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बंगाल वन विभाग मानव-हाथी संघर्ष टालने को हाथी के लिए उगाएगा फसल

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March 25, 2023
in ताज़ा समाचार
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बंगाल वन विभाग मानव-हाथी संघर्ष टालने को हाथी के लिए उगाएगा फसल
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कोलकाता, 25 मार्च (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल सरकार का वन विभाग जंगलों से सटी जमीन पर हाथियों की पसंदीदा फसल उगाने की योजना बना रहा है, ताकि हाथी भोजन की तलाश में आसपास के गांवों में न जाएं।

वन मंत्री ज्योतिप्रियो मल्लिक के अनुसार, हाथियों को पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने की पहल की गई है, ताकि वे भोजन की तलाश में गांवों में प्रवेश न करें।

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मल्लिक ने कहा, यह पहल यदि सफल रही, तो इन क्षेत्रों में मानव-हाथी संघर्ष की घटनाओं में काफी हद तक कमी आएगी। वन विभाग ने अनुपयोगी भूमि की पहचान के लिए सर्वेक्षण कार्य शुरू कर दिया है और भूमि की पहचान हो जाने के बाद वन अधिकारियों और कर्मचारियों की देखरेख में वहां खेती शुरू हो जाएगी।

पता चला है कि सर्वेक्षण उत्तर और दक्षिण बंगाल के दोनों वन क्षेत्रों में किया जाएगा। उत्तर बंगाल के तीन जिलों दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार में एक प्रायोगिक परियोजना शुरू हो चुकी है।

अगले चरण में दक्षिण बंगाल के वन क्षेत्रों में सर्वे का काम शुरू होगा।

मंत्री ने कहा, यह पहली बार है कि हमने इस तरह का सर्वेक्षण शुरू किया है।

वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अलीपुरद्वार जिले के लताबाड़ी गांव के निवासियों द्वारा अपनाए गए कुछ ऐसे ही और सफल मॉडल के बाद अधिकारियों को खेती करने का विचार आया, जहां ग्रामीण गांव के प्रवेश बिंदुओं पर अपने द्वारा उत्पादित कृषि उत्पादों के एक हिस्से को हाथियों के लिए भोजन के रूप में स्टॉक करते हैं।

मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएं, जो उस गांव में पहले अक्सर होती थीं, हाल के दिनों में काफी हद तक कम हुई हैं।

पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक अतनु राहा जैसे वन्यजीव विशेषज्ञ भी महसूस करते हैं कि यह मानव-हाथी संघर्ष से बचने के लिए हाथी मनोविज्ञान से जुड़ा एक बहुत प्रभावी और वैज्ञानिक तरीका है।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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कोलकाता, 25 मार्च (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल सरकार का वन विभाग जंगलों से सटी जमीन पर हाथियों की पसंदीदा फसल उगाने की योजना बना रहा है, ताकि हाथी भोजन की तलाश में आसपास के गांवों में न जाएं।

वन मंत्री ज्योतिप्रियो मल्लिक के अनुसार, हाथियों को पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने की पहल की गई है, ताकि वे भोजन की तलाश में गांवों में प्रवेश न करें।

मल्लिक ने कहा, यह पहल यदि सफल रही, तो इन क्षेत्रों में मानव-हाथी संघर्ष की घटनाओं में काफी हद तक कमी आएगी। वन विभाग ने अनुपयोगी भूमि की पहचान के लिए सर्वेक्षण कार्य शुरू कर दिया है और भूमि की पहचान हो जाने के बाद वन अधिकारियों और कर्मचारियों की देखरेख में वहां खेती शुरू हो जाएगी।

पता चला है कि सर्वेक्षण उत्तर और दक्षिण बंगाल के दोनों वन क्षेत्रों में किया जाएगा। उत्तर बंगाल के तीन जिलों दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार में एक प्रायोगिक परियोजना शुरू हो चुकी है।

अगले चरण में दक्षिण बंगाल के वन क्षेत्रों में सर्वे का काम शुरू होगा।

मंत्री ने कहा, यह पहली बार है कि हमने इस तरह का सर्वेक्षण शुरू किया है।

वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अलीपुरद्वार जिले के लताबाड़ी गांव के निवासियों द्वारा अपनाए गए कुछ ऐसे ही और सफल मॉडल के बाद अधिकारियों को खेती करने का विचार आया, जहां ग्रामीण गांव के प्रवेश बिंदुओं पर अपने द्वारा उत्पादित कृषि उत्पादों के एक हिस्से को हाथियों के लिए भोजन के रूप में स्टॉक करते हैं।

मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएं, जो उस गांव में पहले अक्सर होती थीं, हाल के दिनों में काफी हद तक कम हुई हैं।

पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक अतनु राहा जैसे वन्यजीव विशेषज्ञ भी महसूस करते हैं कि यह मानव-हाथी संघर्ष से बचने के लिए हाथी मनोविज्ञान से जुड़ा एक बहुत प्रभावी और वैज्ञानिक तरीका है।

–आईएएनएस

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कोलकाता, 25 मार्च (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल सरकार का वन विभाग जंगलों से सटी जमीन पर हाथियों की पसंदीदा फसल उगाने की योजना बना रहा है, ताकि हाथी भोजन की तलाश में आसपास के गांवों में न जाएं।

वन मंत्री ज्योतिप्रियो मल्लिक के अनुसार, हाथियों को पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने की पहल की गई है, ताकि वे भोजन की तलाश में गांवों में प्रवेश न करें।

मल्लिक ने कहा, यह पहल यदि सफल रही, तो इन क्षेत्रों में मानव-हाथी संघर्ष की घटनाओं में काफी हद तक कमी आएगी। वन विभाग ने अनुपयोगी भूमि की पहचान के लिए सर्वेक्षण कार्य शुरू कर दिया है और भूमि की पहचान हो जाने के बाद वन अधिकारियों और कर्मचारियों की देखरेख में वहां खेती शुरू हो जाएगी।

पता चला है कि सर्वेक्षण उत्तर और दक्षिण बंगाल के दोनों वन क्षेत्रों में किया जाएगा। उत्तर बंगाल के तीन जिलों दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार में एक प्रायोगिक परियोजना शुरू हो चुकी है।

अगले चरण में दक्षिण बंगाल के वन क्षेत्रों में सर्वे का काम शुरू होगा।

मंत्री ने कहा, यह पहली बार है कि हमने इस तरह का सर्वेक्षण शुरू किया है।

वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अलीपुरद्वार जिले के लताबाड़ी गांव के निवासियों द्वारा अपनाए गए कुछ ऐसे ही और सफल मॉडल के बाद अधिकारियों को खेती करने का विचार आया, जहां ग्रामीण गांव के प्रवेश बिंदुओं पर अपने द्वारा उत्पादित कृषि उत्पादों के एक हिस्से को हाथियों के लिए भोजन के रूप में स्टॉक करते हैं।

मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएं, जो उस गांव में पहले अक्सर होती थीं, हाल के दिनों में काफी हद तक कम हुई हैं।

पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक अतनु राहा जैसे वन्यजीव विशेषज्ञ भी महसूस करते हैं कि यह मानव-हाथी संघर्ष से बचने के लिए हाथी मनोविज्ञान से जुड़ा एक बहुत प्रभावी और वैज्ञानिक तरीका है।

–आईएएनएस

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कोलकाता, 25 मार्च (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल सरकार का वन विभाग जंगलों से सटी जमीन पर हाथियों की पसंदीदा फसल उगाने की योजना बना रहा है, ताकि हाथी भोजन की तलाश में आसपास के गांवों में न जाएं।

वन मंत्री ज्योतिप्रियो मल्लिक के अनुसार, हाथियों को पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने की पहल की गई है, ताकि वे भोजन की तलाश में गांवों में प्रवेश न करें।

मल्लिक ने कहा, यह पहल यदि सफल रही, तो इन क्षेत्रों में मानव-हाथी संघर्ष की घटनाओं में काफी हद तक कमी आएगी। वन विभाग ने अनुपयोगी भूमि की पहचान के लिए सर्वेक्षण कार्य शुरू कर दिया है और भूमि की पहचान हो जाने के बाद वन अधिकारियों और कर्मचारियों की देखरेख में वहां खेती शुरू हो जाएगी।

पता चला है कि सर्वेक्षण उत्तर और दक्षिण बंगाल के दोनों वन क्षेत्रों में किया जाएगा। उत्तर बंगाल के तीन जिलों दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार में एक प्रायोगिक परियोजना शुरू हो चुकी है।

