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Home ताज़ा समाचार

निवेश योग्य बाजारों के सूचकांक में चीन को पछाड़कर शीर्ष पर पहुंचा भारत

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September 6, 2024
in ताज़ा समाचार
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मुंबई, 6 सितंबर (आईएएनएस)। भारत ने एमएससीआई द्वारा उभरते बाजारों के लिए जारी निवेश योग्य बाजार सूचकांक में चीन को पछाड़ कर शीर्ष स्थान हासिल कर लिया है। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश ओवरऑल सूचकांक में भी चीन को पीछे छोड़ सकता है।

एमएससीआई एक अमेरिकी वित्तीय कंपनी है जो यह सूचकांक जारी करती है। उभरते बाजारों की श्रेणी में 24 देशों को शामिल किया गया है और 3,355 बड़ी, मझौली तथा छोटी कंपनियों के आंकड़ों के आधार पर सूचकांक तैयार किया गया है। ये कंपनियां सभी 24 देशों में कुल फ्री फ्लोट-एडजस्टेड बाजार पूंजीकरण के लगभग 99 प्रतिशत को कवर करती हैं।

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वैश्विक ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली ने एक नोट में कहा कि सूचकांक भार में वृद्धि ज्यादा उत्साह का संकेत हो सकता है या “फ्री-फ्लोट में सुधार और भारतीय कंपनियों की बढ़ती सापेक्ष आय जैसे मूलभूत कारकों के कारण हो सकती है”।

ब्रोकरेज ने कहा, “भारत के मामले में बुनियादी कारक निश्चित रूप से लागू होते हैं और इस हद तक, उभरते बाजार क्षेत्र में भारत की नई स्थिति चिंताजनक नहीं है।” साथ ही उसने कहा कि उभरते बाजार क्षेत्र में भारत उसकी शीर्ष प्राथमिकता बना हुआ है और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दूसरी पसंद है।

नोट के अनुसार, बाजार में गिरावट के लिए कई संभावित ट्रिगर हैं, लेकिन वे भारतीय इक्विटी में तेजी पर ब्रेक लगाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। सूचकांक में भारत के प्रदर्शन के चरम पर पहुंचने से पहले कुछ और दूरी तय करनी पड़ सकती है।

बाजार विश्लेषकों ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन लगातार अच्छा बना हुआ है और वृहद आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। वित्त वर्ष 2025 में अप्रैल-जून की पहली तिमाही में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 47 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दूसरी ओर, ब्रेंट क्रूड की कीमतों में लगातार गिरावट के साथ अब इसके 73 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आने के संकेत मिल रहे हैं।

वित्तीय स्थिरता है और अर्थव्यवस्था में विकास की गति मजबूत बनी हुई है। इस साल जून में जे.पी. मॉर्गन के उभरते बाजारों के लिए सरकारी बॉन्ड सूचकांक में देश के शामिल होने की वजह से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस साल अब तक भारतीय ऋण बाजार में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है।

–आईएएनएस

आरके/एकेजे

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मुंबई, 6 सितंबर (आईएएनएस)। भारत ने एमएससीआई द्वारा उभरते बाजारों के लिए जारी निवेश योग्य बाजार सूचकांक में चीन को पछाड़ कर शीर्ष स्थान हासिल कर लिया है। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश ओवरऑल सूचकांक में भी चीन को पीछे छोड़ सकता है।

एमएससीआई एक अमेरिकी वित्तीय कंपनी है जो यह सूचकांक जारी करती है। उभरते बाजारों की श्रेणी में 24 देशों को शामिल किया गया है और 3,355 बड़ी, मझौली तथा छोटी कंपनियों के आंकड़ों के आधार पर सूचकांक तैयार किया गया है। ये कंपनियां सभी 24 देशों में कुल फ्री फ्लोट-एडजस्टेड बाजार पूंजीकरण के लगभग 99 प्रतिशत को कवर करती हैं।

