कलबुर्गी (कर्नाटक), 7 जुलाई (आईएएनएस)। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक बड़े फैसले में कहा कि प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्द अपमानजनक और गैर-जिम्मेदाराना हो सकते हैं, लेकिन देशद्रोह के दायरे में नहीं आते।
21 जनवरी, 2020 को बीदर शहर के स्कूल परिसर में छात्रों द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी के खिलाफ एक नाटक के प्रदर्शन के बाद शाहीन स्कूल प्रबंधन के खिलाफ राजद्रोह के आरोप लगाए गए थे।
कोर्ट ने अलाउद्दीन, अब्दुल खालिक, मोहम्मद बिलाल और मोहम्मद महताब समेत स्कूल प्रबंधन के सभी सदस्यों के खिलाफ देशद्रोह का मामला रद्द कर दिया था।
कलबुर्गी में न्यायमूर्ति हेमन्त चंदनगौदर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य पैदा करने के लिए लगाए गए आरोप प्रमाणित नहीं हैं।
कोर्ट ने कहा, प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करते हुए ”उन्हें जूते से मारना चाहिए” कहना न केवल अपमानजनक है, बल्कि गैरजिम्मेदाराना भी है।
–आईएएनएस
एमकेएस/एसकेपी
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कलबुर्गी (कर्नाटक), 7 जुलाई (आईएएनएस)। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक बड़े फैसले में कहा कि प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्द अपमानजनक और गैर-जिम्मेदाराना हो सकते हैं, लेकिन देशद्रोह के दायरे में नहीं आते।
21 जनवरी, 2020 को बीदर शहर के स्कूल परिसर में छात्रों द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी के खिलाफ एक नाटक के प्रदर्शन के बाद शाहीन स्कूल प्रबंधन के खिलाफ राजद्रोह के आरोप लगाए गए थे।
कोर्ट ने अलाउद्दीन, अब्दुल खालिक, मोहम्मद बिलाल और मोहम्मद महताब समेत स्कूल प्रबंधन के सभी सदस्यों के खिलाफ देशद्रोह का मामला रद्द कर दिया था।
कलबुर्गी में न्यायमूर्ति हेमन्त चंदनगौदर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य पैदा करने के लिए लगाए गए आरोप प्रमाणित नहीं हैं।
कोर्ट ने कहा, प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करते हुए ”उन्हें जूते से मारना चाहिए” कहना न केवल अपमानजनक है, बल्कि गैरजिम्मेदाराना भी है।
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कलबुर्गी (कर्नाटक), 7 जुलाई (आईएएनएस)। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक बड़े फैसले में कहा कि प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्द अपमानजनक और गैर-जिम्मेदाराना हो सकते हैं, लेकिन देशद्रोह के दायरे में नहीं आते।
21 जनवरी, 2020 को बीदर शहर के स्कूल परिसर में छात्रों द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी के खिलाफ एक नाटक के प्रदर्शन के बाद शाहीन स्कूल प्रबंधन के खिलाफ राजद्रोह के आरोप लगाए गए थे।
कोर्ट ने अलाउद्दीन, अब्दुल खालिक, मोहम्मद बिलाल और मोहम्मद महताब समेत स्कूल प्रबंधन के सभी सदस्यों के खिलाफ देशद्रोह का मामला रद्द कर दिया था।
कलबुर्गी में न्यायमूर्ति हेमन्त चंदनगौदर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य पैदा करने के लिए लगाए गए आरोप प्रमाणित नहीं हैं।
कोर्ट ने कहा, प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करते हुए ”उन्हें जूते से मारना चाहिए” कहना न केवल अपमानजनक है, बल्कि गैरजिम्मेदाराना भी है।
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21 जनवरी, 2020 को बीदर शहर के स्कूल परिसर में छात्रों द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी के खिलाफ एक नाटक के प्रदर्शन के बाद शाहीन स्कूल प्रबंधन के खिलाफ राजद्रोह के आरोप लगाए गए थे।
कोर्ट ने अलाउद्दीन, अब्दुल खालिक, मोहम्मद बिलाल और मोहम्मद महताब समेत स्कूल प्रबंधन के सभी सदस्यों के खिलाफ देशद्रोह का मामला रद्द कर दिया था।
कलबुर्गी में न्यायमूर्ति हेमन्त चंदनगौदर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य पैदा करने के लिए लगाए गए आरोप प्रमाणित नहीं हैं।
कोर्ट ने कहा, प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करते हुए ”उन्हें जूते से मारना चाहिए” कहना न केवल अपमानजनक है, बल्कि गैरजिम्मेदाराना भी है।
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कलबुर्गी (कर्नाटक), 7 जुलाई (आईएएनएस)। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक बड़े फैसले में कहा कि प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्द अपमानजनक और गैर-जिम्मेदाराना हो सकते हैं, लेकिन देशद्रोह के दायरे में नहीं आते।
