नई दिल्ली, 1 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने दो डॉक्टरों को जरूरी योग्यता के बिना फोर्टिस अस्पताल में सेवा करने की अनुमति देने के आरोपों की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच की मांग वाली याचिका पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) और दिल्ली चिकित्सा परिषद (डीएमसी) से जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति योगेश खन्ना की पीठ ने पांच वर्षीय देवर्ष की ओर से एक मां की याचिका पर सुनवाई करते हुए दो डॉक्टरों विवेक जैन और अखिलेश सिंह से भी जवाब मांगा जो स्पेशलिस्ट/सुपर-स्पेशलिस्ट के रूप में काम कर रहे हैं और मामले को अगली सुनवाई के लिए 19 अप्रैल को सूचीबद्ध किया है।
आरोप है कि फोर्टिस में 12 अगस्त 2017 को जन्म के दौरान बच्चे के दिमाग को नुकसान पहुंचा था। अदालत को सूचित किया गया कि सी-सेक्शन के माध्यम से प्रसव के ठीक बाद बच्चे को शुरू में अस्वस्थ घोषित किया गया था और फिर उपरोक्त डॉक्टरों की देखरेख में अस्पताल द्वारा नियोनेटल आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया था।
याचिका के अनुसार, 12 दिनों तक गहन देखभाल के बाद डॉक्टरों ने बच्चे को छुट्टी दे दी। याचिका में कहा गया है कि सच्चाई अन्यथा थी और बच्चा स्वस्थ नहीं था जैसा कि आरोपी डॉक्टरों द्वारा प्रमाणित किया गया था। बच्चा वर्तमान में वेस्ट सिंड्रोम के साथ सेरेब्रल पाल्सी और मिर्गी से पीड़ित है।
यह प्रस्तुत किया गया था कि याचिकाकर्ता को हाल ही में पता चला है कि जैन और सिंह के पास अपेक्षित योग्यता नहीं है और वे नियोनेटोलॉजिस्ट या बाल रोग विशेषज्ञ के रूप में अभ्यास करने के हकदार नहीं हैं।
याचिका में कहा गया है, आज भी वे फोर्टिस अस्पताल में नियोनेटोलॉजिस्ट और बाल रोग विशेषज्ञ के रूप में अभ्यास कर रहे हैं, जिससे गंभीर रूप से बीमार नवजात शिशुओं का जीवन खतरे में पड़ गया है।
यह भी आरोप लगाया गया कि बच्चे की चोट को माता-पिता से छुपाने के लिए अस्पताल ने अपनी जिम्मेदारी से बचने के मकसद से बच्चे का झूठा मेडिकल रिकॉर्ड तैयार किया।
नतीजतन, बच्चा किसी भी चिकित्सा उपचार से वंचित रहा और घर पर 7 महीने से अधिक समय तक ऐंठन और दौरे से पीड़ित रहा जब तक कि उसका मस्तिष्क पूरी तरह से क्षतिग्रस्त नहीं हो गया। इसने बच्चे को मानसिक और शारीरिक रूप से स्थायी रूप से विकलांग बना दिया है। याचिका में कहा गया है कि बच्चा वर्तमान में वेस्ट सिंड्रोम के साथ सेरेब्रल पाल्सी और मिर्गी से पीड़ित है।
–आईएएनएस
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