कोलकाता, 18 जुलाई (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल में जिला बार एसोसिएशन ने 13 जुलाई से जिला न्यायाधीश की अदालत का बहिष्कार कर दिया है, क्योंकि न्यायाधीश ने पंचायत चुनाव संबंधी हिंसा में कथित संलिप्तता के लिए अदालत के एक क्लर्क को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
11 जुलाई को पंचायत चुनावों की गिनती के दिन 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया और दुर्गापुर जिला अदालत के न्यायाधीश असीमानंद मंडल की पीठ के सामने पेश किया गया।
उनमें से एक रतन मंडल था, जो उसी अदालत में क्लर्क था। 12 जुलाई को उसके वकील ने जमानत याचिका दायर की थी, जिसे असीमानंद मंडल ने खारिज कर दिया और उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
अगले ही दिन से दुर्गापुर बार एसोसिएशन ने जज असीमानंद की अदालत का बहिष्कार करना शुरू कर दिया। यह पहली बार नहीं है कि न्यायाधीशों को किसी न किसी कारण से नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है।
हाल ही में, तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने बिना नाम लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राजशेखर मंथा पर “असामाजिक तत्वों को संरक्षण” देने का आरोप लगाया था।
बनर्जी ने न्यायमूर्ति मंथा द्वारा राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को राज्य पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज किए गए कई मामलों में गिरफ्तारी सहित दंडात्मक कार्रवाई के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने वाले लगातार आदेशों के संबंध में यह बात कही।
बनर्जी की टिप्पणी के बाद सीपीआई (एम) के राज्यसभा सदस्य और कलकत्ता उच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील विकास रंजन भट्टाचार्य ने अदालत से तृणमूल नेता के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की मांग की थी।
इससे पहले तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष ने भी जस्टिस मंथा पर अभूतपूर्व हमला बोला था। अगले ही दिन कोलकाता में जस्टिस मंथा के आवास की दीवारों पर निंदनीय पोस्टर चिपका दिए गए। इसके बाद सत्तारूढ़ दल के करीबी अधिवक्ताओं के एक वर्ग ने न्यायमूर्ति मंथा की पीठ का बहिष्कार किया।
उन्होंने न केवल न्यायमूर्ति मंथा की पीठ का बहिष्कार किया, बल्कि अन्य अधिवक्ताओं को भी उनकी अदालत में जाने से रोका। इस घटना को लेकर एक सप्ताह से अधिक समय तक अराजकता जारी रही।
–आईएएनएस
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