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दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव में देरी के आरोपों पर बार काउंसिल को जारी किया नोटिस

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November 13, 2023
in ताज़ा समाचार
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नई दिल्ली, 13 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बीसीडी के 25 सदस्यों के लंबित चुनाव पर निर्देश देने की मांग करने वाली एक याचिका के जवाब में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) और बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) को नोटिस भेजा है।

वकील अवनीश कुमार द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि पिछला चुनाव मार्च 2018 में होने और अगला चुनाव इस साल जून में होने के बावजूद कोई प्रगति नहीं हुई है।

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कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने दोनों परिषदों को अपनी प्रतिक्रियाएंं प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता ने पीठ को यह भी बताया कि बीसीडी द्वारा मार्च में बीसीआई को छह महीने का विस्तार भेजा गया था, जिसे 20 जून को दिया गया था।

कुमार ने बीसीआई और कुछ बीसीडी सदस्यों के बीच “अवैध मिलीभगत” का आरोप लगाया और उन पर गैर-प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं के सत्यापन के बहाने चुनाव में बाधा डालने का आरोप लगाया।

कुमार ने याचिका में कहा, “गैर-प्रैक्टिसिंग अधिवक्ताओं की पहचान और सत्यापन एक अंतहीन प्रक्रिया है, और इस तुच्छ कारण से चुनाव में देरी नहीं की जा सकती है।”

इसके अतिरिक्त, कुमार ने 23 जून को बार काउंसिल ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (सत्यापन) नियम, 2015 के नियम 30 और 32 को निरस्त करने वाली बीसीआई अधिसूचना का विरोध किया।

नया नियम अधिकारियों को गैर-प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं की पहचान करने या मतदाता सूची तैयार करने में देरी होने पर अपने विस्तारित कार्यकाल के बाद भी पद पर बने रहने की अनुमति देता है।

पीठ ने अब अगली सुनवाई अगले साल 31 जनवरी तय की है।

–आईएएनएस

सीबीटी

एसपीआर/केएसके

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नई दिल्ली, 13 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बीसीडी के 25 सदस्यों के लंबित चुनाव पर निर्देश देने की मांग करने वाली एक याचिका के जवाब में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) और बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) को नोटिस भेजा है।

वकील अवनीश कुमार द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि पिछला चुनाव मार्च 2018 में होने और अगला चुनाव इस साल जून में होने के बावजूद कोई प्रगति नहीं हुई है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने दोनों परिषदों को अपनी प्रतिक्रियाएंं प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता ने पीठ को यह भी बताया कि बीसीडी द्वारा मार्च में बीसीआई को छह महीने का विस्तार भेजा गया था, जिसे 20 जून को दिया गया था।

कुमार ने बीसीआई और कुछ बीसीडी सदस्यों के बीच “अवैध मिलीभगत” का आरोप लगाया और उन पर गैर-प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं के सत्यापन के बहाने चुनाव में बाधा डालने का आरोप लगाया।

कुमार ने याचिका में कहा, “गैर-प्रैक्टिसिंग अधिवक्ताओं की पहचान और सत्यापन एक अंतहीन प्रक्रिया है, और इस तुच्छ कारण से चुनाव में देरी नहीं की जा सकती है।”

इसके अतिरिक्त, कुमार ने 23 जून को बार काउंसिल ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (सत्यापन) नियम, 2015 के नियम 30 और 32 को निरस्त करने वाली बीसीआई अधिसूचना का विरोध किया।

नया नियम अधिकारियों को गैर-प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं की पहचान करने या मतदाता सूची तैयार करने में देरी होने पर अपने विस्तारित कार्यकाल के बाद भी पद पर बने रहने की अनुमति देता है।

पीठ ने अब अगली सुनवाई अगले साल 31 जनवरी तय की है।

–आईएएनएस

सीबीटी

एसपीआर/केएसके

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नई दिल्ली, 13 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बीसीडी के 25 सदस्यों के लंबित चुनाव पर निर्देश देने की मांग करने वाली एक याचिका के जवाब में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) और बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) को नोटिस भेजा है।

