की अकादमिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता होती है। किसी भी तरह की देरी प्रमुख निर्णय लेने के लिए कॉलेज की क्षमता को बाधित कर सकती है। उन्होंने कहा कि मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए गवनिर्ंग बॉडी के गठन की प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू करने की जरूरत है। उन्होंने डीयू से दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित सभी 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यात्मक गवनिर्ंग बॉडी के गठन में तेजी लाने को कहा है।

उनका कहना है कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 28 कॉलेजों के गवनिर्ंग बॉडी के लिए नामांकन 28 जनवरी 2023 को डीओ के माध्यम से विश्वविद्यालय को भेजे गए थे। इसपर 3 फरवरी 2023 को हुई कार्यकारी परिषद की बैठक में चर्चा की जानी थी, जो कि नहीं हुई। इस देरी को ध्यान में रखते हुए सिसोदिया ने 16 फरवरी 2023 को डीयू वीसी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि गवनिर्ंग बॉडी बनने तक स्थायी पदों के लिए होने वाले साक्षात्कार को रद्द कर दें। उपमुख्यमंत्री ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि इन कॉलेजों के वित्तीय फैसले दिल्ली सरकार पर भी वित्तीय प्रभाव डालते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय से दिल्ली सरकार की मंजूरी के बिना कोई वित्तीय निर्णय नहीं लेने का आग्रह किया था।

इसके बाद अभी किस फरवरी को फिर से लिखे गए पत्र में मनीष सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली सरकार के इन 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी (जीबी) समय की आवश्यकता है, क्योंकि साक्षात्कारों में लगभग सत्तर प्रतिशत एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के विस्थापित होने की सूचना मिली है।

उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अनुसार विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता है। इन 28 जीबी में दिल्ली सरकार के नामांकित लोगों की भागीदारी के लिए एक वैधानिक प्रावधान है। इसलिए, इन कॉलेजों में वर्षों से काम कर रहे एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों की सुरक्षा के लिए उन्हें अपने कर्तव्य का त्याग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

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पत्र में सिसोदिया ने चिंता व्यक्त की है कि प्रोफेसरों को भर्ती करने के लिए साक्षात्कार पूरी तरह से कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी के बिना हो रहे थे। यह एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के एब्सोप्र्शन की नीति को उलट रहा था, जिससे इन कॉलेजों में प्रशासनिक संकट पैदा हो सकता था। मनीष सिसोदिया ने जोर देकर कहा है कि विश्वविद्यालय की अकादमिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता होती है। किसी भी तरह की देरी प्रमुख निर्णय लेने के लिए कॉलेज की क्षमता को बाधित कर सकती है। उन्होंने कहा कि मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए गवनिर्ंग बॉडी के गठन की प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू करने की जरूरत है। उन्होंने डीयू से दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित सभी 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यात्मक गवनिर्ंग बॉडी के गठन में तेजी लाने को कहा है।

उनका कहना है कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 28 कॉलेजों के गवनिर्ंग बॉडी के लिए नामांकन 28 जनवरी 2023 को डीओ के माध्यम से विश्वविद्यालय को भेजे गए थे। इसपर 3 फरवरी 2023 को हुई कार्यकारी परिषद की बैठक में चर्चा की जानी थी, जो कि नहीं हुई। इस देरी को ध्यान में रखते हुए सिसोदिया ने 16 फरवरी 2023 को डीयू वीसी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि गवनिर्ंग बॉडी बनने तक स्थायी पदों के लिए होने वाले साक्षात्कार को रद्द कर दें। उपमुख्यमंत्री ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि इन कॉलेजों के वित्तीय फैसले दिल्ली सरकार पर भी वित्तीय प्रभाव डालते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय से दिल्ली सरकार की मंजूरी के बिना कोई वित्तीय निर्णय नहीं लेने का आग्रह किया था।

इसके बाद अभी किस फरवरी को फिर से लिखे गए पत्र में मनीष सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली सरकार के इन 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी (जीबी) समय की आवश्यकता है, क्योंकि साक्षात्कारों में लगभग सत्तर प्रतिशत एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के विस्थापित होने की सूचना मिली है।

उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अनुसार विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता है। इन 28 जीबी में दिल्ली सरकार के नामांकित लोगों की भागीदारी के लिए एक वैधानिक प्रावधान है। इसलिए, इन कॉलेजों में वर्षों से काम कर रहे एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों की सुरक्षा के लिए उन्हें अपने कर्तव्य का त्याग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

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पत्र में सिसोदिया ने चिंता व्यक्त की है कि प्रोफेसरों को भर्ती करने के लिए साक्षात्कार पूरी तरह से कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी के बिना हो रहे थे। यह एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के एब्सोप्र्शन की नीति को उलट रहा था, जिससे इन कॉलेजों में प्रशासनिक संकट पैदा हो सकता था। मनीष सिसोदिया ने जोर देकर कहा है कि विश्वविद्यालय की अकादमिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता होती है। किसी भी तरह की देरी प्रमुख निर्णय लेने के लिए कॉलेज की क्षमता को बाधित कर सकती है। उन्होंने कहा कि मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए गवनिर्ंग बॉडी के गठन की प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू करने की जरूरत है। उन्होंने डीयू से दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित सभी 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यात्मक गवनिर्ंग बॉडी के गठन में तेजी लाने को कहा है।

उनका कहना है कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 28 कॉलेजों के गवनिर्ंग बॉडी के लिए नामांकन 28 जनवरी 2023 को डीओ के माध्यम से विश्वविद्यालय को भेजे गए थे। इसपर 3 फरवरी 2023 को हुई कार्यकारी परिषद की बैठक में चर्चा की जानी थी, जो कि नहीं हुई। इस देरी को ध्यान में रखते हुए सिसोदिया ने 16 फरवरी 2023 को डीयू वीसी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि गवनिर्ंग बॉडी बनने तक स्थायी पदों के लिए होने वाले साक्षात्कार को रद्द कर दें। उपमुख्यमंत्री ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि इन कॉलेजों के वित्तीय फैसले दिल्ली सरकार पर भी वित्तीय प्रभाव डालते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय से दिल्ली सरकार की मंजूरी के बिना कोई वित्तीय निर्णय नहीं लेने का आग्रह किया था।

इसके बाद अभी किस फरवरी को फिर से लिखे गए पत्र में मनीष सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली सरकार के इन 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी (जीबी) समय की आवश्यकता है, क्योंकि साक्षात्कारों में लगभग सत्तर प्रतिशत एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के विस्थापित होने की सूचना मिली है।

उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अनुसार विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता है। इन 28 जीबी में दिल्ली सरकार के नामांकित लोगों की भागीदारी के लिए एक वैधानिक प्रावधान है। इसलिए, इन कॉलेजों में वर्षों से काम कर रहे एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों की सुरक्षा के लिए उन्हें अपने कर्तव्य का त्याग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

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पत्र में सिसोदिया ने चिंता व्यक्त की है कि प्रोफेसरों को भर्ती करने के लिए साक्षात्कार पूरी तरह से कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी के बिना हो रहे थे। यह एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के एब्सोप्र्शन की नीति को उलट रहा था, जिससे इन कॉलेजों में प्रशासनिक संकट पैदा हो सकता था। मनीष सिसोदिया ने जोर देकर कहा है कि विश्वविद्यालय की अकादमिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता होती है। किसी भी तरह की देरी प्रमुख निर्णय लेने के लिए कॉलेज की क्षमता को बाधित कर सकती है। उन्होंने कहा कि मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए गवनिर्ंग बॉडी के गठन की प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू करने की जरूरत है। उन्होंने डीयू से दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित सभी 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यात्मक गवनिर्ंग बॉडी के गठन में तेजी लाने को कहा है।