21 जनवरी, 2020 को बीदर शहर के स्कूल परिसर में छात्रों द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी के खिलाफ एक नाटक के प्रदर्शन के बाद शाहीन स्कूल प्रबंधन के खिलाफ राजद्रोह के आरोप लगाए गए थे।
कोर्ट ने अलाउद्दीन, अब्दुल खालिक, मोहम्मद बिलाल और मोहम्मद महताब समेत स्कूल प्रबंधन के सभी सदस्यों के खिलाफ देशद्रोह का मामला रद्द कर दिया था।
कलबुर्गी में न्यायमूर्ति हेमन्त चंदनगौदर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य पैदा करने के लिए लगाए गए आरोप प्रमाणित नहीं हैं।
कोर्ट ने कहा, प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करते हुए ”उन्हें जूते से मारना चाहिए” कहना न केवल अपमानजनक है, बल्कि गैरजिम्मेदाराना भी है।
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21 जनवरी, 2020 को बीदर शहर के स्कूल परिसर में छात्रों द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी के खिलाफ एक नाटक के प्रदर्शन के बाद शाहीन स्कूल प्रबंधन के खिलाफ राजद्रोह के आरोप लगाए गए थे।
कोर्ट ने अलाउद्दीन, अब्दुल खालिक, मोहम्मद बिलाल और मोहम्मद महताब समेत स्कूल प्रबंधन के सभी सदस्यों के खिलाफ देशद्रोह का मामला रद्द कर दिया था।
कलबुर्गी में न्यायमूर्ति हेमन्त चंदनगौदर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य पैदा करने के लिए लगाए गए आरोप प्रमाणित नहीं हैं।
कोर्ट ने कहा, प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करते हुए ”उन्हें जूते से मारना चाहिए” कहना न केवल अपमानजनक है, बल्कि गैरजिम्मेदाराना भी है।
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21 जनवरी, 2020 को बीदर शहर के स्कूल परिसर में छात्रों द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी के खिलाफ एक नाटक के प्रदर्शन के बाद शाहीन स्कूल प्रबंधन के खिलाफ राजद्रोह के आरोप लगाए गए थे।
कोर्ट ने अलाउद्दीन, अब्दुल खालिक, मोहम्मद बिलाल और मोहम्मद महताब समेत स्कूल प्रबंधन के सभी सदस्यों के खिलाफ देशद्रोह का मामला रद्द कर दिया था।
कलबुर्गी में न्यायमूर्ति हेमन्त चंदनगौदर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य पैदा करने के लिए लगाए गए आरोप प्रमाणित नहीं हैं।
कोर्ट ने कहा, प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करते हुए ”उन्हें जूते से मारना चाहिए” कहना न केवल अपमानजनक है, बल्कि गैरजिम्मेदाराना भी है।
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21 जनवरी, 2020 को बीदर शहर के स्कूल परिसर में छात्रों द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी के खिलाफ एक नाटक के प्रदर्शन के बाद शाहीन स्कूल प्रबंधन के खिलाफ राजद्रोह के आरोप लगाए गए थे।
कोर्ट ने अलाउद्दीन, अब्दुल खालिक, मोहम्मद बिलाल और मोहम्मद महताब समेत स्कूल प्रबंधन के सभी सदस्यों के खिलाफ देशद्रोह का मामला रद्द कर दिया था।
कलबुर्गी में न्यायमूर्ति हेमन्त चंदनगौदर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य पैदा करने के लिए लगाए गए आरोप प्रमाणित नहीं हैं।
कोर्ट ने कहा, प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करते हुए ”उन्हें जूते से मारना चाहिए” कहना न केवल अपमानजनक है, बल्कि गैरजिम्मेदाराना भी है।
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21 जनवरी, 2020 को बीदर शहर के स्कूल परिसर में छात्रों द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी के खिलाफ एक नाटक के प्रदर्शन के बाद शाहीन स्कूल प्रबंधन के खिलाफ राजद्रोह के आरोप लगाए गए थे।
कोर्ट ने अलाउद्दीन, अब्दुल खालिक, मोहम्मद बिलाल और मोहम्मद महताब समेत स्कूल प्रबंधन के सभी सदस्यों के खिलाफ देशद्रोह का मामला रद्द कर दिया था।
कलबुर्गी में न्यायमूर्ति हेमन्त चंदनगौदर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य पैदा करने के लिए लगाए गए आरोप प्रमाणित नहीं हैं।
कोर्ट ने कहा, प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करते हुए ”उन्हें जूते से मारना चाहिए” कहना न केवल अपमानजनक है, बल्कि गैरजिम्मेदाराना भी है।
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21 जनवरी, 2020 को बीदर शहर के स्कूल परिसर में छात्रों द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी के खिलाफ एक नाटक के प्रदर्शन के बाद शाहीन स्कूल प्रबंधन के खिलाफ राजद्रोह के आरोप लगाए गए थे।
कोर्ट ने अलाउद्दीन, अब्दुल खालिक, मोहम्मद बिलाल और मोहम्मद महताब समेत स्कूल प्रबंधन के सभी सदस्यों के खिलाफ देशद्रोह का मामला रद्द कर दिया था।
कलबुर्गी में न्यायमूर्ति हेमन्त चंदनगौदर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य पैदा करने के लिए लगाए गए आरोप प्रमाणित नहीं हैं।
