सतना, देशबन्धु. समूचे शहर में एक दो नहीं बल्कि अनगिनत स्थान पर समोसा ठेले होटल रेस्टोरेंट में खानपान की सामग्री को असुरक्षित तरीके से खुले में बेचा जा रहा है, लेकिन खाद्य सुरक्षा से संबंधित अमले को यह या तो दिखाई नहीं दे रहा या देखकर अनदेखा करना उनकी कोई मजबूरी है? प्रभावी कार्यवाही न होने की वजह चाहे जो भी हो लेकिन अनदेखी के चलते सेहत से खुला खिलवाड़ तो हो ही रहा है. जो कभी किसी की मौत का कारण भी बन सकता है.
प्रशासन मौन, कार्रवाई करे कौन?
खानपान की वस्तुओं को खुले में रखकर बेचना यहां कोई नई बात नहीं है. शहर में यह गड़बड़ी चौतरफा देखी जा सकती है. फिलहाल उदाहरण के तौर पर यहां बात उस दुकान की कर रहे हैं, जो समोसे से ज्यादा सट्टे के कारोबार के लिए मशहूर रही है. पुराना नगर निगम कार्यालय से पावर हाउस चौराहे के बीच स्थित यह दुकान कल्लू समोसा के नाम से चर्चित है. पिछले कई वर्षों से इस स्थान पर दुकान का संचालन किया जा रहा है.
यह दुकान सट्टा खेलने और खिलाने के प्रेमियों के उठने बैठने के प्रमुख अड्डों में गिनी जाती रही है. कई मर्तबा पुलिस यहां छापामार कार्यवाही भी कर चुकी है. कल्लू सेठ खुद हवालात से जेल तक की हवा खा चुके हैं. बहरहाल, यहां बात सट्टे के धंधे की नहीं बल्कि समोसा रसगुल्ला के उस धंधे की हो रही है जिसके लिए खाद्य सुरक्षा कानून का पालन करना बेहद जरूरी है. लेकिन यहां कल्लू की दुकान नाला के ऊपर चल रही है जहां खाने-पीने की चीजों को बगैर ढके असुरक्षित तौर से रखकर लोगों को परोसा जा रहा है.
दुकानदार की यह लापरवाही अगर बीमारी महामारी का रूप लेकर किसी के लिए जानलेवा साबित हो जाए तब क्या होगा यह विचारणीय प्रश्न है. खास बात यह है कि जिस प्रकार खाद्य सुरक्षा के अधिकारी कर्मचारी कल्लू की दुकान से दूरी बनाए हुए हैं, ठीक उसी तरह नगर निगम की टीम भी नाले पर किए गए अतिक्रमण को देख नहीं पा रही है. जबकि नाला के ऊपर काउंटर रखकर हर महीने लाखों का धंधा किया जा रहा है. एक अनुमान के मुताबिक हर दिन इस दुकान में लगभग 500 से 700 समोसा बिकते हैं यानी 10 रुपए प्रति समोसा की दर से हर दिन 5 से 7 हजार और महीने में डेढ़ से 2 लाख रुपए के केवल समोसा बिक रहे हैं, इसके अलावा बाकी चीजों की बिक्री अलग है. चोरी छुपे अगर सट्टा खिलाया जा रहा हो तो उसका कोई हिसाब ही नहीं है.