नई दिल्ली, 11 मार्च (आईएएनएस)। ‘संभावित रूसी परमाणु हमले’ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य शीर्ष नेताओं के हस्तक्षेप से रोकने में मदद मिली, यह बात सीएनएन की एक रिपोर्ट में कही गई है।
रिपोर्ट में दो वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि जैसे ही 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध बाद में तेज हो गया, अमेरिका ने कीव के खिलाफ मास्को द्वारा संभावित परमाणु हमले के लिए “कठोरता से तैयारी” शुरू कर दी।
अधिकारियों ने कहा कि जो बाइडेन प्रशासन “विशेष रूप से चिंतित” था कि रूस युद्धक्षेत्र में परमाणु हथियार का उपयोग कर सकता है और यह 1945 में अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराए जाने के बाद पहला परमाणु हमला हो सकता है। तभी अमेरिका ने रूस को ऐसे हमले के प्रति हतोत्साहित करने के लिए भारत और चीन से मदद मांगी।
सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है, “अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि चीनी नेता शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आउटरीच और सार्वजनिक बयानों ने संकट को टालने में मदद की।”
प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने जो चीजें कीं उनमें से एक न केवल उन्हें सीधे संदेश देना था, बल्कि दृढ़तापूर्वक आग्रह करना, दबाव डालना, अन्य देशों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना था।”
रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से कहा गया है, “हमारा मानना है कि इस बारे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अपनी चिंता दिखाना, विशेष रूप से रूस और ग्लोबल साउथ के प्रति प्रमुख देशों की चिंता सहायक और प्रेरक कारक था। इससे यह समझ पैदा हुई कि इस सबकी कीमत क्या हो सकती है।”
साल 2022 में उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के मौके पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करते हुए पीएम मोदी ने संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया था और रूसी नेता से कहा कि “यह युद्ध का युग नहीं है”।
पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से कहा था कि लोकतंत्र, कूटनीति और संवाद ने दुनिया को एक साथ रखा है।
जवाब में रूसी नेता ने कहा था कि वह भारत की “चिंताओं” को समझते हैं और उन्होंने पीएम मोदी से वादा किया कि वह संघर्ष को खत्म करने की कोशिश करेंगे, हालांकि उन्होंने इसे लंबा खींचने के लिए यूक्रेन को दोषी ठहराया।
–आईएएनएस
एसजीके/
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नई दिल्ली, 11 मार्च (आईएएनएस)। ‘संभावित रूसी परमाणु हमले’ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य शीर्ष नेताओं के हस्तक्षेप से रोकने में मदद मिली, यह बात सीएनएन की एक रिपोर्ट में कही गई है।
रिपोर्ट में दो वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि जैसे ही 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध बाद में तेज हो गया, अमेरिका ने कीव के खिलाफ मास्को द्वारा संभावित परमाणु हमले के लिए “कठोरता से तैयारी” शुरू कर दी।
अधिकारियों ने कहा कि जो बाइडेन प्रशासन “विशेष रूप से चिंतित” था कि रूस युद्धक्षेत्र में परमाणु हथियार का उपयोग कर सकता है और यह 1945 में अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराए जाने के बाद पहला परमाणु हमला हो सकता है। तभी अमेरिका ने रूस को ऐसे हमले के प्रति हतोत्साहित करने के लिए भारत और चीन से मदद मांगी।
सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है, “अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि चीनी नेता शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आउटरीच और सार्वजनिक बयानों ने संकट को टालने में मदद की।”
प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने जो चीजें कीं उनमें से एक न केवल उन्हें सीधे संदेश देना था, बल्कि दृढ़तापूर्वक आग्रह करना, दबाव डालना, अन्य देशों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना था।”
रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से कहा गया है, “हमारा मानना है कि इस बारे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अपनी चिंता दिखाना, विशेष रूप से रूस और ग्लोबल साउथ के प्रति प्रमुख देशों की चिंता सहायक और प्रेरक कारक था। इससे यह समझ पैदा हुई कि इस सबकी कीमत क्या हो सकती है।”
साल 2022 में उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के मौके पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करते हुए पीएम मोदी ने संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया था और रूसी नेता से कहा कि “यह युद्ध का युग नहीं है”।
पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से कहा था कि लोकतंत्र, कूटनीति और संवाद ने दुनिया को एक साथ रखा है।
जवाब में रूसी नेता ने कहा था कि वह भारत की “चिंताओं” को समझते हैं और उन्होंने पीएम मोदी से वादा किया कि वह संघर्ष को खत्म करने की कोशिश करेंगे, हालांकि उन्होंने इसे लंबा खींचने के लिए यूक्रेन को दोषी ठहराया।