वैश्विक ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली ने एक नोट में कहा कि सूचकांक भार में वृद्धि ज्यादा उत्साह का संकेत हो सकता है या “फ्री-फ्लोट में सुधार और भारतीय कंपनियों की बढ़ती सापेक्ष आय जैसे मूलभूत कारकों के कारण हो सकती है”।

ब्रोकरेज ने कहा, “भारत के मामले में बुनियादी कारक निश्चित रूप से लागू होते हैं और इस हद तक, उभरते बाजार क्षेत्र में भारत की नई स्थिति चिंताजनक नहीं है।” साथ ही उसने कहा कि उभरते बाजार क्षेत्र में भारत उसकी शीर्ष प्राथमिकता बना हुआ है और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दूसरी पसंद है।

नोट के अनुसार, बाजार में गिरावट के लिए कई संभावित ट्रिगर हैं, लेकिन वे भारतीय इक्विटी में तेजी पर ब्रेक लगाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। सूचकांक में भारत के प्रदर्शन के चरम पर पहुंचने से पहले कुछ और दूरी तय करनी पड़ सकती है।

बाजार विश्लेषकों ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन लगातार अच्छा बना हुआ है और वृहद आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। वित्त वर्ष 2025 में अप्रैल-जून की पहली तिमाही में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 47 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दूसरी ओर, ब्रेंट क्रूड की कीमतों में लगातार गिरावट के साथ अब इसके 73 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आने के संकेत मिल रहे हैं।

वित्तीय स्थिरता है और अर्थव्यवस्था में विकास की गति मजबूत बनी हुई है। इस साल जून में जे.पी. मॉर्गन के उभरते बाजारों के लिए सरकारी बॉन्ड सूचकांक में देश के शामिल होने की वजह से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस साल अब तक भारतीय ऋण बाजार में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है।

–आईएएनएस

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मुंबई, 6 सितंबर (आईएएनएस)। भारत ने एमएससीआई द्वारा उभरते बाजारों के लिए जारी निवेश योग्य बाजार सूचकांक में चीन को पछाड़ कर शीर्ष स्थान हासिल कर लिया है। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश ओवरऑल सूचकांक में भी चीन को पीछे छोड़ सकता है।

एमएससीआई एक अमेरिकी वित्तीय कंपनी है जो यह सूचकांक जारी करती है। उभरते बाजारों की श्रेणी में 24 देशों को शामिल किया गया है और 3,355 बड़ी, मझौली तथा छोटी कंपनियों के आंकड़ों के आधार पर सूचकांक तैयार किया गया है। ये कंपनियां सभी 24 देशों में कुल फ्री फ्लोट-एडजस्टेड बाजार पूंजीकरण के लगभग 99 प्रतिशत को कवर करती हैं।

वैश्विक ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली ने एक नोट में कहा कि सूचकांक भार में वृद्धि ज्यादा उत्साह का संकेत हो सकता है या “फ्री-फ्लोट में सुधार और भारतीय कंपनियों की बढ़ती सापेक्ष आय जैसे मूलभूत कारकों के कारण हो सकती है”।

ब्रोकरेज ने कहा, “भारत के मामले में बुनियादी कारक निश्चित रूप से लागू होते हैं और इस हद तक, उभरते बाजार क्षेत्र में भारत की नई स्थिति चिंताजनक नहीं है।” साथ ही उसने कहा कि उभरते बाजार क्षेत्र में भारत उसकी शीर्ष प्राथमिकता बना हुआ है और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दूसरी पसंद है।

नोट के अनुसार, बाजार में गिरावट के लिए कई संभावित ट्रिगर हैं, लेकिन वे भारतीय इक्विटी में तेजी पर ब्रेक लगाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। सूचकांक में भारत के प्रदर्शन के चरम पर पहुंचने से पहले कुछ और दूरी तय करनी पड़ सकती है।

बाजार विश्लेषकों ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन लगातार अच्छा बना हुआ है और वृहद आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। वित्त वर्ष 2025 में अप्रैल-जून की पहली तिमाही में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 47 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दूसरी ओर, ब्रेंट क्रूड की कीमतों में लगातार गिरावट के साथ अब इसके 73 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आने के संकेत मिल रहे हैं।

