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Home Today's Special News

प्रधानमंत्री कार्यालय में जोशीमठ की स्थिति पर उच्च स्तरीय बैठक (लीड-1)

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January 8, 2023
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प्रधानमंत्री कार्यालय में जोशीमठ की स्थिति पर उच्च स्तरीय बैठक (लीड-1)
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नई दिल्ली, 8 जनवरी (आईएएनएस)। उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन के दरकने से सैकड़ों घरों, होटलों व अन्य प्रतिष्ठानों में बड़ी दरारें पड़ गई हैं। इस स्थिति के उपरांत वहां हालात चिंताजनक बने हुए हैं। केंद्र सरकार हालात पर नजर बनाए हुए है। इस विषय पर प्रधानमंत्री कार्यालय में रविवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हो रही है।

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा रविवार दोपहर पीएमओ में कैबिनेट सचिव और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों के साथ जोशीमठ के हालात को लेकर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक कर रहे हैं।

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उत्तराखंड में आई इस बड़ी आपदा पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक में जोशीमठ के जिला पदाधिकारी भी मौजूद हैं। ग्राउंड जीरो पर मौजूद जोशीमठ के जिला पदाधिकारी इस समीक्षा बैठक में वीडियो कांफ्रेंस से शामिल हो रहे हैं। उत्तराखंड के अनय वरिष्ठ अधिकारी भी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से समीक्षा बैठक में शामिल होंगे।

जोशीमठ की सड़कों, घर, ऑफिस, मैदान, होटल, स्कूल आदि में भूमि दरकने के कारण बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है। जिसके कारण ये भवन रहने के लिए असुरक्षित हो गए हैं। इसी को देखते हुए जोशीमठ में तमाम डेवलपमेंटल गतिविधियां भी रोक दी गई हैं। जैसे रोपवे, जल, विद्युत के लिए काम करने कंपनियों के काम रोक दिए गए हैं। सरकार ने यहां अन्य प्रकार के काम भी रोक दिए गए हैं।

इस स्थिति पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का कहना है कि ऐसे मामले में हालात थोड़ा गंभीर तो रहते ही हैं, भय भी रहता है। केंद्र सरकार इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग कर रही है। राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से लोगों को शिफ्ट कर दिया है। उनकी सारी व्यवस्थाएं की गई है जिसमें भोजन, जल, दवा, डॉक्टर सभी सुविधाएं शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने इस विषय में बैठक ली है और कई बड़े फैसले लिए हैं। हमारा पहला कर्तव्य है हम हर हाल में वहां प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाएं।

भूगर्भ शास्त्री जोशीमठ में घटनास्थल पर गए हैं। भूगर्भ शास्त्रियों ने बीते 2 दिनों में लगातार क्षेत्र में सर्वे किया है। उनकी रिपोर्ट जल्द आने वाली है। स्थानीय लोग भी उनके साथ मुलाकात कर रहे हैं। आपदा आने पर इस प्रकार की चुनौतियां सामने आती है, क्योंकि सबसे बढ़कर बात है कि लोगों को स्थानांतरित करना है और सर्दियों के दिन हैं।

वहीं आपदा प्रबंधन विभाग के आठ सदस्यीय टीम ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। जोशीमठ में जमीन धंसने का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है। इस मामले में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में मांग की गई है कि प्रभावित लोगों को आर्थिक सहायता दी जाए और उनकी संपत्ति का बीमा करवाया जाए।

–आईएएनएस

जीसीबी/एसकेपी

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नई दिल्ली, 8 जनवरी (आईएएनएस)। उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन के दरकने से सैकड़ों घरों, होटलों व अन्य प्रतिष्ठानों में बड़ी दरारें पड़ गई हैं। इस स्थिति के उपरांत वहां हालात चिंताजनक बने हुए हैं। केंद्र सरकार हालात पर नजर बनाए हुए है। इस विषय पर प्रधानमंत्री कार्यालय में रविवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हो रही है।

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा रविवार दोपहर पीएमओ में कैबिनेट सचिव और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों के साथ जोशीमठ के हालात को लेकर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक कर रहे हैं।

उत्तराखंड में आई इस बड़ी आपदा पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक में जोशीमठ के जिला पदाधिकारी भी मौजूद हैं। ग्राउंड जीरो पर मौजूद जोशीमठ के जिला पदाधिकारी इस समीक्षा बैठक में वीडियो कांफ्रेंस से शामिल हो रहे हैं। उत्तराखंड के अनय वरिष्ठ अधिकारी भी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से समीक्षा बैठक में शामिल होंगे।

जोशीमठ की सड़कों, घर, ऑफिस, मैदान, होटल, स्कूल आदि में भूमि दरकने के कारण बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है। जिसके कारण ये भवन रहने के लिए असुरक्षित हो गए हैं। इसी को देखते हुए जोशीमठ में तमाम डेवलपमेंटल गतिविधियां भी रोक दी गई हैं। जैसे रोपवे, जल, विद्युत के लिए काम करने कंपनियों के काम रोक दिए गए हैं। सरकार ने यहां अन्य प्रकार के काम भी रोक दिए गए हैं।

इस स्थिति पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का कहना है कि ऐसे मामले में हालात थोड़ा गंभीर तो रहते ही हैं, भय भी रहता है। केंद्र सरकार इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग कर रही है। राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से लोगों को शिफ्ट कर दिया है। उनकी सारी व्यवस्थाएं की गई है जिसमें भोजन, जल, दवा, डॉक्टर सभी सुविधाएं शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने इस विषय में बैठक ली है और कई बड़े फैसले लिए हैं। हमारा पहला कर्तव्य है हम हर हाल में वहां प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाएं।