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नई दिल्ली, 11 मार्च (आईएएनएस)। ‘संभावित रूसी परमाणु हमले’ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य शीर्ष नेताओं के हस्तक्षेप से रोकने में मदद मिली, यह बात सीएनएन की एक रिपोर्ट में कही गई है।
रिपोर्ट में दो वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि जैसे ही 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध बाद में तेज हो गया, अमेरिका ने कीव के खिलाफ मास्को द्वारा संभावित परमाणु हमले के लिए “कठोरता से तैयारी” शुरू कर दी।
अधिकारियों ने कहा कि जो बाइडेन प्रशासन “विशेष रूप से चिंतित” था कि रूस युद्धक्षेत्र में परमाणु हथियार का उपयोग कर सकता है और यह 1945 में अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराए जाने के बाद पहला परमाणु हमला हो सकता है। तभी अमेरिका ने रूस को ऐसे हमले के प्रति हतोत्साहित करने के लिए भारत और चीन से मदद मांगी।
सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है, “अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि चीनी नेता शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आउटरीच और सार्वजनिक बयानों ने संकट को टालने में मदद की।”
प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने जो चीजें कीं उनमें से एक न केवल उन्हें सीधे संदेश देना था, बल्कि दृढ़तापूर्वक आग्रह करना, दबाव डालना, अन्य देशों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना था।”
रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से कहा गया है, “हमारा मानना है कि इस बारे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अपनी चिंता दिखाना, विशेष रूप से रूस और ग्लोबल साउथ के प्रति प्रमुख देशों की चिंता सहायक और प्रेरक कारक था। इससे यह समझ पैदा हुई कि इस सबकी कीमत क्या हो सकती है।”
साल 2022 में उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के मौके पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करते हुए पीएम मोदी ने संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया था और रूसी नेता से कहा कि “यह युद्ध का युग नहीं है”।
पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से कहा था कि लोकतंत्र, कूटनीति और संवाद ने दुनिया को एक साथ रखा है।
जवाब में रूसी नेता ने कहा था कि वह भारत की “चिंताओं” को समझते हैं और उन्होंने पीएम मोदी से वादा किया कि वह संघर्ष को खत्म करने की कोशिश करेंगे, हालांकि उन्होंने इसे लंबा खींचने के लिए यूक्रेन को दोषी ठहराया।
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रिपोर्ट में दो वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि जैसे ही 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध बाद में तेज हो गया, अमेरिका ने कीव के खिलाफ मास्को द्वारा संभावित परमाणु हमले के लिए “कठोरता से तैयारी” शुरू कर दी।
अधिकारियों ने कहा कि जो बाइडेन प्रशासन “विशेष रूप से चिंतित” था कि रूस युद्धक्षेत्र में परमाणु हथियार का उपयोग कर सकता है और यह 1945 में अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराए जाने के बाद पहला परमाणु हमला हो सकता है। तभी अमेरिका ने रूस को ऐसे हमले के प्रति हतोत्साहित करने के लिए भारत और चीन से मदद मांगी।
सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है, “अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि चीनी नेता शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आउटरीच और सार्वजनिक बयानों ने संकट को टालने में मदद की।”
प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने जो चीजें कीं उनमें से एक न केवल उन्हें सीधे संदेश देना था, बल्कि दृढ़तापूर्वक आग्रह करना, दबाव डालना, अन्य देशों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना था।”
रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से कहा गया है, “हमारा मानना है कि इस बारे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अपनी चिंता दिखाना, विशेष रूप से रूस और ग्लोबल साउथ के प्रति प्रमुख देशों की चिंता सहायक और प्रेरक कारक था। इससे यह समझ पैदा हुई कि इस सबकी कीमत क्या हो सकती है।”
साल 2022 में उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के मौके पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करते हुए पीएम मोदी ने संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया था और रूसी नेता से कहा कि “यह युद्ध का युग नहीं है”।
पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से कहा था कि लोकतंत्र, कूटनीति और संवाद ने दुनिया को एक साथ रखा है।
जवाब में रूसी नेता ने कहा था कि वह भारत की “चिंताओं” को समझते हैं और उन्होंने पीएम मोदी से वादा किया कि वह संघर्ष को खत्म करने की कोशिश करेंगे, हालांकि उन्होंने इसे लंबा खींचने के लिए यूक्रेन को दोषी ठहराया।