उनका कहना है कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 28 कॉलेजों के गवनिर्ंग बॉडी के लिए नामांकन 28 जनवरी 2023 को डीओ के माध्यम से विश्वविद्यालय को भेजे गए थे। इसपर 3 फरवरी 2023 को हुई कार्यकारी परिषद की बैठक में चर्चा की जानी थी, जो कि नहीं हुई। इस देरी को ध्यान में रखते हुए सिसोदिया ने 16 फरवरी 2023 को डीयू वीसी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि गवनिर्ंग बॉडी बनने तक स्थायी पदों के लिए होने वाले साक्षात्कार को रद्द कर दें। उपमुख्यमंत्री ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि इन कॉलेजों के वित्तीय फैसले दिल्ली सरकार पर भी वित्तीय प्रभाव डालते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय से दिल्ली सरकार की मंजूरी के बिना कोई वित्तीय निर्णय नहीं लेने का आग्रह किया था।

इसके बाद अभी किस फरवरी को फिर से लिखे गए पत्र में मनीष सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली सरकार के इन 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी (जीबी) समय की आवश्यकता है, क्योंकि साक्षात्कारों में लगभग सत्तर प्रतिशत एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के विस्थापित होने की सूचना मिली है।

उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अनुसार विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता है। इन 28 जीबी में दिल्ली सरकार के नामांकित लोगों की भागीदारी के लिए एक वैधानिक प्रावधान है। इसलिए, इन कॉलेजों में वर्षों से काम कर रहे एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों की सुरक्षा के लिए उन्हें अपने कर्तव्य का त्याग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

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पत्र में सिसोदिया ने चिंता व्यक्त की है कि प्रोफेसरों को भर्ती करने के लिए साक्षात्कार पूरी तरह से कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी के बिना हो रहे थे। यह एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के एब्सोप्र्शन की नीति को उलट रहा था, जिससे इन कॉलेजों में प्रशासनिक संकट पैदा हो सकता था। मनीष सिसोदिया ने जोर देकर कहा है कि विश्वविद्यालय की अकादमिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता होती है। किसी भी तरह की देरी प्रमुख निर्णय लेने के लिए कॉलेज की क्षमता को बाधित कर सकती है। उन्होंने कहा कि मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए गवनिर्ंग बॉडी के गठन की प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू करने की जरूरत है। उन्होंने डीयू से दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित सभी 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यात्मक गवनिर्ंग बॉडी के गठन में तेजी लाने को कहा है।

उनका कहना है कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 28 कॉलेजों के गवनिर्ंग बॉडी के लिए नामांकन 28 जनवरी 2023 को डीओ के माध्यम से विश्वविद्यालय को भेजे गए थे। इसपर 3 फरवरी 2023 को हुई कार्यकारी परिषद की बैठक में चर्चा की जानी थी, जो कि नहीं हुई। इस देरी को ध्यान में रखते हुए सिसोदिया ने 16 फरवरी 2023 को डीयू वीसी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि गवनिर्ंग बॉडी बनने तक स्थायी पदों के लिए होने वाले साक्षात्कार को रद्द कर दें। उपमुख्यमंत्री ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि इन कॉलेजों के वित्तीय फैसले दिल्ली सरकार पर भी वित्तीय प्रभाव डालते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय से दिल्ली सरकार की मंजूरी के बिना कोई वित्तीय निर्णय नहीं लेने का आग्रह किया था।

इसके बाद अभी किस फरवरी को फिर से लिखे गए पत्र में मनीष सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली सरकार के इन 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी (जीबी) समय की आवश्यकता है, क्योंकि साक्षात्कारों में लगभग सत्तर प्रतिशत एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के विस्थापित होने की सूचना मिली है।

उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अनुसार विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता है। इन 28 जीबी में दिल्ली सरकार के नामांकित लोगों की भागीदारी के लिए एक वैधानिक प्रावधान है। इसलिए, इन कॉलेजों में वर्षों से काम कर रहे एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों की सुरक्षा के लिए उन्हें अपने कर्तव्य का त्याग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

–आईएएनएस

जीसीबी/एएनएम

नई दिल्ली, 21 फरवरी (आईएएनएस)। केजरीवाल सरकार ने दिल्ली विश्वविद्यालय के 28 कॉलेजों की गवनिर्ंग बॉडी के गठन में देरी पर चिंता जताई है। यह 28 कॉलेज दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं। अब इस विषय पर दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह को पत्र लिखा है। अपने इस पत्र में उन्होंने जल्द से जल्द जल्द से कॉलेजों की गवनिर्ंग बॉडी का गठन करने का अनुरोध किया है।

