नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के चेयरमैन प्रोफेसर एम.जगदेश कुमार को पत्र लिखकर दिल्ली विश्वविद्यालय के दृष्टिहीन शिक्षकों का रीडर अलाउंस सातवें वेतन आयोग के अनुसार बढ़ाए जाने की मांग की गई है। यूजीसी की ओर से इन दृष्टिहीन शिक्षकों को एक साल में 36 हजार रुपये रीडर अलाउंस दिया जाता है यानी प्रति महीने 3 हजार रुपये।
दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध विभिन्न विभागों व कॉलेजों में लगभग 100 दृष्टिहीन स्थायी शिक्षक हैं। इन दृष्टिहीन शिक्षकों को पिछले एक दशक से सालाना रीडर अलाउंस 36 हजार रुपये मिल रहा है। शिक्षकों का कहना है कि इस अवधि में हर वस्तु की कीमत कई गुणा बढ़ी है। उनका कहना है कि जहां अतिथि शिक्षक को पहले हर महीने 25 हजार रुपये दिया जाता था लेकिन 50 हजार रुपये किया गया है। ऐसे ही दृष्टिहीन शिक्षकों का रीडर अलाउंस बढ़ाया जाए। सातवां वेतन आयोग लागू हुए सात साल हो चुके हैं। उन्होंने यह भी चिंता जताई है कि यह रीडर अलाउंस साल में एक बार अप्रैल से मार्च के बीच आता है। उनका कहना है कि कोई भी दृष्टिहीन शिक्षकों को पढ़ाने वाला रीडर सालभर तक रीडर अलाउंस का इंतजार नहीं करता।
दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हंसराज सुमन ने बताया है कि ये दृष्टिहीन शिक्षक, रीडर की मदद से पुस्तकों को रिकॉर्ड, अध्ययन सामग्री को एकत्रित करना, रिसर्च पेपर तैयार करना, कक्षा को पढ़ाने के लिए नोट्स बनाना, उत्तर पुस्तिकाओं की जांच कराना, प्रश्न पत्र तैयार करना, पुस्तकें खरीदना, ऑडियो-वीडियो तथा डिवाइस आदि खरीदने का काम करते हैं। ऐसे में रीडिंग करने वाले शोधार्थियों, छात्रों का कहना है कि जब शिक्षकों को हर महीने वेतन मिलता है तो रीडर को अलाउंस हर महीने या तीन महीने का एक साथ क्यों नहीं मिल सकता।
शिक्षकों का कहना है कि वर्तमान में दिया जाने वाला रीडर अलाउंस बहुत ही कम है। उस पर भी यह रीडर अलाउंस केवल स्थायी शिक्षकों को ही दिया जाता है जबकि वर्षो से दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में दृष्टिहीन एडहॉक टीचर्स भी पढ़ा रहे है, उन्हें भी रीडर अलाउंस दिए जाने की मांग दोहराई गई है। साथ ही रीडर अलाउंस तीन महीने में देने की मांग यूजीसी के समक्ष रखी गई है। अभी अप्रैल से मार्च तक एक साथ यह रीडर अलाउंस दिया जाता है। दृष्टिहीन शिक्षकों के लिए रीडिंग करने वाले बीच में इसलिए छोड़कर चले जाते हैं क्योंकि रीडर अलाउंस साल के अंत में दिया जाता है।
–आईएएनएस
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