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नई दिल्ली, 11 मार्च (आईएएनएस)। ‘संभावित रूसी परमाणु हमले’ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य शीर्ष नेताओं के हस्तक्षेप से रोकने में मदद मिली, यह बात सीएनएन की एक रिपोर्ट में कही गई है।
रिपोर्ट में दो वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि जैसे ही 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध बाद में तेज हो गया, अमेरिका ने कीव के खिलाफ मास्को द्वारा संभावित परमाणु हमले के लिए “कठोरता से तैयारी” शुरू कर दी।
अधिकारियों ने कहा कि जो बाइडेन प्रशासन “विशेष रूप से चिंतित” था कि रूस युद्धक्षेत्र में परमाणु हथियार का उपयोग कर सकता है और यह 1945 में अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराए जाने के बाद पहला परमाणु हमला हो सकता है। तभी अमेरिका ने रूस को ऐसे हमले के प्रति हतोत्साहित करने के लिए भारत और चीन से मदद मांगी।
सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है, “अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि चीनी नेता शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आउटरीच और सार्वजनिक बयानों ने संकट को टालने में मदद की।”
प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने जो चीजें कीं उनमें से एक न केवल उन्हें सीधे संदेश देना था, बल्कि दृढ़तापूर्वक आग्रह करना, दबाव डालना, अन्य देशों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना था।”
रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से कहा गया है, “हमारा मानना है कि इस बारे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अपनी चिंता दिखाना, विशेष रूप से रूस और ग्लोबल साउथ के प्रति प्रमुख देशों की चिंता सहायक और प्रेरक कारक था। इससे यह समझ पैदा हुई कि इस सबकी कीमत क्या हो सकती है।”
साल 2022 में उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के मौके पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करते हुए पीएम मोदी ने संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया था और रूसी नेता से कहा कि “यह युद्ध का युग नहीं है”।
पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से कहा था कि लोकतंत्र, कूटनीति और संवाद ने दुनिया को एक साथ रखा है।
जवाब में रूसी नेता ने कहा था कि वह भारत की “चिंताओं” को समझते हैं और उन्होंने पीएम मोदी से वादा किया कि वह संघर्ष को खत्म करने की कोशिश करेंगे, हालांकि उन्होंने इसे लंबा खींचने के लिए यूक्रेन को दोषी ठहराया।
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नई दिल्ली, 11 मार्च (आईएएनएस)। ‘संभावित रूसी परमाणु हमले’ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य शीर्ष नेताओं के हस्तक्षेप से रोकने में मदद मिली, यह बात सीएनएन की एक रिपोर्ट में कही गई है।
रिपोर्ट में दो वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि जैसे ही 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध बाद में तेज हो गया, अमेरिका ने कीव के खिलाफ मास्को द्वारा संभावित परमाणु हमले के लिए “कठोरता से तैयारी” शुरू कर दी।
अधिकारियों ने कहा कि जो बाइडेन प्रशासन “विशेष रूप से चिंतित” था कि रूस युद्धक्षेत्र में परमाणु हथियार का उपयोग कर सकता है और यह 1945 में अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराए जाने के बाद पहला परमाणु हमला हो सकता है। तभी अमेरिका ने रूस को ऐसे हमले के प्रति हतोत्साहित करने के लिए भारत और चीन से मदद मांगी।
सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है, “अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि चीनी नेता शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आउटरीच और सार्वजनिक बयानों ने संकट को टालने में मदद की।”
प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने जो चीजें कीं उनमें से एक न केवल उन्हें सीधे संदेश देना था, बल्कि दृढ़तापूर्वक आग्रह करना, दबाव डालना, अन्य देशों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना था।”
रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से कहा गया है, “हमारा मानना है कि इस बारे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अपनी चिंता दिखाना, विशेष रूप से रूस और ग्लोबल साउथ के प्रति प्रमुख देशों की चिंता सहायक और प्रेरक कारक था। इससे यह समझ पैदा हुई कि इस सबकी कीमत क्या हो सकती है।”
साल 2022 में उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के मौके पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करते हुए पीएम मोदी ने संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया था और रूसी नेता से कहा कि “यह युद्ध का युग नहीं है”।
पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से कहा था कि लोकतंत्र, कूटनीति और संवाद ने दुनिया को एक साथ रखा है।
जवाब में रूसी नेता ने कहा था कि वह भारत की “चिंताओं” को समझते हैं और उन्होंने पीएम मोदी से वादा किया कि वह संघर्ष को खत्म करने की कोशिश करेंगे, हालांकि उन्होंने इसे लंबा खींचने के लिए यूक्रेन को दोषी ठहराया।
