पटना, 31 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने शनिवार को कहा कि पर्यावरण के लिए पेड़-पौधों के साथ-साथ पशु भी आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि ‘सर्वे जन सुखिनः भवन्तु हमारा मंत्र है। सर्वजन के तहत वे सभी प्राणी आते हैं, जिनमें जीवन और प्रजनन क्षमता है। इसके अंतर्गत पेड़-पौधे और पशु-पक्षी सहित समस्त जीव आते हैं और उनका संरक्षण हमारा कर्तव्य है।
राज्यपाल ने शनिवार को ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के परिसर में पौधारोपण किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभागार में पौधारोपण कार्यक्रम एवं वैज्ञानिकों तथा राज्य के प्रगतिशील किसानों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। राज्यपाल ने कहा कि हमारी संस्कृति और परम्परा में पौधों का महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे ऋषियों और मनीषियों ने भी प्रकृति के सानिध्य में रहने तथा अधिकाधिक पेड़ लगाकर प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया है।
उन्होंने कहा, “अपने घरों में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी पूजा, बट वृक्ष की पूजा आदि अनेक प्रकार की पूजा पद्धतियां हमें प्रकृति से जोड़ती हैं और इससे उसका संरक्षण होता है।”
उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों की इस परम्परा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मां के साथ जोड़कर ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की शुरुआत की और अपनी मां के नाम पर पौधा लगाकर प्रकृति के संरक्षण का आह्वान किया। हमें इस अभियान से जुड़कर पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार प्रयत्नशील है। हमारा देश पेरिस सम्मेलन के निर्णयों के प्रति भी कटिबद्ध है। बिहार का वन क्षेत्र राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी कम है। इस राज्य के वन क्षेत्र को बढ़ाने का दायित्व हम सबका है।
राज्यपाल ने इस मौके पर वैज्ञानिकों और बिहार के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया। कार्यक्रम को माननीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रेम कुमार एवं बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने भी संबोधित किया।
–आईएएनएस
एमएनपी/एसकेपी
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पटना, 31 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने शनिवार को कहा कि पर्यावरण के लिए पेड़-पौधों के साथ-साथ पशु भी आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि ‘सर्वे जन सुखिनः भवन्तु हमारा मंत्र है। सर्वजन के तहत वे सभी प्राणी आते हैं, जिनमें जीवन और प्रजनन क्षमता है। इसके अंतर्गत पेड़-पौधे और पशु-पक्षी सहित समस्त जीव आते हैं और उनका संरक्षण हमारा कर्तव्य है।
राज्यपाल ने शनिवार को ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के परिसर में पौधारोपण किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभागार में पौधारोपण कार्यक्रम एवं वैज्ञानिकों तथा राज्य के प्रगतिशील किसानों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। राज्यपाल ने कहा कि हमारी संस्कृति और परम्परा में पौधों का महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे ऋषियों और मनीषियों ने भी प्रकृति के सानिध्य में रहने तथा अधिकाधिक पेड़ लगाकर प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया है।
उन्होंने कहा, “अपने घरों में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी पूजा, बट वृक्ष की पूजा आदि अनेक प्रकार की पूजा पद्धतियां हमें प्रकृति से जोड़ती हैं और इससे उसका संरक्षण होता है।”
उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों की इस परम्परा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मां के साथ जोड़कर ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की शुरुआत की और अपनी मां के नाम पर पौधा लगाकर प्रकृति के संरक्षण का आह्वान किया। हमें इस अभियान से जुड़कर पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार प्रयत्नशील है। हमारा देश पेरिस सम्मेलन के निर्णयों के प्रति भी कटिबद्ध है। बिहार का वन क्षेत्र राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी कम है। इस राज्य के वन क्षेत्र को बढ़ाने का दायित्व हम सबका है।
राज्यपाल ने इस मौके पर वैज्ञानिकों और बिहार के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया। कार्यक्रम को माननीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रेम कुमार एवं बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने भी संबोधित किया।
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पटना, 31 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने शनिवार को कहा कि पर्यावरण के लिए पेड़-पौधों के साथ-साथ पशु भी आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि ‘सर्वे जन सुखिनः भवन्तु हमारा मंत्र है। सर्वजन के तहत वे सभी प्राणी आते हैं, जिनमें जीवन और प्रजनन क्षमता है। इसके अंतर्गत पेड़-पौधे और पशु-पक्षी सहित समस्त जीव आते हैं और उनका संरक्षण हमारा कर्तव्य है।