भूगर्भ शास्त्री जोशीमठ में घटनास्थल पर गए हैं। भूगर्भ शास्त्रियों ने बीते 2 दिनों में लगातार क्षेत्र में सर्वे किया है। उनकी रिपोर्ट जल्द आने वाली है। स्थानीय लोग भी उनके साथ मुलाकात कर रहे हैं। आपदा आने पर इस प्रकार की चुनौतियां सामने आती है, क्योंकि सबसे बढ़कर बात है कि लोगों को स्थानांतरित करना है और सर्दियों के दिन हैं।

वहीं आपदा प्रबंधन विभाग के आठ सदस्यीय टीम ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। जोशीमठ में जमीन धंसने का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है। इस मामले में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में मांग की गई है कि प्रभावित लोगों को आर्थिक सहायता दी जाए और उनकी संपत्ति का बीमा करवाया जाए।

–आईएएनएस

जीसीबी/एसकेपी

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नई दिल्ली, 8 जनवरी (आईएएनएस)। उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन के दरकने से सैकड़ों घरों, होटलों व अन्य प्रतिष्ठानों में बड़ी दरारें पड़ गई हैं। इस स्थिति के उपरांत वहां हालात चिंताजनक बने हुए हैं। केंद्र सरकार हालात पर नजर बनाए हुए है। इस विषय पर प्रधानमंत्री कार्यालय में रविवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हो रही है।

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा रविवार दोपहर पीएमओ में कैबिनेट सचिव और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों के साथ जोशीमठ के हालात को लेकर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक कर रहे हैं।

उत्तराखंड में आई इस बड़ी आपदा पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक में जोशीमठ के जिला पदाधिकारी भी मौजूद हैं। ग्राउंड जीरो पर मौजूद जोशीमठ के जिला पदाधिकारी इस समीक्षा बैठक में वीडियो कांफ्रेंस से शामिल हो रहे हैं। उत्तराखंड के अनय वरिष्ठ अधिकारी भी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से समीक्षा बैठक में शामिल होंगे।

जोशीमठ की सड़कों, घर, ऑफिस, मैदान, होटल, स्कूल आदि में भूमि दरकने के कारण बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है। जिसके कारण ये भवन रहने के लिए असुरक्षित हो गए हैं। इसी को देखते हुए जोशीमठ में तमाम डेवलपमेंटल गतिविधियां भी रोक दी गई हैं। जैसे रोपवे, जल, विद्युत के लिए काम करने कंपनियों के काम रोक दिए गए हैं। सरकार ने यहां अन्य प्रकार के काम भी रोक दिए गए हैं।

इस स्थिति पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का कहना है कि ऐसे मामले में हालात थोड़ा गंभीर तो रहते ही हैं, भय भी रहता है। केंद्र सरकार इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग कर रही है। राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से लोगों को शिफ्ट कर दिया है। उनकी सारी व्यवस्थाएं की गई है जिसमें भोजन, जल, दवा, डॉक्टर सभी सुविधाएं शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने इस विषय में बैठक ली है और कई बड़े फैसले लिए हैं। हमारा पहला कर्तव्य है हम हर हाल में वहां प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाएं।

भूगर्भ शास्त्री जोशीमठ में घटनास्थल पर गए हैं। भूगर्भ शास्त्रियों ने बीते 2 दिनों में लगातार क्षेत्र में सर्वे किया है। उनकी रिपोर्ट जल्द आने वाली है। स्थानीय लोग भी उनके साथ मुलाकात कर रहे हैं। आपदा आने पर इस प्रकार की चुनौतियां सामने आती है, क्योंकि सबसे बढ़कर बात है कि लोगों को स्थानांतरित करना है और सर्दियों के दिन हैं।

वहीं आपदा प्रबंधन विभाग के आठ सदस्यीय टीम ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। जोशीमठ में जमीन धंसने का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है। इस मामले में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में मांग की गई है कि प्रभावित लोगों को आर्थिक सहायता दी जाए और उनकी संपत्ति का बीमा करवाया जाए।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 8 जनवरी (आईएएनएस)। उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन के दरकने से सैकड़ों घरों, होटलों व अन्य प्रतिष्ठानों में बड़ी दरारें पड़ गई हैं। इस स्थिति के उपरांत वहां हालात चिंताजनक बने हुए हैं। केंद्र सरकार हालात पर नजर बनाए हुए है। इस विषय पर प्रधानमंत्री कार्यालय में रविवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हो रही है।

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा रविवार दोपहर पीएमओ में कैबिनेट सचिव और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों के साथ जोशीमठ के हालात को लेकर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक कर रहे हैं।

उत्तराखंड में आई इस बड़ी आपदा पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक में जोशीमठ के जिला पदाधिकारी भी मौजूद हैं। ग्राउंड जीरो पर मौजूद जोशीमठ के जिला पदाधिकारी इस समीक्षा बैठक में वीडियो कांफ्रेंस से शामिल हो रहे हैं। उत्तराखंड के अनय वरिष्ठ अधिकारी भी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से समीक्षा बैठक में शामिल होंगे।

जोशीमठ की सड़कों, घर, ऑफिस, मैदान, होटल, स्कूल आदि में भूमि दरकने के कारण बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है। जिसके कारण ये भवन रहने के लिए असुरक्षित हो गए हैं। इसी को देखते हुए जोशीमठ में तमाम डेवलपमेंटल गतिविधियां भी रोक दी गई हैं। जैसे रोपवे, जल, विद्युत के लिए काम करने कंपनियों के काम रोक दिए गए हैं। सरकार ने यहां अन्य प्रकार के काम भी रोक दिए गए हैं।

इस स्थिति पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का कहना है कि ऐसे मामले में हालात थोड़ा गंभीर तो रहते ही हैं, भय भी रहता है। केंद्र सरकार इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग कर रही है। राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से लोगों को शिफ्ट कर दिया है। उनकी सारी व्यवस्थाएं की गई है जिसमें भोजन, जल, दवा, डॉक्टर सभी सुविधाएं शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने इस विषय में बैठक ली है और कई बड़े फैसले लिए हैं। हमारा पहला कर्तव्य है हम हर हाल में वहां प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाएं।

