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डॉक्टरों ने मरीज के शरीर से 20 लीटर अपशिष्ट द्रव भरी बड़ी किडनी निकाली

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February 21, 2023
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डॉक्टरों ने मरीज के शरीर से 20 लीटर अपशिष्ट द्रव भरी बड़ी किडनी निकाली
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हैदराबाद, 21 फरवरी (आईएएनएस)। एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड यूरोलॉजी (एआईएनयू) के डॉक्टरों ने एक मरीज के शरीर से 20 लीटर अपशिष्ट द्रव या मूत्र से भरी विशाल किडनी को सर्जरी के जरिए सफलतापूर्वक निकाल दिया।

अपशिष्ट द्रव भरी बाईं किडनी का आकार लगभग 90 सेंटीमीटर व्यास का था, जो मरीज के शरीर में अन्य महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचा रहा था।

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आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी क्षेत्र का एक 47 वर्षीय पुरुष पिछले 10 वर्षो से लगातार दर्द और धीरे-धीरे पेट की सूजन से पीड़ित था। उसने लगभग एक दशक तक इस मर्ज को नजरअंदाज किया। हाल के महीनों में सूजन बढ़ने और पेट में लगातार तेज दर्द रहने पर उसने एआईएनयू में डॉक्टरों से संपर्क किया।

डॉक्टरों ने सावधानीपूर्वक उपचार प्रक्रिया करने की योजना बनाई और सर्वोत्तम परिणाम सुनिश्चित करने व मरीज को संभावित हेमोडायनेमिक अस्थिरता के जोखिम से बचाने के लिए विशेषज्ञों के साथ परामर्श के बाद यह मुश्किल सर्जरी की।

एआईएनयू के सीनियर कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट डॉ. सैयद मोहम्मद गौस ने कहा, मरीज को हाल के दिनों में नियमित रूप से तीव्र पेट दर्द और भूख में गिरावट का सामना करना पड़ा। एआईएनयू में भर्ती होने पर आवश्यक परीक्षणों से पता चला कि रोगी बढ़े हुए और गैर-कार्यशील बाएं गुर्दे से पीड़ित था। रोगी का पेट बड़ा था। डॉ. सैयद मोहम्मद ने कहा गैर-कार्यशील बाएं गुर्दे में द्रव अपशिष्ट या मूत्र के संचय के कारण। इस वृद्धि के परिणामस्वरूप आंत और अन्य महत्वपूर्ण अंगों का उनके प्राकृतिक स्थानों से विस्थापन हुआ।

डॉ. गौस ने कहा कि डॉक्टरों ने किडनी निकालने के लिए शल्य प्रक्रिया नेफरेक्टोमी की। फैली हुई बाईं किडनी से लगभग 20 लीटर अपशिष्ट द्रव या मूत्र निकाला गया। इस तरह के बढ़े हुए गुर्दे को निकालने के लिए कुशल शल्य प्रक्रिया के बाद पोस्ट-ऑपरेटिव प्रबंधन की भी जरूरत पड़ी।

डॉक्टरों ने कहा कि मरीज को डिस्चार्ज करने से पहले तीन दिनों तक निगरानी में रखा गया और डिस्चार्ज किए जाने के बाद भी एआईएनयू के विशेषज्ञों की टीम मरीज की स्थिति की नियमित समीक्षा कर रही है। उन्होंने कहा कि मरीज की स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है, वह अब सामान्य भोजन कर पा रहा है और उसका वजन भी बढ़ रहा है। इस प्रक्रिया में डॉ. गौस को डॉ. राजेश और डॉ. अमीश के साथ-साथ नर्सिग टीम के सदस्यों और सहयोगी स्टाफ का भी पूरा सहयोग मिला।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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हैदराबाद, 21 फरवरी (आईएएनएस)। एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड यूरोलॉजी (एआईएनयू) के डॉक्टरों ने एक मरीज के शरीर से 20 लीटर अपशिष्ट द्रव या मूत्र से भरी विशाल किडनी को सर्जरी के जरिए सफलतापूर्वक निकाल दिया।

