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तमिलनाडु : जल्लीकट्टू को सुप्रीम अनुमति मिलने पर द्रमुक, अन्य में श्रेय लेने की होड़

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May 18, 2023
in राष्ट्रीय
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तमिलनाडु : जल्लीकट्टू को सुप्रीम अनुमति मिलने पर द्रमुक, अन्य में श्रेय लेने की होड़
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चेन्नई, 18 मई (आईएएनएस)। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक, अन्नाद्रमुक और भाजपा ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय द्वारा सांडों को काबू में करने वाले खेल जल्लीकट्टू के आयोजन की अनुमति दिए जाने का श्रेय लेने की होड़ देखी जा रही है।

न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ ने कहा कि यह विधायिका के विचार को बाधित नहीं करेगा, क्योंकि उनका मानना है कि खेल राज्य की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।

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शीर्ष अदालत ने कहा कि जब विधायिका ने घोषणा की है कि जल्लीकट्टू तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, तो न्यायपालिका एक अलग दृष्टिकोण नहीं रख सकती। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इसे तय करने के लिए सबसे उपयुक्त जगह विधायिका है।

पीठ ने यह भी कहा कि तमिलनाडु में सांडों को वश में करने का पारंपरिक खेल पिछली शताब्दी से चल रहा है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा, सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का फैसला ऐतिहासिक है।

स्टालिन ने यह भी कहा कि अरिंगनल्लूर में एक बड़ा जलिकट्टू मैदान बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, हम अगले पोंगल के दौरान बड़े पैमाने पर जल्लीकट्टू मनाएंगे।

इस बीच, तमिलनाडु के कानून मंत्री एस. रघुपति ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि सांडों पर क्रूरता नहीं की जाती, तमिलनाडु सरकार सांडों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने फैसले में एकमत थी और तमिलनाडु सरकार ने मामले में पेश होने के लिए सबसे अच्छे वकीलों को लगाया था और तर्को को प्रभावी ढंग से रखा था।

अन्नाद्रमुक नेता और पूर्व मंत्री सी. विजयभास्कर ने यहां मीडिया को बताया कि जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध पिछली यूपीए सरकार ने 2011 में लगाया था।

उन्होंने कहा कि जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए अध्यादेश अन्नाद्रमुक शासन के दौरान लाया गया था और जल्लीकट्टू तीन साल बाद राज्य में फिर से शुरू हुआ।

उन्होंने यह भी कहा कि अन्नाद्रमुक सरकार ने जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए उच्चतम न्यायालय के समक्ष निरंतर प्रयास किए थे।

इस बीच, भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, भाजपा की राज्य इकाई और तमिलनाडु के लोगों की ओर से, हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके लगातार प्रयासों के लिए धन्यवाद देते हैं। तमिलनाडु के सांस्कृतिक खेल जल्लीकट्टू पर लगा प्रतिबंध पूरी तरह से हटा लिया गया।

उन्होंने यह भी कहा कि यह कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली यूपीए सरकार थी, जिसने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाया था।

अन्नामलाई ने कहा कि भाजपा और एनडीए सरकार के प्रयासों से तमिलनाडु में प्रतिबंध हटा लिया गया।

–आईएएनएस

एसजीके

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चेन्नई, 18 मई (आईएएनएस)। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक, अन्नाद्रमुक और भाजपा ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय द्वारा सांडों को काबू में करने वाले खेल जल्लीकट्टू के आयोजन की अनुमति दिए जाने का श्रेय लेने की होड़ देखी जा रही है।

न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ ने कहा कि यह विधायिका के विचार को बाधित नहीं करेगा, क्योंकि उनका मानना है कि खेल राज्य की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि जब विधायिका ने घोषणा की है कि जल्लीकट्टू तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, तो न्यायपालिका एक अलग दृष्टिकोण नहीं रख सकती। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इसे तय करने के लिए सबसे उपयुक्त जगह विधायिका है।

पीठ ने यह भी कहा कि तमिलनाडु में सांडों को वश में करने का पारंपरिक खेल पिछली शताब्दी से चल रहा है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा, सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का फैसला ऐतिहासिक है।

स्टालिन ने यह भी कहा कि अरिंगनल्लूर में एक बड़ा जलिकट्टू मैदान बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, हम अगले पोंगल के दौरान बड़े पैमाने पर जल्लीकट्टू मनाएंगे।

इस बीच, तमिलनाडु के कानून मंत्री एस. रघुपति ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि सांडों पर क्रूरता नहीं की जाती, तमिलनाडु सरकार सांडों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने फैसले में एकमत थी और तमिलनाडु सरकार ने मामले में पेश होने के लिए सबसे अच्छे वकीलों को लगाया था और तर्को को प्रभावी ढंग से रखा था।

अन्नाद्रमुक नेता और पूर्व मंत्री सी. विजयभास्कर ने यहां मीडिया को बताया कि जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध पिछली यूपीए सरकार ने 2011 में लगाया था।

उन्होंने कहा कि जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए अध्यादेश अन्नाद्रमुक शासन के दौरान लाया गया था और जल्लीकट्टू तीन साल बाद राज्य में फिर से शुरू हुआ।

उन्होंने यह भी कहा कि अन्नाद्रमुक सरकार ने जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए उच्चतम न्यायालय के समक्ष निरंतर प्रयास किए थे।