वकील अवनीश कुमार द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि पिछला चुनाव मार्च 2018 में होने और अगला चुनाव इस साल जून में होने के बावजूद कोई प्रगति नहीं हुई है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने दोनों परिषदों को अपनी प्रतिक्रियाएंं प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता ने पीठ को यह भी बताया कि बीसीडी द्वारा मार्च में बीसीआई को छह महीने का विस्तार भेजा गया था, जिसे 20 जून को दिया गया था।

कुमार ने बीसीआई और कुछ बीसीडी सदस्यों के बीच “अवैध मिलीभगत” का आरोप लगाया और उन पर गैर-प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं के सत्यापन के बहाने चुनाव में बाधा डालने का आरोप लगाया।

कुमार ने याचिका में कहा, “गैर-प्रैक्टिसिंग अधिवक्ताओं की पहचान और सत्यापन एक अंतहीन प्रक्रिया है, और इस तुच्छ कारण से चुनाव में देरी नहीं की जा सकती है।”

इसके अतिरिक्त, कुमार ने 23 जून को बार काउंसिल ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (सत्यापन) नियम, 2015 के नियम 30 और 32 को निरस्त करने वाली बीसीआई अधिसूचना का विरोध किया।

नया नियम अधिकारियों को गैर-प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं की पहचान करने या मतदाता सूची तैयार करने में देरी होने पर अपने विस्तारित कार्यकाल के बाद भी पद पर बने रहने की अनुमति देता है।

पीठ ने अब अगली सुनवाई अगले साल 31 जनवरी तय की है।

–आईएएनएस

सीबीटी

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नई दिल्ली, 13 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बीसीडी के 25 सदस्यों के लंबित चुनाव पर निर्देश देने की मांग करने वाली एक याचिका के जवाब में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) और बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) को नोटिस भेजा है।

वकील अवनीश कुमार द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि पिछला चुनाव मार्च 2018 में होने और अगला चुनाव इस साल जून में होने के बावजूद कोई प्रगति नहीं हुई है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने दोनों परिषदों को अपनी प्रतिक्रियाएंं प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता ने पीठ को यह भी बताया कि बीसीडी द्वारा मार्च में बीसीआई को छह महीने का विस्तार भेजा गया था, जिसे 20 जून को दिया गया था।

कुमार ने बीसीआई और कुछ बीसीडी सदस्यों के बीच “अवैध मिलीभगत” का आरोप लगाया और उन पर गैर-प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं के सत्यापन के बहाने चुनाव में बाधा डालने का आरोप लगाया।

कुमार ने याचिका में कहा, “गैर-प्रैक्टिसिंग अधिवक्ताओं की पहचान और सत्यापन एक अंतहीन प्रक्रिया है, और इस तुच्छ कारण से चुनाव में देरी नहीं की जा सकती है।”

इसके अतिरिक्त, कुमार ने 23 जून को बार काउंसिल ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (सत्यापन) नियम, 2015 के नियम 30 और 32 को निरस्त करने वाली बीसीआई अधिसूचना का विरोध किया।

नया नियम अधिकारियों को गैर-प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं की पहचान करने या मतदाता सूची तैयार करने में देरी होने पर अपने विस्तारित कार्यकाल के बाद भी पद पर बने रहने की अनुमति देता है।

पीठ ने अब अगली सुनवाई अगले साल 31 जनवरी तय की है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 13 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बीसीडी के 25 सदस्यों के लंबित चुनाव पर निर्देश देने की मांग करने वाली एक याचिका के जवाब में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) और बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) को नोटिस भेजा है।

वकील अवनीश कुमार द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि पिछला चुनाव मार्च 2018 में होने और अगला चुनाव इस साल जून में होने के बावजूद कोई प्रगति नहीं हुई है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने दोनों परिषदों को अपनी प्रतिक्रियाएंं प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता ने पीठ को यह भी बताया कि बीसीडी द्वारा मार्च में बीसीआई को छह महीने का विस्तार भेजा गया था, जिसे 20 जून को दिया गया था।

कुमार ने बीसीआई और कुछ बीसीडी सदस्यों के बीच “अवैध मिलीभगत” का आरोप लगाया और उन पर गैर-प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं के सत्यापन के बहाने चुनाव में बाधा डालने का आरोप लगाया।

