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दीर्घकालिक आर्थिक विकास के लिए ग्रीन एनर्जी को बजट में मिले पर्याप्त फंडिंग : एक्सपर्ट्स

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July 22, 2024
in अर्थजगत
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दीर्घकालिक आर्थिक विकास के लिए ग्रीन एनर्जी को बजट में मिले पर्याप्त फंडिंग : एक्सपर्ट्स
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नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। बजट 2024-25 में सरकार को पर्यावरण और गवर्नेंस (ईएसजी) को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिससे दीर्घकालिक आर्थिक विकास और पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए स्थिर पहल की जा सके। जानकारों की ओर ये ये बातें कहीं गई हैं।

बता दें, पिछले महीने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने भी भारत में हो रहे एनर्जी ट्रांजिशन को स्वीकारा है। साथ ही कहा है कि भारत द्वारा प्राप्त किए गए परिणामों को दूसरी जगह पर भी अपनाया जा सकता है।

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ईवाई इंडिया में जलवायु परिवर्तन और स्थिरता सेवाओं में पार्टनर सौनक साहा ने कहा कि ग्रीन टेक्नोलॉजी के लिए पहल को बढ़ाना होगा, साथ ही कार्बन उत्सर्जन के लिए सख्त नियम बनाने होंगे। इसके साथ ही स्थिरता प्रदान करने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की फंडिंग को बढ़ाना होगा।

साहा का कहना है कि हमें अपने एनर्जी और ट्रांसपोर्ट सेक्टर को डेकार्बोनाइज करना होगा। इससे हमें अन्य सेक्टर को डीकार्बनाइजेशन करने में मदद मिलेगी। इससे भारत को जलवायु को लेकर किए गए अपने वादे को पूरा करने में मदद मिलेगी। साथ ही स्थिरता के साथ विकास में स्वयं को एक लीडर के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।

सरकारी डेटा के मुताबिक, भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 के बीच 18.48 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जोड़ी है, जो कि इससे पिछले वर्ष जोड़ी गई क्षमता 15.27 गीगावाट से 21 प्रतिशत अधिक है।

क्रेड्यूस के संस्थापक शैलेन्द्र सिंह राव ने कहा कि बजट से उम्मीद है कि क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स जैसे सोलर, विंड, ई-मोबिलिटी और ग्रीन हाइड्रोजन को पर्याप्त फंडिंग मिलेगी।

जानकारों का मानना है कि रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स विशेषकर बैटरी स्टोरेज सॉल्यूशंस की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए बजट के सपोर्ट की आवश्यकता है।

स्मार्ट सिटी मिशन के लिए आक्रामक तौर पर ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर अपनाने की जरूरत है, जिसमें शहरी वन, ग्रीन रूफ और स्थिर सार्वजनिक परिवहन शामिल है।

राव ने कहा कि पर्यावरण से जुड़े नियमों का कड़ाई से पालन करने वाले डेवलपर्स के लिए टैक्स इंसेंटिव और ग्रांट दी जानी चाहिए, क्योंकि कोई भी डेवलपर स्वयं ऐसा नहीं करेंगे, जब उन्हें इंसेंटिव नहीं दिए जाते हैं।

–आईएएनएस

एबीएस/एसकेपी

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नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। बजट 2024-25 में सरकार को पर्यावरण और गवर्नेंस (ईएसजी) को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिससे दीर्घकालिक आर्थिक विकास और पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए स्थिर पहल की जा सके। जानकारों की ओर ये ये बातें कहीं गई हैं।

बता दें, पिछले महीने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने भी भारत में हो रहे एनर्जी ट्रांजिशन को स्वीकारा है। साथ ही कहा है कि भारत द्वारा प्राप्त किए गए परिणामों को दूसरी जगह पर भी अपनाया जा सकता है।

ईवाई इंडिया में जलवायु परिवर्तन और स्थिरता सेवाओं में पार्टनर सौनक साहा ने कहा कि ग्रीन टेक्नोलॉजी के लिए पहल को बढ़ाना होगा, साथ ही कार्बन उत्सर्जन के लिए सख्त नियम बनाने होंगे। इसके साथ ही स्थिरता प्रदान करने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की फंडिंग को बढ़ाना होगा।

साहा का कहना है कि हमें अपने एनर्जी और ट्रांसपोर्ट सेक्टर को डेकार्बोनाइज करना होगा। इससे हमें अन्य सेक्टर को डीकार्बनाइजेशन करने में मदद मिलेगी। इससे भारत को जलवायु को लेकर किए गए अपने वादे को पूरा करने में मदद मिलेगी। साथ ही स्थिरता के साथ विकास में स्वयं को एक लीडर के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।

सरकारी डेटा के मुताबिक, भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 के बीच 18.48 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जोड़ी है, जो कि इससे पिछले वर्ष जोड़ी गई क्षमता 15.27 गीगावाट से 21 प्रतिशत अधिक है।

क्रेड्यूस के संस्थापक शैलेन्द्र सिंह राव ने कहा कि बजट से उम्मीद है कि क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स जैसे सोलर, विंड, ई-मोबिलिटी और ग्रीन हाइड्रोजन को पर्याप्त फंडिंग मिलेगी।

जानकारों का मानना है कि रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स विशेषकर बैटरी स्टोरेज सॉल्यूशंस की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए बजट के सपोर्ट की आवश्यकता है।