भूगर्भ शास्त्री जोशीमठ में घटनास्थल पर गए हैं। भूगर्भ शास्त्रियों ने बीते 2 दिनों में लगातार क्षेत्र में सर्वे किया है। उनकी रिपोर्ट जल्द आने वाली है। स्थानीय लोग भी उनके साथ मुलाकात कर रहे हैं। आपदा आने पर इस प्रकार की चुनौतियां सामने आती है, क्योंकि सबसे बढ़कर बात है कि लोगों को स्थानांतरित करना है और सर्दियों के दिन हैं।

वहीं आपदा प्रबंधन विभाग के आठ सदस्यीय टीम ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। जोशीमठ में जमीन धंसने का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है। इस मामले में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में मांग की गई है कि प्रभावित लोगों को आर्थिक सहायता दी जाए और उनकी संपत्ति का बीमा करवाया जाए।

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नई दिल्ली, 8 जनवरी (आईएएनएस)। उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन के दरकने से सैकड़ों घरों, होटलों व अन्य प्रतिष्ठानों में बड़ी दरारें पड़ गई हैं। इस स्थिति के उपरांत वहां हालात चिंताजनक बने हुए हैं। केंद्र सरकार हालात पर नजर बनाए हुए है। इस विषय पर प्रधानमंत्री कार्यालय में रविवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हो रही है।

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा रविवार दोपहर पीएमओ में कैबिनेट सचिव और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों के साथ जोशीमठ के हालात को लेकर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक कर रहे हैं।

उत्तराखंड में आई इस बड़ी आपदा पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक में जोशीमठ के जिला पदाधिकारी भी मौजूद हैं। ग्राउंड जीरो पर मौजूद जोशीमठ के जिला पदाधिकारी इस समीक्षा बैठक में वीडियो कांफ्रेंस से शामिल हो रहे हैं। उत्तराखंड के अनय वरिष्ठ अधिकारी भी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से समीक्षा बैठक में शामिल होंगे।

जोशीमठ की सड़कों, घर, ऑफिस, मैदान, होटल, स्कूल आदि में भूमि दरकने के कारण बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है। जिसके कारण ये भवन रहने के लिए असुरक्षित हो गए हैं। इसी को देखते हुए जोशीमठ में तमाम डेवलपमेंटल गतिविधियां भी रोक दी गई हैं। जैसे रोपवे, जल, विद्युत के लिए काम करने कंपनियों के काम रोक दिए गए हैं। सरकार ने यहां अन्य प्रकार के काम भी रोक दिए गए हैं।

इस स्थिति पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का कहना है कि ऐसे मामले में हालात थोड़ा गंभीर तो रहते ही हैं, भय भी रहता है। केंद्र सरकार इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग कर रही है। राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से लोगों को शिफ्ट कर दिया है। उनकी सारी व्यवस्थाएं की गई है जिसमें भोजन, जल, दवा, डॉक्टर सभी सुविधाएं शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने इस विषय में बैठक ली है और कई बड़े फैसले लिए हैं। हमारा पहला कर्तव्य है हम हर हाल में वहां प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाएं।

भूगर्भ शास्त्री जोशीमठ में घटनास्थल पर गए हैं। भूगर्भ शास्त्रियों ने बीते 2 दिनों में लगातार क्षेत्र में सर्वे किया है। उनकी रिपोर्ट जल्द आने वाली है। स्थानीय लोग भी उनके साथ मुलाकात कर रहे हैं। आपदा आने पर इस प्रकार की चुनौतियां सामने आती है, क्योंकि सबसे बढ़कर बात है कि लोगों को स्थानांतरित करना है और सर्दियों के दिन हैं।

वहीं आपदा प्रबंधन विभाग के आठ सदस्यीय टीम ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। जोशीमठ में जमीन धंसने का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है। इस मामले में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में मांग की गई है कि प्रभावित लोगों को आर्थिक सहायता दी जाए और उनकी संपत्ति का बीमा करवाया जाए।

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प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा रविवार दोपहर पीएमओ में कैबिनेट सचिव और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों के साथ जोशीमठ के हालात को लेकर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक कर रहे हैं।

उत्तराखंड में आई इस बड़ी आपदा पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक में जोशीमठ के जिला पदाधिकारी भी मौजूद हैं। ग्राउंड जीरो पर मौजूद जोशीमठ के जिला पदाधिकारी इस समीक्षा बैठक में वीडियो कांफ्रेंस से शामिल हो रहे हैं। उत्तराखंड के अनय वरिष्ठ अधिकारी भी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से समीक्षा बैठक में शामिल होंगे।

जोशीमठ की सड़कों, घर, ऑफिस, मैदान, होटल, स्कूल आदि में भूमि दरकने के कारण बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है। जिसके कारण ये भवन रहने के लिए असुरक्षित हो गए हैं। इसी को देखते हुए जोशीमठ में तमाम डेवलपमेंटल गतिविधियां भी रोक दी गई हैं। जैसे रोपवे, जल, विद्युत के लिए काम करने कंपनियों के काम रोक दिए गए हैं। सरकार ने यहां अन्य प्रकार के काम भी रोक दिए गए हैं।

इस स्थिति पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का कहना है कि ऐसे मामले में हालात थोड़ा गंभीर तो रहते ही हैं, भय भी रहता है। केंद्र सरकार इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग कर रही है। राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से लोगों को शिफ्ट कर दिया है। उनकी सारी व्यवस्थाएं की गई है जिसमें भोजन, जल, दवा, डॉक्टर सभी सुविधाएं शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने इस विषय में बैठक ली है और कई बड़े फैसले लिए हैं। हमारा पहला कर्तव्य है हम हर हाल में वहां प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाएं।