अपशिष्ट द्रव भरी बाईं किडनी का आकार लगभग 90 सेंटीमीटर व्यास का था, जो मरीज के शरीर में अन्य महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचा रहा था।

आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी क्षेत्र का एक 47 वर्षीय पुरुष पिछले 10 वर्षो से लगातार दर्द और धीरे-धीरे पेट की सूजन से पीड़ित था। उसने लगभग एक दशक तक इस मर्ज को नजरअंदाज किया। हाल के महीनों में सूजन बढ़ने और पेट में लगातार तेज दर्द रहने पर उसने एआईएनयू में डॉक्टरों से संपर्क किया।

डॉक्टरों ने सावधानीपूर्वक उपचार प्रक्रिया करने की योजना बनाई और सर्वोत्तम परिणाम सुनिश्चित करने व मरीज को संभावित हेमोडायनेमिक अस्थिरता के जोखिम से बचाने के लिए विशेषज्ञों के साथ परामर्श के बाद यह मुश्किल सर्जरी की।

एआईएनयू के सीनियर कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट डॉ. सैयद मोहम्मद गौस ने कहा, मरीज को हाल के दिनों में नियमित रूप से तीव्र पेट दर्द और भूख में गिरावट का सामना करना पड़ा। एआईएनयू में भर्ती होने पर आवश्यक परीक्षणों से पता चला कि रोगी बढ़े हुए और गैर-कार्यशील बाएं गुर्दे से पीड़ित था। रोगी का पेट बड़ा था। डॉ. सैयद मोहम्मद ने कहा गैर-कार्यशील बाएं गुर्दे में द्रव अपशिष्ट या मूत्र के संचय के कारण। इस वृद्धि के परिणामस्वरूप आंत और अन्य महत्वपूर्ण अंगों का उनके प्राकृतिक स्थानों से विस्थापन हुआ।

डॉ. गौस ने कहा कि डॉक्टरों ने किडनी निकालने के लिए शल्य प्रक्रिया नेफरेक्टोमी की। फैली हुई बाईं किडनी से लगभग 20 लीटर अपशिष्ट द्रव या मूत्र निकाला गया। इस तरह के बढ़े हुए गुर्दे को निकालने के लिए कुशल शल्य प्रक्रिया के बाद पोस्ट-ऑपरेटिव प्रबंधन की भी जरूरत पड़ी।

डॉक्टरों ने कहा कि मरीज को डिस्चार्ज करने से पहले तीन दिनों तक निगरानी में रखा गया और डिस्चार्ज किए जाने के बाद भी एआईएनयू के विशेषज्ञों की टीम मरीज की स्थिति की नियमित समीक्षा कर रही है। उन्होंने कहा कि मरीज की स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है, वह अब सामान्य भोजन कर पा रहा है और उसका वजन भी बढ़ रहा है। इस प्रक्रिया में डॉ. गौस को डॉ. राजेश और डॉ. अमीश के साथ-साथ नर्सिग टीम के सदस्यों और सहयोगी स्टाफ का भी पूरा सहयोग मिला।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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हैदराबाद, 21 फरवरी (आईएएनएस)। एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड यूरोलॉजी (एआईएनयू) के डॉक्टरों ने एक मरीज के शरीर से 20 लीटर अपशिष्ट द्रव या मूत्र से भरी विशाल किडनी को सर्जरी के जरिए सफलतापूर्वक निकाल दिया।

अपशिष्ट द्रव भरी बाईं किडनी का आकार लगभग 90 सेंटीमीटर व्यास का था, जो मरीज के शरीर में अन्य महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचा रहा था।

आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी क्षेत्र का एक 47 वर्षीय पुरुष पिछले 10 वर्षो से लगातार दर्द और धीरे-धीरे पेट की सूजन से पीड़ित था। उसने लगभग एक दशक तक इस मर्ज को नजरअंदाज किया। हाल के महीनों में सूजन बढ़ने और पेट में लगातार तेज दर्द रहने पर उसने एआईएनयू में डॉक्टरों से संपर्क किया।

डॉक्टरों ने सावधानीपूर्वक उपचार प्रक्रिया करने की योजना बनाई और सर्वोत्तम परिणाम सुनिश्चित करने व मरीज को संभावित हेमोडायनेमिक अस्थिरता के जोखिम से बचाने के लिए विशेषज्ञों के साथ परामर्श के बाद यह मुश्किल सर्जरी की।

एआईएनयू के सीनियर कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट डॉ. सैयद मोहम्मद गौस ने कहा, मरीज को हाल के दिनों में नियमित रूप से तीव्र पेट दर्द और भूख में गिरावट का सामना करना पड़ा। एआईएनयू में भर्ती होने पर आवश्यक परीक्षणों से पता चला कि रोगी बढ़े हुए और गैर-कार्यशील बाएं गुर्दे से पीड़ित था। रोगी का पेट बड़ा था। डॉ. सैयद मोहम्मद ने कहा गैर-कार्यशील बाएं गुर्दे में द्रव अपशिष्ट या मूत्र के संचय के कारण। इस वृद्धि के परिणामस्वरूप आंत और अन्य महत्वपूर्ण अंगों का उनके प्राकृतिक स्थानों से विस्थापन हुआ।

डॉ. गौस ने कहा कि डॉक्टरों ने किडनी निकालने के लिए शल्य प्रक्रिया नेफरेक्टोमी की। फैली हुई बाईं किडनी से लगभग 20 लीटर अपशिष्ट द्रव या मूत्र निकाला गया। इस तरह के बढ़े हुए गुर्दे को निकालने के लिए कुशल शल्य प्रक्रिया के बाद पोस्ट-ऑपरेटिव प्रबंधन की भी जरूरत पड़ी।

डॉक्टरों ने कहा कि मरीज को डिस्चार्ज करने से पहले तीन दिनों तक निगरानी में रखा गया और डिस्चार्ज किए जाने के बाद भी एआईएनयू के विशेषज्ञों की टीम मरीज की स्थिति की नियमित समीक्षा कर रही है। उन्होंने कहा कि मरीज की स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है, वह अब सामान्य भोजन कर पा रहा है और उसका वजन भी बढ़ रहा है। इस प्रक्रिया में डॉ. गौस को डॉ. राजेश और डॉ. अमीश के साथ-साथ नर्सिग टीम के सदस्यों और सहयोगी स्टाफ का भी पूरा सहयोग मिला।

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अपशिष्ट द्रव भरी बाईं किडनी का आकार लगभग 90 सेंटीमीटर व्यास का था, जो मरीज के शरीर में अन्य महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचा रहा था।

आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी क्षेत्र का एक 47 वर्षीय पुरुष पिछले 10 वर्षो से लगातार दर्द और धीरे-धीरे पेट की सूजन से पीड़ित था। उसने लगभग एक दशक तक इस मर्ज को नजरअंदाज किया। हाल के महीनों में सूजन बढ़ने और पेट में लगातार तेज दर्द रहने पर उसने एआईएनयू में डॉक्टरों से संपर्क किया।

डॉक्टरों ने सावधानीपूर्वक उपचार प्रक्रिया करने की योजना बनाई और सर्वोत्तम परिणाम सुनिश्चित करने व मरीज को संभावित हेमोडायनेमिक अस्थिरता के जोखिम से बचाने के लिए विशेषज्ञों के साथ परामर्श के बाद यह मुश्किल सर्जरी की।