स्मार्ट सिटी मिशन के लिए आक्रामक तौर पर ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर अपनाने की जरूरत है, जिसमें शहरी वन, ग्रीन रूफ और स्थिर सार्वजनिक परिवहन शामिल है।

राव ने कहा कि पर्यावरण से जुड़े नियमों का कड़ाई से पालन करने वाले डेवलपर्स के लिए टैक्स इंसेंटिव और ग्रांट दी जानी चाहिए, क्योंकि कोई भी डेवलपर स्वयं ऐसा नहीं करेंगे, जब उन्हें इंसेंटिव नहीं दिए जाते हैं।

–आईएएनएस

एबीएस/एसकेपी

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नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। बजट 2024-25 में सरकार को पर्यावरण और गवर्नेंस (ईएसजी) को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिससे दीर्घकालिक आर्थिक विकास और पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए स्थिर पहल की जा सके। जानकारों की ओर ये ये बातें कहीं गई हैं।

बता दें, पिछले महीने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने भी भारत में हो रहे एनर्जी ट्रांजिशन को स्वीकारा है। साथ ही कहा है कि भारत द्वारा प्राप्त किए गए परिणामों को दूसरी जगह पर भी अपनाया जा सकता है।

ईवाई इंडिया में जलवायु परिवर्तन और स्थिरता सेवाओं में पार्टनर सौनक साहा ने कहा कि ग्रीन टेक्नोलॉजी के लिए पहल को बढ़ाना होगा, साथ ही कार्बन उत्सर्जन के लिए सख्त नियम बनाने होंगे। इसके साथ ही स्थिरता प्रदान करने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की फंडिंग को बढ़ाना होगा।

साहा का कहना है कि हमें अपने एनर्जी और ट्रांसपोर्ट सेक्टर को डेकार्बोनाइज करना होगा। इससे हमें अन्य सेक्टर को डीकार्बनाइजेशन करने में मदद मिलेगी। इससे भारत को जलवायु को लेकर किए गए अपने वादे को पूरा करने में मदद मिलेगी। साथ ही स्थिरता के साथ विकास में स्वयं को एक लीडर के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।

सरकारी डेटा के मुताबिक, भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 के बीच 18.48 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जोड़ी है, जो कि इससे पिछले वर्ष जोड़ी गई क्षमता 15.27 गीगावाट से 21 प्रतिशत अधिक है।

क्रेड्यूस के संस्थापक शैलेन्द्र सिंह राव ने कहा कि बजट से उम्मीद है कि क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स जैसे सोलर, विंड, ई-मोबिलिटी और ग्रीन हाइड्रोजन को पर्याप्त फंडिंग मिलेगी।

जानकारों का मानना है कि रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स विशेषकर बैटरी स्टोरेज सॉल्यूशंस की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए बजट के सपोर्ट की आवश्यकता है।

स्मार्ट सिटी मिशन के लिए आक्रामक तौर पर ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर अपनाने की जरूरत है, जिसमें शहरी वन, ग्रीन रूफ और स्थिर सार्वजनिक परिवहन शामिल है।

राव ने कहा कि पर्यावरण से जुड़े नियमों का कड़ाई से पालन करने वाले डेवलपर्स के लिए टैक्स इंसेंटिव और ग्रांट दी जानी चाहिए, क्योंकि कोई भी डेवलपर स्वयं ऐसा नहीं करेंगे, जब उन्हें इंसेंटिव नहीं दिए जाते हैं।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। बजट 2024-25 में सरकार को पर्यावरण और गवर्नेंस (ईएसजी) को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिससे दीर्घकालिक आर्थिक विकास और पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए स्थिर पहल की जा सके। जानकारों की ओर ये ये बातें कहीं गई हैं।

बता दें, पिछले महीने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने भी भारत में हो रहे एनर्जी ट्रांजिशन को स्वीकारा है। साथ ही कहा है कि भारत द्वारा प्राप्त किए गए परिणामों को दूसरी जगह पर भी अपनाया जा सकता है।

ईवाई इंडिया में जलवायु परिवर्तन और स्थिरता सेवाओं में पार्टनर सौनक साहा ने कहा कि ग्रीन टेक्नोलॉजी के लिए पहल को बढ़ाना होगा, साथ ही कार्बन उत्सर्जन के लिए सख्त नियम बनाने होंगे। इसके साथ ही स्थिरता प्रदान करने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की फंडिंग को बढ़ाना होगा।

साहा का कहना है कि हमें अपने एनर्जी और ट्रांसपोर्ट सेक्टर को डेकार्बोनाइज करना होगा। इससे हमें अन्य सेक्टर को डीकार्बनाइजेशन करने में मदद मिलेगी। इससे भारत को जलवायु को लेकर किए गए अपने वादे को पूरा करने में मदद मिलेगी। साथ ही स्थिरता के साथ विकास में स्वयं को एक लीडर के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।

सरकारी डेटा के मुताबिक, भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 के बीच 18.48 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जोड़ी है, जो कि इससे पिछले वर्ष जोड़ी गई क्षमता 15.27 गीगावाट से 21 प्रतिशत अधिक है।

क्रेड्यूस के संस्थापक शैलेन्द्र सिंह राव ने कहा कि बजट से उम्मीद है कि क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स जैसे सोलर, विंड, ई-मोबिलिटी और ग्रीन हाइड्रोजन को पर्याप्त फंडिंग मिलेगी।