इस बीच, भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, भाजपा की राज्य इकाई और तमिलनाडु के लोगों की ओर से, हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके लगातार प्रयासों के लिए धन्यवाद देते हैं। तमिलनाडु के सांस्कृतिक खेल जल्लीकट्टू पर लगा प्रतिबंध पूरी तरह से हटा लिया गया।

उन्होंने यह भी कहा कि यह कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली यूपीए सरकार थी, जिसने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाया था।

अन्नामलाई ने कहा कि भाजपा और एनडीए सरकार के प्रयासों से तमिलनाडु में प्रतिबंध हटा लिया गया।

–आईएएनएस

एसजीके

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चेन्नई, 18 मई (आईएएनएस)। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक, अन्नाद्रमुक और भाजपा ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय द्वारा सांडों को काबू में करने वाले खेल जल्लीकट्टू के आयोजन की अनुमति दिए जाने का श्रेय लेने की होड़ देखी जा रही है।

न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ ने कहा कि यह विधायिका के विचार को बाधित नहीं करेगा, क्योंकि उनका मानना है कि खेल राज्य की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि जब विधायिका ने घोषणा की है कि जल्लीकट्टू तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, तो न्यायपालिका एक अलग दृष्टिकोण नहीं रख सकती। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इसे तय करने के लिए सबसे उपयुक्त जगह विधायिका है।

पीठ ने यह भी कहा कि तमिलनाडु में सांडों को वश में करने का पारंपरिक खेल पिछली शताब्दी से चल रहा है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा, सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का फैसला ऐतिहासिक है।

स्टालिन ने यह भी कहा कि अरिंगनल्लूर में एक बड़ा जलिकट्टू मैदान बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, हम अगले पोंगल के दौरान बड़े पैमाने पर जल्लीकट्टू मनाएंगे।

इस बीच, तमिलनाडु के कानून मंत्री एस. रघुपति ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि सांडों पर क्रूरता नहीं की जाती, तमिलनाडु सरकार सांडों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने फैसले में एकमत थी और तमिलनाडु सरकार ने मामले में पेश होने के लिए सबसे अच्छे वकीलों को लगाया था और तर्को को प्रभावी ढंग से रखा था।

अन्नाद्रमुक नेता और पूर्व मंत्री सी. विजयभास्कर ने यहां मीडिया को बताया कि जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध पिछली यूपीए सरकार ने 2011 में लगाया था।

उन्होंने कहा कि जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए अध्यादेश अन्नाद्रमुक शासन के दौरान लाया गया था और जल्लीकट्टू तीन साल बाद राज्य में फिर से शुरू हुआ।

उन्होंने यह भी कहा कि अन्नाद्रमुक सरकार ने जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए उच्चतम न्यायालय के समक्ष निरंतर प्रयास किए थे।

इस बीच, भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, भाजपा की राज्य इकाई और तमिलनाडु के लोगों की ओर से, हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके लगातार प्रयासों के लिए धन्यवाद देते हैं। तमिलनाडु के सांस्कृतिक खेल जल्लीकट्टू पर लगा प्रतिबंध पूरी तरह से हटा लिया गया।

उन्होंने यह भी कहा कि यह कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली यूपीए सरकार थी, जिसने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाया था।

अन्नामलाई ने कहा कि भाजपा और एनडीए सरकार के प्रयासों से तमिलनाडु में प्रतिबंध हटा लिया गया।

–आईएएनएस

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चेन्नई, 18 मई (आईएएनएस)। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक, अन्नाद्रमुक और भाजपा ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय द्वारा सांडों को काबू में करने वाले खेल जल्लीकट्टू के आयोजन की अनुमति दिए जाने का श्रेय लेने की होड़ देखी जा रही है।

न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ ने कहा कि यह विधायिका के विचार को बाधित नहीं करेगा, क्योंकि उनका मानना है कि खेल राज्य की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि जब विधायिका ने घोषणा की है कि जल्लीकट्टू तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, तो न्यायपालिका एक अलग दृष्टिकोण नहीं रख सकती। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इसे तय करने के लिए सबसे उपयुक्त जगह विधायिका है।

पीठ ने यह भी कहा कि तमिलनाडु में सांडों को वश में करने का पारंपरिक खेल पिछली शताब्दी से चल रहा है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा, सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का फैसला ऐतिहासिक है।

स्टालिन ने यह भी कहा कि अरिंगनल्लूर में एक बड़ा जलिकट्टू मैदान बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, हम अगले पोंगल के दौरान बड़े पैमाने पर जल्लीकट्टू मनाएंगे।

इस बीच, तमिलनाडु के कानून मंत्री एस. रघुपति ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि सांडों पर क्रूरता नहीं की जाती, तमिलनाडु सरकार सांडों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने फैसले में एकमत थी और तमिलनाडु सरकार ने मामले में पेश होने के लिए सबसे अच्छे वकीलों को लगाया था और तर्को को प्रभावी ढंग से रखा था।

अन्नाद्रमुक नेता और पूर्व मंत्री सी. विजयभास्कर ने यहां मीडिया को बताया कि जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध पिछली यूपीए सरकार ने 2011 में लगाया था।

उन्होंने कहा कि जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए अध्यादेश अन्नाद्रमुक शासन के दौरान लाया गया था और जल्लीकट्टू तीन साल बाद राज्य में फिर से शुरू हुआ।