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रिपोर्ट में दो वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि जैसे ही 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध बाद में तेज हो गया, अमेरिका ने कीव के खिलाफ मास्को द्वारा संभावित परमाणु हमले के लिए “कठोरता से तैयारी” शुरू कर दी।
अधिकारियों ने कहा कि जो बाइडेन प्रशासन “विशेष रूप से चिंतित” था कि रूस युद्धक्षेत्र में परमाणु हथियार का उपयोग कर सकता है और यह 1945 में अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराए जाने के बाद पहला परमाणु हमला हो सकता है। तभी अमेरिका ने रूस को ऐसे हमले के प्रति हतोत्साहित करने के लिए भारत और चीन से मदद मांगी।
सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है, “अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि चीनी नेता शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आउटरीच और सार्वजनिक बयानों ने संकट को टालने में मदद की।”
प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने जो चीजें कीं उनमें से एक न केवल उन्हें सीधे संदेश देना था, बल्कि दृढ़तापूर्वक आग्रह करना, दबाव डालना, अन्य देशों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना था।”
रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से कहा गया है, “हमारा मानना है कि इस बारे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अपनी चिंता दिखाना, विशेष रूप से रूस और ग्लोबल साउथ के प्रति प्रमुख देशों की चिंता सहायक और प्रेरक कारक था। इससे यह समझ पैदा हुई कि इस सबकी कीमत क्या हो सकती है।”
साल 2022 में उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के मौके पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करते हुए पीएम मोदी ने संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया था और रूसी नेता से कहा कि “यह युद्ध का युग नहीं है”।
पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से कहा था कि लोकतंत्र, कूटनीति और संवाद ने दुनिया को एक साथ रखा है।
जवाब में रूसी नेता ने कहा था कि वह भारत की “चिंताओं” को समझते हैं और उन्होंने पीएम मोदी से वादा किया कि वह संघर्ष को खत्म करने की कोशिश करेंगे, हालांकि उन्होंने इसे लंबा खींचने के लिए यूक्रेन को दोषी ठहराया।
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नई दिल्ली, 11 मार्च (आईएएनएस)। ‘संभावित रूसी परमाणु हमले’ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य शीर्ष नेताओं के हस्तक्षेप से रोकने में मदद मिली, यह बात सीएनएन की एक रिपोर्ट में कही गई है।
रिपोर्ट में दो वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि जैसे ही 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध बाद में तेज हो गया, अमेरिका ने कीव के खिलाफ मास्को द्वारा संभावित परमाणु हमले के लिए “कठोरता से तैयारी” शुरू कर दी।
अधिकारियों ने कहा कि जो बाइडेन प्रशासन “विशेष रूप से चिंतित” था कि रूस युद्धक्षेत्र में परमाणु हथियार का उपयोग कर सकता है और यह 1945 में अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराए जाने के बाद पहला परमाणु हमला हो सकता है। तभी अमेरिका ने रूस को ऐसे हमले के प्रति हतोत्साहित करने के लिए भारत और चीन से मदद मांगी।
सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है, “अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि चीनी नेता शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आउटरीच और सार्वजनिक बयानों ने संकट को टालने में मदद की।”
प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने जो चीजें कीं उनमें से एक न केवल उन्हें सीधे संदेश देना था, बल्कि दृढ़तापूर्वक आग्रह करना, दबाव डालना, अन्य देशों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना था।”
रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से कहा गया है, “हमारा मानना है कि इस बारे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अपनी चिंता दिखाना, विशेष रूप से रूस और ग्लोबल साउथ के प्रति प्रमुख देशों की चिंता सहायक और प्रेरक कारक था। इससे यह समझ पैदा हुई कि इस सबकी कीमत क्या हो सकती है।”
साल 2022 में उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के मौके पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करते हुए पीएम मोदी ने संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया था और रूसी नेता से कहा कि “यह युद्ध का युग नहीं है”।
पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से कहा था कि लोकतंत्र, कूटनीति और संवाद ने दुनिया को एक साथ रखा है।
जवाब में रूसी नेता ने कहा था कि वह भारत की “चिंताओं” को समझते हैं और उन्होंने पीएम मोदी से वादा किया कि वह संघर्ष को खत्म करने की कोशिश करेंगे, हालांकि उन्होंने इसे लंबा खींचने के लिए यूक्रेन को दोषी ठहराया।