पत्र में सिसोदिया ने चिंता व्यक्त की है कि प्रोफेसरों को भर्ती करने के लिए साक्षात्कार पूरी तरह से कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी के बिना हो रहे थे। यह एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के एब्सोप्र्शन की नीति को उलट रहा था, जिससे इन कॉलेजों में प्रशासनिक संकट पैदा हो सकता था। मनीष सिसोदिया ने जोर देकर कहा है कि विश्वविद्यालय की अकादमिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता होती है। किसी भी तरह की देरी प्रमुख निर्णय लेने के लिए कॉलेज की क्षमता को बाधित कर सकती है। उन्होंने कहा कि मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए गवनिर्ंग बॉडी के गठन की प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू करने की जरूरत है। उन्होंने डीयू से दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित सभी 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यात्मक गवनिर्ंग बॉडी के गठन में तेजी लाने को कहा है।

उनका कहना है कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 28 कॉलेजों के गवनिर्ंग बॉडी के लिए नामांकन 28 जनवरी 2023 को डीओ के माध्यम से विश्वविद्यालय को भेजे गए थे। इसपर 3 फरवरी 2023 को हुई कार्यकारी परिषद की बैठक में चर्चा की जानी थी, जो कि नहीं हुई। इस देरी को ध्यान में रखते हुए सिसोदिया ने 16 फरवरी 2023 को डीयू वीसी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि गवनिर्ंग बॉडी बनने तक स्थायी पदों के लिए होने वाले साक्षात्कार को रद्द कर दें। उपमुख्यमंत्री ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि इन कॉलेजों के वित्तीय फैसले दिल्ली सरकार पर भी वित्तीय प्रभाव डालते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय से दिल्ली सरकार की मंजूरी के बिना कोई वित्तीय निर्णय नहीं लेने का आग्रह किया था।

इसके बाद अभी किस फरवरी को फिर से लिखे गए पत्र में मनीष सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली सरकार के इन 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी (जीबी) समय की आवश्यकता है, क्योंकि साक्षात्कारों में लगभग सत्तर प्रतिशत एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के विस्थापित होने की सूचना मिली है।

उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अनुसार विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता है। इन 28 जीबी में दिल्ली सरकार के नामांकित लोगों की भागीदारी के लिए एक वैधानिक प्रावधान है। इसलिए, इन कॉलेजों में वर्षों से काम कर रहे एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों की सुरक्षा के लिए उन्हें अपने कर्तव्य का त्याग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

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नई दिल्ली, 21 फरवरी (आईएएनएस)। केजरीवाल सरकार ने दिल्ली विश्वविद्यालय के 28 कॉलेजों की गवनिर्ंग बॉडी के गठन में देरी पर चिंता जताई है। यह 28 कॉलेज दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं। अब इस विषय पर दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह को पत्र लिखा है। अपने इस पत्र में उन्होंने जल्द से जल्द जल्द से कॉलेजों की गवनिर्ंग बॉडी का गठन करने का अनुरोध किया है।

पत्र में सिसोदिया ने चिंता व्यक्त की है कि प्रोफेसरों को भर्ती करने के लिए साक्षात्कार पूरी तरह से कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी के बिना हो रहे थे। यह एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के एब्सोप्र्शन की नीति को उलट रहा था, जिससे इन कॉलेजों में प्रशासनिक संकट पैदा हो सकता था। मनीष सिसोदिया ने जोर देकर कहा है कि विश्वविद्यालय की अकादमिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता होती है। किसी भी तरह की देरी प्रमुख निर्णय लेने के लिए कॉलेज की क्षमता को बाधित कर सकती है। उन्होंने कहा कि मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए गवनिर्ंग बॉडी के गठन की प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू करने की जरूरत है। उन्होंने डीयू से दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित सभी 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यात्मक गवनिर्ंग बॉडी के गठन में तेजी लाने को कहा है।