उन्होंने यह भी कहा कि अन्नाद्रमुक सरकार ने जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए उच्चतम न्यायालय के समक्ष निरंतर प्रयास किए थे।

इस बीच, भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, भाजपा की राज्य इकाई और तमिलनाडु के लोगों की ओर से, हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके लगातार प्रयासों के लिए धन्यवाद देते हैं। तमिलनाडु के सांस्कृतिक खेल जल्लीकट्टू पर लगा प्रतिबंध पूरी तरह से हटा लिया गया।

उन्होंने यह भी कहा कि यह कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली यूपीए सरकार थी, जिसने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाया था।

अन्नामलाई ने कहा कि भाजपा और एनडीए सरकार के प्रयासों से तमिलनाडु में प्रतिबंध हटा लिया गया।

–आईएएनएस

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चेन्नई, 18 मई (आईएएनएस)। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक, अन्नाद्रमुक और भाजपा ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय द्वारा सांडों को काबू में करने वाले खेल जल्लीकट्टू के आयोजन की अनुमति दिए जाने का श्रेय लेने की होड़ देखी जा रही है।

न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ ने कहा कि यह विधायिका के विचार को बाधित नहीं करेगा, क्योंकि उनका मानना है कि खेल राज्य की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि जब विधायिका ने घोषणा की है कि जल्लीकट्टू तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, तो न्यायपालिका एक अलग दृष्टिकोण नहीं रख सकती। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इसे तय करने के लिए सबसे उपयुक्त जगह विधायिका है।

पीठ ने यह भी कहा कि तमिलनाडु में सांडों को वश में करने का पारंपरिक खेल पिछली शताब्दी से चल रहा है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा, सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का फैसला ऐतिहासिक है।

स्टालिन ने यह भी कहा कि अरिंगनल्लूर में एक बड़ा जलिकट्टू मैदान बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, हम अगले पोंगल के दौरान बड़े पैमाने पर जल्लीकट्टू मनाएंगे।

इस बीच, तमिलनाडु के कानून मंत्री एस. रघुपति ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि सांडों पर क्रूरता नहीं की जाती, तमिलनाडु सरकार सांडों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने फैसले में एकमत थी और तमिलनाडु सरकार ने मामले में पेश होने के लिए सबसे अच्छे वकीलों को लगाया था और तर्को को प्रभावी ढंग से रखा था।

अन्नाद्रमुक नेता और पूर्व मंत्री सी. विजयभास्कर ने यहां मीडिया को बताया कि जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध पिछली यूपीए सरकार ने 2011 में लगाया था।

उन्होंने कहा कि जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए अध्यादेश अन्नाद्रमुक शासन के दौरान लाया गया था और जल्लीकट्टू तीन साल बाद राज्य में फिर से शुरू हुआ।

उन्होंने यह भी कहा कि अन्नाद्रमुक सरकार ने जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए उच्चतम न्यायालय के समक्ष निरंतर प्रयास किए थे।

इस बीच, भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, भाजपा की राज्य इकाई और तमिलनाडु के लोगों की ओर से, हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके लगातार प्रयासों के लिए धन्यवाद देते हैं। तमिलनाडु के सांस्कृतिक खेल जल्लीकट्टू पर लगा प्रतिबंध पूरी तरह से हटा लिया गया।

उन्होंने यह भी कहा कि यह कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली यूपीए सरकार थी, जिसने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाया था।

अन्नामलाई ने कहा कि भाजपा और एनडीए सरकार के प्रयासों से तमिलनाडु में प्रतिबंध हटा लिया गया।

–आईएएनएस

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चेन्नई, 18 मई (आईएएनएस)। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक, अन्नाद्रमुक और भाजपा ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय द्वारा सांडों को काबू में करने वाले खेल जल्लीकट्टू के आयोजन की अनुमति दिए जाने का श्रेय लेने की होड़ देखी जा रही है।

न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ ने कहा कि यह विधायिका के विचार को बाधित नहीं करेगा, क्योंकि उनका मानना है कि खेल राज्य की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि जब विधायिका ने घोषणा की है कि जल्लीकट्टू तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, तो न्यायपालिका एक अलग दृष्टिकोण नहीं रख सकती। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इसे तय करने के लिए सबसे उपयुक्त जगह विधायिका है।

पीठ ने यह भी कहा कि तमिलनाडु में सांडों को वश में करने का पारंपरिक खेल पिछली शताब्दी से चल रहा है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा, सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का फैसला ऐतिहासिक है।

स्टालिन ने यह भी कहा कि अरिंगनल्लूर में एक बड़ा जलिकट्टू मैदान बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, हम अगले पोंगल के दौरान बड़े पैमाने पर जल्लीकट्टू मनाएंगे।

इस बीच, तमिलनाडु के कानून मंत्री एस. रघुपति ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि सांडों पर क्रूरता नहीं की जाती, तमिलनाडु सरकार सांडों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने फैसले में एकमत थी और तमिलनाडु सरकार ने मामले में पेश होने के लिए सबसे अच्छे वकीलों को लगाया था और तर्को को प्रभावी ढंग से रखा था।

अन्नाद्रमुक नेता और पूर्व मंत्री सी. विजयभास्कर ने यहां मीडिया को बताया कि जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध पिछली यूपीए सरकार ने 2011 में लगाया था।