भूगर्भ शास्त्री जोशीमठ में घटनास्थल पर गए हैं। भूगर्भ शास्त्रियों ने बीते 2 दिनों में लगातार क्षेत्र में सर्वे किया है। उनकी रिपोर्ट जल्द आने वाली है। स्थानीय लोग भी उनके साथ मुलाकात कर रहे हैं। आपदा आने पर इस प्रकार की चुनौतियां सामने आती है, क्योंकि सबसे बढ़कर बात है कि लोगों को स्थानांतरित करना है और सर्दियों के दिन हैं।

वहीं आपदा प्रबंधन विभाग के आठ सदस्यीय टीम ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। जोशीमठ में जमीन धंसने का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है। इस मामले में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में मांग की गई है कि प्रभावित लोगों को आर्थिक सहायता दी जाए और उनकी संपत्ति का बीमा करवाया जाए।

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नई दिल्ली, 8 जनवरी (आईएएनएस)। उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन के दरकने से सैकड़ों घरों, होटलों व अन्य प्रतिष्ठानों में बड़ी दरारें पड़ गई हैं। इस स्थिति के उपरांत वहां हालात चिंताजनक बने हुए हैं। केंद्र सरकार हालात पर नजर बनाए हुए है। इस विषय पर प्रधानमंत्री कार्यालय में रविवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हो रही है।

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा रविवार दोपहर पीएमओ में कैबिनेट सचिव और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों के साथ जोशीमठ के हालात को लेकर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक कर रहे हैं।

उत्तराखंड में आई इस बड़ी आपदा पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक में जोशीमठ के जिला पदाधिकारी भी मौजूद हैं। ग्राउंड जीरो पर मौजूद जोशीमठ के जिला पदाधिकारी इस समीक्षा बैठक में वीडियो कांफ्रेंस से शामिल हो रहे हैं। उत्तराखंड के अनय वरिष्ठ अधिकारी भी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से समीक्षा बैठक में शामिल होंगे।

जोशीमठ की सड़कों, घर, ऑफिस, मैदान, होटल, स्कूल आदि में भूमि दरकने के कारण बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है। जिसके कारण ये भवन रहने के लिए असुरक्षित हो गए हैं। इसी को देखते हुए जोशीमठ में तमाम डेवलपमेंटल गतिविधियां भी रोक दी गई हैं। जैसे रोपवे, जल, विद्युत के लिए काम करने कंपनियों के काम रोक दिए गए हैं। सरकार ने यहां अन्य प्रकार के काम भी रोक दिए गए हैं।

इस स्थिति पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का कहना है कि ऐसे मामले में हालात थोड़ा गंभीर तो रहते ही हैं, भय भी रहता है। केंद्र सरकार इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग कर रही है। राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से लोगों को शिफ्ट कर दिया है। उनकी सारी व्यवस्थाएं की गई है जिसमें भोजन, जल, दवा, डॉक्टर सभी सुविधाएं शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने इस विषय में बैठक ली है और कई बड़े फैसले लिए हैं। हमारा पहला कर्तव्य है हम हर हाल में वहां प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाएं।

भूगर्भ शास्त्री जोशीमठ में घटनास्थल पर गए हैं। भूगर्भ शास्त्रियों ने बीते 2 दिनों में लगातार क्षेत्र में सर्वे किया है। उनकी रिपोर्ट जल्द आने वाली है। स्थानीय लोग भी उनके साथ मुलाकात कर रहे हैं। आपदा आने पर इस प्रकार की चुनौतियां सामने आती है, क्योंकि सबसे बढ़कर बात है कि लोगों को स्थानांतरित करना है और सर्दियों के दिन हैं।

वहीं आपदा प्रबंधन विभाग के आठ सदस्यीय टीम ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। जोशीमठ में जमीन धंसने का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है। इस मामले में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में मांग की गई है कि प्रभावित लोगों को आर्थिक सहायता दी जाए और उनकी संपत्ति का बीमा करवाया जाए।

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प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा रविवार दोपहर पीएमओ में कैबिनेट सचिव और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों के साथ जोशीमठ के हालात को लेकर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक कर रहे हैं।

उत्तराखंड में आई इस बड़ी आपदा पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक में जोशीमठ के जिला पदाधिकारी भी मौजूद हैं। ग्राउंड जीरो पर मौजूद जोशीमठ के जिला पदाधिकारी इस समीक्षा बैठक में वीडियो कांफ्रेंस से शामिल हो रहे हैं। उत्तराखंड के अनय वरिष्ठ अधिकारी भी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से समीक्षा बैठक में शामिल होंगे।

जोशीमठ की सड़कों, घर, ऑफिस, मैदान, होटल, स्कूल आदि में भूमि दरकने के कारण बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है। जिसके कारण ये भवन रहने के लिए असुरक्षित हो गए हैं। इसी को देखते हुए जोशीमठ में तमाम डेवलपमेंटल गतिविधियां भी रोक दी गई हैं। जैसे रोपवे, जल, विद्युत के लिए काम करने कंपनियों के काम रोक दिए गए हैं। सरकार ने यहां अन्य प्रकार के काम भी रोक दिए गए हैं।

इस स्थिति पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का कहना है कि ऐसे मामले में हालात थोड़ा गंभीर तो रहते ही हैं, भय भी रहता है। केंद्र सरकार इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग कर रही है। राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से लोगों को शिफ्ट कर दिया है। उनकी सारी व्यवस्थाएं की गई है जिसमें भोजन, जल, दवा, डॉक्टर सभी सुविधाएं शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने इस विषय में बैठक ली है और कई बड़े फैसले लिए हैं। हमारा पहला कर्तव्य है हम हर हाल में वहां प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाएं।

