नई दिल्ली, 4 अप्रैल (आईएएनएस)। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भ्रष्टाचार मुक्त, कुशल और पारदर्शी सार्वजनिक वितरण प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए उचित मूल्य की दुकानों (एफपीएस) पर सतर्कता समितियों के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
उपराज्यपाल वीके सक्सेना को प्रस्ताव 27 मार्च को भेजा गया था। प्रस्ताव पर सहमति जताते हुए एल-जी सक्सेना ने इन समितियों के गठन में आठ साल की देरी को रेखांकित किया है, साथ ही इस बात पर भी गंभीर चिंता जताई कि प्रस्ताव में असामान्य रूप से इतना लंबा समय लगा गया।
उन्होंने रेखांकित किया है कि प्रस्ताव सबसे पहले 2017 में खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा रखा गया था, जो विभिन्न स्तरों पर झूलता रहा और बिना कोई कारण के वापस लौटाए जाने से पहले नौ महीने तक मंत्री के स्तर पर एक बार लंबित रखा गया था।
एलजी ने मुख्यमंत्री को लिखे अपने नोट में कहा है कि इन समितियों का गठन पीडीएस में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग करता है जो सीधे तौर पर आम आदमी को प्रभावित करता है। इसे बहुत ही उदासीन तरीके से निपटाया गया।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए), 2013 जमीनी स्तर पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की प्रभावशीलता में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एफपीएस स्तर पर सतर्कता समितियों के गठन को अनिवार्य करता है।
एफपीएस-स्तरीय समितियां भोजन की गुणवत्ता, समय पर वितरण और राशन वस्तुओं के वितरण पर सतर्कता बनाए रखने के अलावा, उचित मूल्य लाभार्थी सूची में लाभार्थियों के नाम जोड़ने और हटाने की निगरानी भी करती हैं।
एलजी ने मुख्यमंत्री को फाइल पर अपने नोट में ढिलाई का भी उल्लेख करते हुए कहा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, गोवा, ओडिशा, त्रिपुरा, हरियाणा और असम जैसे अधिकांश राज्यों ने वर्ष 2016 से 2018 के दौरान समितियों का गठन किया है, लेकिन दिल्ली पिछले आठ वर्षों में उचित मूल्य की दुकान-स्तरीय समिति का गठन नहीं कर सका।
–आईएएनएस
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