राज्यपाल ने शनिवार को ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के परिसर में पौधारोपण किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभागार में पौधारोपण कार्यक्रम एवं वैज्ञानिकों तथा राज्य के प्रगतिशील किसानों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। राज्यपाल ने कहा कि हमारी संस्कृति और परम्परा में पौधों का महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे ऋषियों और मनीषियों ने भी प्रकृति के सानिध्य में रहने तथा अधिकाधिक पेड़ लगाकर प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया है।
उन्होंने कहा, “अपने घरों में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी पूजा, बट वृक्ष की पूजा आदि अनेक प्रकार की पूजा पद्धतियां हमें प्रकृति से जोड़ती हैं और इससे उसका संरक्षण होता है।”
उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों की इस परम्परा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मां के साथ जोड़कर ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की शुरुआत की और अपनी मां के नाम पर पौधा लगाकर प्रकृति के संरक्षण का आह्वान किया। हमें इस अभियान से जुड़कर पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार प्रयत्नशील है। हमारा देश पेरिस सम्मेलन के निर्णयों के प्रति भी कटिबद्ध है। बिहार का वन क्षेत्र राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी कम है। इस राज्य के वन क्षेत्र को बढ़ाने का दायित्व हम सबका है।
राज्यपाल ने इस मौके पर वैज्ञानिकों और बिहार के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया। कार्यक्रम को माननीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रेम कुमार एवं बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने भी संबोधित किया।
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राज्यपाल ने शनिवार को ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के परिसर में पौधारोपण किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभागार में पौधारोपण कार्यक्रम एवं वैज्ञानिकों तथा राज्य के प्रगतिशील किसानों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। राज्यपाल ने कहा कि हमारी संस्कृति और परम्परा में पौधों का महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे ऋषियों और मनीषियों ने भी प्रकृति के सानिध्य में रहने तथा अधिकाधिक पेड़ लगाकर प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया है।
उन्होंने कहा, “अपने घरों में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी पूजा, बट वृक्ष की पूजा आदि अनेक प्रकार की पूजा पद्धतियां हमें प्रकृति से जोड़ती हैं और इससे उसका संरक्षण होता है।”
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राज्यपाल ने कहा कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार प्रयत्नशील है। हमारा देश पेरिस सम्मेलन के निर्णयों के प्रति भी कटिबद्ध है। बिहार का वन क्षेत्र राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी कम है। इस राज्य के वन क्षेत्र को बढ़ाने का दायित्व हम सबका है।
राज्यपाल ने इस मौके पर वैज्ञानिकों और बिहार के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया। कार्यक्रम को माननीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रेम कुमार एवं बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने भी संबोधित किया।
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राज्यपाल ने शनिवार को ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के परिसर में पौधारोपण किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभागार में पौधारोपण कार्यक्रम एवं वैज्ञानिकों तथा राज्य के प्रगतिशील किसानों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। राज्यपाल ने कहा कि हमारी संस्कृति और परम्परा में पौधों का महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे ऋषियों और मनीषियों ने भी प्रकृति के सानिध्य में रहने तथा अधिकाधिक पेड़ लगाकर प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया है।
उन्होंने कहा, “अपने घरों में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी पूजा, बट वृक्ष की पूजा आदि अनेक प्रकार की पूजा पद्धतियां हमें प्रकृति से जोड़ती हैं और इससे उसका संरक्षण होता है।”
उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों की इस परम्परा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मां के साथ जोड़कर ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की शुरुआत की और अपनी मां के नाम पर पौधा लगाकर प्रकृति के संरक्षण का आह्वान किया। हमें इस अभियान से जुड़कर पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार प्रयत्नशील है। हमारा देश पेरिस सम्मेलन के निर्णयों के प्रति भी कटिबद्ध है। बिहार का वन क्षेत्र राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी कम है। इस राज्य के वन क्षेत्र को बढ़ाने का दायित्व हम सबका है।
राज्यपाल ने इस मौके पर वैज्ञानिकों और बिहार के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया। कार्यक्रम को माननीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रेम कुमार एवं बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने भी संबोधित किया।
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राज्यपाल ने शनिवार को ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के परिसर में पौधारोपण किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभागार में पौधारोपण कार्यक्रम एवं वैज्ञानिकों तथा राज्य के प्रगतिशील किसानों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। राज्यपाल ने कहा कि हमारी संस्कृति और परम्परा में पौधों का महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे ऋषियों और मनीषियों ने भी प्रकृति के सानिध्य में रहने तथा अधिकाधिक पेड़ लगाकर प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया है।