भूगर्भ शास्त्री जोशीमठ में घटनास्थल पर गए हैं। भूगर्भ शास्त्रियों ने बीते 2 दिनों में लगातार क्षेत्र में सर्वे किया है। उनकी रिपोर्ट जल्द आने वाली है। स्थानीय लोग भी उनके साथ मुलाकात कर रहे हैं। आपदा आने पर इस प्रकार की चुनौतियां सामने आती है, क्योंकि सबसे बढ़कर बात है कि लोगों को स्थानांतरित करना है और सर्दियों के दिन हैं।

वहीं आपदा प्रबंधन विभाग के आठ सदस्यीय टीम ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। जोशीमठ में जमीन धंसने का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है। इस मामले में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में मांग की गई है कि प्रभावित लोगों को आर्थिक सहायता दी जाए और उनकी संपत्ति का बीमा करवाया जाए।

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नई दिल्ली, 8 जनवरी (आईएएनएस)। उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन के दरकने से सैकड़ों घरों, होटलों व अन्य प्रतिष्ठानों में बड़ी दरारें पड़ गई हैं। इस स्थिति के उपरांत वहां हालात चिंताजनक बने हुए हैं। केंद्र सरकार हालात पर नजर बनाए हुए है। इस विषय पर प्रधानमंत्री कार्यालय में रविवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हो रही है।

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा रविवार दोपहर पीएमओ में कैबिनेट सचिव और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों के साथ जोशीमठ के हालात को लेकर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक कर रहे हैं।

उत्तराखंड में आई इस बड़ी आपदा पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक में जोशीमठ के जिला पदाधिकारी भी मौजूद हैं। ग्राउंड जीरो पर मौजूद जोशीमठ के जिला पदाधिकारी इस समीक्षा बैठक में वीडियो कांफ्रेंस से शामिल हो रहे हैं। उत्तराखंड के अनय वरिष्ठ अधिकारी भी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से समीक्षा बैठक में शामिल होंगे।

जोशीमठ की सड़कों, घर, ऑफिस, मैदान, होटल, स्कूल आदि में भूमि दरकने के कारण बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है। जिसके कारण ये भवन रहने के लिए असुरक्षित हो गए हैं। इसी को देखते हुए जोशीमठ में तमाम डेवलपमेंटल गतिविधियां भी रोक दी गई हैं। जैसे रोपवे, जल, विद्युत के लिए काम करने कंपनियों के काम रोक दिए गए हैं। सरकार ने यहां अन्य प्रकार के काम भी रोक दिए गए हैं।

इस स्थिति पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का कहना है कि ऐसे मामले में हालात थोड़ा गंभीर तो रहते ही हैं, भय भी रहता है। केंद्र सरकार इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग कर रही है। राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से लोगों को शिफ्ट कर दिया है। उनकी सारी व्यवस्थाएं की गई है जिसमें भोजन, जल, दवा, डॉक्टर सभी सुविधाएं शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने इस विषय में बैठक ली है और कई बड़े फैसले लिए हैं। हमारा पहला कर्तव्य है हम हर हाल में वहां प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाएं।

भूगर्भ शास्त्री जोशीमठ में घटनास्थल पर गए हैं। भूगर्भ शास्त्रियों ने बीते 2 दिनों में लगातार क्षेत्र में सर्वे किया है। उनकी रिपोर्ट जल्द आने वाली है। स्थानीय लोग भी उनके साथ मुलाकात कर रहे हैं। आपदा आने पर इस प्रकार की चुनौतियां सामने आती है, क्योंकि सबसे बढ़कर बात है कि लोगों को स्थानांतरित करना है और सर्दियों के दिन हैं।

वहीं आपदा प्रबंधन विभाग के आठ सदस्यीय टीम ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। जोशीमठ में जमीन धंसने का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है। इस मामले में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में मांग की गई है कि प्रभावित लोगों को आर्थिक सहायता दी जाए और उनकी संपत्ति का बीमा करवाया जाए।

–आईएएनएस

जीसीबी/एसकेपी

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नई दिल्ली, 8 जनवरी (आईएएनएस)। उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन के दरकने से सैकड़ों घरों, होटलों व अन्य प्रतिष्ठानों में बड़ी दरारें पड़ गई हैं। इस स्थिति के उपरांत वहां हालात चिंताजनक बने हुए हैं। केंद्र सरकार हालात पर नजर बनाए हुए है। इस विषय पर प्रधानमंत्री कार्यालय में रविवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हो रही है।

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा रविवार दोपहर पीएमओ में कैबिनेट सचिव और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों के साथ जोशीमठ के हालात को लेकर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक कर रहे हैं।

उत्तराखंड में आई इस बड़ी आपदा पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक में जोशीमठ के जिला पदाधिकारी भी मौजूद हैं। ग्राउंड जीरो पर मौजूद जोशीमठ के जिला पदाधिकारी इस समीक्षा बैठक में वीडियो कांफ्रेंस से शामिल हो रहे हैं। उत्तराखंड के अनय वरिष्ठ अधिकारी भी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से समीक्षा बैठक में शामिल होंगे।

जोशीमठ की सड़कों, घर, ऑफिस, मैदान, होटल, स्कूल आदि में भूमि दरकने के कारण बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है। जिसके कारण ये भवन रहने के लिए असुरक्षित हो गए हैं। इसी को देखते हुए जोशीमठ में तमाम डेवलपमेंटल गतिविधियां भी रोक दी गई हैं। जैसे रोपवे, जल, विद्युत के लिए काम करने कंपनियों के काम रोक दिए गए हैं। सरकार ने यहां अन्य प्रकार के काम भी रोक दिए गए हैं।