जानकारों का मानना है कि रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स विशेषकर बैटरी स्टोरेज सॉल्यूशंस की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए बजट के सपोर्ट की आवश्यकता है।

स्मार्ट सिटी मिशन के लिए आक्रामक तौर पर ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर अपनाने की जरूरत है, जिसमें शहरी वन, ग्रीन रूफ और स्थिर सार्वजनिक परिवहन शामिल है।

राव ने कहा कि पर्यावरण से जुड़े नियमों का कड़ाई से पालन करने वाले डेवलपर्स के लिए टैक्स इंसेंटिव और ग्रांट दी जानी चाहिए, क्योंकि कोई भी डेवलपर स्वयं ऐसा नहीं करेंगे, जब उन्हें इंसेंटिव नहीं दिए जाते हैं।

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बता दें, पिछले महीने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने भी भारत में हो रहे एनर्जी ट्रांजिशन को स्वीकारा है। साथ ही कहा है कि भारत द्वारा प्राप्त किए गए परिणामों को दूसरी जगह पर भी अपनाया जा सकता है।

ईवाई इंडिया में जलवायु परिवर्तन और स्थिरता सेवाओं में पार्टनर सौनक साहा ने कहा कि ग्रीन टेक्नोलॉजी के लिए पहल को बढ़ाना होगा, साथ ही कार्बन उत्सर्जन के लिए सख्त नियम बनाने होंगे। इसके साथ ही स्थिरता प्रदान करने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की फंडिंग को बढ़ाना होगा।

साहा का कहना है कि हमें अपने एनर्जी और ट्रांसपोर्ट सेक्टर को डेकार्बोनाइज करना होगा। इससे हमें अन्य सेक्टर को डीकार्बनाइजेशन करने में मदद मिलेगी। इससे भारत को जलवायु को लेकर किए गए अपने वादे को पूरा करने में मदद मिलेगी। साथ ही स्थिरता के साथ विकास में स्वयं को एक लीडर के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।

सरकारी डेटा के मुताबिक, भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 के बीच 18.48 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जोड़ी है, जो कि इससे पिछले वर्ष जोड़ी गई क्षमता 15.27 गीगावाट से 21 प्रतिशत अधिक है।

क्रेड्यूस के संस्थापक शैलेन्द्र सिंह राव ने कहा कि बजट से उम्मीद है कि क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स जैसे सोलर, विंड, ई-मोबिलिटी और ग्रीन हाइड्रोजन को पर्याप्त फंडिंग मिलेगी।

जानकारों का मानना है कि रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स विशेषकर बैटरी स्टोरेज सॉल्यूशंस की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए बजट के सपोर्ट की आवश्यकता है।

स्मार्ट सिटी मिशन के लिए आक्रामक तौर पर ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर अपनाने की जरूरत है, जिसमें शहरी वन, ग्रीन रूफ और स्थिर सार्वजनिक परिवहन शामिल है।

राव ने कहा कि पर्यावरण से जुड़े नियमों का कड़ाई से पालन करने वाले डेवलपर्स के लिए टैक्स इंसेंटिव और ग्रांट दी जानी चाहिए, क्योंकि कोई भी डेवलपर स्वयं ऐसा नहीं करेंगे, जब उन्हें इंसेंटिव नहीं दिए जाते हैं।

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बता दें, पिछले महीने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने भी भारत में हो रहे एनर्जी ट्रांजिशन को स्वीकारा है। साथ ही कहा है कि भारत द्वारा प्राप्त किए गए परिणामों को दूसरी जगह पर भी अपनाया जा सकता है।

ईवाई इंडिया में जलवायु परिवर्तन और स्थिरता सेवाओं में पार्टनर सौनक साहा ने कहा कि ग्रीन टेक्नोलॉजी के लिए पहल को बढ़ाना होगा, साथ ही कार्बन उत्सर्जन के लिए सख्त नियम बनाने होंगे। इसके साथ ही स्थिरता प्रदान करने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की फंडिंग को बढ़ाना होगा।

साहा का कहना है कि हमें अपने एनर्जी और ट्रांसपोर्ट सेक्टर को डेकार्बोनाइज करना होगा। इससे हमें अन्य सेक्टर को डीकार्बनाइजेशन करने में मदद मिलेगी। इससे भारत को जलवायु को लेकर किए गए अपने वादे को पूरा करने में मदद मिलेगी। साथ ही स्थिरता के साथ विकास में स्वयं को एक लीडर के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।

सरकारी डेटा के मुताबिक, भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 के बीच 18.48 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जोड़ी है, जो कि इससे पिछले वर्ष जोड़ी गई क्षमता 15.27 गीगावाट से 21 प्रतिशत अधिक है।

क्रेड्यूस के संस्थापक शैलेन्द्र सिंह राव ने कहा कि बजट से उम्मीद है कि क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स जैसे सोलर, विंड, ई-मोबिलिटी और ग्रीन हाइड्रोजन को पर्याप्त फंडिंग मिलेगी।

जानकारों का मानना है कि रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स विशेषकर बैटरी स्टोरेज सॉल्यूशंस की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए बजट के सपोर्ट की आवश्यकता है।

स्मार्ट सिटी मिशन के लिए आक्रामक तौर पर ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर अपनाने की जरूरत है, जिसमें शहरी वन, ग्रीन रूफ और स्थिर सार्वजनिक परिवहन शामिल है।