उनका कहना है कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 28 कॉलेजों के गवनिर्ंग बॉडी के लिए नामांकन 28 जनवरी 2023 को डीओ के माध्यम से विश्वविद्यालय को भेजे गए थे। इसपर 3 फरवरी 2023 को हुई कार्यकारी परिषद की बैठक में चर्चा की जानी थी, जो कि नहीं हुई। इस देरी को ध्यान में रखते हुए सिसोदिया ने 16 फरवरी 2023 को डीयू वीसी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि गवनिर्ंग बॉडी बनने तक स्थायी पदों के लिए होने वाले साक्षात्कार को रद्द कर दें। उपमुख्यमंत्री ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि इन कॉलेजों के वित्तीय फैसले दिल्ली सरकार पर भी वित्तीय प्रभाव डालते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय से दिल्ली सरकार की मंजूरी के बिना कोई वित्तीय निर्णय नहीं लेने का आग्रह किया था।

इसके बाद अभी किस फरवरी को फिर से लिखे गए पत्र में मनीष सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली सरकार के इन 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी (जीबी) समय की आवश्यकता है, क्योंकि साक्षात्कारों में लगभग सत्तर प्रतिशत एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के विस्थापित होने की सूचना मिली है।

उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अनुसार विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता है। इन 28 जीबी में दिल्ली सरकार के नामांकित लोगों की भागीदारी के लिए एक वैधानिक प्रावधान है। इसलिए, इन कॉलेजों में वर्षों से काम कर रहे एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों की सुरक्षा के लिए उन्हें अपने कर्तव्य का त्याग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

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उनका कहना है कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 28 कॉलेजों के गवनिर्ंग बॉडी के लिए नामांकन 28 जनवरी 2023 को डीओ के माध्यम से विश्वविद्यालय को भेजे गए थे। इसपर 3 फरवरी 2023 को हुई कार्यकारी परिषद की बैठक में चर्चा की जानी थी, जो कि नहीं हुई। इस देरी को ध्यान में रखते हुए सिसोदिया ने 16 फरवरी 2023 को डीयू वीसी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि गवनिर्ंग बॉडी बनने तक स्थायी पदों के लिए होने वाले साक्षात्कार को रद्द कर दें। उपमुख्यमंत्री ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि इन कॉलेजों के वित्तीय फैसले दिल्ली सरकार पर भी वित्तीय प्रभाव डालते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय से दिल्ली सरकार की मंजूरी के बिना कोई वित्तीय निर्णय नहीं लेने का आग्रह किया था।

इसके बाद अभी किस फरवरी को फिर से लिखे गए पत्र में मनीष सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली सरकार के इन 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी (जीबी) समय की आवश्यकता है, क्योंकि साक्षात्कारों में लगभग सत्तर प्रतिशत एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के विस्थापित होने की सूचना मिली है।

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इसके बाद अभी किस फरवरी को फिर से लिखे गए पत्र में मनीष सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली सरकार के इन 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी (जीबी) समय की आवश्यकता है, क्योंकि साक्षात्कारों में लगभग सत्तर प्रतिशत एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के विस्थापित होने की सूचना मिली है।

उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अनुसार विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता है। इन 28 जीबी में दिल्ली सरकार के नामांकित लोगों की भागीदारी के लिए एक वैधानिक प्रावधान है। इसलिए, इन कॉलेजों में वर्षों से काम कर रहे एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों की सुरक्षा के लिए उन्हें अपने कर्तव्य का त्याग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

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इसके बाद अभी किस फरवरी को फिर से लिखे गए पत्र में मनीष सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली सरकार के इन 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी (जीबी) समय की आवश्यकता है, क्योंकि साक्षात्कारों में लगभग सत्तर प्रतिशत एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के विस्थापित होने की सूचना मिली है।

उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अनुसार विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता है। इन 28 जीबी में दिल्ली सरकार के नामांकित लोगों की भागीदारी के लिए एक वैधानिक प्रावधान है। इसलिए, इन कॉलेजों में वर्षों से काम कर रहे एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों की सुरक्षा के लिए उन्हें अपने कर्तव्य का त्याग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

