नई दिल्ली, 16 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को अंतरिम जमानत दे दी, जिन्हें 2017 में उन्नाव में एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
जस्टिस मुक्ता गुप्ता और पूनम ए बंबा की खंडपीठ ने सेंगर को अपनी जमानत अवधि के दौरान दैनिक आधार पर संबंधित थाना प्रभारी को रिपोर्ट करने और 1-1 लाख रुपये की दो जमानत देने को कहा।
जस्टिस गुप्ता ने भी चिंता जताते हुए कहा कि इतने दिनों से सेंगर की बेटी की शादी की रस्में तय हैं और कुछ ही दिनों में सब कुछ पूरा हो सकता है। जवाब में, सेंगर का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि वह पिता है और समारोह की तारीखें पुजारी द्वारा दी जाती हैं।
सेंगर की ओर से पेश हुए दो वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन और पीके दुबे ने अदालत को सूचित किया कि सेंगर परिवार में एकमात्र पुरुष सदस्य है, इसलिए उसे गोरखपुर और लखनऊ में होने वाली शादी की सभी तैयारियां करनी हैं। इस बीच, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि एजेंसी द्वारा स्थिति रिपोर्ट दायर की गई है और यह पाया गया कि शादी की रस्मों के लिए दो हॉल बुक किए गए हैं।
उच्च न्यायालय ने 22 दिसंबर, 2022 को नोटिस जारी किया था और सीबीआई को सेंगर की जमानत याचिका के तथ्यों को सत्यापित करने और रिकॉर्ड पर स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। सेंगर ने 19 दिसंबर को अपनी बेटी की शादी में शामिल होने के लिए अदालत से दो महीने की अंतरिम जमानत मांगी थी, जो 8 फरवरी, 2023 से शुरु होगी और समारोह 18 जनवरी से शुरू होंगे।
बलात्कार के मामले में ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ सेंगर की याचिका उच्च न्यायालय में लंबित है, जिसमें उन्होंने ट्रायल कोर्ट के 16 दिसंबर, 2019 के फैसले को रद्द करने, जिसने उसे दोषी ठहराया था, और 20 दिसंबर, 2019 के आदेश जिसमें शेष जीवन तक कारावास की सजा सुनाई थी, उसमें राहत मांगी है।
ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को आईपीसी की धारा 376 (2) (लोक सेवक द्वारा किया गया बलात्कार) सहित विभिन्न प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया था और उस पर 25 लाख रुपये का अनुकरणीय जुर्माना भी लगाया था। 5 अगस्त, 2019 को सुनवाई शुरू हुई, जब 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने मामले से जुड़े सभी पांच मामलों को उन्नाव से दिल्ली स्थानांतरित करने का निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत ने रोजाना आधार पर सुनवाई करने और इसे 45 दिनों के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया था।
–आईएएनएस
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