इस स्थिति पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का कहना है कि ऐसे मामले में हालात थोड़ा गंभीर तो रहते ही हैं, भय भी रहता है। केंद्र सरकार इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग कर रही है। राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से लोगों को शिफ्ट कर दिया है। उनकी सारी व्यवस्थाएं की गई है जिसमें भोजन, जल, दवा, डॉक्टर सभी सुविधाएं शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने इस विषय में बैठक ली है और कई बड़े फैसले लिए हैं। हमारा पहला कर्तव्य है हम हर हाल में वहां प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाएं।

भूगर्भ शास्त्री जोशीमठ में घटनास्थल पर गए हैं। भूगर्भ शास्त्रियों ने बीते 2 दिनों में लगातार क्षेत्र में सर्वे किया है। उनकी रिपोर्ट जल्द आने वाली है। स्थानीय लोग भी उनके साथ मुलाकात कर रहे हैं। आपदा आने पर इस प्रकार की चुनौतियां सामने आती है, क्योंकि सबसे बढ़कर बात है कि लोगों को स्थानांतरित करना है और सर्दियों के दिन हैं।

वहीं आपदा प्रबंधन विभाग के आठ सदस्यीय टीम ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। जोशीमठ में जमीन धंसने का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है। इस मामले में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में मांग की गई है कि प्रभावित लोगों को आर्थिक सहायता दी जाए और उनकी संपत्ति का बीमा करवाया जाए।

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नई दिल्ली, 8 जनवरी (आईएएनएस)। उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन के दरकने से सैकड़ों घरों, होटलों व अन्य प्रतिष्ठानों में बड़ी दरारें पड़ गई हैं। इस स्थिति के उपरांत वहां हालात चिंताजनक बने हुए हैं। केंद्र सरकार हालात पर नजर बनाए हुए है। इस विषय पर प्रधानमंत्री कार्यालय में रविवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हो रही है।

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा रविवार दोपहर पीएमओ में कैबिनेट सचिव और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों के साथ जोशीमठ के हालात को लेकर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक कर रहे हैं।

उत्तराखंड में आई इस बड़ी आपदा पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक में जोशीमठ के जिला पदाधिकारी भी मौजूद हैं। ग्राउंड जीरो पर मौजूद जोशीमठ के जिला पदाधिकारी इस समीक्षा बैठक में वीडियो कांफ्रेंस से शामिल हो रहे हैं। उत्तराखंड के अनय वरिष्ठ अधिकारी भी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से समीक्षा बैठक में शामिल होंगे।

जोशीमठ की सड़कों, घर, ऑफिस, मैदान, होटल, स्कूल आदि में भूमि दरकने के कारण बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है। जिसके कारण ये भवन रहने के लिए असुरक्षित हो गए हैं। इसी को देखते हुए जोशीमठ में तमाम डेवलपमेंटल गतिविधियां भी रोक दी गई हैं। जैसे रोपवे, जल, विद्युत के लिए काम करने कंपनियों के काम रोक दिए गए हैं। सरकार ने यहां अन्य प्रकार के काम भी रोक दिए गए हैं।

इस स्थिति पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का कहना है कि ऐसे मामले में हालात थोड़ा गंभीर तो रहते ही हैं, भय भी रहता है। केंद्र सरकार इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग कर रही है। राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से लोगों को शिफ्ट कर दिया है। उनकी सारी व्यवस्थाएं की गई है जिसमें भोजन, जल, दवा, डॉक्टर सभी सुविधाएं शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने इस विषय में बैठक ली है और कई बड़े फैसले लिए हैं। हमारा पहला कर्तव्य है हम हर हाल में वहां प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाएं।

भूगर्भ शास्त्री जोशीमठ में घटनास्थल पर गए हैं। भूगर्भ शास्त्रियों ने बीते 2 दिनों में लगातार क्षेत्र में सर्वे किया है। उनकी रिपोर्ट जल्द आने वाली है। स्थानीय लोग भी उनके साथ मुलाकात कर रहे हैं। आपदा आने पर इस प्रकार की चुनौतियां सामने आती है, क्योंकि सबसे बढ़कर बात है कि लोगों को स्थानांतरित करना है और सर्दियों के दिन हैं।

वहीं आपदा प्रबंधन विभाग के आठ सदस्यीय टीम ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। जोशीमठ में जमीन धंसने का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है। इस मामले में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में मांग की गई है कि प्रभावित लोगों को आर्थिक सहायता दी जाए और उनकी संपत्ति का बीमा करवाया जाए।

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प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा रविवार दोपहर पीएमओ में कैबिनेट सचिव और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों के साथ जोशीमठ के हालात को लेकर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक कर रहे हैं।

उत्तराखंड में आई इस बड़ी आपदा पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक में जोशीमठ के जिला पदाधिकारी भी मौजूद हैं। ग्राउंड जीरो पर मौजूद जोशीमठ के जिला पदाधिकारी इस समीक्षा बैठक में वीडियो कांफ्रेंस से शामिल हो रहे हैं। उत्तराखंड के अनय वरिष्ठ अधिकारी भी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से समीक्षा बैठक में शामिल होंगे।

जोशीमठ की सड़कों, घर, ऑफिस, मैदान, होटल, स्कूल आदि में भूमि दरकने के कारण बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है। जिसके कारण ये भवन रहने के लिए असुरक्षित हो गए हैं। इसी को देखते हुए जोशीमठ में तमाम डेवलपमेंटल गतिविधियां भी रोक दी गई हैं। जैसे रोपवे, जल, विद्युत के लिए काम करने कंपनियों के काम रोक दिए गए हैं। सरकार ने यहां अन्य प्रकार के काम भी रोक दिए गए हैं।

इस स्थिति पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का कहना है कि ऐसे मामले में हालात थोड़ा गंभीर तो रहते ही हैं, भय भी रहता है। केंद्र सरकार इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग कर रही है। राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से लोगों को शिफ्ट कर दिया है। उनकी सारी व्यवस्थाएं की गई है जिसमें भोजन, जल, दवा, डॉक्टर सभी सुविधाएं शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने इस विषय में बैठक ली है और कई बड़े फैसले लिए हैं। हमारा पहला कर्तव्य है हम हर हाल में वहां प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाएं।