एआईएनयू के सीनियर कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट डॉ. सैयद मोहम्मद गौस ने कहा, मरीज को हाल के दिनों में नियमित रूप से तीव्र पेट दर्द और भूख में गिरावट का सामना करना पड़ा। एआईएनयू में भर्ती होने पर आवश्यक परीक्षणों से पता चला कि रोगी बढ़े हुए और गैर-कार्यशील बाएं गुर्दे से पीड़ित था। रोगी का पेट बड़ा था। डॉ. सैयद मोहम्मद ने कहा गैर-कार्यशील बाएं गुर्दे में द्रव अपशिष्ट या मूत्र के संचय के कारण। इस वृद्धि के परिणामस्वरूप आंत और अन्य महत्वपूर्ण अंगों का उनके प्राकृतिक स्थानों से विस्थापन हुआ।

डॉ. गौस ने कहा कि डॉक्टरों ने किडनी निकालने के लिए शल्य प्रक्रिया नेफरेक्टोमी की। फैली हुई बाईं किडनी से लगभग 20 लीटर अपशिष्ट द्रव या मूत्र निकाला गया। इस तरह के बढ़े हुए गुर्दे को निकालने के लिए कुशल शल्य प्रक्रिया के बाद पोस्ट-ऑपरेटिव प्रबंधन की भी जरूरत पड़ी।

डॉक्टरों ने कहा कि मरीज को डिस्चार्ज करने से पहले तीन दिनों तक निगरानी में रखा गया और डिस्चार्ज किए जाने के बाद भी एआईएनयू के विशेषज्ञों की टीम मरीज की स्थिति की नियमित समीक्षा कर रही है। उन्होंने कहा कि मरीज की स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है, वह अब सामान्य भोजन कर पा रहा है और उसका वजन भी बढ़ रहा है। इस प्रक्रिया में डॉ. गौस को डॉ. राजेश और डॉ. अमीश के साथ-साथ नर्सिग टीम के सदस्यों और सहयोगी स्टाफ का भी पूरा सहयोग मिला।

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अपशिष्ट द्रव भरी बाईं किडनी का आकार लगभग 90 सेंटीमीटर व्यास का था, जो मरीज के शरीर में अन्य महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचा रहा था।

आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी क्षेत्र का एक 47 वर्षीय पुरुष पिछले 10 वर्षो से लगातार दर्द और धीरे-धीरे पेट की सूजन से पीड़ित था। उसने लगभग एक दशक तक इस मर्ज को नजरअंदाज किया। हाल के महीनों में सूजन बढ़ने और पेट में लगातार तेज दर्द रहने पर उसने एआईएनयू में डॉक्टरों से संपर्क किया।

डॉक्टरों ने सावधानीपूर्वक उपचार प्रक्रिया करने की योजना बनाई और सर्वोत्तम परिणाम सुनिश्चित करने व मरीज को संभावित हेमोडायनेमिक अस्थिरता के जोखिम से बचाने के लिए विशेषज्ञों के साथ परामर्श के बाद यह मुश्किल सर्जरी की।

एआईएनयू के सीनियर कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट डॉ. सैयद मोहम्मद गौस ने कहा, मरीज को हाल के दिनों में नियमित रूप से तीव्र पेट दर्द और भूख में गिरावट का सामना करना पड़ा। एआईएनयू में भर्ती होने पर आवश्यक परीक्षणों से पता चला कि रोगी बढ़े हुए और गैर-कार्यशील बाएं गुर्दे से पीड़ित था। रोगी का पेट बड़ा था। डॉ. सैयद मोहम्मद ने कहा गैर-कार्यशील बाएं गुर्दे में द्रव अपशिष्ट या मूत्र के संचय के कारण। इस वृद्धि के परिणामस्वरूप आंत और अन्य महत्वपूर्ण अंगों का उनके प्राकृतिक स्थानों से विस्थापन हुआ।