कुमार ने याचिका में कहा, “गैर-प्रैक्टिसिंग अधिवक्ताओं की पहचान और सत्यापन एक अंतहीन प्रक्रिया है, और इस तुच्छ कारण से चुनाव में देरी नहीं की जा सकती है।”

इसके अतिरिक्त, कुमार ने 23 जून को बार काउंसिल ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (सत्यापन) नियम, 2015 के नियम 30 और 32 को निरस्त करने वाली बीसीआई अधिसूचना का विरोध किया।

नया नियम अधिकारियों को गैर-प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं की पहचान करने या मतदाता सूची तैयार करने में देरी होने पर अपने विस्तारित कार्यकाल के बाद भी पद पर बने रहने की अनुमति देता है।

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वकील अवनीश कुमार द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि पिछला चुनाव मार्च 2018 में होने और अगला चुनाव इस साल जून में होने के बावजूद कोई प्रगति नहीं हुई है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने दोनों परिषदों को अपनी प्रतिक्रियाएंं प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता ने पीठ को यह भी बताया कि बीसीडी द्वारा मार्च में बीसीआई को छह महीने का विस्तार भेजा गया था, जिसे 20 जून को दिया गया था।

कुमार ने बीसीआई और कुछ बीसीडी सदस्यों के बीच “अवैध मिलीभगत” का आरोप लगाया और उन पर गैर-प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं के सत्यापन के बहाने चुनाव में बाधा डालने का आरोप लगाया।

कुमार ने याचिका में कहा, “गैर-प्रैक्टिसिंग अधिवक्ताओं की पहचान और सत्यापन एक अंतहीन प्रक्रिया है, और इस तुच्छ कारण से चुनाव में देरी नहीं की जा सकती है।”

इसके अतिरिक्त, कुमार ने 23 जून को बार काउंसिल ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (सत्यापन) नियम, 2015 के नियम 30 और 32 को निरस्त करने वाली बीसीआई अधिसूचना का विरोध किया।

नया नियम अधिकारियों को गैर-प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं की पहचान करने या मतदाता सूची तैयार करने में देरी होने पर अपने विस्तारित कार्यकाल के बाद भी पद पर बने रहने की अनुमति देता है।

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वकील अवनीश कुमार द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि पिछला चुनाव मार्च 2018 में होने और अगला चुनाव इस साल जून में होने के बावजूद कोई प्रगति नहीं हुई है।

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याचिकाकर्ता ने पीठ को यह भी बताया कि बीसीडी द्वारा मार्च में बीसीआई को छह महीने का विस्तार भेजा गया था, जिसे 20 जून को दिया गया था।

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कुमार ने याचिका में कहा, “गैर-प्रैक्टिसिंग अधिवक्ताओं की पहचान और सत्यापन एक अंतहीन प्रक्रिया है, और इस तुच्छ कारण से चुनाव में देरी नहीं की जा सकती है।”

इसके अतिरिक्त, कुमार ने 23 जून को बार काउंसिल ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (सत्यापन) नियम, 2015 के नियम 30 और 32 को निरस्त करने वाली बीसीआई अधिसूचना का विरोध किया।

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याचिकाकर्ता ने पीठ को यह भी बताया कि बीसीडी द्वारा मार्च में बीसीआई को छह महीने का विस्तार भेजा गया था, जिसे 20 जून को दिया गया था।

कुमार ने बीसीआई और कुछ बीसीडी सदस्यों के बीच “अवैध मिलीभगत” का आरोप लगाया और उन पर गैर-प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं के सत्यापन के बहाने चुनाव में बाधा डालने का आरोप लगाया।

कुमार ने याचिका में कहा, “गैर-प्रैक्टिसिंग अधिवक्ताओं की पहचान और सत्यापन एक अंतहीन प्रक्रिया है, और इस तुच्छ कारण से चुनाव में देरी नहीं की जा सकती है।”

इसके अतिरिक्त, कुमार ने 23 जून को बार काउंसिल ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (सत्यापन) नियम, 2015 के नियम 30 और 32 को निरस्त करने वाली बीसीआई अधिसूचना का विरोध किया।

नया नियम अधिकारियों को गैर-प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं की पहचान करने या मतदाता सूची तैयार करने में देरी होने पर अपने विस्तारित कार्यकाल के बाद भी पद पर बने रहने की अनुमति देता है।

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