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नई दिल्ली, 11 मार्च (आईएएनएस)। ‘संभावित रूसी परमाणु हमले’ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य शीर्ष नेताओं के हस्तक्षेप से रोकने में मदद मिली, यह बात सीएनएन की एक रिपोर्ट में कही गई है।
रिपोर्ट में दो वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि जैसे ही 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध बाद में तेज हो गया, अमेरिका ने कीव के खिलाफ मास्को द्वारा संभावित परमाणु हमले के लिए “कठोरता से तैयारी” शुरू कर दी।
अधिकारियों ने कहा कि जो बाइडेन प्रशासन “विशेष रूप से चिंतित” था कि रूस युद्धक्षेत्र में परमाणु हथियार का उपयोग कर सकता है और यह 1945 में अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराए जाने के बाद पहला परमाणु हमला हो सकता है। तभी अमेरिका ने रूस को ऐसे हमले के प्रति हतोत्साहित करने के लिए भारत और चीन से मदद मांगी।
सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है, “अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि चीनी नेता शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आउटरीच और सार्वजनिक बयानों ने संकट को टालने में मदद की।”
प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने जो चीजें कीं उनमें से एक न केवल उन्हें सीधे संदेश देना था, बल्कि दृढ़तापूर्वक आग्रह करना, दबाव डालना, अन्य देशों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना था।”
रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से कहा गया है, “हमारा मानना है कि इस बारे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अपनी चिंता दिखाना, विशेष रूप से रूस और ग्लोबल साउथ के प्रति प्रमुख देशों की चिंता सहायक और प्रेरक कारक था। इससे यह समझ पैदा हुई कि इस सबकी कीमत क्या हो सकती है।”
साल 2022 में उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के मौके पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करते हुए पीएम मोदी ने संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया था और रूसी नेता से कहा कि “यह युद्ध का युग नहीं है”।
पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से कहा था कि लोकतंत्र, कूटनीति और संवाद ने दुनिया को एक साथ रखा है।
जवाब में रूसी नेता ने कहा था कि वह भारत की “चिंताओं” को समझते हैं और उन्होंने पीएम मोदी से वादा किया कि वह संघर्ष को खत्म करने की कोशिश करेंगे, हालांकि उन्होंने इसे लंबा खींचने के लिए यूक्रेन को दोषी ठहराया।
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रिपोर्ट में दो वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि जैसे ही 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध बाद में तेज हो गया, अमेरिका ने कीव के खिलाफ मास्को द्वारा संभावित परमाणु हमले के लिए “कठोरता से तैयारी” शुरू कर दी।
अधिकारियों ने कहा कि जो बाइडेन प्रशासन “विशेष रूप से चिंतित” था कि रूस युद्धक्षेत्र में परमाणु हथियार का उपयोग कर सकता है और यह 1945 में अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराए जाने के बाद पहला परमाणु हमला हो सकता है। तभी अमेरिका ने रूस को ऐसे हमले के प्रति हतोत्साहित करने के लिए भारत और चीन से मदद मांगी।
सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है, “अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि चीनी नेता शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आउटरीच और सार्वजनिक बयानों ने संकट को टालने में मदद की।”
प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने जो चीजें कीं उनमें से एक न केवल उन्हें सीधे संदेश देना था, बल्कि दृढ़तापूर्वक आग्रह करना, दबाव डालना, अन्य देशों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना था।”
रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से कहा गया है, “हमारा मानना है कि इस बारे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अपनी चिंता दिखाना, विशेष रूप से रूस और ग्लोबल साउथ के प्रति प्रमुख देशों की चिंता सहायक और प्रेरक कारक था। इससे यह समझ पैदा हुई कि इस सबकी कीमत क्या हो सकती है।”
साल 2022 में उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के मौके पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करते हुए पीएम मोदी ने संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया था और रूसी नेता से कहा कि “यह युद्ध का युग नहीं है”।
पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से कहा था कि लोकतंत्र, कूटनीति और संवाद ने दुनिया को एक साथ रखा है।
जवाब में रूसी नेता ने कहा था कि वह भारत की “चिंताओं” को समझते हैं और उन्होंने पीएम मोदी से वादा किया कि वह संघर्ष को खत्म करने की कोशिश करेंगे, हालांकि उन्होंने इसे लंबा खींचने के लिए यूक्रेन को दोषी ठहराया।
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नई दिल्ली, 11 मार्च (आईएएनएस)। ‘संभावित रूसी परमाणु हमले’ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य शीर्ष नेताओं के हस्तक्षेप से रोकने में मदद मिली, यह बात सीएनएन की एक रिपोर्ट में कही गई है।
