नई दिल्ली, 3 मई (आईएएनएस)। दिल्ली की राजनीति में ‘देवी’ नाम से चलाई जा रही मोहल्ला बसों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। विपक्षी आम आदमी पार्टी (आप) ने आरोप लगाया है कि इन बसों के संचालन में करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार हुआ है और इसकी जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए।
आप दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने दावा किया कि ये बसें अक्टूबर 2024 में ही दिल्ली आ गई थीं और तब ‘आप’ सरकार ने इनका उद्घाटन और ट्रायल शुरू कर दिया था। लेकिन, ‘मेक इन इंडिया’ की शर्तों का पालन न होने के कारण इन्हें सड़कों पर नहीं उतारा गया था। अब भाजपा सरकार ने वही बसें दोबारा लॉन्च कर ‘आप’ सरकार के काम का क्रेडिट चुराने की कोशिश की है।
भारद्वाज ने बताया कि इन बसों की खरीद प्रक्रिया केंद्र सरकार की कंपनी कन्वर्जन एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड ने की थी, जबकि पूरा भुगतान दिल्ली सरकार ने किया। टेंडर की शर्तों के अनुसार, बसों में कम से कम 50 प्रतिशत ‘मेक इन इंडिया’ कंपोनेंट्स होने चाहिए थे। लेकिन अक्टूबर 2024 में ये शर्तें पूरी नहीं होने के कारण बसें डिपो में खड़ी रहीं। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि अक्टूबर 2024 में ये शर्तें पूरी नहीं हो सकीं, तो 2025 में कैसे हो गईं? क्या बसों को वापस भेजा गया था या उनमें नए भारतीय उपकरण लगाए गए? यदि नहीं, तो टेंडर शर्तों का उल्लंघन कर भाजपा सरकार ने उन्हें सड़कों पर कैसे उतार दिया?
‘आप’ नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने इन्हीं बसों का दोबारा उद्घाटन कर सरकारी पैसे की बर्बादी की। उन्होंने इसे वाटर टैंकरों के दोबारा उद्घाटन की घटना से जोड़ा, जहां पहले से लगे जीपीएस सिस्टम को दोबारा दिखाकर प्रचार किया गया। उन्होंने कहा कि टेंडर की शर्तों के अनुसार, विक्रेता को स्थानीय सामग्री से संबंधित प्रमाणपत्र देना अनिवार्य था। यदि वेंडर अक्टूबर में यह प्रमाणपत्र नहीं दे पाया, तो अब क्या बदला जिससे अप्रैल में सर्टिफिकेट मिल गया? उन्होंने सवाल किया कि क्या बिना नियमों के पालन के बसों को सड़कों पर उतार दिया गया?
भारद्वाज ने इसे सिर्फ भ्रष्टाचार ही नहीं, बल्कि ‘देश विरोधी कृत्य’ भी बताया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार 50 प्रतिशत उपकरण देश में बने होने चाहिए ताकि देश में उद्योग और रोजगार को बढ़ावा मिल सके। ऐसे में विदेशी उपकरणों से बनी बसें चलाना देश के आर्थिक हितों के खिलाफ है। ‘आप’ नेता ने मांग की कि इन बसों के मामले में सीबीआई जांच होनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि ‘मेक इन इंडिया’ की शर्तों को कैसे दरकिनार कर करोड़ों रुपए का घोटाला किया गया।
–आईएएनएस
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