अगले चरण में दक्षिण बंगाल के वन क्षेत्रों में सर्वे का काम शुरू होगा।

मंत्री ने कहा, यह पहली बार है कि हमने इस तरह का सर्वेक्षण शुरू किया है।

वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अलीपुरद्वार जिले के लताबाड़ी गांव के निवासियों द्वारा अपनाए गए कुछ ऐसे ही और सफल मॉडल के बाद अधिकारियों को खेती करने का विचार आया, जहां ग्रामीण गांव के प्रवेश बिंदुओं पर अपने द्वारा उत्पादित कृषि उत्पादों के एक हिस्से को हाथियों के लिए भोजन के रूप में स्टॉक करते हैं।

मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएं, जो उस गांव में पहले अक्सर होती थीं, हाल के दिनों में काफी हद तक कम हुई हैं।

पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक अतनु राहा जैसे वन्यजीव विशेषज्ञ भी महसूस करते हैं कि यह मानव-हाथी संघर्ष से बचने के लिए हाथी मनोविज्ञान से जुड़ा एक बहुत प्रभावी और वैज्ञानिक तरीका है।

–आईएएनएस

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कोलकाता, 25 मार्च (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल सरकार का वन विभाग जंगलों से सटी जमीन पर हाथियों की पसंदीदा फसल उगाने की योजना बना रहा है, ताकि हाथी भोजन की तलाश में आसपास के गांवों में न जाएं।

वन मंत्री ज्योतिप्रियो मल्लिक के अनुसार, हाथियों को पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने की पहल की गई है, ताकि वे भोजन की तलाश में गांवों में प्रवेश न करें।

मल्लिक ने कहा, यह पहल यदि सफल रही, तो इन क्षेत्रों में मानव-हाथी संघर्ष की घटनाओं में काफी हद तक कमी आएगी। वन विभाग ने अनुपयोगी भूमि की पहचान के लिए सर्वेक्षण कार्य शुरू कर दिया है और भूमि की पहचान हो जाने के बाद वन अधिकारियों और कर्मचारियों की देखरेख में वहां खेती शुरू हो जाएगी।

पता चला है कि सर्वेक्षण उत्तर और दक्षिण बंगाल के दोनों वन क्षेत्रों में किया जाएगा। उत्तर बंगाल के तीन जिलों दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार में एक प्रायोगिक परियोजना शुरू हो चुकी है।

अगले चरण में दक्षिण बंगाल के वन क्षेत्रों में सर्वे का काम शुरू होगा।

मंत्री ने कहा, यह पहली बार है कि हमने इस तरह का सर्वेक्षण शुरू किया है।

वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अलीपुरद्वार जिले के लताबाड़ी गांव के निवासियों द्वारा अपनाए गए कुछ ऐसे ही और सफल मॉडल के बाद अधिकारियों को खेती करने का विचार आया, जहां ग्रामीण गांव के प्रवेश बिंदुओं पर अपने द्वारा उत्पादित कृषि उत्पादों के एक हिस्से को हाथियों के लिए भोजन के रूप में स्टॉक करते हैं।

मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएं, जो उस गांव में पहले अक्सर होती थीं, हाल के दिनों में काफी हद तक कम हुई हैं।

पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक अतनु राहा जैसे वन्यजीव विशेषज्ञ भी महसूस करते हैं कि यह मानव-हाथी संघर्ष से बचने के लिए हाथी मनोविज्ञान से जुड़ा एक बहुत प्रभावी और वैज्ञानिक तरीका है।

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वन मंत्री ज्योतिप्रियो मल्लिक के अनुसार, हाथियों को पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने की पहल की गई है, ताकि वे भोजन की तलाश में गांवों में प्रवेश न करें।

मल्लिक ने कहा, यह पहल यदि सफल रही, तो इन क्षेत्रों में मानव-हाथी संघर्ष की घटनाओं में काफी हद तक कमी आएगी। वन विभाग ने अनुपयोगी भूमि की पहचान के लिए सर्वेक्षण कार्य शुरू कर दिया है और भूमि की पहचान हो जाने के बाद वन अधिकारियों और कर्मचारियों की देखरेख में वहां खेती शुरू हो जाएगी।

पता चला है कि सर्वेक्षण उत्तर और दक्षिण बंगाल के दोनों वन क्षेत्रों में किया जाएगा। उत्तर बंगाल के तीन जिलों दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार में एक प्रायोगिक परियोजना शुरू हो चुकी है।