रिपोर्ट में दो वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि जैसे ही 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध बाद में तेज हो गया, अमेरिका ने कीव के खिलाफ मास्को द्वारा संभावित परमाणु हमले के लिए “कठोरता से तैयारी” शुरू कर दी।
अधिकारियों ने कहा कि जो बाइडेन प्रशासन “विशेष रूप से चिंतित” था कि रूस युद्धक्षेत्र में परमाणु हथियार का उपयोग कर सकता है और यह 1945 में अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराए जाने के बाद पहला परमाणु हमला हो सकता है। तभी अमेरिका ने रूस को ऐसे हमले के प्रति हतोत्साहित करने के लिए भारत और चीन से मदद मांगी।
सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है, “अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि चीनी नेता शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आउटरीच और सार्वजनिक बयानों ने संकट को टालने में मदद की।”
प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने जो चीजें कीं उनमें से एक न केवल उन्हें सीधे संदेश देना था, बल्कि दृढ़तापूर्वक आग्रह करना, दबाव डालना, अन्य देशों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना था।”
रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से कहा गया है, “हमारा मानना है कि इस बारे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अपनी चिंता दिखाना, विशेष रूप से रूस और ग्लोबल साउथ के प्रति प्रमुख देशों की चिंता सहायक और प्रेरक कारक था। इससे यह समझ पैदा हुई कि इस सबकी कीमत क्या हो सकती है।”
साल 2022 में उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के मौके पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करते हुए पीएम मोदी ने संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया था और रूसी नेता से कहा कि “यह युद्ध का युग नहीं है”।
पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से कहा था कि लोकतंत्र, कूटनीति और संवाद ने दुनिया को एक साथ रखा है।
जवाब में रूसी नेता ने कहा था कि वह भारत की “चिंताओं” को समझते हैं और उन्होंने पीएम मोदी से वादा किया कि वह संघर्ष को खत्म करने की कोशिश करेंगे, हालांकि उन्होंने इसे लंबा खींचने के लिए यूक्रेन को दोषी ठहराया।
–आईएएनएस
एसजीके/
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नई दिल्ली, 11 मार्च (आईएएनएस)। ‘संभावित रूसी परमाणु हमले’ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य शीर्ष नेताओं के हस्तक्षेप से रोकने में मदद मिली, यह बात सीएनएन की एक रिपोर्ट में कही गई है।
रिपोर्ट में दो वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि जैसे ही 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध बाद में तेज हो गया, अमेरिका ने कीव के खिलाफ मास्को द्वारा संभावित परमाणु हमले के लिए “कठोरता से तैयारी” शुरू कर दी।
अधिकारियों ने कहा कि जो बाइडेन प्रशासन “विशेष रूप से चिंतित” था कि रूस युद्धक्षेत्र में परमाणु हथियार का उपयोग कर सकता है और यह 1945 में अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराए जाने के बाद पहला परमाणु हमला हो सकता है। तभी अमेरिका ने रूस को ऐसे हमले के प्रति हतोत्साहित करने के लिए भारत और चीन से मदद मांगी।
सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है, “अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि चीनी नेता शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आउटरीच और सार्वजनिक बयानों ने संकट को टालने में मदद की।”
प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने जो चीजें कीं उनमें से एक न केवल उन्हें सीधे संदेश देना था, बल्कि दृढ़तापूर्वक आग्रह करना, दबाव डालना, अन्य देशों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना था।”
रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से कहा गया है, “हमारा मानना है कि इस बारे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अपनी चिंता दिखाना, विशेष रूप से रूस और ग्लोबल साउथ के प्रति प्रमुख देशों की चिंता सहायक और प्रेरक कारक था। इससे यह समझ पैदा हुई कि इस सबकी कीमत क्या हो सकती है।”
साल 2022 में उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के मौके पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करते हुए पीएम मोदी ने संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया था और रूसी नेता से कहा कि “यह युद्ध का युग नहीं है”।
पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से कहा था कि लोकतंत्र, कूटनीति और संवाद ने दुनिया को एक साथ रखा है।
जवाब में रूसी नेता ने कहा था कि वह भारत की “चिंताओं” को समझते हैं और उन्होंने पीएम मोदी से वादा किया कि वह संघर्ष को खत्म करने की कोशिश करेंगे, हालांकि उन्होंने इसे लंबा खींचने के लिए यूक्रेन को दोषी ठहराया।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 11 मार्च (आईएएनएस)। ‘संभावित रूसी परमाणु हमले’ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य शीर्ष नेताओं के हस्तक्षेप से रोकने में मदद मिली, यह बात सीएनएन की एक रिपोर्ट में कही गई है।