राव ने कहा कि पर्यावरण से जुड़े नियमों का कड़ाई से पालन करने वाले डेवलपर्स के लिए टैक्स इंसेंटिव और ग्रांट दी जानी चाहिए, क्योंकि कोई भी डेवलपर स्वयं ऐसा नहीं करेंगे, जब उन्हें इंसेंटिव नहीं दिए जाते हैं।

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बता दें, पिछले महीने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने भी भारत में हो रहे एनर्जी ट्रांजिशन को स्वीकारा है। साथ ही कहा है कि भारत द्वारा प्राप्त किए गए परिणामों को दूसरी जगह पर भी अपनाया जा सकता है।

ईवाई इंडिया में जलवायु परिवर्तन और स्थिरता सेवाओं में पार्टनर सौनक साहा ने कहा कि ग्रीन टेक्नोलॉजी के लिए पहल को बढ़ाना होगा, साथ ही कार्बन उत्सर्जन के लिए सख्त नियम बनाने होंगे। इसके साथ ही स्थिरता प्रदान करने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की फंडिंग को बढ़ाना होगा।

साहा का कहना है कि हमें अपने एनर्जी और ट्रांसपोर्ट सेक्टर को डेकार्बोनाइज करना होगा। इससे हमें अन्य सेक्टर को डीकार्बनाइजेशन करने में मदद मिलेगी। इससे भारत को जलवायु को लेकर किए गए अपने वादे को पूरा करने में मदद मिलेगी। साथ ही स्थिरता के साथ विकास में स्वयं को एक लीडर के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।

सरकारी डेटा के मुताबिक, भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 के बीच 18.48 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जोड़ी है, जो कि इससे पिछले वर्ष जोड़ी गई क्षमता 15.27 गीगावाट से 21 प्रतिशत अधिक है।

क्रेड्यूस के संस्थापक शैलेन्द्र सिंह राव ने कहा कि बजट से उम्मीद है कि क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स जैसे सोलर, विंड, ई-मोबिलिटी और ग्रीन हाइड्रोजन को पर्याप्त फंडिंग मिलेगी।

जानकारों का मानना है कि रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स विशेषकर बैटरी स्टोरेज सॉल्यूशंस की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए बजट के सपोर्ट की आवश्यकता है।

स्मार्ट सिटी मिशन के लिए आक्रामक तौर पर ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर अपनाने की जरूरत है, जिसमें शहरी वन, ग्रीन रूफ और स्थिर सार्वजनिक परिवहन शामिल है।

राव ने कहा कि पर्यावरण से जुड़े नियमों का कड़ाई से पालन करने वाले डेवलपर्स के लिए टैक्स इंसेंटिव और ग्रांट दी जानी चाहिए, क्योंकि कोई भी डेवलपर स्वयं ऐसा नहीं करेंगे, जब उन्हें इंसेंटिव नहीं दिए जाते हैं।

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बता दें, पिछले महीने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने भी भारत में हो रहे एनर्जी ट्रांजिशन को स्वीकारा है। साथ ही कहा है कि भारत द्वारा प्राप्त किए गए परिणामों को दूसरी जगह पर भी अपनाया जा सकता है।

ईवाई इंडिया में जलवायु परिवर्तन और स्थिरता सेवाओं में पार्टनर सौनक साहा ने कहा कि ग्रीन टेक्नोलॉजी के लिए पहल को बढ़ाना होगा, साथ ही कार्बन उत्सर्जन के लिए सख्त नियम बनाने होंगे। इसके साथ ही स्थिरता प्रदान करने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की फंडिंग को बढ़ाना होगा।

साहा का कहना है कि हमें अपने एनर्जी और ट्रांसपोर्ट सेक्टर को डेकार्बोनाइज करना होगा। इससे हमें अन्य सेक्टर को डीकार्बनाइजेशन करने में मदद मिलेगी। इससे भारत को जलवायु को लेकर किए गए अपने वादे को पूरा करने में मदद मिलेगी। साथ ही स्थिरता के साथ विकास में स्वयं को एक लीडर के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।

सरकारी डेटा के मुताबिक, भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 के बीच 18.48 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जोड़ी है, जो कि इससे पिछले वर्ष जोड़ी गई क्षमता 15.27 गीगावाट से 21 प्रतिशत अधिक है।

क्रेड्यूस के संस्थापक शैलेन्द्र सिंह राव ने कहा कि बजट से उम्मीद है कि क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स जैसे सोलर, विंड, ई-मोबिलिटी और ग्रीन हाइड्रोजन को पर्याप्त फंडिंग मिलेगी।

जानकारों का मानना है कि रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स विशेषकर बैटरी स्टोरेज सॉल्यूशंस की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए बजट के सपोर्ट की आवश्यकता है।

स्मार्ट सिटी मिशन के लिए आक्रामक तौर पर ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर अपनाने की जरूरत है, जिसमें शहरी वन, ग्रीन रूफ और स्थिर सार्वजनिक परिवहन शामिल है।

राव ने कहा कि पर्यावरण से जुड़े नियमों का कड़ाई से पालन करने वाले डेवलपर्स के लिए टैक्स इंसेंटिव और ग्रांट दी जानी चाहिए, क्योंकि कोई भी डेवलपर स्वयं ऐसा नहीं करेंगे, जब उन्हें इंसेंटिव नहीं दिए जाते हैं।

