बीजिंग, 1 जनवरी (आईएएनएस)। आज से 27 साल पहले, 1 जनवरी, 1995 को विश्व व्यापार संगठन यानी डब्ल्यूटीओ की स्थापना की गई, द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद से सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सुधार कार्यान्वयन का मुख्यालय स्विट्जरलैंड के जिनेवा में स्थित है। डब्ल्यूटीओ की वर्तमान महानिदेशक न्गोजी ओकोन्जो-इवेला हैं।
डब्ल्यूटीओ की कई भूमिकाएं हैं – वह खुले व्यापार को बढ़ावा देता है, सरकारों के बीच व्यापार समझौतों पर वार्ता करने, व्यापार विवादों को हल करने के लिए एक मंच है, और साथ ही व्यापार नियमों के कार्यान्वयन के लिए भी जिम्मेदार है। इसके अलावा, डब्ल्यूटीओ का सबसे बुनियादी कर्तव्य विभिन्न देशों की सरकारों को उनके सामने मौजूद व्यापार विवादों को सुलझाने में मदद करना है।
यह संगठन सबसे महत्वपूर्ण समकालीन अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संगठनों में से एक है। मई 2020 तक, डब्ल्यूटीओ के 164 सदस्य और 24 पर्यवेक्षक हैं। इसके सदस्यों के बीच व्यापार की मात्रा दुनिया का अधिकांश हिस्सा है, इसलिए इसे आर्थिक संयुक्त राष्ट्र कहा जाता है।
10 नवंबर, 2001 एक याद किया जाने वाला दिन है। 15 साल की मैराथन वार्ता के बाद उसी दिन कतर की राजधानी दोहा में डब्ल्यूटीओ के चौथे मंत्रिस्तरीय सम्मेलन ने सर्वसम्मति से चीन को डब्ल्यूटीओ में शामिल करने के फैसले को पारित किया। 11 दिसंबर, 2001 को विश्व व्यापार संगठन में चीन के प्रवेश पर प्रोटोकॉल औपचारिक रूप से प्रभावित हुआ और चीन विश्व व्यापार संगठन का 143वां सदस्य बना। चीनी लोगों ने अपनी दृढ़ता और कड़ी मेहनत से दुनिया की ओर एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है।
डब्ल्यूटीओ में शामिल होना चीन के सुधार, खुलेपन और आधुनिकीकरण अभियान की एक ऐतिहासिक आवश्यकता है, और चौतरफा, बहु-स्तरीय और व्यापक खुलेपन को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी है। यह चीन के खुलेपन और दुनिया के आर्थिक वैश्वीकरण की प्रक्रिया में एक मील का पत्थर है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के पूर्व प्रबंध निदेशक होस्र्ट कोहलर ने डब्ल्यूटीओ में चीन के प्रवेश की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह एक ऐतिहासिक घटना है, जो न केवल चीन और एशियाई क्षेत्र के लिए, बल्कि पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
पिछले 20 से अधिक वर्षो में चीन ने अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरी तरह से पूरा किया है, सक्रिय रूप से मुक्त व्यापार की अवधारणा का अभ्यास किया है, अपने बाजारों को काफी हद तक खोला है, और अपनी बौद्धिक संपदा संरक्षण प्रतिबद्धताओं और पारदर्शिता दायित्वों को पूरा किया है, जिसने एक प्रमुख देश के रूप में अपनी कर्तव्य भावना प्रदर्शित की। खुलापन प्रगति लाता है, और बंद होने से अनिवार्य रूप से पिछड़ापन आता है। चीन मजबूती से इतिहास के सही पक्ष में खड़ा रहेगा, व्यापार और निवेश के उदारीकरण व सुविधा को बढ़ावा देगा, बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को बनाए रखेगा, आर्थिक वैश्वीकरण को अधिक खुले, समावेशी, संतुलित और उभय जीत की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ाएगा, और एक खुली विश्व अर्थव्यवस्था के निर्माण को बढ़ाएगा, और विभिन्न देशों के साथ मानव जाति का बेहतर भविष्य बनाएगा।
(साभार : चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
–आईएएनएस
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