अगले चरण में दक्षिण बंगाल के वन क्षेत्रों में सर्वे का काम शुरू होगा।

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मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएं, जो उस गांव में पहले अक्सर होती थीं, हाल के दिनों में काफी हद तक कम हुई हैं।

पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक अतनु राहा जैसे वन्यजीव विशेषज्ञ भी महसूस करते हैं कि यह मानव-हाथी संघर्ष से बचने के लिए हाथी मनोविज्ञान से जुड़ा एक बहुत प्रभावी और वैज्ञानिक तरीका है।

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वन मंत्री ज्योतिप्रियो मल्लिक के अनुसार, हाथियों को पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने की पहल की गई है, ताकि वे भोजन की तलाश में गांवों में प्रवेश न करें।

मल्लिक ने कहा, यह पहल यदि सफल रही, तो इन क्षेत्रों में मानव-हाथी संघर्ष की घटनाओं में काफी हद तक कमी आएगी। वन विभाग ने अनुपयोगी भूमि की पहचान के लिए सर्वेक्षण कार्य शुरू कर दिया है और भूमि की पहचान हो जाने के बाद वन अधिकारियों और कर्मचारियों की देखरेख में वहां खेती शुरू हो जाएगी।

पता चला है कि सर्वेक्षण उत्तर और दक्षिण बंगाल के दोनों वन क्षेत्रों में किया जाएगा। उत्तर बंगाल के तीन जिलों दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार में एक प्रायोगिक परियोजना शुरू हो चुकी है।

अगले चरण में दक्षिण बंगाल के वन क्षेत्रों में सर्वे का काम शुरू होगा।

मंत्री ने कहा, यह पहली बार है कि हमने इस तरह का सर्वेक्षण शुरू किया है।

वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अलीपुरद्वार जिले के लताबाड़ी गांव के निवासियों द्वारा अपनाए गए कुछ ऐसे ही और सफल मॉडल के बाद अधिकारियों को खेती करने का विचार आया, जहां ग्रामीण गांव के प्रवेश बिंदुओं पर अपने द्वारा उत्पादित कृषि उत्पादों के एक हिस्से को हाथियों के लिए भोजन के रूप में स्टॉक करते हैं।

मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएं, जो उस गांव में पहले अक्सर होती थीं, हाल के दिनों में काफी हद तक कम हुई हैं।

पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक अतनु राहा जैसे वन्यजीव विशेषज्ञ भी महसूस करते हैं कि यह मानव-हाथी संघर्ष से बचने के लिए हाथी मनोविज्ञान से जुड़ा एक बहुत प्रभावी और वैज्ञानिक तरीका है।

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मल्लिक ने कहा, यह पहल यदि सफल रही, तो इन क्षेत्रों में मानव-हाथी संघर्ष की घटनाओं में काफी हद तक कमी आएगी। वन विभाग ने अनुपयोगी भूमि की पहचान के लिए सर्वेक्षण कार्य शुरू कर दिया है और भूमि की पहचान हो जाने के बाद वन अधिकारियों और कर्मचारियों की देखरेख में वहां खेती शुरू हो जाएगी।

पता चला है कि सर्वेक्षण उत्तर और दक्षिण बंगाल के दोनों वन क्षेत्रों में किया जाएगा। उत्तर बंगाल के तीन जिलों दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार में एक प्रायोगिक परियोजना शुरू हो चुकी है।

अगले चरण में दक्षिण बंगाल के वन क्षेत्रों में सर्वे का काम शुरू होगा।

मंत्री ने कहा, यह पहली बार है कि हमने इस तरह का सर्वेक्षण शुरू किया है।

वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अलीपुरद्वार जिले के लताबाड़ी गांव के निवासियों द्वारा अपनाए गए कुछ ऐसे ही और सफल मॉडल के बाद अधिकारियों को खेती करने का विचार आया, जहां ग्रामीण गांव के प्रवेश बिंदुओं पर अपने द्वारा उत्पादित कृषि उत्पादों के एक हिस्से को हाथियों के लिए भोजन के रूप में स्टॉक करते हैं।

मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएं, जो उस गांव में पहले अक्सर होती थीं, हाल के दिनों में काफी हद तक कम हुई हैं।

पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक अतनु राहा जैसे वन्यजीव विशेषज्ञ भी महसूस करते हैं कि यह मानव-हाथी संघर्ष से बचने के लिए हाथी मनोविज्ञान से जुड़ा एक बहुत प्रभावी और वैज्ञानिक तरीका है।

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