–आईएएनएस

एबीएस/एसकेपी

नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। बजट 2024-25 में सरकार को पर्यावरण और गवर्नेंस (ईएसजी) को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिससे दीर्घकालिक आर्थिक विकास और पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए स्थिर पहल की जा सके। जानकारों की ओर ये ये बातें कहीं गई हैं।

बता दें, पिछले महीने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने भी भारत में हो रहे एनर्जी ट्रांजिशन को स्वीकारा है। साथ ही कहा है कि भारत द्वारा प्राप्त किए गए परिणामों को दूसरी जगह पर भी अपनाया जा सकता है।

ईवाई इंडिया में जलवायु परिवर्तन और स्थिरता सेवाओं में पार्टनर सौनक साहा ने कहा कि ग्रीन टेक्नोलॉजी के लिए पहल को बढ़ाना होगा, साथ ही कार्बन उत्सर्जन के लिए सख्त नियम बनाने होंगे। इसके साथ ही स्थिरता प्रदान करने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की फंडिंग को बढ़ाना होगा।

साहा का कहना है कि हमें अपने एनर्जी और ट्रांसपोर्ट सेक्टर को डेकार्बोनाइज करना होगा। इससे हमें अन्य सेक्टर को डीकार्बनाइजेशन करने में मदद मिलेगी। इससे भारत को जलवायु को लेकर किए गए अपने वादे को पूरा करने में मदद मिलेगी। साथ ही स्थिरता के साथ विकास में स्वयं को एक लीडर के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।

सरकारी डेटा के मुताबिक, भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 के बीच 18.48 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जोड़ी है, जो कि इससे पिछले वर्ष जोड़ी गई क्षमता 15.27 गीगावाट से 21 प्रतिशत अधिक है।

क्रेड्यूस के संस्थापक शैलेन्द्र सिंह राव ने कहा कि बजट से उम्मीद है कि क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स जैसे सोलर, विंड, ई-मोबिलिटी और ग्रीन हाइड्रोजन को पर्याप्त फंडिंग मिलेगी।

जानकारों का मानना है कि रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स विशेषकर बैटरी स्टोरेज सॉल्यूशंस की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए बजट के सपोर्ट की आवश्यकता है।

स्मार्ट सिटी मिशन के लिए आक्रामक तौर पर ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर अपनाने की जरूरत है, जिसमें शहरी वन, ग्रीन रूफ और स्थिर सार्वजनिक परिवहन शामिल है।

राव ने कहा कि पर्यावरण से जुड़े नियमों का कड़ाई से पालन करने वाले डेवलपर्स के लिए टैक्स इंसेंटिव और ग्रांट दी जानी चाहिए, क्योंकि कोई भी डेवलपर स्वयं ऐसा नहीं करेंगे, जब उन्हें इंसेंटिव नहीं दिए जाते हैं।

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बता दें, पिछले महीने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने भी भारत में हो रहे एनर्जी ट्रांजिशन को स्वीकारा है। साथ ही कहा है कि भारत द्वारा प्राप्त किए गए परिणामों को दूसरी जगह पर भी अपनाया जा सकता है।

ईवाई इंडिया में जलवायु परिवर्तन और स्थिरता सेवाओं में पार्टनर सौनक साहा ने कहा कि ग्रीन टेक्नोलॉजी के लिए पहल को बढ़ाना होगा, साथ ही कार्बन उत्सर्जन के लिए सख्त नियम बनाने होंगे। इसके साथ ही स्थिरता प्रदान करने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की फंडिंग को बढ़ाना होगा।

साहा का कहना है कि हमें अपने एनर्जी और ट्रांसपोर्ट सेक्टर को डेकार्बोनाइज करना होगा। इससे हमें अन्य सेक्टर को डीकार्बनाइजेशन करने में मदद मिलेगी। इससे भारत को जलवायु को लेकर किए गए अपने वादे को पूरा करने में मदद मिलेगी। साथ ही स्थिरता के साथ विकास में स्वयं को एक लीडर के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।

सरकारी डेटा के मुताबिक, भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 के बीच 18.48 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जोड़ी है, जो कि इससे पिछले वर्ष जोड़ी गई क्षमता 15.27 गीगावाट से 21 प्रतिशत अधिक है।

क्रेड्यूस के संस्थापक शैलेन्द्र सिंह राव ने कहा कि बजट से उम्मीद है कि क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स जैसे सोलर, विंड, ई-मोबिलिटी और ग्रीन हाइड्रोजन को पर्याप्त फंडिंग मिलेगी।

जानकारों का मानना है कि रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स विशेषकर बैटरी स्टोरेज सॉल्यूशंस की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए बजट के सपोर्ट की आवश्यकता है।

स्मार्ट सिटी मिशन के लिए आक्रामक तौर पर ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर अपनाने की जरूरत है, जिसमें शहरी वन, ग्रीन रूफ और स्थिर सार्वजनिक परिवहन शामिल है।

राव ने कहा कि पर्यावरण से जुड़े नियमों का कड़ाई से पालन करने वाले डेवलपर्स के लिए टैक्स इंसेंटिव और ग्रांट दी जानी चाहिए, क्योंकि कोई भी डेवलपर स्वयं ऐसा नहीं करेंगे, जब उन्हें इंसेंटिव नहीं दिए जाते हैं।