उन्होंने कहा कि जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए अध्यादेश अन्नाद्रमुक शासन के दौरान लाया गया था और जल्लीकट्टू तीन साल बाद राज्य में फिर से शुरू हुआ।

उन्होंने यह भी कहा कि अन्नाद्रमुक सरकार ने जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए उच्चतम न्यायालय के समक्ष निरंतर प्रयास किए थे।

इस बीच, भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, भाजपा की राज्य इकाई और तमिलनाडु के लोगों की ओर से, हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके लगातार प्रयासों के लिए धन्यवाद देते हैं। तमिलनाडु के सांस्कृतिक खेल जल्लीकट्टू पर लगा प्रतिबंध पूरी तरह से हटा लिया गया।

उन्होंने यह भी कहा कि यह कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली यूपीए सरकार थी, जिसने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाया था।

अन्नामलाई ने कहा कि भाजपा और एनडीए सरकार के प्रयासों से तमिलनाडु में प्रतिबंध हटा लिया गया।

–आईएएनएस

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चेन्नई, 18 मई (आईएएनएस)। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक, अन्नाद्रमुक और भाजपा ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय द्वारा सांडों को काबू में करने वाले खेल जल्लीकट्टू के आयोजन की अनुमति दिए जाने का श्रेय लेने की होड़ देखी जा रही है।

न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ ने कहा कि यह विधायिका के विचार को बाधित नहीं करेगा, क्योंकि उनका मानना है कि खेल राज्य की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि जब विधायिका ने घोषणा की है कि जल्लीकट्टू तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, तो न्यायपालिका एक अलग दृष्टिकोण नहीं रख सकती। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इसे तय करने के लिए सबसे उपयुक्त जगह विधायिका है।

पीठ ने यह भी कहा कि तमिलनाडु में सांडों को वश में करने का पारंपरिक खेल पिछली शताब्दी से चल रहा है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा, सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का फैसला ऐतिहासिक है।

स्टालिन ने यह भी कहा कि अरिंगनल्लूर में एक बड़ा जलिकट्टू मैदान बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, हम अगले पोंगल के दौरान बड़े पैमाने पर जल्लीकट्टू मनाएंगे।

इस बीच, तमिलनाडु के कानून मंत्री एस. रघुपति ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि सांडों पर क्रूरता नहीं की जाती, तमिलनाडु सरकार सांडों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने फैसले में एकमत थी और तमिलनाडु सरकार ने मामले में पेश होने के लिए सबसे अच्छे वकीलों को लगाया था और तर्को को प्रभावी ढंग से रखा था।

अन्नाद्रमुक नेता और पूर्व मंत्री सी. विजयभास्कर ने यहां मीडिया को बताया कि जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध पिछली यूपीए सरकार ने 2011 में लगाया था।

उन्होंने कहा कि जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए अध्यादेश अन्नाद्रमुक शासन के दौरान लाया गया था और जल्लीकट्टू तीन साल बाद राज्य में फिर से शुरू हुआ।

उन्होंने यह भी कहा कि अन्नाद्रमुक सरकार ने जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए उच्चतम न्यायालय के समक्ष निरंतर प्रयास किए थे।

इस बीच, भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, भाजपा की राज्य इकाई और तमिलनाडु के लोगों की ओर से, हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके लगातार प्रयासों के लिए धन्यवाद देते हैं। तमिलनाडु के सांस्कृतिक खेल जल्लीकट्टू पर लगा प्रतिबंध पूरी तरह से हटा लिया गया।

उन्होंने यह भी कहा कि यह कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली यूपीए सरकार थी, जिसने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाया था।

अन्नामलाई ने कहा कि भाजपा और एनडीए सरकार के प्रयासों से तमिलनाडु में प्रतिबंध हटा लिया गया।

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न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ ने कहा कि यह विधायिका के विचार को बाधित नहीं करेगा, क्योंकि उनका मानना है कि खेल राज्य की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि जब विधायिका ने घोषणा की है कि जल्लीकट्टू तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, तो न्यायपालिका एक अलग दृष्टिकोण नहीं रख सकती। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इसे तय करने के लिए सबसे उपयुक्त जगह विधायिका है।

पीठ ने यह भी कहा कि तमिलनाडु में सांडों को वश में करने का पारंपरिक खेल पिछली शताब्दी से चल रहा है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा, सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का फैसला ऐतिहासिक है।

स्टालिन ने यह भी कहा कि अरिंगनल्लूर में एक बड़ा जलिकट्टू मैदान बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, हम अगले पोंगल के दौरान बड़े पैमाने पर जल्लीकट्टू मनाएंगे।

इस बीच, तमिलनाडु के कानून मंत्री एस. रघुपति ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि सांडों पर क्रूरता नहीं की जाती, तमिलनाडु सरकार सांडों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने फैसले में एकमत थी और तमिलनाडु सरकार ने मामले में पेश होने के लिए सबसे अच्छे वकीलों को लगाया था और तर्को को प्रभावी ढंग से रखा था।

अन्नाद्रमुक नेता और पूर्व मंत्री सी. विजयभास्कर ने यहां मीडिया को बताया कि जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध पिछली यूपीए सरकार ने 2011 में लगाया था।

उन्होंने कहा कि जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए अध्यादेश अन्नाद्रमुक शासन के दौरान लाया गया था और जल्लीकट्टू तीन साल बाद राज्य में फिर से शुरू हुआ।

