नई दिल्ली, 7 सितंबर (आईएएनएस)। परिवार नियोजन और जनसंख्या नियंत्रण भले ही इन दोनों शब्दों के अलग-अलग मायने हों, लेकिन आज के दौर में इन पर लगाम लगाना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। हम आज आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताएंगे, जिन्होंने देश की आजादी के बाद न केवल परिवार नियोजन के लिए काम किया बल्कि जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
हम बात कर रहे हैं भारत की मशहूर चिकित्सा वैज्ञानिक बानू जहांगीर कोयाजी की, जिनकी पॉजिटिव और प्रोग्रेसिव सोच ने ग्रामीण महिलाओं को जिंदगी को बदलने का काम किया। यही नहीं, उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रम भी शुरू किए।
वैज्ञानिक बानू जहांगीर कोयाजी ने अपने मेडिकल करियर की शुरुआत प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ के रूप में की। इसके बाद वह पुणे के किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल से जुड़ गईं। कोयाजी की सोच काफी प्रगतिशील थी, उनकी इसी सोच के कारण 40 बेड वाले किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल की क्षमता को बढ़ाया गया। वह इस अस्पताल से करीब 55 साल तक जुड़ी रहीं और यहां के डायरेक्टर के रूप में काम करते हुए महिलाओं के हित में कई फैसले लिए।
यही नहीं, वह अपनी कार्यकुशलता की वजह से जानी जाती थीं, इसलिए केंद्र सरकार ने उन्हें स्वास्थ्य सलाहकार भी बनाया है। इसके अलावा उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानव प्रजनन के वैज्ञानिक और तकनीकी समूह की सदस्यता के रूप में भी काम किया। इनका महत्वपूर्ण योगदान परिवार नियोजन, बाल स्वास्थ्य और जनसंख्या नियंत्रण के लिए रहा।
बानो, परिवार नियोजन की पक्षधर थीं और इसलिए वह इसकी विशेषज्ञ भी बनीं। हालांकि, उन्होंने इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी द्वारा चलाए जाने के इस फैसले पर असहमति भी जाहिर की। जब इंदिरा गांधी ने उन्हें मिलने के लिए बुलाया तो उन्होंने परिवार नियोजन और जनसंख्या नियंत्रण पर अपना नजरिया उनके सामने रखा।
7 सितंबर 1917 को मुंबई एक पारसी परिवार में जन्मीं चिकित्सा वैज्ञानिक बानू जहांगीर कोयाजी को मेडिकल के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण (1989), पुण्यभूषण पुरस्कार (1992) और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार (1993) से सम्मानित किया गया। बानो जहांगीर कोयाजी ने 15 जुलाई 2004 को दुनिया को अलविदा कह दिया।
–आईएएनएस
एफएम/एफजेड