नई दिल्ली, 3 अगस्त (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और वंचित समूह (डीजी) श्रेणी के तहत केजी (किंडरगार्टेन) कक्षा में एक छात्र को प्रवेश देने से इनकार करने पर दो निजी स्कूलों से जवाब मांगा है।
शिक्षा निदेशालय (डीओई) द्वारा तीन अलग-अलग मौकों पर छात्र को सीट आवंटित करने के बावजूद द्वारका स्थित आर.डी. राजपाल पब्लिक स्कूल और पैरामाउंट इंटरनेशनल स्कूल ने बच्चे को प्रवेश नहीं दिया।
न्यायाधीश अनुप जयराम भंभानी ने नाराजगी जताते हुए दोनों स्कूलों के प्राचार्यों से जवाब मांगा है।
न्यायाधीश ने कहा कि यदि स्कूल प्राचार्यों द्वारा दिए गए जवाब असंतोषजनक पाए गए, तो उन्हें व्यक्तिगत रूप से अदालत के समक्ष उपस्थित होने की आवश्यकता हो सकती है।
अदालत ने कहा, “यह ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता के बच्चे को अंतिम आवंटन पैरामाउंट इंटरनेशनल स्कूल, द्वारका में किया गया था, उक्त स्कूल को शैक्षणिक सत्र 2023-2024 में कक्षा केजी/प्री-प्राइमरी में याचिकाकर्ता के बच्चे के लिए एक सीट आरक्षित करने का निर्देश दिया जाता है।”
इसमें आगे कहा गया कि यह आदेश तब तक प्रभावी रहेगा जब तक चल रही कार्यवाही समाप्त नहीं हो जाती या कोई अलग फैसला जारी नहीं हो जाता।
न्यायाधीश ने कहा, “इस अदालत ने ऐसे कई मामले देखे हैं जिनमें शिक्षा विभाग द्वारा स्लॉट के जरिए सीटों का आवंटन किए जाने के बावजूद स्कूलों द्वारा कानून के आदेश का पालन करने से इनकार करने पर माता-पिता/बच्चे अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर हैं।”
अदालत ने संबंधित स्कूलों के प्रिंसिपलों को व्यक्तिगत रूप से हस्ताक्षरित जवाबी हलफनामा जमा कराने का भी निर्देश दिया है, जिसमें शिक्षा विभाग द्वारा सीट आवंटित होने के बावजूद याचिकाकर्ता के बच्चे को प्रवेश नहीं देने का कारण पूछा गया है।
मामले की अगली सुनवाई 24 अगस्त को तय की गई है।
–आईएएनएस
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