उन्होंने यह भी कहा कि अन्नाद्रमुक सरकार ने जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए उच्चतम न्यायालय के समक्ष निरंतर प्रयास किए थे।

इस बीच, भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, भाजपा की राज्य इकाई और तमिलनाडु के लोगों की ओर से, हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके लगातार प्रयासों के लिए धन्यवाद देते हैं। तमिलनाडु के सांस्कृतिक खेल जल्लीकट्टू पर लगा प्रतिबंध पूरी तरह से हटा लिया गया।

उन्होंने यह भी कहा कि यह कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली यूपीए सरकार थी, जिसने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाया था।

अन्नामलाई ने कहा कि भाजपा और एनडीए सरकार के प्रयासों से तमिलनाडु में प्रतिबंध हटा लिया गया।

–आईएएनएस

एसजीके

चेन्नई, 18 मई (आईएएनएस)। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक, अन्नाद्रमुक और भाजपा ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय द्वारा सांडों को काबू में करने वाले खेल जल्लीकट्टू के आयोजन की अनुमति दिए जाने का श्रेय लेने की होड़ देखी जा रही है।

न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ ने कहा कि यह विधायिका के विचार को बाधित नहीं करेगा, क्योंकि उनका मानना है कि खेल राज्य की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि जब विधायिका ने घोषणा की है कि जल्लीकट्टू तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, तो न्यायपालिका एक अलग दृष्टिकोण नहीं रख सकती। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इसे तय करने के लिए सबसे उपयुक्त जगह विधायिका है।

पीठ ने यह भी कहा कि तमिलनाडु में सांडों को वश में करने का पारंपरिक खेल पिछली शताब्दी से चल रहा है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा, सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का फैसला ऐतिहासिक है।

स्टालिन ने यह भी कहा कि अरिंगनल्लूर में एक बड़ा जलिकट्टू मैदान बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, हम अगले पोंगल के दौरान बड़े पैमाने पर जल्लीकट्टू मनाएंगे।

इस बीच, तमिलनाडु के कानून मंत्री एस. रघुपति ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि सांडों पर क्रूरता नहीं की जाती, तमिलनाडु सरकार सांडों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने फैसले में एकमत थी और तमिलनाडु सरकार ने मामले में पेश होने के लिए सबसे अच्छे वकीलों को लगाया था और तर्को को प्रभावी ढंग से रखा था।

अन्नाद्रमुक नेता और पूर्व मंत्री सी. विजयभास्कर ने यहां मीडिया को बताया कि जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध पिछली यूपीए सरकार ने 2011 में लगाया था।

उन्होंने कहा कि जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए अध्यादेश अन्नाद्रमुक शासन के दौरान लाया गया था और जल्लीकट्टू तीन साल बाद राज्य में फिर से शुरू हुआ।

उन्होंने यह भी कहा कि अन्नाद्रमुक सरकार ने जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए उच्चतम न्यायालय के समक्ष निरंतर प्रयास किए थे।

इस बीच, भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, भाजपा की राज्य इकाई और तमिलनाडु के लोगों की ओर से, हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके लगातार प्रयासों के लिए धन्यवाद देते हैं। तमिलनाडु के सांस्कृतिक खेल जल्लीकट्टू पर लगा प्रतिबंध पूरी तरह से हटा लिया गया।

उन्होंने यह भी कहा कि यह कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली यूपीए सरकार थी, जिसने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाया था।

अन्नामलाई ने कहा कि भाजपा और एनडीए सरकार के प्रयासों से तमिलनाडु में प्रतिबंध हटा लिया गया।

–आईएएनएस

एसजीके

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चेन्नई, 18 मई (आईएएनएस)। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक, अन्नाद्रमुक और भाजपा ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय द्वारा सांडों को काबू में करने वाले खेल जल्लीकट्टू के आयोजन की अनुमति दिए जाने का श्रेय लेने की होड़ देखी जा रही है।

न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ ने कहा कि यह विधायिका के विचार को बाधित नहीं करेगा, क्योंकि उनका मानना है कि खेल राज्य की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि जब विधायिका ने घोषणा की है कि जल्लीकट्टू तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, तो न्यायपालिका एक अलग दृष्टिकोण नहीं रख सकती। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इसे तय करने के लिए सबसे उपयुक्त जगह विधायिका है।

पीठ ने यह भी कहा कि तमिलनाडु में सांडों को वश में करने का पारंपरिक खेल पिछली शताब्दी से चल रहा है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा, सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का फैसला ऐतिहासिक है।

स्टालिन ने यह भी कहा कि अरिंगनल्लूर में एक बड़ा जलिकट्टू मैदान बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, हम अगले पोंगल के दौरान बड़े पैमाने पर जल्लीकट्टू मनाएंगे।

इस बीच, तमिलनाडु के कानून मंत्री एस. रघुपति ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि सांडों पर क्रूरता नहीं की जाती, तमिलनाडु सरकार सांडों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने फैसले में एकमत थी और तमिलनाडु सरकार ने मामले में पेश होने के लिए सबसे अच्छे वकीलों को लगाया था और तर्को को प्रभावी ढंग से रखा था।

अन्नाद्रमुक नेता और पूर्व मंत्री सी. विजयभास्कर ने यहां मीडिया को बताया कि जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध पिछली यूपीए सरकार ने 2011 में लगाया था।