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नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। बजट 2024-25 में सरकार को पर्यावरण और गवर्नेंस (ईएसजी) को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिससे दीर्घकालिक आर्थिक विकास और पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए स्थिर पहल की जा सके। जानकारों की ओर ये ये बातें कहीं गई हैं।

बता दें, पिछले महीने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने भी भारत में हो रहे एनर्जी ट्रांजिशन को स्वीकारा है। साथ ही कहा है कि भारत द्वारा प्राप्त किए गए परिणामों को दूसरी जगह पर भी अपनाया जा सकता है।

ईवाई इंडिया में जलवायु परिवर्तन और स्थिरता सेवाओं में पार्टनर सौनक साहा ने कहा कि ग्रीन टेक्नोलॉजी के लिए पहल को बढ़ाना होगा, साथ ही कार्बन उत्सर्जन के लिए सख्त नियम बनाने होंगे। इसके साथ ही स्थिरता प्रदान करने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की फंडिंग को बढ़ाना होगा।

साहा का कहना है कि हमें अपने एनर्जी और ट्रांसपोर्ट सेक्टर को डेकार्बोनाइज करना होगा। इससे हमें अन्य सेक्टर को डीकार्बनाइजेशन करने में मदद मिलेगी। इससे भारत को जलवायु को लेकर किए गए अपने वादे को पूरा करने में मदद मिलेगी। साथ ही स्थिरता के साथ विकास में स्वयं को एक लीडर के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।

सरकारी डेटा के मुताबिक, भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 के बीच 18.48 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जोड़ी है, जो कि इससे पिछले वर्ष जोड़ी गई क्षमता 15.27 गीगावाट से 21 प्रतिशत अधिक है।

क्रेड्यूस के संस्थापक शैलेन्द्र सिंह राव ने कहा कि बजट से उम्मीद है कि क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स जैसे सोलर, विंड, ई-मोबिलिटी और ग्रीन हाइड्रोजन को पर्याप्त फंडिंग मिलेगी।

जानकारों का मानना है कि रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स विशेषकर बैटरी स्टोरेज सॉल्यूशंस की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए बजट के सपोर्ट की आवश्यकता है।

स्मार्ट सिटी मिशन के लिए आक्रामक तौर पर ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर अपनाने की जरूरत है, जिसमें शहरी वन, ग्रीन रूफ और स्थिर सार्वजनिक परिवहन शामिल है।

राव ने कहा कि पर्यावरण से जुड़े नियमों का कड़ाई से पालन करने वाले डेवलपर्स के लिए टैक्स इंसेंटिव और ग्रांट दी जानी चाहिए, क्योंकि कोई भी डेवलपर स्वयं ऐसा नहीं करेंगे, जब उन्हें इंसेंटिव नहीं दिए जाते हैं।

–आईएएनएस

एबीएस/एसकेपी

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नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। बजट 2024-25 में सरकार को पर्यावरण और गवर्नेंस (ईएसजी) को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिससे दीर्घकालिक आर्थिक विकास और पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए स्थिर पहल की जा सके। जानकारों की ओर ये ये बातें कहीं गई हैं।

बता दें, पिछले महीने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने भी भारत में हो रहे एनर्जी ट्रांजिशन को स्वीकारा है। साथ ही कहा है कि भारत द्वारा प्राप्त किए गए परिणामों को दूसरी जगह पर भी अपनाया जा सकता है।

ईवाई इंडिया में जलवायु परिवर्तन और स्थिरता सेवाओं में पार्टनर सौनक साहा ने कहा कि ग्रीन टेक्नोलॉजी के लिए पहल को बढ़ाना होगा, साथ ही कार्बन उत्सर्जन के लिए सख्त नियम बनाने होंगे। इसके साथ ही स्थिरता प्रदान करने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की फंडिंग को बढ़ाना होगा।

साहा का कहना है कि हमें अपने एनर्जी और ट्रांसपोर्ट सेक्टर को डेकार्बोनाइज करना होगा। इससे हमें अन्य सेक्टर को डीकार्बनाइजेशन करने में मदद मिलेगी। इससे भारत को जलवायु को लेकर किए गए अपने वादे को पूरा करने में मदद मिलेगी। साथ ही स्थिरता के साथ विकास में स्वयं को एक लीडर के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।

सरकारी डेटा के मुताबिक, भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 के बीच 18.48 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जोड़ी है, जो कि इससे पिछले वर्ष जोड़ी गई क्षमता 15.27 गीगावाट से 21 प्रतिशत अधिक है।

क्रेड्यूस के संस्थापक शैलेन्द्र सिंह राव ने कहा कि बजट से उम्मीद है कि क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स जैसे सोलर, विंड, ई-मोबिलिटी और ग्रीन हाइड्रोजन को पर्याप्त फंडिंग मिलेगी।

जानकारों का मानना है कि रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स विशेषकर बैटरी स्टोरेज सॉल्यूशंस की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए बजट के सपोर्ट की आवश्यकता है।

स्मार्ट सिटी मिशन के लिए आक्रामक तौर पर ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर अपनाने की जरूरत है, जिसमें शहरी वन, ग्रीन रूफ और स्थिर सार्वजनिक परिवहन शामिल है।

