सीधी देशबन्धु. शासन द्वारा ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने वाले नियमों की अनदेखी करने के चलते लोगों में लगातार आक्रोश पनप रहा है. नगर में आधा सैकड़ा से ज्यादा दो पहिया एवम चार पहिया वाहन चालको द्वारा नगर के मुख्य मार्ग एवम तंग गलियों में प्रतिदिन तेज ध्वनि के पटाखा साइलेंसर और प्रेशर हार्न का उपयोग किया जा रहा है. जिससे राहगीर, स्थानीयजन व विद्यार्थी परेशान हो रहे हैं.
ध्वनि प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए निर्धारित मानकों को उद्देश्य के अनुसार लागू करने में ढिलाई बरती जा रही है और संबंधित अधिकारियों ने लाउडस्पीकर, प्रेशर हॉर्न, म्यूजिकल हॉर्न और साउंड एम्पलीफायरों से पैदा होने वाले ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने वाले नियमों और विनियमों के बारे में जानकारी होने के बावजूद उसे लगातार नज़रंदाज़ किया जा रहा है. स्थानीयजन ध्वनि प्रदूषण के कारण कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं.
पटाखा साइलेंसर से लोग परेशान –
जिला मुख्यालय में बाइकरों का शौक लोगों के लिए परेशानी का मुख्य कारण बनता जा रहा है. बाइक के शौकीन युवा बाइक में लगे कंपनी के साइलेंसरो को हटाकर मोडिफाइड साइलेंसर या पटाखा साइलेंसर लगा रहे हैं, जिससे बड़े पैमाने पर ध्वनि प्रदूषण फैल रहा है. जिन पर नकेल कसने की मंशा लिये पुलिस द्वारा समय समय पर कार्रवाई भी की जाती है किन्तु ये यातायात पुलिस को सड़को में देखते ही पलक झपकते ही यू टर्न मार लेते हैं.
तेज ध्वनि का शौक इन दिनो युवाओं की पहली पसंद बनती जा रही है. चाहे बुलेट बाइक हो या महंगी लग्जरी बाइक, वाहन खरीदते ही बाइक चालक साइलेंसरो को मोडिफाइड कर तेज ध्वनि के साइलेंसर या पटाखा साइलेंसर लगवा रहे है.
जिससे ध्वनि प्रदूषण तो हो ही रहा है. आम लोगों को भी इन साइलेंसरो की आवाज से परेशानी हो रही है. सबसे ज्यादा खतरनाक पटाखा साइलेंसर है. जिनके धमाके से लोग सहम जाते है साथ ही में हादसे की भी आशंका बनी रहती है.
क्या है मोटर व्हीकल एक्ट: बता दें कि मोटर वाहन अधिनियम भारत की संसद का एक ऐसा अधिनियम है जो सड़क परिवहन वाहनों के सभी पहलुओं को नियंत्रित करता है. इस अधिनियम में ड्राइवरों कंडक्टर के लाइसेंस, मोटर वाहनों के पंजीकरण, परमिट के माध्यम से मोटर वाहनों के नियंत्रण, राज्य परिवहन उपक्रमों से संबंधित विशेष प्रावधानों, यातायात विनियमन, बीमा, दायित्व, अपराध और दंड शामिल हैं.
जिसे एमव्ही एक्ट का नाम दिया गया है, इसमें लापरवाही एवं नियमों के उल्लंघन करने वालों पर कानूनी दंड संहिता के तहत कार्रवाई की जाती है. पर दुखद यह है कि नियमों की जानकारी जबाबदेह अधिकारी कर्मचारियों के पास मौजूद हैं उसके बाद भी विधिक कार्रवाई का अभाव बना हुआ है.