नई दिल्ली, 6 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को आजाद मार्केट क्षेत्र की नियमित निगरानी करने का निर्देश दिया, ताकि अग्नि मानदंडों का उल्लंघन करने वालों की पहचान की जा सके और उन्हें अग्नि रोकथाम विंग के पास भेजा जा सके।
उच्च न्यायालय ने आजाद मार्केट रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई की।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने कहा कि वह अग्नि मानदंडों के संभावित उल्लंघन को नजरअंदाज नहीं कर सकती है। अदालत ने एमसीडी और दिल्ली फायर सर्विसेज को जोखिम पैदा करने वाले परिसरों में मानदंडों को कठोरता से और ईमानदारी से लागू करने का निर्देश दिया है।
जनहित याचिका में केंद्र सरकार, एमसीडी और अन्य प्राधिकरणों को बाजार में अनधिकृत और अवैध निर्माण की पहचान करने और ऐसी संपत्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सर्वेक्षण करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
याचिका में उन घटनाओं पर भी प्रकाश डाला गया जिनमें अवैध और अनधिकृत निर्माणों के कारण अग्नि मानदंडों के घोर उल्लंघन के कारण लोगों की जान चली गई।
अदालत ने कहा कि एमसीडी ने आजाद मार्केट क्षेत्र में अनधिकृत और अवैध निर्माण से संबंधित शिकायतों को दूर करने के लिए काफी प्रयास किए हैं। हालांकि, इसने अग्नि मानदंडों की निगरानी और उन्हें लागू करने के महत्व पर जोर दिया और एमसीडी को इन मानदंडों का उल्लंघन करने वालों की पहचान करने और अग्नि निवारण विंग को संदर्भित करने का निर्देश दिया।
अदालत ने याचिकाकर्ता एसोसिएशन को आजाद मार्केट क्षेत्र में अनधिकृत और अवैध निर्माण के किसी भी मामले का सामना करने पर केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा स्थापित विशेष कार्य बल (एसटीएफ) से संपर्क करने का विकल्प भी प्रदान किया।
एसटीएफ को अवैध निर्माण, सार्वजनिक भूमि, सड़कों, पैदल यात्री सड़कों पर अतिक्रमण से संबंधित मामलों और शिकायतों को संभालने और कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करने का अधिकार है।
–आईएएनएस
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