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पत्र में सिसोदिया ने चिंता व्यक्त की है कि प्रोफेसरों को भर्ती करने के लिए साक्षात्कार पूरी तरह से कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी के बिना हो रहे थे। यह एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के एब्सोप्र्शन की नीति को उलट रहा था, जिससे इन कॉलेजों में प्रशासनिक संकट पैदा हो सकता था। मनीष सिसोदिया ने जोर देकर कहा है कि विश्वविद्यालय की अकादमिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता होती है। किसी भी तरह की देरी प्रमुख निर्णय लेने के लिए कॉलेज की क्षमता को बाधित कर सकती है। उन्होंने कहा कि मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए गवनिर्ंग बॉडी के गठन की प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू करने की जरूरत है। उन्होंने डीयू से दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित सभी 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यात्मक गवनिर्ंग बॉडी के गठन में तेजी लाने को कहा है।

उनका कहना है कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 28 कॉलेजों के गवनिर्ंग बॉडी के लिए नामांकन 28 जनवरी 2023 को डीओ के माध्यम से विश्वविद्यालय को भेजे गए थे। इसपर 3 फरवरी 2023 को हुई कार्यकारी परिषद की बैठक में चर्चा की जानी थी, जो कि नहीं हुई। इस देरी को ध्यान में रखते हुए सिसोदिया ने 16 फरवरी 2023 को डीयू वीसी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि गवनिर्ंग बॉडी बनने तक स्थायी पदों के लिए होने वाले साक्षात्कार को रद्द कर दें। उपमुख्यमंत्री ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि इन कॉलेजों के वित्तीय फैसले दिल्ली सरकार पर भी वित्तीय प्रभाव डालते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय से दिल्ली सरकार की मंजूरी के बिना कोई वित्तीय निर्णय नहीं लेने का आग्रह किया था।

इसके बाद अभी किस फरवरी को फिर से लिखे गए पत्र में मनीष सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली सरकार के इन 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी (जीबी) समय की आवश्यकता है, क्योंकि साक्षात्कारों में लगभग सत्तर प्रतिशत एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के विस्थापित होने की सूचना मिली है।

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पत्र में सिसोदिया ने चिंता व्यक्त की है कि प्रोफेसरों को भर्ती करने के लिए साक्षात्कार पूरी तरह से कार्यरत गवनिर्ंग बॉडी के बिना हो रहे थे। यह एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के एब्सोप्र्शन की नीति को उलट रहा था, जिससे इन कॉलेजों में प्रशासनिक संकट पैदा हो सकता था। मनीष सिसोदिया ने जोर देकर कहा है कि विश्वविद्यालय की अकादमिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हजारों एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के अनुभव की आवश्यकता होती है। किसी भी तरह की देरी प्रमुख निर्णय लेने के लिए कॉलेज की क्षमता को बाधित कर सकती है। उन्होंने कहा कि मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए गवनिर्ंग बॉडी के गठन की प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू करने की जरूरत है। उन्होंने डीयू से दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित सभी 28 कॉलेजों में पूरी तरह कार्यात्मक गवनिर्ंग बॉडी के गठन में तेजी लाने को कहा है।

उनका कहना है कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 28 कॉलेजों के गवनिर्ंग बॉडी के लिए नामांकन 28 जनवरी 2023 को डीओ के माध्यम से विश्वविद्यालय को भेजे गए थे। इसपर 3 फरवरी 2023 को हुई कार्यकारी परिषद की बैठक में चर्चा की जानी थी, जो कि नहीं हुई। इस देरी को ध्यान में रखते हुए सिसोदिया ने 16 फरवरी 2023 को डीयू वीसी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि गवनिर्ंग बॉडी बनने तक स्थायी पदों के लिए होने वाले साक्षात्कार को रद्द कर दें। उपमुख्यमंत्री ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि इन कॉलेजों के वित्तीय फैसले दिल्ली सरकार पर भी वित्तीय प्रभाव डालते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय से दिल्ली सरकार की मंजूरी के बिना कोई वित्तीय निर्णय नहीं लेने का आग्रह किया था।

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