रांची, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। कैथोलिक ईसाइयों के बड़े धर्मगुरु कार्डिनल फादर तेलेस्फोर पी टोप्पो नहीं रहे। वह पूरे एशिया के पहले आदिवासी थे, जिन्हें कार्डिनल बनाया गया था। वह कार्डिनल के साथ-साथ लंबे समय तक ईसाइयों के रांची आर्चडायसिस (धर्मप्रांत) के आर्कबिशप भी रहे।
उन्होंने रांची के मांडर स्थित कांस्टेंट लीवंस अस्पताल में बुधवार दोपहर 3.45 बजे अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से इलाजरत थे। उनके फेफड़े में पानी भर जाने के बाद स्थिति गंभीर हो गई थी। उनकी उम्र 84 वर्ष थी। उन्हें रांची के संत मैरी चर्च में 7 अक्टूबर को दफनाया जायेगा।
रांची के आर्कबिशप फेलिक्स टोप्पो एसजे ने यह जानकारी मीडिया के साथ साझा की है। फादर तेलेस्फोर पी टोप्पो एशिया के पहले आदिवासी थे जिन्हें ईसाई मिशनरी में कार्डिनल बनने का गौरव हासिल हुआ था। कैथोलिक मिशन में सर्वोच्च धर्मगुरु पोप के बाद कार्डिनल का दर्जा ही सबसे ऊंचा होता है।
वह कार्डिनल के पद से 24 जून 2018 को रिटायर हुए थे। फादर तेलेस्फोर पी टोप्पो का जन्म 15 अक्टूबर 1939 को गुमला के चैनपुर में हुआ था। उन्होंने अपनी कॉलेज की पढ़ाई संत जेवियर कॉलेज और धर्मशास्त्र की पढ़ाई रोम के पोंटिफिकल अल्बेनियन यूनिवर्सिटी से की।
तेलेस्फोर पी टोप्पो को 21 अक्टूबर 2003 को पोप जॉन पॉल द्वितीय की ओर से कार्डिनल बनाया गया था। वर्ष 2005 में आयोजित पोप कॉन्क्लेव में उन्होंने निर्वाचक की भूमिका निभाई थी। इस कॉन्क्लेव में जोसेफ रात्जिंगर को पोप बेनेडिक्ट 16वें के रूप में चुना गया था।
वह उन कार्डिनल निर्वाचकों में से एक थे, जिन्होंने वर्ष 2013 के पोप कॉन्क्लेव में हिस्सा लिया था, जिसमें पोप फ्रांसिस का चयन किया गया था। रोमन कैथोलिक चर्च के सबसे बड़ी संस्था कैथोलिक बिशप्स कांफ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) और कांफ्रेंस ऑफ कैथोलिक बिशप्स ऑफ इंडिया (सीसीबीआई) के वे अध्यक्ष भी रह चुके थे।
–आईएएनएस
एसएनसी/एबीएम