उन्होंने कहा कि जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए अध्यादेश अन्नाद्रमुक शासन के दौरान लाया गया था और जल्लीकट्टू तीन साल बाद राज्य में फिर से शुरू हुआ।

उन्होंने यह भी कहा कि अन्नाद्रमुक सरकार ने जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए उच्चतम न्यायालय के समक्ष निरंतर प्रयास किए थे।

इस बीच, भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, भाजपा की राज्य इकाई और तमिलनाडु के लोगों की ओर से, हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके लगातार प्रयासों के लिए धन्यवाद देते हैं। तमिलनाडु के सांस्कृतिक खेल जल्लीकट्टू पर लगा प्रतिबंध पूरी तरह से हटा लिया गया।

उन्होंने यह भी कहा कि यह कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली यूपीए सरकार थी, जिसने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाया था।

अन्नामलाई ने कहा कि भाजपा और एनडीए सरकार के प्रयासों से तमिलनाडु में प्रतिबंध हटा लिया गया।

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चेन्नई, 18 मई (आईएएनएस)। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक, अन्नाद्रमुक और भाजपा ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय द्वारा सांडों को काबू में करने वाले खेल जल्लीकट्टू के आयोजन की अनुमति दिए जाने का श्रेय लेने की होड़ देखी जा रही है।

न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ ने कहा कि यह विधायिका के विचार को बाधित नहीं करेगा, क्योंकि उनका मानना है कि खेल राज्य की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि जब विधायिका ने घोषणा की है कि जल्लीकट्टू तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, तो न्यायपालिका एक अलग दृष्टिकोण नहीं रख सकती। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इसे तय करने के लिए सबसे उपयुक्त जगह विधायिका है।

पीठ ने यह भी कहा कि तमिलनाडु में सांडों को वश में करने का पारंपरिक खेल पिछली शताब्दी से चल रहा है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा, सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का फैसला ऐतिहासिक है।

स्टालिन ने यह भी कहा कि अरिंगनल्लूर में एक बड़ा जलिकट्टू मैदान बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, हम अगले पोंगल के दौरान बड़े पैमाने पर जल्लीकट्टू मनाएंगे।

इस बीच, तमिलनाडु के कानून मंत्री एस. रघुपति ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि सांडों पर क्रूरता नहीं की जाती, तमिलनाडु सरकार सांडों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने फैसले में एकमत थी और तमिलनाडु सरकार ने मामले में पेश होने के लिए सबसे अच्छे वकीलों को लगाया था और तर्को को प्रभावी ढंग से रखा था।

अन्नाद्रमुक नेता और पूर्व मंत्री सी. विजयभास्कर ने यहां मीडिया को बताया कि जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध पिछली यूपीए सरकार ने 2011 में लगाया था।

उन्होंने कहा कि जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए अध्यादेश अन्नाद्रमुक शासन के दौरान लाया गया था और जल्लीकट्टू तीन साल बाद राज्य में फिर से शुरू हुआ।

उन्होंने यह भी कहा कि अन्नाद्रमुक सरकार ने जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए उच्चतम न्यायालय के समक्ष निरंतर प्रयास किए थे।

इस बीच, भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, भाजपा की राज्य इकाई और तमिलनाडु के लोगों की ओर से, हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके लगातार प्रयासों के लिए धन्यवाद देते हैं। तमिलनाडु के सांस्कृतिक खेल जल्लीकट्टू पर लगा प्रतिबंध पूरी तरह से हटा लिया गया।

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न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ ने कहा कि यह विधायिका के विचार को बाधित नहीं करेगा, क्योंकि उनका मानना है कि खेल राज्य की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि जब विधायिका ने घोषणा की है कि जल्लीकट्टू तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, तो न्यायपालिका एक अलग दृष्टिकोण नहीं रख सकती। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इसे तय करने के लिए सबसे उपयुक्त जगह विधायिका है।

पीठ ने यह भी कहा कि तमिलनाडु में सांडों को वश में करने का पारंपरिक खेल पिछली शताब्दी से चल रहा है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा, सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का फैसला ऐतिहासिक है।

स्टालिन ने यह भी कहा कि अरिंगनल्लूर में एक बड़ा जलिकट्टू मैदान बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, हम अगले पोंगल के दौरान बड़े पैमाने पर जल्लीकट्टू मनाएंगे।

इस बीच, तमिलनाडु के कानून मंत्री एस. रघुपति ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि सांडों पर क्रूरता नहीं की जाती, तमिलनाडु सरकार सांडों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने फैसले में एकमत थी और तमिलनाडु सरकार ने मामले में पेश होने के लिए सबसे अच्छे वकीलों को लगाया था और तर्को को प्रभावी ढंग से रखा था।

अन्नाद्रमुक नेता और पूर्व मंत्री सी. विजयभास्कर ने यहां मीडिया को बताया कि जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध पिछली यूपीए सरकार ने 2011 में लगाया था।

उन्होंने कहा कि जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए अध्यादेश अन्नाद्रमुक शासन के दौरान लाया गया था और जल्लीकट्टू तीन साल बाद राज्य में फिर से शुरू हुआ।

उन्होंने यह भी कहा कि अन्नाद्रमुक सरकार ने जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए उच्चतम न्यायालय के समक्ष निरंतर प्रयास किए थे।