राव ने कहा कि पर्यावरण से जुड़े नियमों का कड़ाई से पालन करने वाले डेवलपर्स के लिए टैक्स इंसेंटिव और ग्रांट दी जानी चाहिए, क्योंकि कोई भी डेवलपर स्वयं ऐसा नहीं करेंगे, जब उन्हें इंसेंटिव नहीं दिए जाते हैं।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। बजट 2024-25 में सरकार को पर्यावरण और गवर्नेंस (ईएसजी) को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिससे दीर्घकालिक आर्थिक विकास और पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए स्थिर पहल की जा सके। जानकारों की ओर ये ये बातें कहीं गई हैं।

बता दें, पिछले महीने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने भी भारत में हो रहे एनर्जी ट्रांजिशन को स्वीकारा है। साथ ही कहा है कि भारत द्वारा प्राप्त किए गए परिणामों को दूसरी जगह पर भी अपनाया जा सकता है।

ईवाई इंडिया में जलवायु परिवर्तन और स्थिरता सेवाओं में पार्टनर सौनक साहा ने कहा कि ग्रीन टेक्नोलॉजी के लिए पहल को बढ़ाना होगा, साथ ही कार्बन उत्सर्जन के लिए सख्त नियम बनाने होंगे। इसके साथ ही स्थिरता प्रदान करने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की फंडिंग को बढ़ाना होगा।

साहा का कहना है कि हमें अपने एनर्जी और ट्रांसपोर्ट सेक्टर को डेकार्बोनाइज करना होगा। इससे हमें अन्य सेक्टर को डीकार्बनाइजेशन करने में मदद मिलेगी। इससे भारत को जलवायु को लेकर किए गए अपने वादे को पूरा करने में मदद मिलेगी। साथ ही स्थिरता के साथ विकास में स्वयं को एक लीडर के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।

सरकारी डेटा के मुताबिक, भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 के बीच 18.48 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जोड़ी है, जो कि इससे पिछले वर्ष जोड़ी गई क्षमता 15.27 गीगावाट से 21 प्रतिशत अधिक है।

क्रेड्यूस के संस्थापक शैलेन्द्र सिंह राव ने कहा कि बजट से उम्मीद है कि क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स जैसे सोलर, विंड, ई-मोबिलिटी और ग्रीन हाइड्रोजन को पर्याप्त फंडिंग मिलेगी।

जानकारों का मानना है कि रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स विशेषकर बैटरी स्टोरेज सॉल्यूशंस की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए बजट के सपोर्ट की आवश्यकता है।

स्मार्ट सिटी मिशन के लिए आक्रामक तौर पर ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर अपनाने की जरूरत है, जिसमें शहरी वन, ग्रीन रूफ और स्थिर सार्वजनिक परिवहन शामिल है।

राव ने कहा कि पर्यावरण से जुड़े नियमों का कड़ाई से पालन करने वाले डेवलपर्स के लिए टैक्स इंसेंटिव और ग्रांट दी जानी चाहिए, क्योंकि कोई भी डेवलपर स्वयं ऐसा नहीं करेंगे, जब उन्हें इंसेंटिव नहीं दिए जाते हैं।

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नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। बजट 2024-25 में सरकार को पर्यावरण और गवर्नेंस (ईएसजी) को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिससे दीर्घकालिक आर्थिक विकास और पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए स्थिर पहल की जा सके। जानकारों की ओर ये ये बातें कहीं गई हैं।

बता दें, पिछले महीने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने भी भारत में हो रहे एनर्जी ट्रांजिशन को स्वीकारा है। साथ ही कहा है कि भारत द्वारा प्राप्त किए गए परिणामों को दूसरी जगह पर भी अपनाया जा सकता है।

ईवाई इंडिया में जलवायु परिवर्तन और स्थिरता सेवाओं में पार्टनर सौनक साहा ने कहा कि ग्रीन टेक्नोलॉजी के लिए पहल को बढ़ाना होगा, साथ ही कार्बन उत्सर्जन के लिए सख्त नियम बनाने होंगे। इसके साथ ही स्थिरता प्रदान करने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की फंडिंग को बढ़ाना होगा।

साहा का कहना है कि हमें अपने एनर्जी और ट्रांसपोर्ट सेक्टर को डेकार्बोनाइज करना होगा। इससे हमें अन्य सेक्टर को डीकार्बनाइजेशन करने में मदद मिलेगी। इससे भारत को जलवायु को लेकर किए गए अपने वादे को पूरा करने में मदद मिलेगी। साथ ही स्थिरता के साथ विकास में स्वयं को एक लीडर के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।

सरकारी डेटा के मुताबिक, भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 के बीच 18.48 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जोड़ी है, जो कि इससे पिछले वर्ष जोड़ी गई क्षमता 15.27 गीगावाट से 21 प्रतिशत अधिक है।

क्रेड्यूस के संस्थापक शैलेन्द्र सिंह राव ने कहा कि बजट से उम्मीद है कि क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स जैसे सोलर, विंड, ई-मोबिलिटी और ग्रीन हाइड्रोजन को पर्याप्त फंडिंग मिलेगी।

जानकारों का मानना है कि रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स विशेषकर बैटरी स्टोरेज सॉल्यूशंस की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए बजट के सपोर्ट की आवश्यकता है।

स्मार्ट सिटी मिशन के लिए आक्रामक तौर पर ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर अपनाने की जरूरत है, जिसमें शहरी वन, ग्रीन रूफ और स्थिर सार्वजनिक परिवहन शामिल है।

