बीजिंग, 16 जून (आईएएनएस)। 14 जून को चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने यात्रा पर आये फिलिस्तीनी राष्ट्रपति अब्बास के साथ वार्ता की। इस दौरान शी चिनफिंग ने फिलिस्तीन मुद्दे पर तीन सूत्रीय सुझाव पेश किये। स्थानीय विशेषज्ञों के विचार में इन सुझावों से फिर जाहिर है कि चीन फिलिस्तीनी जनता द्वारा राष्ट्रीय वैधिक हितों की बहाली करने के न्यायपूर्ण कार्यों का डटकर समर्थन करता है। चीन मध्यपूर्व के लिए हमेशा न्यायपूर्ण और निष्पक्ष बात कर रहा है।
चीनी पक्ष के विचार में फिलिस्तीन मुद्दे के समाधान का मूल रास्ता है कि वर्ष 1967 की सीमा के आधार पर पूरी प्रभुसत्ता संपन्न स्वतंत्र फिलिस्तीन देश की स्थापना की जाए और उस की राजधानी पूर्वी यरूशलम होनी चाहिए। यह वास्तव में अंतरराष्ट्रीय समुदाय में प्रचलित दो देशों की योजना है। ध्यान रहे वर्ष 1967 में पैदा तीसरे मध्य पूर्व युद्ध में इजरायल ने गाजा पट्टी और जोर्डन नदी के पश्चिमी तट को कब्जा कर लिया। यूएन सुरक्षा परिषद ने दो बार प्रस्ताव पारित कर इजरायल से वर्ष 1967 में कब्जा की गयी फिलिस्तीनी भूमि को वापस लौटाने की मांग की। पर इजरायल ने पूरी भूमि नहीं लौटायी और इस के विपरीत इजारयल जोर्डन नदी के पश्चिमी तट के नागरिक ठिकानों का विस्तार करता रहा।
इधर कुछ सालों से अमेरिकी सरकार यरूशलम के स्थान और यहूदियों के ठिकानों की वैधता जैसे महत्वपूर्ण सवालों पर पक्षपात कर रही है। चीन का मत निष्पक्ष है और यूएन प्रस्तावों का सम्मान भी है। इसके साथ चीन ने बल दिया कि फिलिस्तीन की आर्थिक व जनजीवन मांग को सुनिश्चित किया जाना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को फिलिस्तीन के विकास के लिए अधिक मदद और मानवीय सहायता देनी चाहिए। पांच दशकों में निरंतर मुठभेड़ व मुकाबले से फिलिस्तीन का आर्थिक व सामाजिक विकास लगभग ठप हो गया है और सरकारी संचालन और जनता का जीवन मुख्य तौर पर अंतरराष्ट्रीय राहत पर निर्भर है।
इसके अलावा चीन ने कहा कि संबंधित पक्षों को शांति वार्ता की सही दिशा पर कायम रहना चाहिए। फिलिस्तीन सवाल पर चीन का कोई स्वार्थ नहीं है। आशा है कि फिलिस्तीन और इजरायल को चीन के तीन सुझावों का बारीकी से अध्ययन कर राजनीतिक साहस के साथ शांति वार्ता बहाल करेंगे।
(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
–आईएएनएस
एसकेपी