इस बीच, भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, भाजपा की राज्य इकाई और तमिलनाडु के लोगों की ओर से, हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके लगातार प्रयासों के लिए धन्यवाद देते हैं। तमिलनाडु के सांस्कृतिक खेल जल्लीकट्टू पर लगा प्रतिबंध पूरी तरह से हटा लिया गया।

उन्होंने यह भी कहा कि यह कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली यूपीए सरकार थी, जिसने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाया था।

अन्नामलाई ने कहा कि भाजपा और एनडीए सरकार के प्रयासों से तमिलनाडु में प्रतिबंध हटा लिया गया।

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चेन्नई, 18 मई (आईएएनएस)। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक, अन्नाद्रमुक और भाजपा ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय द्वारा सांडों को काबू में करने वाले खेल जल्लीकट्टू के आयोजन की अनुमति दिए जाने का श्रेय लेने की होड़ देखी जा रही है।

न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ ने कहा कि यह विधायिका के विचार को बाधित नहीं करेगा, क्योंकि उनका मानना है कि खेल राज्य की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि जब विधायिका ने घोषणा की है कि जल्लीकट्टू तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, तो न्यायपालिका एक अलग दृष्टिकोण नहीं रख सकती। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इसे तय करने के लिए सबसे उपयुक्त जगह विधायिका है।

पीठ ने यह भी कहा कि तमिलनाडु में सांडों को वश में करने का पारंपरिक खेल पिछली शताब्दी से चल रहा है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा, सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का फैसला ऐतिहासिक है।

स्टालिन ने यह भी कहा कि अरिंगनल्लूर में एक बड़ा जलिकट्टू मैदान बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, हम अगले पोंगल के दौरान बड़े पैमाने पर जल्लीकट्टू मनाएंगे।

इस बीच, तमिलनाडु के कानून मंत्री एस. रघुपति ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि सांडों पर क्रूरता नहीं की जाती, तमिलनाडु सरकार सांडों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने फैसले में एकमत थी और तमिलनाडु सरकार ने मामले में पेश होने के लिए सबसे अच्छे वकीलों को लगाया था और तर्को को प्रभावी ढंग से रखा था।

अन्नाद्रमुक नेता और पूर्व मंत्री सी. विजयभास्कर ने यहां मीडिया को बताया कि जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध पिछली यूपीए सरकार ने 2011 में लगाया था।

उन्होंने कहा कि जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए अध्यादेश अन्नाद्रमुक शासन के दौरान लाया गया था और जल्लीकट्टू तीन साल बाद राज्य में फिर से शुरू हुआ।

उन्होंने यह भी कहा कि अन्नाद्रमुक सरकार ने जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए उच्चतम न्यायालय के समक्ष निरंतर प्रयास किए थे।

इस बीच, भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, भाजपा की राज्य इकाई और तमिलनाडु के लोगों की ओर से, हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके लगातार प्रयासों के लिए धन्यवाद देते हैं। तमिलनाडु के सांस्कृतिक खेल जल्लीकट्टू पर लगा प्रतिबंध पूरी तरह से हटा लिया गया।

उन्होंने यह भी कहा कि यह कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली यूपीए सरकार थी, जिसने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाया था।

अन्नामलाई ने कहा कि भाजपा और एनडीए सरकार के प्रयासों से तमिलनाडु में प्रतिबंध हटा लिया गया।

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न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ ने कहा कि यह विधायिका के विचार को बाधित नहीं करेगा, क्योंकि उनका मानना है कि खेल राज्य की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि जब विधायिका ने घोषणा की है कि जल्लीकट्टू तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, तो न्यायपालिका एक अलग दृष्टिकोण नहीं रख सकती। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इसे तय करने के लिए सबसे उपयुक्त जगह विधायिका है।

पीठ ने यह भी कहा कि तमिलनाडु में सांडों को वश में करने का पारंपरिक खेल पिछली शताब्दी से चल रहा है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा, सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का फैसला ऐतिहासिक है।

स्टालिन ने यह भी कहा कि अरिंगनल्लूर में एक बड़ा जलिकट्टू मैदान बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, हम अगले पोंगल के दौरान बड़े पैमाने पर जल्लीकट्टू मनाएंगे।

इस बीच, तमिलनाडु के कानून मंत्री एस. रघुपति ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि सांडों पर क्रूरता नहीं की जाती, तमिलनाडु सरकार सांडों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने फैसले में एकमत थी और तमिलनाडु सरकार ने मामले में पेश होने के लिए सबसे अच्छे वकीलों को लगाया था और तर्को को प्रभावी ढंग से रखा था।

अन्नाद्रमुक नेता और पूर्व मंत्री सी. विजयभास्कर ने यहां मीडिया को बताया कि जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध पिछली यूपीए सरकार ने 2011 में लगाया था।

उन्होंने कहा कि जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए अध्यादेश अन्नाद्रमुक शासन के दौरान लाया गया था और जल्लीकट्टू तीन साल बाद राज्य में फिर से शुरू हुआ।

उन्होंने यह भी कहा कि अन्नाद्रमुक सरकार ने जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए उच्चतम न्यायालय के समक्ष निरंतर प्रयास किए थे।

इस बीच, भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, भाजपा की राज्य इकाई और तमिलनाडु के लोगों की ओर से, हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके लगातार प्रयासों के लिए धन्यवाद देते हैं। तमिलनाडु के सांस्कृतिक खेल जल्लीकट्टू पर लगा प्रतिबंध पूरी तरह से हटा लिया गया।