वित्तीय स्थिरता है और अर्थव्यवस्था में विकास की गति मजबूत बनी हुई है। इस साल जून में जे.पी. मॉर्गन के उभरते बाजारों के लिए सरकारी बॉन्ड सूचकांक में देश के शामिल होने की वजह से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस साल अब तक भारतीय ऋण बाजार में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है।

–आईएएनएस

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मुंबई, 6 सितंबर (आईएएनएस)। भारत ने एमएससीआई द्वारा उभरते बाजारों के लिए जारी निवेश योग्य बाजार सूचकांक में चीन को पछाड़ कर शीर्ष स्थान हासिल कर लिया है। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश ओवरऑल सूचकांक में भी चीन को पीछे छोड़ सकता है।

एमएससीआई एक अमेरिकी वित्तीय कंपनी है जो यह सूचकांक जारी करती है। उभरते बाजारों की श्रेणी में 24 देशों को शामिल किया गया है और 3,355 बड़ी, मझौली तथा छोटी कंपनियों के आंकड़ों के आधार पर सूचकांक तैयार किया गया है। ये कंपनियां सभी 24 देशों में कुल फ्री फ्लोट-एडजस्टेड बाजार पूंजीकरण के लगभग 99 प्रतिशत को कवर करती हैं।

वैश्विक ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली ने एक नोट में कहा कि सूचकांक भार में वृद्धि ज्यादा उत्साह का संकेत हो सकता है या “फ्री-फ्लोट में सुधार और भारतीय कंपनियों की बढ़ती सापेक्ष आय जैसे मूलभूत कारकों के कारण हो सकती है”।

ब्रोकरेज ने कहा, “भारत के मामले में बुनियादी कारक निश्चित रूप से लागू होते हैं और इस हद तक, उभरते बाजार क्षेत्र में भारत की नई स्थिति चिंताजनक नहीं है।” साथ ही उसने कहा कि उभरते बाजार क्षेत्र में भारत उसकी शीर्ष प्राथमिकता बना हुआ है और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दूसरी पसंद है।

नोट के अनुसार, बाजार में गिरावट के लिए कई संभावित ट्रिगर हैं, लेकिन वे भारतीय इक्विटी में तेजी पर ब्रेक लगाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। सूचकांक में भारत के प्रदर्शन के चरम पर पहुंचने से पहले कुछ और दूरी तय करनी पड़ सकती है।

बाजार विश्लेषकों ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन लगातार अच्छा बना हुआ है और वृहद आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। वित्त वर्ष 2025 में अप्रैल-जून की पहली तिमाही में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 47 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दूसरी ओर, ब्रेंट क्रूड की कीमतों में लगातार गिरावट के साथ अब इसके 73 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आने के संकेत मिल रहे हैं।

वित्तीय स्थिरता है और अर्थव्यवस्था में विकास की गति मजबूत बनी हुई है। इस साल जून में जे.पी. मॉर्गन के उभरते बाजारों के लिए सरकारी बॉन्ड सूचकांक में देश के शामिल होने की वजह से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस साल अब तक भारतीय ऋण बाजार में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है।

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एमएससीआई एक अमेरिकी वित्तीय कंपनी है जो यह सूचकांक जारी करती है। उभरते बाजारों की श्रेणी में 24 देशों को शामिल किया गया है और 3,355 बड़ी, मझौली तथा छोटी कंपनियों के आंकड़ों के आधार पर सूचकांक तैयार किया गया है। ये कंपनियां सभी 24 देशों में कुल फ्री फ्लोट-एडजस्टेड बाजार पूंजीकरण के लगभग 99 प्रतिशत को कवर करती हैं।

वैश्विक ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली ने एक नोट में कहा कि सूचकांक भार में वृद्धि ज्यादा उत्साह का संकेत हो सकता है या “फ्री-फ्लोट में सुधार और भारतीय कंपनियों की बढ़ती सापेक्ष आय जैसे मूलभूत कारकों के कारण हो सकती है”।

