वाराणसी, 23 जुलाई (आईएएनएस)। नटराज की धरती काशी जैसे पवित्र स्थान पर विश्व के छोटे बड़े सभी मंदिरों के प्रबंधन में एकरूपता के लिए मंथन शुरू हुआ। इसमें 41 देशों के हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन धर्म के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। इस प्रयास को ठीक उसी तरह से देखा जा रहा है, जैसे पाणिनी ने भगवान भोलेनाथ के डमरू से निकली ध्वनियों को संकलित कर व्याकरण की रचना कर डाली थी। अब यही कार्य इस मंथन में हो रहा है।
विश्व के तमाम देशों में फैले इन मंदिरों के प्रबंधन से जुड़ी अच्छाईयों को लेकर एक अंतिम निर्णय पर पहुंचेगे और प्रबंधन में एकरूपता लाने का प्रयास करेंगे। कुछ ऐसे ही मुद्दों को ध्यान में रखकर टेंपल कनेक्ट के संस्थापक गिरेश कुलकर्णी से आईएएनएस ने बातचीत की।
मंदिर सम्मेलन के लिए काशी ही क्यों चुना, इस बारे उन्होंने कहा कि काशी, एक अनोखी अध्यात्मिक नगरी है। दूसरी ओर, यूपी में ही भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण की धरती है। यहां तीर्थों के राजा प्रयाग हैं, जहां तीन नदियों का संगम मिलता है। इससे पावन स्थान भारत में कहीं अन्यत्र नहीं मिल सकता। हालांकि, देश के तमाम स्थलों पर अध्यात्मिक और धार्मिक चेतना का उदगम हुआ है।
श्रावण मास चुनने के पीछे की मंशा पर उन्होंने कहा कि इस मास में आने वाले लोगों को गंगा स्नान और भगवान महादेव के दर्शन का पुण्यलाभ भी मिले। इसके पीछे यह भी वजह रही कि इन्हें अपने कार्यों से फुर्सत नहीं मिलती है। अभी बारिश का मौसम है। गर्मी की छुट्टी भी खत्म है। ऐसे में मंदिर में भीड़ भी कम हो जाती है।
हालांकि, श्रावन मास में श्रद्धालुओं की संख्या बहुत कम नहीं होती है, फ़िर भी थोड़ी बहुत राहत जरूर रहती है। यही वजह कि श्रावण मास में ही सम्मेलन का समय निर्धारित किया गया।
यदि यह सम्मेलन गोवा और दिल्ली में होता तो शायद ये लोग प्रभावित नहीं होते, लेकिन काशी में आध्यात्म की अलग अनुभूति है। यह लोगो को अपनी ओर आकर्षित करती है। कुलकर्णी ने कहा कि टेंपल कनेक्ट की तरफ से पहली बार इंटरनेशनल टेम्पल्स कन्वेंशन एंड एक्सपो (आईटीसीएक्स) का आयोजन हो रहा है।
यह आध्यात्मिक न होकर मंदिर प्रबंधन, संचालन व प्रशासन के विकास पर आधारित है। मंदिर में पूजा-पाठ के साथ संचालन व्यवस्था को मजबूत बनाना ही प्रमुख उद्देश्य है। लोग, मंदिर न्यास को केवल धार्मिक स्वरूप से देखते हैं। लोगों को सिर्फ तीन बातें याद आती हैं। भगवान का स्थान, पूजा विधि, पुजारी और दर्शन कर जल्दी से बाहर निकलना। लेकिन मंदिर में और भी चीजे होती हैं।
मंदिर की व्यवस्था, संचालन में मैनेजमेंट, ऑपरेशन एडमिस्ट्रेशन। इनके बारे में लोगों को पता नहीं होता। लोगों को यह भी पता होना चाहिए कि उनकी सुविधा को अच्छा करने और उन्हें सहूलियत देने के लिए क्या क्या प्रबंध किए जाते हैं। यही वजह है कि अलग-अलग मंदिरों के ट्रस्टी, मैनेजर और सरकारी अफसरों को बुलाया गया है।
इनसे मंदिर की सुरक्षा, संरक्षण व निगरानी, फंड प्रबंधन, आपदा प्रबंधन, स्वच्छता और पवित्रता के साथ साइबर हमलों से सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) टेक्नोलॉजी का उपयोग और एक सुदृढ़ मंदिर समुदाय को बढ़ावा देने पर विमर्श होगा।
इससे पहले टेंपल कनेक्ट ने क्या प्रयास किए, इसके जवाब में उन्होंने कहा कि टेंपल कनेक्ट संस्था द्वारा इसका प्रयास आठ नौ साल से किया जा रहा है। लगभग 57 देशों में सात हजार मंदिर भ्रमण कर उन मंदिरों को डिजिटलीकरण करने का प्रयास किया है। बड़े मंदिरों की व्यवस्था को छोटे मंदिरों को सिखाना ही मकसद है।
अलग-अलग पंथ और संप्रदाय क्या साथ आसानी से कनेक्ट हो जाएंगे? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि धार्मिक संतुलन को बनाये रखने के लिए बहुत से साधु-संत इस विषय पर कार्य कर रहे हैं। अच्छा प्रबंधन और व्यवस्था ठीक हो यह महत्वपूर्ण है।
आरएसएस के सर संघचालक को बुलाने के पीछे क्या मंशा है, इसके जवाब में (मुस्कुराते हुए) देखिये, हमारी मंशा और संस्था दोनों न्यूट्रल हैं। धार्मिक क्षेत्र में आरएसएस का बहुत बड़ा कार्य और अनुभव है। उनके साथ विश्व हिंदू परिषद जुड़ा है।
–आईएएऩएस
विकेटी/एसकेपी