भूगर्भ शास्त्री जोशीमठ में घटनास्थल पर गए हैं। भूगर्भ शास्त्रियों ने बीते 2 दिनों में लगातार क्षेत्र में सर्वे किया है। उनकी रिपोर्ट जल्द आने वाली है। स्थानीय लोग भी उनके साथ मुलाकात कर रहे हैं। आपदा आने पर इस प्रकार की चुनौतियां सामने आती है, क्योंकि सबसे बढ़कर बात है कि लोगों को स्थानांतरित करना है और सर्दियों के दिन हैं।

वहीं आपदा प्रबंधन विभाग के आठ सदस्यीय टीम ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। जोशीमठ में जमीन धंसने का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है। इस मामले में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में मांग की गई है कि प्रभावित लोगों को आर्थिक सहायता दी जाए और उनकी संपत्ति का बीमा करवाया जाए।

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नई दिल्ली, 8 जनवरी (आईएएनएस)। उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन के दरकने से सैकड़ों घरों, होटलों व अन्य प्रतिष्ठानों में बड़ी दरारें पड़ गई हैं। इस स्थिति के उपरांत वहां हालात चिंताजनक बने हुए हैं। केंद्र सरकार हालात पर नजर बनाए हुए है। इस विषय पर प्रधानमंत्री कार्यालय में रविवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हो रही है।

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा रविवार दोपहर पीएमओ में कैबिनेट सचिव और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों के साथ जोशीमठ के हालात को लेकर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक कर रहे हैं।

उत्तराखंड में आई इस बड़ी आपदा पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक में जोशीमठ के जिला पदाधिकारी भी मौजूद हैं। ग्राउंड जीरो पर मौजूद जोशीमठ के जिला पदाधिकारी इस समीक्षा बैठक में वीडियो कांफ्रेंस से शामिल हो रहे हैं। उत्तराखंड के अनय वरिष्ठ अधिकारी भी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से समीक्षा बैठक में शामिल होंगे।

जोशीमठ की सड़कों, घर, ऑफिस, मैदान, होटल, स्कूल आदि में भूमि दरकने के कारण बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है। जिसके कारण ये भवन रहने के लिए असुरक्षित हो गए हैं। इसी को देखते हुए जोशीमठ में तमाम डेवलपमेंटल गतिविधियां भी रोक दी गई हैं। जैसे रोपवे, जल, विद्युत के लिए काम करने कंपनियों के काम रोक दिए गए हैं। सरकार ने यहां अन्य प्रकार के काम भी रोक दिए गए हैं।

इस स्थिति पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का कहना है कि ऐसे मामले में हालात थोड़ा गंभीर तो रहते ही हैं, भय भी रहता है। केंद्र सरकार इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग कर रही है। राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से लोगों को शिफ्ट कर दिया है। उनकी सारी व्यवस्थाएं की गई है जिसमें भोजन, जल, दवा, डॉक्टर सभी सुविधाएं शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने इस विषय में बैठक ली है और कई बड़े फैसले लिए हैं। हमारा पहला कर्तव्य है हम हर हाल में वहां प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाएं।

भूगर्भ शास्त्री जोशीमठ में घटनास्थल पर गए हैं। भूगर्भ शास्त्रियों ने बीते 2 दिनों में लगातार क्षेत्र में सर्वे किया है। उनकी रिपोर्ट जल्द आने वाली है। स्थानीय लोग भी उनके साथ मुलाकात कर रहे हैं। आपदा आने पर इस प्रकार की चुनौतियां सामने आती है, क्योंकि सबसे बढ़कर बात है कि लोगों को स्थानांतरित करना है और सर्दियों के दिन हैं।

वहीं आपदा प्रबंधन विभाग के आठ सदस्यीय टीम ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। जोशीमठ में जमीन धंसने का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है। इस मामले में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में मांग की गई है कि प्रभावित लोगों को आर्थिक सहायता दी जाए और उनकी संपत्ति का बीमा करवाया जाए।

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नई दिल्ली, 8 जनवरी (आईएएनएस)। उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन के दरकने से सैकड़ों घरों, होटलों व अन्य प्रतिष्ठानों में बड़ी दरारें पड़ गई हैं। इस स्थिति के उपरांत वहां हालात चिंताजनक बने हुए हैं। केंद्र सरकार हालात पर नजर बनाए हुए है। इस विषय पर प्रधानमंत्री कार्यालय में रविवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हो रही है।

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा रविवार दोपहर पीएमओ में कैबिनेट सचिव और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों के साथ जोशीमठ के हालात को लेकर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक कर रहे हैं।

उत्तराखंड में आई इस बड़ी आपदा पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक में जोशीमठ के जिला पदाधिकारी भी मौजूद हैं। ग्राउंड जीरो पर मौजूद जोशीमठ के जिला पदाधिकारी इस समीक्षा बैठक में वीडियो कांफ्रेंस से शामिल हो रहे हैं। उत्तराखंड के अनय वरिष्ठ अधिकारी भी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से समीक्षा बैठक में शामिल होंगे।

जोशीमठ की सड़कों, घर, ऑफिस, मैदान, होटल, स्कूल आदि में भूमि दरकने के कारण बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है। जिसके कारण ये भवन रहने के लिए असुरक्षित हो गए हैं। इसी को देखते हुए जोशीमठ में तमाम डेवलपमेंटल गतिविधियां भी रोक दी गई हैं। जैसे रोपवे, जल, विद्युत के लिए काम करने कंपनियों के काम रोक दिए गए हैं। सरकार ने यहां अन्य प्रकार के काम भी रोक दिए गए हैं।

