नई दिल्ली, 3 फरवरी (आईएएनएस)। भारतीय नौसेना के पहले सर्वे वेसल लार्ज (एसवीएल) जहाज आईएनएस संध्याक (यार्ड 3025) को विशाखापत्तनम के नौ सेना डॉकयार्ड में आयोजित एक समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में शनिवार को कमीशन किया गया।
जहाज की प्राथमिक भूमिका सुरक्षित समुद्री नेविगेशन को सक्षम करने की दिशा में बंदरगाहों, नौवहन चैनलों/मार्गों, तटीय क्षेत्रों और गहरे समुद्रों का पूर्ण पैमाने पर हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करना है। रक्षा मंत्रालय (एमओडी) ने एक बयान में बताया कि अपनी माध्यमिक भूमिका में जहाज कई प्रकार के नौसैनिक अभियानों को अंजाम देने में सक्षम होगा।
मंत्रालय ने बताया कि जहाज का विस्थापन 3,400 टन और कुल लंबाई 110 मीटर है। इसका बीम 16 मीटर है। आईएनएस संध्याक गहरे और उथले पानी के मल्टी-बीम इको-साउंडर्स और उपग्रह-आधारित पोजिशनिंग सिस्टम सहित अत्याधुनिक हाइड्रोग्राफिक उपकरणों से सुसज्जित है।
सिंह ने कमीशनिंग को ऐतिहासिक बताया और विश्वास जताया कि आईएनएस संध्याक भारत-प्रशांत क्षेत्र में एक महाशक्ति के रूप में देश की भूमिका को और मजबूत करेगा और भारतीय नौसेना को शांति और सुरक्षा बनाए रखने में मदद करेगा।
रक्षा मंत्री ने कहा, ”समुद्र विशाल और अथाह है. जितना अधिक हम इसके तत्वों का पता लगाने में सक्षम होंगे, उतना ही हमारा ज्ञान बढ़ेगा और हम मजबूत बनेंगे। जितना अधिक हम महासागर, इसकी पारिस्थितिकी, इसकी वनस्पतियों और जीवों के बारे में जानकारी एकत्र करेंगे, हम अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के उतने ही करीब पहुंचेंगे। हम महासागर के बारे में जितना अधिक जानेंगे, उतने ही अधिक सार्थक ढंग से हम अपने सामरिक हितों को पूरा कर पाएंगे।”
सिंह ने इसे ‘न्यू इंडिया’ की प्रतिज्ञा बताते हुए आश्वासन दिया कि समुद्री डकैती और तस्करी में शामिल लोगों को किसी भी परिस्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने न केवल भारतीय जहाजों, बल्कि मित्र देशों के जहाजों को भी सुरक्षा प्रदान करने के लिए भारतीय नौसेना की सराहना की। उन्होंने हाल ही में अदन की खाड़ी में एक ब्रिटिश जहाज पर ड्रोन हमले का जिक्र किया, जिसके परिणामस्वरूप तेल टैंकरों में आग लग गई। उन्होंने आग बुझाने में त्वरित प्रतिक्रिया के लिए भारतीय नौसेना की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रयास को दुनिया ने पहचाना और सराहा।
सिंह ने पिछले कुछ दिनों में पांच समुद्री डकैती के प्रयासों को विफल करने और ड्रोन तथा मिसाइलों से हमला किए गए जहाजों की सहायता करने के अलावा 80 मछुआरों/नौसैनिकों को बचाने के लिए भारतीय नौसेना की सराहना की।
उन्होंने कहा, ”हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना शांति और समृद्धि सुनिश्चित करते हुए सुरक्षित व्यापार की सुविधा प्रदान कर रही है। कई रक्षा विशेषज्ञ इसे एक महाशक्ति का उदय बता रहे हैं। हर किसी की रक्षा करना हमारी संस्कृति है।”
नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने कहा, “चाहे वह शक्तिशाली विमानवाहक पोत विक्रांत हो, विशाखापत्तनम वर्ग के घातक विध्वंसक हों, बहुमुखी नीलगिरि वर्ग के फ्रिगेट्स हों, गुप्त कलवरी वर्ग की पनडुब्बियां हों, फुर्तीला शैलो वॉटर एएसडब्ल्यू क्राफ्ट या विशेष डाइविंग सपोर्ट जहाज हो – हम उभरते भारत की सेवा में सावधानीपूर्वक एक संतुलित ‘आत्मनिर्भर’ बल तैयार कर रहे हैं।”
एडमिरल कुमार ने जोर देकर कहा कि ऑर्डर के तहत 66 जहाजों और पनडुब्बियों में से 64 का निर्माण भारतीय शिपयार्ड में किया जा रहा है। इसका मतलब यह है कि नौसेना इस क्षेत्र में हजारों करोड़ रुपये का निवेश करेगी, जिससे शिपयार्ड की क्षमता और श्रमिकों के साथ-साथ सहायक उद्योगों में कार्यरत लोगों की क्षमताओं में वृद्धि होगी।
उन्होंने कहा, ”पिछले चार-पांच सप्ताह में न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया ने रक्षा मंत्री के निर्देशों का असर देखा है। भारतीय नौसेना तब तक नहीं रुकेगी जब तक हिंद महासागर पूरी तरह से खुला, सुरक्षित और स्वतंत्र नहीं हो जाता। हम तैयार हैं।”
–आईएएनएस
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