नई दिल्ली, 29 नवंबर (आईएएनएस)। भारत 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना से अधिक करने की योजना बना रहा है, लेकिन ऐसा करने के लिए उसे 293 अरब डॉलर के वित्तपोषण की आवश्यकता है। वहीं, नेट-जीरो का लक्ष्य हासिल करने के लिए उसे इसके अलावा और 101 अरब डॉलर की जरूरत होगी (कुल 394 अरब डॉलर)। वैश्विक थिंक टैंक एम्बर की एक नई रिपोर्ट में बुधवार को यह बात कही गई है।
विश्लेषण से पता चलता है कि भारत की 14वीं राष्ट्रीय बिजली योजना (एनईपी14) ने देश को 2030 तक अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना से अधिक करने की राह पर ला दिया है। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) द्वारा प्रस्तावित नेट-जीरो के लिए इसे और बढ़ाना होगा, जिसके लिए भारत को 101 अरब डॉलर के अतिरिक्त धन की आवश्यकता है।
सीओपी28 के अध्यक्ष ने 2030 तक नवीकरणीय क्षमता को तीन गुना करने के लिए एक वैश्विक समझौते का आह्वान किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, भले ही यह वैश्विक लक्ष्य के अलग-अलग देशों के लिए अस्पष्ट है, 2030 तक नवीकरणीय क्षमता को तीन गुना करना पहुंच के भीतर होना चाहिए क्योंकि भारत की एनईपी14 नवीकरणीय ऊर्जा में बहुत अधिक वृद्धि की योजना है।
हालांकि, अगर दुनिया को आईईए द्वारा सुझाए गए नेट-जीरो की राह पर बढ़ना है, तो भारत से ऐसे लक्ष्य निर्धारित करने की उम्मीद की जाती है जो उसकी वर्तमान योजना से अधिक हो। रिपोर्ट से पता चलता है कि 2030 तक भारत को सौर ऊर्जा से लगभग 32 प्रतिशत और पवन ऊर्जा से 12 प्रतिशत उत्पादन हासिल करने की आवश्यकता होगी।
रिपोर्ट का अनुमान है कि सौर और पवन से इस उत्पादन स्तर को प्राप्त करने के लिए, भारत को अपने एनईपी14 योजना में निर्धारित सौर और पवन लक्ष्य के अलावा 2030 तक 115 गीगावाट सौर और 9 गीगावाट की अतिरिक्त क्षमता बनाने की आवश्यकता होगी।
यह 2030 तक भारत की कुल नवीकरणीय क्षमता को 448 गीगावॉट सौर और 122 गीगावॉट पवन तक ले जाएगा।
विश्लेषण के अनुसार, 2023 और 2030 के बीच भारत को अपने मौजूदा सौर और पवन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए 293 अरब डॉलर का निवेश आवश्यक होगा। अनुमान है कि 2030 तक भारत को अपनी नवीकरणीय क्षमता को तीन गुना से अधिक करने के लिए निवेश आवश्यक होगा।
विश्लेषण से पता चलता है कि आईईए नेट-ज़ीरो के साथ संरेखित करने के लिए देश के नवीकरणीय क्षमता लक्ष्य को और बढ़ाने के लिए भारत के लिए सौर, पवन, भंडारण और ट्रांसमिशन में क्षमता निर्माण के लिए 101 अरब डॉलर के अतिरिक्त वित्तपोषण तक पहुंच प्राप्त करना महत्वपूर्ण होगा।
हालांकि, विश्लेषण इस बात पर प्रकाश डालता है कि भारत में नवीकरणीय परियोजनाओं को भुगतान में देरी से लेकर नियामक चुनौतियों तक निवेश जोखिमों का सामना करना पड़ता है, जो निवेश जुटाने के लिए वित्तपोषण बाधाओं में योगदान करते हैं।
रिपोर्ट से पता चलता है कि एनईपी14 लक्ष्य और आईईए नेट-जीरो परिदृश्य दोनों को प्राप्त करने के लिए वित्तीय आवश्यकताएं भारत में उपलब्ध मौजूदा निवेश और फंडिंग क्षमताओं से कहीं अधिक हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ी हुई महत्वाकांक्षा को प्राप्त करने के लिए भारत की वित्तपोषण क्षमता पिछले आठ वर्षों में लगभग 75 अरब डॉलर की निवेश क्षमता से 2030 तक औसतन लगभग तीन गुना बढ़नी चाहिए।
–आईएएनएस
एकेजे/एसकेपी