राव ने कहा कि पर्यावरण से जुड़े नियमों का कड़ाई से पालन करने वाले डेवलपर्स के लिए टैक्स इंसेंटिव और ग्रांट दी जानी चाहिए, क्योंकि कोई भी डेवलपर स्वयं ऐसा नहीं करेंगे, जब उन्हें इंसेंटिव नहीं दिए जाते हैं।

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बता दें, पिछले महीने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने भी भारत में हो रहे एनर्जी ट्रांजिशन को स्वीकारा है। साथ ही कहा है कि भारत द्वारा प्राप्त किए गए परिणामों को दूसरी जगह पर भी अपनाया जा सकता है।

ईवाई इंडिया में जलवायु परिवर्तन और स्थिरता सेवाओं में पार्टनर सौनक साहा ने कहा कि ग्रीन टेक्नोलॉजी के लिए पहल को बढ़ाना होगा, साथ ही कार्बन उत्सर्जन के लिए सख्त नियम बनाने होंगे। इसके साथ ही स्थिरता प्रदान करने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की फंडिंग को बढ़ाना होगा।

साहा का कहना है कि हमें अपने एनर्जी और ट्रांसपोर्ट सेक्टर को डेकार्बोनाइज करना होगा। इससे हमें अन्य सेक्टर को डीकार्बनाइजेशन करने में मदद मिलेगी। इससे भारत को जलवायु को लेकर किए गए अपने वादे को पूरा करने में मदद मिलेगी। साथ ही स्थिरता के साथ विकास में स्वयं को एक लीडर के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।

सरकारी डेटा के मुताबिक, भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 के बीच 18.48 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जोड़ी है, जो कि इससे पिछले वर्ष जोड़ी गई क्षमता 15.27 गीगावाट से 21 प्रतिशत अधिक है।

क्रेड्यूस के संस्थापक शैलेन्द्र सिंह राव ने कहा कि बजट से उम्मीद है कि क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स जैसे सोलर, विंड, ई-मोबिलिटी और ग्रीन हाइड्रोजन को पर्याप्त फंडिंग मिलेगी।

जानकारों का मानना है कि रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स विशेषकर बैटरी स्टोरेज सॉल्यूशंस की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए बजट के सपोर्ट की आवश्यकता है।

स्मार्ट सिटी मिशन के लिए आक्रामक तौर पर ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर अपनाने की जरूरत है, जिसमें शहरी वन, ग्रीन रूफ और स्थिर सार्वजनिक परिवहन शामिल है।

राव ने कहा कि पर्यावरण से जुड़े नियमों का कड़ाई से पालन करने वाले डेवलपर्स के लिए टैक्स इंसेंटिव और ग्रांट दी जानी चाहिए, क्योंकि कोई भी डेवलपर स्वयं ऐसा नहीं करेंगे, जब उन्हें इंसेंटिव नहीं दिए जाते हैं।

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बता दें, पिछले महीने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने भी भारत में हो रहे एनर्जी ट्रांजिशन को स्वीकारा है। साथ ही कहा है कि भारत द्वारा प्राप्त किए गए परिणामों को दूसरी जगह पर भी अपनाया जा सकता है।

ईवाई इंडिया में जलवायु परिवर्तन और स्थिरता सेवाओं में पार्टनर सौनक साहा ने कहा कि ग्रीन टेक्नोलॉजी के लिए पहल को बढ़ाना होगा, साथ ही कार्बन उत्सर्जन के लिए सख्त नियम बनाने होंगे। इसके साथ ही स्थिरता प्रदान करने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की फंडिंग को बढ़ाना होगा।

साहा का कहना है कि हमें अपने एनर्जी और ट्रांसपोर्ट सेक्टर को डेकार्बोनाइज करना होगा। इससे हमें अन्य सेक्टर को डीकार्बनाइजेशन करने में मदद मिलेगी। इससे भारत को जलवायु को लेकर किए गए अपने वादे को पूरा करने में मदद मिलेगी। साथ ही स्थिरता के साथ विकास में स्वयं को एक लीडर के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।

सरकारी डेटा के मुताबिक, भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 के बीच 18.48 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जोड़ी है, जो कि इससे पिछले वर्ष जोड़ी गई क्षमता 15.27 गीगावाट से 21 प्रतिशत अधिक है।

क्रेड्यूस के संस्थापक शैलेन्द्र सिंह राव ने कहा कि बजट से उम्मीद है कि क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स जैसे सोलर, विंड, ई-मोबिलिटी और ग्रीन हाइड्रोजन को पर्याप्त फंडिंग मिलेगी।

जानकारों का मानना है कि रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स विशेषकर बैटरी स्टोरेज सॉल्यूशंस की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए बजट के सपोर्ट की आवश्यकता है।

स्मार्ट सिटी मिशन के लिए आक्रामक तौर पर ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर अपनाने की जरूरत है, जिसमें शहरी वन, ग्रीन रूफ और स्थिर सार्वजनिक परिवहन शामिल है।

राव ने कहा कि पर्यावरण से जुड़े नियमों का कड़ाई से पालन करने वाले डेवलपर्स के लिए टैक्स इंसेंटिव और ग्रांट दी जानी चाहिए, क्योंकि कोई भी डेवलपर स्वयं ऐसा नहीं करेंगे, जब उन्हें इंसेंटिव नहीं दिए जाते हैं।

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