चेन्नई, 15 जनवरी (आईएएनएस)। पेरियार विश्वविद्यालय के कुलपति आर. जगन्नाथन ने अपने खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत दर्ज एफआईआर और भारतीय दंड संहिता के तहत धोखाधड़ी के आरोपों को रद्द करने की मांग के साथ मद्रास उच्च न्यायालय का रुख किया है।
आर. जगन्नाथन ने आरोप लगाया कि उनकी छवि और प्रतिष्ठा को धूमिल करने के इरादे से एफआईआर दर्ज की गई है।
कुलपति ने अपनी याचिका में कहा कि 1997 में स्थापित पेरियार विश्वविद्यालय में 27 विभाग और 118 संबद्ध कॉलेज थे और इसका अधिकार क्षेत्र तमिलनाडु के सलेम, धर्मपुरी, नमक्कल और कृष्णागिरि जिलों पर है।
एफआईआर रद्द करने की याचिका में उन्होंने कहा कि 2021 में जब उन्होंने कुलपति का पद संभाला था, उस समय विश्वविद्यालय के वित्तीय प्रबंधन में कई तरह की अनियमितताएं थीं।
जगन्नाथन ने कहा कि उन्होंने अनियमितताओं और वित्तीय कुप्रबंधन को दूर करने के लिए कई कदम उठाए हैं , शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के खिलाफ कानूनी के साथ ही विभागीय कार्यवाही शुरू की है।
उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा विभाग में कुछ कर्मचारियों को निलंबित और बर्खास्त कर दिया था, जब उन्हें पता चला कि जाली दस्तावेजों द्वारा लगभग 23 लाख रुपये का दुरुपयोग किया गया था।
उन्होंने कहा कि उनकी जान को खतरा है और उन्होंने यह भी दलील दी कि उन्होंने कोई वित्तीय अनियमितता नहीं की है।
मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद वेंकटेश 18 जनवरी को मामले की सुनवाई करेंगे।
–आईएएनएस
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