वाराणसी (यूपी), 15 जून (आईएएनएस)। पाकिस्तान के एक किसान ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से खेती के लिए नव विकसित मालवीय मनीला सिंचित धान-1 धान की किस्म के बीज मांगे हैं।
पाकिस्तान के एक प्रगतिशील किसान होने का दावा करते हुए रिजवान ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के वैज्ञानिक प्रोफेसर एस.के. सिंह से व्हाट्सएप पर बीज उपलब्ध कराने का अनुरोध किया।
प्रोफेसर सिंह ने रिजवान को मनीला की पाकिस्तान में स्थित इकाई अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) की से संपर्क करने के लिए कहा है।
बीएचयू के कृषि विज्ञान संस्थान के आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के प्रोफेसर सिंह ने कहा, रिजवान वॉयस कॉल कर रहे थे, फिर एक वॉयस मैसेज भी भेजा। मैंने रिजवान की मांग को पूरा करने में असमर्थता व्यक्त की और उन्हें पाकिस्तान में अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) से संपर्क करने के लिए कहा।
उन्होंने कहा, धान की वह किस्म जो रिजवान चाहते हैं, आईआरआरआई मनीला के एक संयुक्त उद्यम में विकसित की गई है, जिसका केंद्र वाराणसी और बीएचयू में है।
उन्होंने कहा, धान की अन्य सामान्य किस्मों के 135-140 दिनों के फसल चक्र के विपरीत, धान की यह एमएमएसडी-1 किस्म 115-118 दिनों में होती है। धान की फसलों के लिए इस किस्म का उपयोग करने से किसान एक वर्ष में चार फसलों की खेती और तीन गुना तक कमाई कर सकेंगे।
रिजवान ने उनसे कैसे संपर्क किया, इस पर प्रोफेसर सिंह ने कहा, शुरुआत में, वह 6 जून को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से वॉयस कॉल कर रहे थे। जब मैं कॉल में शामिल नहीं हुआ, तो उन्होंने एक वॉयस मैसेज भेजा, इसमें कहा गया था कि वह एमएमएसडी-1 किस्म के बारे में जानते हैं। उन्होंने बीएचयू की वेबसाइट से मेरा नंबर खोजा। फिर उनसे कुछ मिनट बात करने का अनुरोध किया।
प्रोफेसर सिंह ने कहा, पहली नजर में, वह एक वास्तविक किसान लग रहे थे। बातचीत में, उसने एमएमएसडी-1 बीज की मांग शुरू कर दी। मैंने उनसे कहा कि यह मेरे द्वारा प्रदान नहीं किया जा सकता है और पाकिस्तान में उसे आईआरआरआई के केंद्र से परामर्श करना होगा।
प्रोफेसर ने कहा कि रिजवान ने बीज के लिए अनुरोध करना जारी रखा, हालांकि उन्हें यह स्पष्ट कर दिया गया था कि एमएमएसडी-1 किस्म केवल यूपी, बिहार और ओडिशा की खेती की स्थिति के लिए विकसित की गई है।
एमएमएसडी-1 के बारे में प्रोफेसर सिंह ने कहा कि इस किस्म को आईआरआरआई और बीएचयू के संयुक्त उद्यम में विकसित किया गया है।
उन्होंने कहा, इसे अगले साल व्यावसायिक बुवाई के लिए पेश किया जाएगा।
–आईएएनएस
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