नई दिल्ली, 30 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई), दिल्ली के अध्यक्ष परवेज अहमद की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी है, जिन्हें नकद दान के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग में संदिग्ध संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश चंदर जीत सिंह ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 45 के तहत मांगी गई जानकारियां नहीं दे पाने का हवाला देते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी।
इसके अलावा, अदालत ने इसी मामले में मोहम्मद इलियास (महासचिव, पीएफआई-दिल्ली) और अब्दुल मुकीत (कार्यालय सचिव, पीसीआई-दिल्ली) द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
दान संग्रह और बैंक खाता लेनदेन में शामिल न होने के अहमद के दावे के बावजूद अदालत ने राज्य अध्यक्ष के लिए पीएफआई के संविधान में उल्लिखित जिम्मेदारियों पर जोर दिया, जिसमें राज्य के अधिकार क्षेत्र के भीतर संगठनात्मक गतिविधियों की निगरानी करना शामिल है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ताओं ने ठोस सबूत पेश करते हुए कहा कि अहमद ने 2018 से अध्यक्ष के रूप में कथित आपराधिक साजिश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, खासकर दिल्ली में धन जुटाने की गतिविधियों में।
जांच में फंड स्रोतों में विसंगतियों का खुलासा हुआ, जो योगदान की जानबूझकर गलत बयानी के साथ-साथ संदिग्ध मूल से नकदी की हेराफेरी का संकेत देता है।
ईडी ने पहले के दावों की पुष्टि की है कि 2018 में शुरू की गई पीएफआई की चल रही पीएमएलए जांच में पीएफआई और संबंधित संस्थाओं के खातों में 120 करोड़ रुपये से अधिक की जमा राशि का पता चला है, जिसमें एक महत्वपूर्ण हिस्सा नकद जमा का है।
पीएमएलए की धारा 50 के तहत बयान रिकॉर्डिंग के दौरान अहमद द्वारा कथित तौर पर महत्वपूर्ण जानकारी को छुपाने और जांचकर्ताओं को गुमराह करने के प्रयासों को भी ईडी ने अदालती कार्यवाही में इंगित किया था।
–आईएएनएस
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