डॉ. गौस ने कहा कि डॉक्टरों ने किडनी निकालने के लिए शल्य प्रक्रिया नेफरेक्टोमी की। फैली हुई बाईं किडनी से लगभग 20 लीटर अपशिष्ट द्रव या मूत्र निकाला गया। इस तरह के बढ़े हुए गुर्दे को निकालने के लिए कुशल शल्य प्रक्रिया के बाद पोस्ट-ऑपरेटिव प्रबंधन की भी जरूरत पड़ी।

डॉक्टरों ने कहा कि मरीज को डिस्चार्ज करने से पहले तीन दिनों तक निगरानी में रखा गया और डिस्चार्ज किए जाने के बाद भी एआईएनयू के विशेषज्ञों की टीम मरीज की स्थिति की नियमित समीक्षा कर रही है। उन्होंने कहा कि मरीज की स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है, वह अब सामान्य भोजन कर पा रहा है और उसका वजन भी बढ़ रहा है। इस प्रक्रिया में डॉ. गौस को डॉ. राजेश और डॉ. अमीश के साथ-साथ नर्सिग टीम के सदस्यों और सहयोगी स्टाफ का भी पूरा सहयोग मिला।

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अपशिष्ट द्रव भरी बाईं किडनी का आकार लगभग 90 सेंटीमीटर व्यास का था, जो मरीज के शरीर में अन्य महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचा रहा था।

आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी क्षेत्र का एक 47 वर्षीय पुरुष पिछले 10 वर्षो से लगातार दर्द और धीरे-धीरे पेट की सूजन से पीड़ित था। उसने लगभग एक दशक तक इस मर्ज को नजरअंदाज किया। हाल के महीनों में सूजन बढ़ने और पेट में लगातार तेज दर्द रहने पर उसने एआईएनयू में डॉक्टरों से संपर्क किया।

डॉक्टरों ने सावधानीपूर्वक उपचार प्रक्रिया करने की योजना बनाई और सर्वोत्तम परिणाम सुनिश्चित करने व मरीज को संभावित हेमोडायनेमिक अस्थिरता के जोखिम से बचाने के लिए विशेषज्ञों के साथ परामर्श के बाद यह मुश्किल सर्जरी की।

एआईएनयू के सीनियर कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट डॉ. सैयद मोहम्मद गौस ने कहा, मरीज को हाल के दिनों में नियमित रूप से तीव्र पेट दर्द और भूख में गिरावट का सामना करना पड़ा। एआईएनयू में भर्ती होने पर आवश्यक परीक्षणों से पता चला कि रोगी बढ़े हुए और गैर-कार्यशील बाएं गुर्दे से पीड़ित था। रोगी का पेट बड़ा था। डॉ. सैयद मोहम्मद ने कहा गैर-कार्यशील बाएं गुर्दे में द्रव अपशिष्ट या मूत्र के संचय के कारण। इस वृद्धि के परिणामस्वरूप आंत और अन्य महत्वपूर्ण अंगों का उनके प्राकृतिक स्थानों से विस्थापन हुआ।

डॉ. गौस ने कहा कि डॉक्टरों ने किडनी निकालने के लिए शल्य प्रक्रिया नेफरेक्टोमी की। फैली हुई बाईं किडनी से लगभग 20 लीटर अपशिष्ट द्रव या मूत्र निकाला गया। इस तरह के बढ़े हुए गुर्दे को निकालने के लिए कुशल शल्य प्रक्रिया के बाद पोस्ट-ऑपरेटिव प्रबंधन की भी जरूरत पड़ी।

डॉक्टरों ने कहा कि मरीज को डिस्चार्ज करने से पहले तीन दिनों तक निगरानी में रखा गया और डिस्चार्ज किए जाने के बाद भी एआईएनयू के विशेषज्ञों की टीम मरीज की स्थिति की नियमित समीक्षा कर रही है। उन्होंने कहा कि मरीज की स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है, वह अब सामान्य भोजन कर पा रहा है और उसका वजन भी बढ़ रहा है। इस प्रक्रिया में डॉ. गौस को डॉ. राजेश और डॉ. अमीश के साथ-साथ नर्सिग टीम के सदस्यों और सहयोगी स्टाफ का भी पूरा सहयोग मिला।