इस स्थिति पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का कहना है कि ऐसे मामले में हालात थोड़ा गंभीर तो रहते ही हैं, भय भी रहता है। केंद्र सरकार इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग कर रही है। राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से लोगों को शिफ्ट कर दिया है। उनकी सारी व्यवस्थाएं की गई है जिसमें भोजन, जल, दवा, डॉक्टर सभी सुविधाएं शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने इस विषय में बैठक ली है और कई बड़े फैसले लिए हैं। हमारा पहला कर्तव्य है हम हर हाल में वहां प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाएं।

भूगर्भ शास्त्री जोशीमठ में घटनास्थल पर गए हैं। भूगर्भ शास्त्रियों ने बीते 2 दिनों में लगातार क्षेत्र में सर्वे किया है। उनकी रिपोर्ट जल्द आने वाली है। स्थानीय लोग भी उनके साथ मुलाकात कर रहे हैं। आपदा आने पर इस प्रकार की चुनौतियां सामने आती है, क्योंकि सबसे बढ़कर बात है कि लोगों को स्थानांतरित करना है और सर्दियों के दिन हैं।

वहीं आपदा प्रबंधन विभाग के आठ सदस्यीय टीम ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। जोशीमठ में जमीन धंसने का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है। इस मामले में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में मांग की गई है कि प्रभावित लोगों को आर्थिक सहायता दी जाए और उनकी संपत्ति का बीमा करवाया जाए।

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प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा रविवार दोपहर पीएमओ में कैबिनेट सचिव और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों के साथ जोशीमठ के हालात को लेकर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक कर रहे हैं।

उत्तराखंड में आई इस बड़ी आपदा पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक में जोशीमठ के जिला पदाधिकारी भी मौजूद हैं। ग्राउंड जीरो पर मौजूद जोशीमठ के जिला पदाधिकारी इस समीक्षा बैठक में वीडियो कांफ्रेंस से शामिल हो रहे हैं। उत्तराखंड के अनय वरिष्ठ अधिकारी भी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से समीक्षा बैठक में शामिल होंगे।

जोशीमठ की सड़कों, घर, ऑफिस, मैदान, होटल, स्कूल आदि में भूमि दरकने के कारण बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है। जिसके कारण ये भवन रहने के लिए असुरक्षित हो गए हैं। इसी को देखते हुए जोशीमठ में तमाम डेवलपमेंटल गतिविधियां भी रोक दी गई हैं। जैसे रोपवे, जल, विद्युत के लिए काम करने कंपनियों के काम रोक दिए गए हैं। सरकार ने यहां अन्य प्रकार के काम भी रोक दिए गए हैं।

इस स्थिति पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का कहना है कि ऐसे मामले में हालात थोड़ा गंभीर तो रहते ही हैं, भय भी रहता है। केंद्र सरकार इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग कर रही है। राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से लोगों को शिफ्ट कर दिया है। उनकी सारी व्यवस्थाएं की गई है जिसमें भोजन, जल, दवा, डॉक्टर सभी सुविधाएं शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने इस विषय में बैठक ली है और कई बड़े फैसले लिए हैं। हमारा पहला कर्तव्य है हम हर हाल में वहां प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाएं।

भूगर्भ शास्त्री जोशीमठ में घटनास्थल पर गए हैं। भूगर्भ शास्त्रियों ने बीते 2 दिनों में लगातार क्षेत्र में सर्वे किया है। उनकी रिपोर्ट जल्द आने वाली है। स्थानीय लोग भी उनके साथ मुलाकात कर रहे हैं। आपदा आने पर इस प्रकार की चुनौतियां सामने आती है, क्योंकि सबसे बढ़कर बात है कि लोगों को स्थानांतरित करना है और सर्दियों के दिन हैं।

वहीं आपदा प्रबंधन विभाग के आठ सदस्यीय टीम ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। जोशीमठ में जमीन धंसने का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है। इस मामले में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में मांग की गई है कि प्रभावित लोगों को आर्थिक सहायता दी जाए और उनकी संपत्ति का बीमा करवाया जाए।

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प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा रविवार दोपहर पीएमओ में कैबिनेट सचिव और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों के साथ जोशीमठ के हालात को लेकर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक कर रहे हैं।

उत्तराखंड में आई इस बड़ी आपदा पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक में जोशीमठ के जिला पदाधिकारी भी मौजूद हैं। ग्राउंड जीरो पर मौजूद जोशीमठ के जिला पदाधिकारी इस समीक्षा बैठक में वीडियो कांफ्रेंस से शामिल हो रहे हैं। उत्तराखंड के अनय वरिष्ठ अधिकारी भी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से समीक्षा बैठक में शामिल होंगे।

जोशीमठ की सड़कों, घर, ऑफिस, मैदान, होटल, स्कूल आदि में भूमि दरकने के कारण बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है। जिसके कारण ये भवन रहने के लिए असुरक्षित हो गए हैं। इसी को देखते हुए जोशीमठ में तमाम डेवलपमेंटल गतिविधियां भी रोक दी गई हैं। जैसे रोपवे, जल, विद्युत के लिए काम करने कंपनियों के काम रोक दिए गए हैं। सरकार ने यहां अन्य प्रकार के काम भी रोक दिए गए हैं।

इस स्थिति पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का कहना है कि ऐसे मामले में हालात थोड़ा गंभीर तो रहते ही हैं, भय भी रहता है। केंद्र सरकार इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग कर रही है। राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से लोगों को शिफ्ट कर दिया है। उनकी सारी व्यवस्थाएं की गई है जिसमें भोजन, जल, दवा, डॉक्टर सभी सुविधाएं शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने इस विषय में बैठक ली है और कई बड़े फैसले लिए हैं। हमारा पहला कर्तव्य है हम हर हाल में वहां प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाएं।

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