उन्होंने कहा, “अपने घरों में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी पूजा, बट वृक्ष की पूजा आदि अनेक प्रकार की पूजा पद्धतियां हमें प्रकृति से जोड़ती हैं और इससे उसका संरक्षण होता है।”
उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों की इस परम्परा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मां के साथ जोड़कर ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की शुरुआत की और अपनी मां के नाम पर पौधा लगाकर प्रकृति के संरक्षण का आह्वान किया। हमें इस अभियान से जुड़कर पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार प्रयत्नशील है। हमारा देश पेरिस सम्मेलन के निर्णयों के प्रति भी कटिबद्ध है। बिहार का वन क्षेत्र राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी कम है। इस राज्य के वन क्षेत्र को बढ़ाने का दायित्व हम सबका है।
राज्यपाल ने इस मौके पर वैज्ञानिकों और बिहार के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया। कार्यक्रम को माननीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रेम कुमार एवं बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने भी संबोधित किया।
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राज्यपाल ने शनिवार को ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के परिसर में पौधारोपण किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभागार में पौधारोपण कार्यक्रम एवं वैज्ञानिकों तथा राज्य के प्रगतिशील किसानों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। राज्यपाल ने कहा कि हमारी संस्कृति और परम्परा में पौधों का महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे ऋषियों और मनीषियों ने भी प्रकृति के सानिध्य में रहने तथा अधिकाधिक पेड़ लगाकर प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया है।
उन्होंने कहा, “अपने घरों में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी पूजा, बट वृक्ष की पूजा आदि अनेक प्रकार की पूजा पद्धतियां हमें प्रकृति से जोड़ती हैं और इससे उसका संरक्षण होता है।”
उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों की इस परम्परा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मां के साथ जोड़कर ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की शुरुआत की और अपनी मां के नाम पर पौधा लगाकर प्रकृति के संरक्षण का आह्वान किया। हमें इस अभियान से जुड़कर पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार प्रयत्नशील है। हमारा देश पेरिस सम्मेलन के निर्णयों के प्रति भी कटिबद्ध है। बिहार का वन क्षेत्र राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी कम है। इस राज्य के वन क्षेत्र को बढ़ाने का दायित्व हम सबका है।
राज्यपाल ने इस मौके पर वैज्ञानिकों और बिहार के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया। कार्यक्रम को माननीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रेम कुमार एवं बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने भी संबोधित किया।
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राज्यपाल ने शनिवार को ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के परिसर में पौधारोपण किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभागार में पौधारोपण कार्यक्रम एवं वैज्ञानिकों तथा राज्य के प्रगतिशील किसानों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। राज्यपाल ने कहा कि हमारी संस्कृति और परम्परा में पौधों का महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे ऋषियों और मनीषियों ने भी प्रकृति के सानिध्य में रहने तथा अधिकाधिक पेड़ लगाकर प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया है।
उन्होंने कहा, “अपने घरों में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी पूजा, बट वृक्ष की पूजा आदि अनेक प्रकार की पूजा पद्धतियां हमें प्रकृति से जोड़ती हैं और इससे उसका संरक्षण होता है।”
उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों की इस परम्परा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मां के साथ जोड़कर ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की शुरुआत की और अपनी मां के नाम पर पौधा लगाकर प्रकृति के संरक्षण का आह्वान किया। हमें इस अभियान से जुड़कर पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार प्रयत्नशील है। हमारा देश पेरिस सम्मेलन के निर्णयों के प्रति भी कटिबद्ध है। बिहार का वन क्षेत्र राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी कम है। इस राज्य के वन क्षेत्र को बढ़ाने का दायित्व हम सबका है।
राज्यपाल ने इस मौके पर वैज्ञानिकों और बिहार के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया। कार्यक्रम को माननीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रेम कुमार एवं बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने भी संबोधित किया।