ब्रोकरेज ने कहा, “भारत के मामले में बुनियादी कारक निश्चित रूप से लागू होते हैं और इस हद तक, उभरते बाजार क्षेत्र में भारत की नई स्थिति चिंताजनक नहीं है।” साथ ही उसने कहा कि उभरते बाजार क्षेत्र में भारत उसकी शीर्ष प्राथमिकता बना हुआ है और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दूसरी पसंद है।

नोट के अनुसार, बाजार में गिरावट के लिए कई संभावित ट्रिगर हैं, लेकिन वे भारतीय इक्विटी में तेजी पर ब्रेक लगाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। सूचकांक में भारत के प्रदर्शन के चरम पर पहुंचने से पहले कुछ और दूरी तय करनी पड़ सकती है।

बाजार विश्लेषकों ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन लगातार अच्छा बना हुआ है और वृहद आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। वित्त वर्ष 2025 में अप्रैल-जून की पहली तिमाही में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 47 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दूसरी ओर, ब्रेंट क्रूड की कीमतों में लगातार गिरावट के साथ अब इसके 73 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आने के संकेत मिल रहे हैं।

वित्तीय स्थिरता है और अर्थव्यवस्था में विकास की गति मजबूत बनी हुई है। इस साल जून में जे.पी. मॉर्गन के उभरते बाजारों के लिए सरकारी बॉन्ड सूचकांक में देश के शामिल होने की वजह से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस साल अब तक भारतीय ऋण बाजार में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है।

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एमएससीआई एक अमेरिकी वित्तीय कंपनी है जो यह सूचकांक जारी करती है। उभरते बाजारों की श्रेणी में 24 देशों को शामिल किया गया है और 3,355 बड़ी, मझौली तथा छोटी कंपनियों के आंकड़ों के आधार पर सूचकांक तैयार किया गया है। ये कंपनियां सभी 24 देशों में कुल फ्री फ्लोट-एडजस्टेड बाजार पूंजीकरण के लगभग 99 प्रतिशत को कवर करती हैं।

वैश्विक ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली ने एक नोट में कहा कि सूचकांक भार में वृद्धि ज्यादा उत्साह का संकेत हो सकता है या “फ्री-फ्लोट में सुधार और भारतीय कंपनियों की बढ़ती सापेक्ष आय जैसे मूलभूत कारकों के कारण हो सकती है”।

ब्रोकरेज ने कहा, “भारत के मामले में बुनियादी कारक निश्चित रूप से लागू होते हैं और इस हद तक, उभरते बाजार क्षेत्र में भारत की नई स्थिति चिंताजनक नहीं है।” साथ ही उसने कहा कि उभरते बाजार क्षेत्र में भारत उसकी शीर्ष प्राथमिकता बना हुआ है और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दूसरी पसंद है।

नोट के अनुसार, बाजार में गिरावट के लिए कई संभावित ट्रिगर हैं, लेकिन वे भारतीय इक्विटी में तेजी पर ब्रेक लगाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। सूचकांक में भारत के प्रदर्शन के चरम पर पहुंचने से पहले कुछ और दूरी तय करनी पड़ सकती है।

बाजार विश्लेषकों ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन लगातार अच्छा बना हुआ है और वृहद आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। वित्त वर्ष 2025 में अप्रैल-जून की पहली तिमाही में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 47 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दूसरी ओर, ब्रेंट क्रूड की कीमतों में लगातार गिरावट के साथ अब इसके 73 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आने के संकेत मिल रहे हैं।

वित्तीय स्थिरता है और अर्थव्यवस्था में विकास की गति मजबूत बनी हुई है। इस साल जून में जे.पी. मॉर्गन के उभरते बाजारों के लिए सरकारी बॉन्ड सूचकांक में देश के शामिल होने की वजह से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस साल अब तक भारतीय ऋण बाजार में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है।

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एमएससीआई एक अमेरिकी वित्तीय कंपनी है जो यह सूचकांक जारी करती है। उभरते बाजारों की श्रेणी में 24 देशों को शामिल किया गया है और 3,355 बड़ी, मझौली तथा छोटी कंपनियों के आंकड़ों के आधार पर सूचकांक तैयार किया गया है। ये कंपनियां सभी 24 देशों में कुल फ्री फ्लोट-एडजस्टेड बाजार पूंजीकरण के लगभग 99 प्रतिशत को कवर करती हैं।