कोर्ट ने कहा, प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करते हुए ”उन्हें जूते से मारना चाहिए” कहना न केवल अपमानजनक है, बल्कि गैरजिम्मेदाराना भी है।
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21 जनवरी, 2020 को बीदर शहर के स्कूल परिसर में छात्रों द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी के खिलाफ एक नाटक के प्रदर्शन के बाद शाहीन स्कूल प्रबंधन के खिलाफ राजद्रोह के आरोप लगाए गए थे।
कोर्ट ने अलाउद्दीन, अब्दुल खालिक, मोहम्मद बिलाल और मोहम्मद महताब समेत स्कूल प्रबंधन के सभी सदस्यों के खिलाफ देशद्रोह का मामला रद्द कर दिया था।
कलबुर्गी में न्यायमूर्ति हेमन्त चंदनगौदर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य पैदा करने के लिए लगाए गए आरोप प्रमाणित नहीं हैं।
कोर्ट ने कहा, प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करते हुए ”उन्हें जूते से मारना चाहिए” कहना न केवल अपमानजनक है, बल्कि गैरजिम्मेदाराना भी है।
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21 जनवरी, 2020 को बीदर शहर के स्कूल परिसर में छात्रों द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी के खिलाफ एक नाटक के प्रदर्शन के बाद शाहीन स्कूल प्रबंधन के खिलाफ राजद्रोह के आरोप लगाए गए थे।
कोर्ट ने अलाउद्दीन, अब्दुल खालिक, मोहम्मद बिलाल और मोहम्मद महताब समेत स्कूल प्रबंधन के सभी सदस्यों के खिलाफ देशद्रोह का मामला रद्द कर दिया था।
कलबुर्गी में न्यायमूर्ति हेमन्त चंदनगौदर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य पैदा करने के लिए लगाए गए आरोप प्रमाणित नहीं हैं।
कोर्ट ने कहा, प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करते हुए ”उन्हें जूते से मारना चाहिए” कहना न केवल अपमानजनक है, बल्कि गैरजिम्मेदाराना भी है।
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21 जनवरी, 2020 को बीदर शहर के स्कूल परिसर में छात्रों द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी के खिलाफ एक नाटक के प्रदर्शन के बाद शाहीन स्कूल प्रबंधन के खिलाफ राजद्रोह के आरोप लगाए गए थे।
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कलबुर्गी में न्यायमूर्ति हेमन्त चंदनगौदर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य पैदा करने के लिए लगाए गए आरोप प्रमाणित नहीं हैं।
कोर्ट ने कहा, प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करते हुए ”उन्हें जूते से मारना चाहिए” कहना न केवल अपमानजनक है, बल्कि गैरजिम्मेदाराना भी है।
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21 जनवरी, 2020 को बीदर शहर के स्कूल परिसर में छात्रों द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी के खिलाफ एक नाटक के प्रदर्शन के बाद शाहीन स्कूल प्रबंधन के खिलाफ राजद्रोह के आरोप लगाए गए थे।
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कलबुर्गी में न्यायमूर्ति हेमन्त चंदनगौदर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य पैदा करने के लिए लगाए गए आरोप प्रमाणित नहीं हैं।
कोर्ट ने कहा, प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करते हुए ”उन्हें जूते से मारना चाहिए” कहना न केवल अपमानजनक है, बल्कि गैरजिम्मेदाराना भी है।
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21 जनवरी, 2020 को बीदर शहर के स्कूल परिसर में छात्रों द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी के खिलाफ एक नाटक के प्रदर्शन के बाद शाहीन स्कूल प्रबंधन के खिलाफ राजद्रोह के आरोप लगाए गए थे।
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कोर्ट ने कहा, प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करते हुए ”उन्हें जूते से मारना चाहिए” कहना न केवल अपमानजनक है, बल्कि गैरजिम्मेदाराना भी है।
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21 जनवरी, 2020 को बीदर शहर के स्कूल परिसर में छात्रों द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी के खिलाफ एक नाटक के प्रदर्शन के बाद शाहीन स्कूल प्रबंधन के खिलाफ राजद्रोह के आरोप लगाए गए थे।
कोर्ट ने अलाउद्दीन, अब्दुल खालिक, मोहम्मद बिलाल और मोहम्मद महताब समेत स्कूल प्रबंधन के सभी सदस्यों के खिलाफ देशद्रोह का मामला रद्द कर दिया था।
कलबुर्गी में न्यायमूर्ति हेमन्त चंदनगौदर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य पैदा करने के लिए लगाए गए आरोप प्रमाणित नहीं हैं।
कोर्ट ने कहा, प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करते हुए ”उन्हें जूते से मारना चाहिए” कहना न केवल अपमानजनक है, बल्कि गैरजिम्मेदाराना भी है।