रिपोर्ट में दो वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि जैसे ही 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध बाद में तेज हो गया, अमेरिका ने कीव के खिलाफ मास्को द्वारा संभावित परमाणु हमले के लिए “कठोरता से तैयारी” शुरू कर दी।
अधिकारियों ने कहा कि जो बाइडेन प्रशासन “विशेष रूप से चिंतित” था कि रूस युद्धक्षेत्र में परमाणु हथियार का उपयोग कर सकता है और यह 1945 में अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराए जाने के बाद पहला परमाणु हमला हो सकता है। तभी अमेरिका ने रूस को ऐसे हमले के प्रति हतोत्साहित करने के लिए भारत और चीन से मदद मांगी।
सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है, “अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि चीनी नेता शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आउटरीच और सार्वजनिक बयानों ने संकट को टालने में मदद की।”
प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने जो चीजें कीं उनमें से एक न केवल उन्हें सीधे संदेश देना था, बल्कि दृढ़तापूर्वक आग्रह करना, दबाव डालना, अन्य देशों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना था।”
रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से कहा गया है, “हमारा मानना है कि इस बारे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अपनी चिंता दिखाना, विशेष रूप से रूस और ग्लोबल साउथ के प्रति प्रमुख देशों की चिंता सहायक और प्रेरक कारक था। इससे यह समझ पैदा हुई कि इस सबकी कीमत क्या हो सकती है।”
साल 2022 में उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के मौके पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करते हुए पीएम मोदी ने संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया था और रूसी नेता से कहा कि “यह युद्ध का युग नहीं है”।
पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से कहा था कि लोकतंत्र, कूटनीति और संवाद ने दुनिया को एक साथ रखा है।
जवाब में रूसी नेता ने कहा था कि वह भारत की “चिंताओं” को समझते हैं और उन्होंने पीएम मोदी से वादा किया कि वह संघर्ष को खत्म करने की कोशिश करेंगे, हालांकि उन्होंने इसे लंबा खींचने के लिए यूक्रेन को दोषी ठहराया।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 11 मार्च (आईएएनएस)। ‘संभावित रूसी परमाणु हमले’ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य शीर्ष नेताओं के हस्तक्षेप से रोकने में मदद मिली, यह बात सीएनएन की एक रिपोर्ट में कही गई है।
रिपोर्ट में दो वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि जैसे ही 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध बाद में तेज हो गया, अमेरिका ने कीव के खिलाफ मास्को द्वारा संभावित परमाणु हमले के लिए “कठोरता से तैयारी” शुरू कर दी।
अधिकारियों ने कहा कि जो बाइडेन प्रशासन “विशेष रूप से चिंतित” था कि रूस युद्धक्षेत्र में परमाणु हथियार का उपयोग कर सकता है और यह 1945 में अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराए जाने के बाद पहला परमाणु हमला हो सकता है। तभी अमेरिका ने रूस को ऐसे हमले के प्रति हतोत्साहित करने के लिए भारत और चीन से मदद मांगी।
सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है, “अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि चीनी नेता शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आउटरीच और सार्वजनिक बयानों ने संकट को टालने में मदद की।”
प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने जो चीजें कीं उनमें से एक न केवल उन्हें सीधे संदेश देना था, बल्कि दृढ़तापूर्वक आग्रह करना, दबाव डालना, अन्य देशों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना था।”
रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से कहा गया है, “हमारा मानना है कि इस बारे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अपनी चिंता दिखाना, विशेष रूप से रूस और ग्लोबल साउथ के प्रति प्रमुख देशों की चिंता सहायक और प्रेरक कारक था। इससे यह समझ पैदा हुई कि इस सबकी कीमत क्या हो सकती है।”
साल 2022 में उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के मौके पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करते हुए पीएम मोदी ने संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया था और रूसी नेता से कहा कि “यह युद्ध का युग नहीं है”।
पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से कहा था कि लोकतंत्र, कूटनीति और संवाद ने दुनिया को एक साथ रखा है।
जवाब में रूसी नेता ने कहा था कि वह भारत की “चिंताओं” को समझते हैं और उन्होंने पीएम मोदी से वादा किया कि वह संघर्ष को खत्म करने की कोशिश करेंगे, हालांकि उन्होंने इसे लंबा खींचने के लिए यूक्रेन को दोषी ठहराया।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 11 मार्च (आईएएनएस)। ‘संभावित रूसी परमाणु हमले’ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य शीर्ष नेताओं के हस्तक्षेप से रोकने में मदद मिली, यह बात सीएनएन की एक रिपोर्ट में कही गई है।