वैश्विक ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली ने एक नोट में कहा कि सूचकांक भार में वृद्धि ज्यादा उत्साह का संकेत हो सकता है या “फ्री-फ्लोट में सुधार और भारतीय कंपनियों की बढ़ती सापेक्ष आय जैसे मूलभूत कारकों के कारण हो सकती है”।

ब्रोकरेज ने कहा, “भारत के मामले में बुनियादी कारक निश्चित रूप से लागू होते हैं और इस हद तक, उभरते बाजार क्षेत्र में भारत की नई स्थिति चिंताजनक नहीं है।” साथ ही उसने कहा कि उभरते बाजार क्षेत्र में भारत उसकी शीर्ष प्राथमिकता बना हुआ है और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दूसरी पसंद है।

नोट के अनुसार, बाजार में गिरावट के लिए कई संभावित ट्रिगर हैं, लेकिन वे भारतीय इक्विटी में तेजी पर ब्रेक लगाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। सूचकांक में भारत के प्रदर्शन के चरम पर पहुंचने से पहले कुछ और दूरी तय करनी पड़ सकती है।

बाजार विश्लेषकों ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन लगातार अच्छा बना हुआ है और वृहद आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। वित्त वर्ष 2025 में अप्रैल-जून की पहली तिमाही में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 47 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दूसरी ओर, ब्रेंट क्रूड की कीमतों में लगातार गिरावट के साथ अब इसके 73 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आने के संकेत मिल रहे हैं।

वित्तीय स्थिरता है और अर्थव्यवस्था में विकास की गति मजबूत बनी हुई है। इस साल जून में जे.पी. मॉर्गन के उभरते बाजारों के लिए सरकारी बॉन्ड सूचकांक में देश के शामिल होने की वजह से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस साल अब तक भारतीय ऋण बाजार में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है।

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एमएससीआई एक अमेरिकी वित्तीय कंपनी है जो यह सूचकांक जारी करती है। उभरते बाजारों की श्रेणी में 24 देशों को शामिल किया गया है और 3,355 बड़ी, मझौली तथा छोटी कंपनियों के आंकड़ों के आधार पर सूचकांक तैयार किया गया है। ये कंपनियां सभी 24 देशों में कुल फ्री फ्लोट-एडजस्टेड बाजार पूंजीकरण के लगभग 99 प्रतिशत को कवर करती हैं।

वैश्विक ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली ने एक नोट में कहा कि सूचकांक भार में वृद्धि ज्यादा उत्साह का संकेत हो सकता है या “फ्री-फ्लोट में सुधार और भारतीय कंपनियों की बढ़ती सापेक्ष आय जैसे मूलभूत कारकों के कारण हो सकती है”।

ब्रोकरेज ने कहा, “भारत के मामले में बुनियादी कारक निश्चित रूप से लागू होते हैं और इस हद तक, उभरते बाजार क्षेत्र में भारत की नई स्थिति चिंताजनक नहीं है।” साथ ही उसने कहा कि उभरते बाजार क्षेत्र में भारत उसकी शीर्ष प्राथमिकता बना हुआ है और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दूसरी पसंद है।

नोट के अनुसार, बाजार में गिरावट के लिए कई संभावित ट्रिगर हैं, लेकिन वे भारतीय इक्विटी में तेजी पर ब्रेक लगाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। सूचकांक में भारत के प्रदर्शन के चरम पर पहुंचने से पहले कुछ और दूरी तय करनी पड़ सकती है।

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वित्तीय स्थिरता है और अर्थव्यवस्था में विकास की गति मजबूत बनी हुई है। इस साल जून में जे.पी. मॉर्गन के उभरते बाजारों के लिए सरकारी बॉन्ड सूचकांक में देश के शामिल होने की वजह से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस साल अब तक भारतीय ऋण बाजार में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है।

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