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पटना, 31 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने शनिवार को कहा कि पर्यावरण के लिए पेड़-पौधों के साथ-साथ पशु भी आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि ‘सर्वे जन सुखिनः भवन्तु हमारा मंत्र है। सर्वजन के तहत वे सभी प्राणी आते हैं, जिनमें जीवन और प्रजनन क्षमता है। इसके अंतर्गत पेड़-पौधे और पशु-पक्षी सहित समस्त जीव आते हैं और उनका संरक्षण हमारा कर्तव्य है।
राज्यपाल ने शनिवार को ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के परिसर में पौधारोपण किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभागार में पौधारोपण कार्यक्रम एवं वैज्ञानिकों तथा राज्य के प्रगतिशील किसानों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। राज्यपाल ने कहा कि हमारी संस्कृति और परम्परा में पौधों का महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे ऋषियों और मनीषियों ने भी प्रकृति के सानिध्य में रहने तथा अधिकाधिक पेड़ लगाकर प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया है।
उन्होंने कहा, “अपने घरों में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी पूजा, बट वृक्ष की पूजा आदि अनेक प्रकार की पूजा पद्धतियां हमें प्रकृति से जोड़ती हैं और इससे उसका संरक्षण होता है।”
उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों की इस परम्परा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मां के साथ जोड़कर ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की शुरुआत की और अपनी मां के नाम पर पौधा लगाकर प्रकृति के संरक्षण का आह्वान किया। हमें इस अभियान से जुड़कर पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार प्रयत्नशील है। हमारा देश पेरिस सम्मेलन के निर्णयों के प्रति भी कटिबद्ध है। बिहार का वन क्षेत्र राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी कम है। इस राज्य के वन क्षेत्र को बढ़ाने का दायित्व हम सबका है।
राज्यपाल ने इस मौके पर वैज्ञानिकों और बिहार के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया। कार्यक्रम को माननीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रेम कुमार एवं बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने भी संबोधित किया।
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राज्यपाल ने शनिवार को ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के परिसर में पौधारोपण किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभागार में पौधारोपण कार्यक्रम एवं वैज्ञानिकों तथा राज्य के प्रगतिशील किसानों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। राज्यपाल ने कहा कि हमारी संस्कृति और परम्परा में पौधों का महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे ऋषियों और मनीषियों ने भी प्रकृति के सानिध्य में रहने तथा अधिकाधिक पेड़ लगाकर प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया है।
उन्होंने कहा, “अपने घरों में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी पूजा, बट वृक्ष की पूजा आदि अनेक प्रकार की पूजा पद्धतियां हमें प्रकृति से जोड़ती हैं और इससे उसका संरक्षण होता है।”
उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों की इस परम्परा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मां के साथ जोड़कर ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की शुरुआत की और अपनी मां के नाम पर पौधा लगाकर प्रकृति के संरक्षण का आह्वान किया। हमें इस अभियान से जुड़कर पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार प्रयत्नशील है। हमारा देश पेरिस सम्मेलन के निर्णयों के प्रति भी कटिबद्ध है। बिहार का वन क्षेत्र राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी कम है। इस राज्य के वन क्षेत्र को बढ़ाने का दायित्व हम सबका है।
राज्यपाल ने इस मौके पर वैज्ञानिकों और बिहार के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया। कार्यक्रम को माननीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रेम कुमार एवं बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने भी संबोधित किया।
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राज्यपाल ने शनिवार को ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के परिसर में पौधारोपण किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभागार में पौधारोपण कार्यक्रम एवं वैज्ञानिकों तथा राज्य के प्रगतिशील किसानों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। राज्यपाल ने कहा कि हमारी संस्कृति और परम्परा में पौधों का महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे ऋषियों और मनीषियों ने भी प्रकृति के सानिध्य में रहने तथा अधिकाधिक पेड़ लगाकर प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया है।
उन्होंने कहा, “अपने घरों में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी पूजा, बट वृक्ष की पूजा आदि अनेक प्रकार की पूजा पद्धतियां हमें प्रकृति से जोड़ती हैं और इससे उसका संरक्षण होता है।”
उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों की इस परम्परा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मां के साथ जोड़कर ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की शुरुआत की और अपनी मां के नाम पर पौधा लगाकर प्रकृति के संरक्षण का आह्वान किया। हमें इस अभियान से जुड़कर पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।