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अपशिष्ट द्रव भरी बाईं किडनी का आकार लगभग 90 सेंटीमीटर व्यास का था, जो मरीज के शरीर में अन्य महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचा रहा था।

आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी क्षेत्र का एक 47 वर्षीय पुरुष पिछले 10 वर्षो से लगातार दर्द और धीरे-धीरे पेट की सूजन से पीड़ित था। उसने लगभग एक दशक तक इस मर्ज को नजरअंदाज किया। हाल के महीनों में सूजन बढ़ने और पेट में लगातार तेज दर्द रहने पर उसने एआईएनयू में डॉक्टरों से संपर्क किया।

डॉक्टरों ने सावधानीपूर्वक उपचार प्रक्रिया करने की योजना बनाई और सर्वोत्तम परिणाम सुनिश्चित करने व मरीज को संभावित हेमोडायनेमिक अस्थिरता के जोखिम से बचाने के लिए विशेषज्ञों के साथ परामर्श के बाद यह मुश्किल सर्जरी की।

एआईएनयू के सीनियर कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट डॉ. सैयद मोहम्मद गौस ने कहा, मरीज को हाल के दिनों में नियमित रूप से तीव्र पेट दर्द और भूख में गिरावट का सामना करना पड़ा। एआईएनयू में भर्ती होने पर आवश्यक परीक्षणों से पता चला कि रोगी बढ़े हुए और गैर-कार्यशील बाएं गुर्दे से पीड़ित था। रोगी का पेट बड़ा था। डॉ. सैयद मोहम्मद ने कहा गैर-कार्यशील बाएं गुर्दे में द्रव अपशिष्ट या मूत्र के संचय के कारण। इस वृद्धि के परिणामस्वरूप आंत और अन्य महत्वपूर्ण अंगों का उनके प्राकृतिक स्थानों से विस्थापन हुआ।

डॉ. गौस ने कहा कि डॉक्टरों ने किडनी निकालने के लिए शल्य प्रक्रिया नेफरेक्टोमी की। फैली हुई बाईं किडनी से लगभग 20 लीटर अपशिष्ट द्रव या मूत्र निकाला गया। इस तरह के बढ़े हुए गुर्दे को निकालने के लिए कुशल शल्य प्रक्रिया के बाद पोस्ट-ऑपरेटिव प्रबंधन की भी जरूरत पड़ी।

डॉक्टरों ने कहा कि मरीज को डिस्चार्ज करने से पहले तीन दिनों तक निगरानी में रखा गया और डिस्चार्ज किए जाने के बाद भी एआईएनयू के विशेषज्ञों की टीम मरीज की स्थिति की नियमित समीक्षा कर रही है। उन्होंने कहा कि मरीज की स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है, वह अब सामान्य भोजन कर पा रहा है और उसका वजन भी बढ़ रहा है। इस प्रक्रिया में डॉ. गौस को डॉ. राजेश और डॉ. अमीश के साथ-साथ नर्सिग टीम के सदस्यों और सहयोगी स्टाफ का भी पूरा सहयोग मिला।

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अपशिष्ट द्रव भरी बाईं किडनी का आकार लगभग 90 सेंटीमीटर व्यास का था, जो मरीज के शरीर में अन्य महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचा रहा था।

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डॉक्टरों ने सावधानीपूर्वक उपचार प्रक्रिया करने की योजना बनाई और सर्वोत्तम परिणाम सुनिश्चित करने व मरीज को संभावित हेमोडायनेमिक अस्थिरता के जोखिम से बचाने के लिए विशेषज्ञों के साथ परामर्श के बाद यह मुश्किल सर्जरी की।

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