नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने अब समाप्त हो चुके आबकारी नीति घोटाले से संबंधित धन शोधन मामले में आरोपी व्यवसायी समीर महेंद्रू को नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया है।
न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि महेंद्रू की चिकित्सीय स्थिति से जीवन को खतरा नहीं है या ऐसी कोई कमजोरी नहीं है जिसका इलाज जेल में नहीं किया जा सके।
अदालत ने कहा कि महेंद्रू को पहले से ही पर्याप्त चिकित्सा देखभाल मिल रही है, और जेल अधिकारियों ने उसे आवश्यकतानुसार ओपीडी में अपने डॉक्टर से इलाज कराने की अनुमति दी है।
हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि मौजूदा मामले में महेंद्रू को नियमित जमानत देने के लिए कोई बाध्यकारी आधार नहीं है। हालाँकि, यह स्पष्ट किया गया कि जेल अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि महेंद्रू को वीएनए अस्पताल में फॉलोअप इलाज और फिजियोथेरेपी सत्र के लिए ले जाया जाए और उसे जेल की कोठरी या डिस्पेंसरी में अकेले न छोड़ा जाए।
न्यायमूर्ति शर्मा ने किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के महत्व पर जोर देते हुये इसे एक अनमोल अधिकार के रूप में स्वीकार किया, लेकिन यह भी कहा कि जब उचित आधार मौजूद हों, तो इसे देश के पक्ष में इसका समर्पण कर दिया जाना चाहिए।
अदालत ने हिरासत के बाहर सामान्य नागरिकों के लिए उपलब्ध सेवाओं के बराबर स्वास्थ्य सेवाएं और देखभाल प्रदान करने के दायित्व को रेखांकित किया।
अदालत ने निष्पक्षता की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि ऐसे मामलों में निर्णय वादकारियों की आर्थिक स्थिति की बजाय मामले की योग्यता और स्थापित कानूनी सिद्धांतों पर आधारित होने चाहिए।
आरोपी के खिलाफ आरोपों के बारे में अदालत ने कहा कि उस पर आबकारी नीति के निर्माण में एक प्रमुख व्यक्ति और मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक होने का आरोप लगाया गया है।
स्वास्थ्य देखभाल और चिकित्सा उपचार के उसके मौलिक अधिकार को स्वीकार करते हुए अदालत ने कहा कि यह अधिकार निष्पक्ष जांच और उचित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन सुनिश्चित करने की अनिवार्यता पर हावी नहीं हो सकता।
अदालत ने कहा कि महेंद्रू की पहले लगभग पांच सर्जरी हो चुकी हैं। हालाँकि, वर्तमान तिथि तक वह जेल में ठीक हो रहा है। एम्स की रिपोर्ट के अनुसार, उसे नियमित व्यायाम और फिजियोथेरेपी के साथ-साथ चिकित्सा और पुनर्वास प्रोटोकॉल का पालन करना आवश्यक है।
–आईएएनएस
एकेजे