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राज्यपाल ने इस मौके पर वैज्ञानिकों और बिहार के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया। कार्यक्रम को माननीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रेम कुमार एवं बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने भी संबोधित किया।
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राज्यपाल ने शनिवार को ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के परिसर में पौधारोपण किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभागार में पौधारोपण कार्यक्रम एवं वैज्ञानिकों तथा राज्य के प्रगतिशील किसानों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। राज्यपाल ने कहा कि हमारी संस्कृति और परम्परा में पौधों का महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे ऋषियों और मनीषियों ने भी प्रकृति के सानिध्य में रहने तथा अधिकाधिक पेड़ लगाकर प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया है।
उन्होंने कहा, “अपने घरों में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी पूजा, बट वृक्ष की पूजा आदि अनेक प्रकार की पूजा पद्धतियां हमें प्रकृति से जोड़ती हैं और इससे उसका संरक्षण होता है।”
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राज्यपाल ने कहा कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार प्रयत्नशील है। हमारा देश पेरिस सम्मेलन के निर्णयों के प्रति भी कटिबद्ध है। बिहार का वन क्षेत्र राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी कम है। इस राज्य के वन क्षेत्र को बढ़ाने का दायित्व हम सबका है।
राज्यपाल ने इस मौके पर वैज्ञानिकों और बिहार के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया। कार्यक्रम को माननीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रेम कुमार एवं बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने भी संबोधित किया।
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पटना, 31 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने शनिवार को कहा कि पर्यावरण के लिए पेड़-पौधों के साथ-साथ पशु भी आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि ‘सर्वे जन सुखिनः भवन्तु हमारा मंत्र है। सर्वजन के तहत वे सभी प्राणी आते हैं, जिनमें जीवन और प्रजनन क्षमता है। इसके अंतर्गत पेड़-पौधे और पशु-पक्षी सहित समस्त जीव आते हैं और उनका संरक्षण हमारा कर्तव्य है।
राज्यपाल ने शनिवार को ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के परिसर में पौधारोपण किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभागार में पौधारोपण कार्यक्रम एवं वैज्ञानिकों तथा राज्य के प्रगतिशील किसानों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। राज्यपाल ने कहा कि हमारी संस्कृति और परम्परा में पौधों का महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे ऋषियों और मनीषियों ने भी प्रकृति के सानिध्य में रहने तथा अधिकाधिक पेड़ लगाकर प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया है।
उन्होंने कहा, “अपने घरों में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी पूजा, बट वृक्ष की पूजा आदि अनेक प्रकार की पूजा पद्धतियां हमें प्रकृति से जोड़ती हैं और इससे उसका संरक्षण होता है।”
उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों की इस परम्परा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मां के साथ जोड़कर ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की शुरुआत की और अपनी मां के नाम पर पौधा लगाकर प्रकृति के संरक्षण का आह्वान किया। हमें इस अभियान से जुड़कर पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार प्रयत्नशील है। हमारा देश पेरिस सम्मेलन के निर्णयों के प्रति भी कटिबद्ध है। बिहार का वन क्षेत्र राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी कम है। इस राज्य के वन क्षेत्र को बढ़ाने का दायित्व हम सबका है।
राज्यपाल ने इस मौके पर वैज्ञानिकों और बिहार के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया। कार्यक्रम को माननीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रेम कुमार एवं बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने भी संबोधित किया।
–आईएएनएस
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पटना, 31 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने शनिवार को कहा कि पर्यावरण के लिए पेड़-पौधों के साथ-साथ पशु भी आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि ‘सर्वे जन सुखिनः भवन्तु हमारा मंत्र है। सर्वजन के तहत वे सभी प्राणी आते हैं, जिनमें जीवन और प्रजनन क्षमता है। इसके अंतर्गत पेड़-पौधे और पशु-पक्षी सहित समस्त जीव आते हैं और उनका संरक्षण हमारा कर्तव्य है।
राज्यपाल ने शनिवार को ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के परिसर में पौधारोपण किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभागार में पौधारोपण कार्यक्रम एवं वैज्ञानिकों तथा राज्य के प्रगतिशील किसानों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। राज्यपाल ने कहा कि हमारी संस्कृति और परम्परा में पौधों का महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे ऋषियों और मनीषियों ने भी प्रकृति के सानिध्य में रहने तथा अधिकाधिक पेड़ लगाकर प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया है।
