गोटेगांव नगर के स्थानीय तहसील कार्यालय की हालत बहुत ही जर्जर हो गई है. इसके अधिकांश कमरों से बारिश का पानी रिसता है, जिससे रिकार्ड को सुरक्षित रखना मुश्किल हो रहा हो जाता है. फिर भी जोखिम उठा कर कर्मचारी ऐंसे कमरों में बैठने के लिए मजबूर हैं. वहीं अधिकांश कमरों की हालत बेकार हो गई है कि रिसते पानी के कारण उसके छप्पर कब धराशायी हो जाएं इसका भी कोई भरोसा नहीं है.
इस तहसील कार्यालय का निर्माण सन् 1986 में किया गया था. इसके बाद इसमें किसी प्रकार के मरम्मत का कार्य नहीं किया गया. एसडीएम कार्यालय में कुछ मरम्मत का कार्य अवश्य हुआ था मगर अन्य कमरों में मरम्मत का कार्य नहीं हुआ है. लेकिन भवन की रंगाई पुताई जरूर होती रही है एसडीएम का कार्यालय अलग निमित्त होने के बाद से एसडीएम उसी नवनिर्मित भवन में बैठ रही है यहां पर नायब तहसीलदार बैठ रहे हैं, तहसीलदार जहां पर पहले से बैठते आए हैं वहीं पर वह बैठने का कार्य कर रहे हैं.
तहसीलदार कार्यालय का परिसर भी बहुत जर्जर हो गया है इसके बाद भी यहां पर उनके कर्मचारी बैठ रहे हैं.कमरा नंबर पांच में ताला-तहसील कार्यालय में नाजरात कक्ष से लेकर कई कक्ष ऐंसे हो गए हैं कि वहां बारिश के कारण रिकार्ड रखना भी दुश्वार हो जाता है. क्योंकि पानी रिसने के कारण रिकार्ड खराब हो जाता है.
आरआई भी अपने कक्ष में मजबूरी में बैठ रहे हैं इसी के बाजू में मौजूद कमरा नबर पांच को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है, क्योंकि उसकी हालत बहुत ही खराब हो गई है. इसलिए वहां पर कर्मचारी को बिठाना बंद कर दिया गया है.हमारे संवाददाता ने तहसील भवन के हर कमरें का अवलोकन किया तो पाया कि इसके हर कमरें जर्जर हो चुके हैं. यह कब धराशायी हो जाए इसका कोई भरोसा नहीं बचा हैं. नए सिरे से तहसील भवन का निर्माण करवाने की दिशा में कदम उठाए जाना जरूरी हैं यह बात अब यहां आने वाले हितग्राहियों के साथ ही कर्मचारी भी कहने लगे हैं. इन जर्जर कमरों में बैठना खतरे से खाली नहीं है.वहीं तहसील भवन के पिछले हिस्से की दीवारें भी जर्जर हो चुकी है दीवार कब भर भरा कर गिर जाएं कोई भरोसा नहीं इसके खिड़की दरवाजे भी बेकार हो चुके हैं भवन के छज्जों पर बड़े-बड़े बाबुल के पेड़ निकल आए हैं जिसके वजन से छज्जा बिल्कुल झुक कर धराशाई होने वाले हैं.