उन्होंने यह भी कहा कि यह कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली यूपीए सरकार थी, जिसने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाया था।

अन्नामलाई ने कहा कि भाजपा और एनडीए सरकार के प्रयासों से तमिलनाडु में प्रतिबंध हटा लिया गया।

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चेन्नई, 18 मई (आईएएनएस)। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक, अन्नाद्रमुक और भाजपा ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय द्वारा सांडों को काबू में करने वाले खेल जल्लीकट्टू के आयोजन की अनुमति दिए जाने का श्रेय लेने की होड़ देखी जा रही है।

न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ ने कहा कि यह विधायिका के विचार को बाधित नहीं करेगा, क्योंकि उनका मानना है कि खेल राज्य की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि जब विधायिका ने घोषणा की है कि जल्लीकट्टू तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, तो न्यायपालिका एक अलग दृष्टिकोण नहीं रख सकती। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इसे तय करने के लिए सबसे उपयुक्त जगह विधायिका है।

पीठ ने यह भी कहा कि तमिलनाडु में सांडों को वश में करने का पारंपरिक खेल पिछली शताब्दी से चल रहा है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा, सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का फैसला ऐतिहासिक है।

स्टालिन ने यह भी कहा कि अरिंगनल्लूर में एक बड़ा जलिकट्टू मैदान बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, हम अगले पोंगल के दौरान बड़े पैमाने पर जल्लीकट्टू मनाएंगे।

इस बीच, तमिलनाडु के कानून मंत्री एस. रघुपति ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि सांडों पर क्रूरता नहीं की जाती, तमिलनाडु सरकार सांडों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने फैसले में एकमत थी और तमिलनाडु सरकार ने मामले में पेश होने के लिए सबसे अच्छे वकीलों को लगाया था और तर्को को प्रभावी ढंग से रखा था।

अन्नाद्रमुक नेता और पूर्व मंत्री सी. विजयभास्कर ने यहां मीडिया को बताया कि जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध पिछली यूपीए सरकार ने 2011 में लगाया था।

उन्होंने कहा कि जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए अध्यादेश अन्नाद्रमुक शासन के दौरान लाया गया था और जल्लीकट्टू तीन साल बाद राज्य में फिर से शुरू हुआ।

उन्होंने यह भी कहा कि अन्नाद्रमुक सरकार ने जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए उच्चतम न्यायालय के समक्ष निरंतर प्रयास किए थे।

इस बीच, भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, भाजपा की राज्य इकाई और तमिलनाडु के लोगों की ओर से, हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके लगातार प्रयासों के लिए धन्यवाद देते हैं। तमिलनाडु के सांस्कृतिक खेल जल्लीकट्टू पर लगा प्रतिबंध पूरी तरह से हटा लिया गया।

उन्होंने यह भी कहा कि यह कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली यूपीए सरकार थी, जिसने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाया था।

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न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ ने कहा कि यह विधायिका के विचार को बाधित नहीं करेगा, क्योंकि उनका मानना है कि खेल राज्य की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि जब विधायिका ने घोषणा की है कि जल्लीकट्टू तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, तो न्यायपालिका एक अलग दृष्टिकोण नहीं रख सकती। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इसे तय करने के लिए सबसे उपयुक्त जगह विधायिका है।

पीठ ने यह भी कहा कि तमिलनाडु में सांडों को वश में करने का पारंपरिक खेल पिछली शताब्दी से चल रहा है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा, सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का फैसला ऐतिहासिक है।

स्टालिन ने यह भी कहा कि अरिंगनल्लूर में एक बड़ा जलिकट्टू मैदान बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, हम अगले पोंगल के दौरान बड़े पैमाने पर जल्लीकट्टू मनाएंगे।

इस बीच, तमिलनाडु के कानून मंत्री एस. रघुपति ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि सांडों पर क्रूरता नहीं की जाती, तमिलनाडु सरकार सांडों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने फैसले में एकमत थी और तमिलनाडु सरकार ने मामले में पेश होने के लिए सबसे अच्छे वकीलों को लगाया था और तर्को को प्रभावी ढंग से रखा था।

अन्नाद्रमुक नेता और पूर्व मंत्री सी. विजयभास्कर ने यहां मीडिया को बताया कि जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध पिछली यूपीए सरकार ने 2011 में लगाया था।

उन्होंने कहा कि जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए अध्यादेश अन्नाद्रमुक शासन के दौरान लाया गया था और जल्लीकट्टू तीन साल बाद राज्य में फिर से शुरू हुआ।

उन्होंने यह भी कहा कि अन्नाद्रमुक सरकार ने जल्लीकट्टू को फिर से शुरू करने के लिए उच्चतम न्यायालय के समक्ष निरंतर प्रयास किए थे।

इस बीच, भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, भाजपा की राज्य इकाई और तमिलनाडु के लोगों की ओर से, हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके लगातार प्रयासों के लिए धन्यवाद देते हैं। तमिलनाडु के सांस्कृतिक खेल जल्लीकट्टू पर लगा प्रतिबंध पूरी तरह से हटा लिया गया।

उन्होंने यह भी कहा कि यह कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली यूपीए सरकार थी, जिसने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाया था।

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