उन्होंने कहा, “अपने घरों में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी पूजा, बट वृक्ष की पूजा आदि अनेक प्रकार की पूजा पद्धतियां हमें प्रकृति से जोड़ती हैं और इससे उसका संरक्षण होता है।”
उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों की इस परम्परा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मां के साथ जोड़कर ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की शुरुआत की और अपनी मां के नाम पर पौधा लगाकर प्रकृति के संरक्षण का आह्वान किया। हमें इस अभियान से जुड़कर पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार प्रयत्नशील है। हमारा देश पेरिस सम्मेलन के निर्णयों के प्रति भी कटिबद्ध है। बिहार का वन क्षेत्र राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी कम है। इस राज्य के वन क्षेत्र को बढ़ाने का दायित्व हम सबका है।
राज्यपाल ने इस मौके पर वैज्ञानिकों और बिहार के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया। कार्यक्रम को माननीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रेम कुमार एवं बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने भी संबोधित किया।
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पटना, 31 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने शनिवार को कहा कि पर्यावरण के लिए पेड़-पौधों के साथ-साथ पशु भी आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि ‘सर्वे जन सुखिनः भवन्तु हमारा मंत्र है। सर्वजन के तहत वे सभी प्राणी आते हैं, जिनमें जीवन और प्रजनन क्षमता है। इसके अंतर्गत पेड़-पौधे और पशु-पक्षी सहित समस्त जीव आते हैं और उनका संरक्षण हमारा कर्तव्य है।
राज्यपाल ने शनिवार को ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के परिसर में पौधारोपण किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभागार में पौधारोपण कार्यक्रम एवं वैज्ञानिकों तथा राज्य के प्रगतिशील किसानों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। राज्यपाल ने कहा कि हमारी संस्कृति और परम्परा में पौधों का महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे ऋषियों और मनीषियों ने भी प्रकृति के सानिध्य में रहने तथा अधिकाधिक पेड़ लगाकर प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया है।
उन्होंने कहा, “अपने घरों में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी पूजा, बट वृक्ष की पूजा आदि अनेक प्रकार की पूजा पद्धतियां हमें प्रकृति से जोड़ती हैं और इससे उसका संरक्षण होता है।”
उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों की इस परम्परा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मां के साथ जोड़कर ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की शुरुआत की और अपनी मां के नाम पर पौधा लगाकर प्रकृति के संरक्षण का आह्वान किया। हमें इस अभियान से जुड़कर पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार प्रयत्नशील है। हमारा देश पेरिस सम्मेलन के निर्णयों के प्रति भी कटिबद्ध है। बिहार का वन क्षेत्र राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी कम है। इस राज्य के वन क्षेत्र को बढ़ाने का दायित्व हम सबका है।
राज्यपाल ने इस मौके पर वैज्ञानिकों और बिहार के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया। कार्यक्रम को माननीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रेम कुमार एवं बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने भी संबोधित किया।
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राज्यपाल ने शनिवार को ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के परिसर में पौधारोपण किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभागार में पौधारोपण कार्यक्रम एवं वैज्ञानिकों तथा राज्य के प्रगतिशील किसानों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। राज्यपाल ने कहा कि हमारी संस्कृति और परम्परा में पौधों का महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे ऋषियों और मनीषियों ने भी प्रकृति के सानिध्य में रहने तथा अधिकाधिक पेड़ लगाकर प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया है।
उन्होंने कहा, “अपने घरों में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी पूजा, बट वृक्ष की पूजा आदि अनेक प्रकार की पूजा पद्धतियां हमें प्रकृति से जोड़ती हैं और इससे उसका संरक्षण होता है।”
उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों की इस परम्परा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मां के साथ जोड़कर ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की शुरुआत की और अपनी मां के नाम पर पौधा लगाकर प्रकृति के संरक्षण का आह्वान किया। हमें इस अभियान से जुड़कर पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार प्रयत्नशील है। हमारा देश पेरिस सम्मेलन के निर्णयों के प्रति भी कटिबद्ध है। बिहार का वन क्षेत्र राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी कम है। इस राज्य के वन क्षेत्र को बढ़ाने का दायित्व हम सबका है।
राज्यपाल ने इस मौके पर वैज्ञानिकों और बिहार के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया। कार्यक्रम को माननीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रेम कुमार एवं बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने भी संबोधित किया।