रिपोर्ट में दो वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि जैसे ही 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध बाद में तेज हो गया, अमेरिका ने कीव के खिलाफ मास्को द्वारा संभावित परमाणु हमले के लिए “कठोरता से तैयारी” शुरू कर दी।
अधिकारियों ने कहा कि जो बाइडेन प्रशासन “विशेष रूप से चिंतित” था कि रूस युद्धक्षेत्र में परमाणु हथियार का उपयोग कर सकता है और यह 1945 में अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराए जाने के बाद पहला परमाणु हमला हो सकता है। तभी अमेरिका ने रूस को ऐसे हमले के प्रति हतोत्साहित करने के लिए भारत और चीन से मदद मांगी।
सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है, “अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि चीनी नेता शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आउटरीच और सार्वजनिक बयानों ने संकट को टालने में मदद की।”
प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने जो चीजें कीं उनमें से एक न केवल उन्हें सीधे संदेश देना था, बल्कि दृढ़तापूर्वक आग्रह करना, दबाव डालना, अन्य देशों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना था।”
रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से कहा गया है, “हमारा मानना है कि इस बारे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अपनी चिंता दिखाना, विशेष रूप से रूस और ग्लोबल साउथ के प्रति प्रमुख देशों की चिंता सहायक और प्रेरक कारक था। इससे यह समझ पैदा हुई कि इस सबकी कीमत क्या हो सकती है।”
साल 2022 में उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के मौके पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करते हुए पीएम मोदी ने संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया था और रूसी नेता से कहा कि “यह युद्ध का युग नहीं है”।
पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से कहा था कि लोकतंत्र, कूटनीति और संवाद ने दुनिया को एक साथ रखा है।
जवाब में रूसी नेता ने कहा था कि वह भारत की “चिंताओं” को समझते हैं और उन्होंने पीएम मोदी से वादा किया कि वह संघर्ष को खत्म करने की कोशिश करेंगे, हालांकि उन्होंने इसे लंबा खींचने के लिए यूक्रेन को दोषी ठहराया।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 11 मार्च (आईएएनएस)। ‘संभावित रूसी परमाणु हमले’ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य शीर्ष नेताओं के हस्तक्षेप से रोकने में मदद मिली, यह बात सीएनएन की एक रिपोर्ट में कही गई है।
रिपोर्ट में दो वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि जैसे ही 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध बाद में तेज हो गया, अमेरिका ने कीव के खिलाफ मास्को द्वारा संभावित परमाणु हमले के लिए “कठोरता से तैयारी” शुरू कर दी।
अधिकारियों ने कहा कि जो बाइडेन प्रशासन “विशेष रूप से चिंतित” था कि रूस युद्धक्षेत्र में परमाणु हथियार का उपयोग कर सकता है और यह 1945 में अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराए जाने के बाद पहला परमाणु हमला हो सकता है। तभी अमेरिका ने रूस को ऐसे हमले के प्रति हतोत्साहित करने के लिए भारत और चीन से मदद मांगी।
सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है, “अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि चीनी नेता शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आउटरीच और सार्वजनिक बयानों ने संकट को टालने में मदद की।”
प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने जो चीजें कीं उनमें से एक न केवल उन्हें सीधे संदेश देना था, बल्कि दृढ़तापूर्वक आग्रह करना, दबाव डालना, अन्य देशों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना था।”
रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से कहा गया है, “हमारा मानना है कि इस बारे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अपनी चिंता दिखाना, विशेष रूप से रूस और ग्लोबल साउथ के प्रति प्रमुख देशों की चिंता सहायक और प्रेरक कारक था। इससे यह समझ पैदा हुई कि इस सबकी कीमत क्या हो सकती है।”
साल 2022 में उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के मौके पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करते हुए पीएम मोदी ने संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया था और रूसी नेता से कहा कि “यह युद्ध का युग नहीं है”।
पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से कहा था कि लोकतंत्र, कूटनीति और संवाद ने दुनिया को एक साथ रखा है।
जवाब में रूसी नेता ने कहा था कि वह भारत की “चिंताओं” को समझते हैं और उन्होंने पीएम मोदी से वादा किया कि वह संघर्ष को खत्म करने की कोशिश करेंगे, हालांकि उन्होंने इसे लंबा खींचने के लिए यूक्रेन को दोषी ठहराया।