कोलकाता, 25 मार्च (आईएएनएस)। कोलकाता उच्च न्यायालय के दबाव में पश्चिम बंगाल पुलिस निदेशालय ने आखिरकार पुलिस से संबंधित गतिविधियों में नागरिक स्वयंसेवकों की भूमिका को परिभाषित किया है और इस संबंध में दिशानिर्देश जारी किए हैं।
शनिवार को निदेशालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के तहत, नागरिक स्वयंसेवक दुर्गा पूजा, क्रिसमस और नए साल की पूर्व संध्या जैसे विशेष त्योहारों के अवसर पर यातायात प्रबंधन और अन्य संबंधित कर्तव्यों में पुलिस कर्मियों की सहायता करेंगे।
नियमित कर्तव्यों के संबंध में, नागरिक स्वयंसेवकों की भूमिका यातायात प्रबंधन कर्तव्यों जैसे अवैध पाकिर्ंग को रोकने में पुलिस कर्मियों की सहायता करने और इसी तरह के अन्य कार्यों तक सीमित होगी।
इन नागरिक स्वयंसेवकों की एक अन्य प्रमुख भूमिका, दिशानिर्देशरें के अनुसार, यात्रियों को यातायात नियमों का पालन करने में मदद करने और उनका मार्गदर्शन करने में होगी।
21 मार्च को, न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की एकल-न्यायाधीश पीठ ने राज्य सरकार को कानून व्यवस्था बनाए रखने में नियमित पुलिस बलों की सहायता करने और विस्तृत दिशा-निर्देश तैयार करने में नागरिक स्वयंसेवकों की भूमिका को परिभाषित करने का निर्देश दिया था।
राज्य सरकार को 29 मार्च तक बेंच को एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करनी है।
अदालत का निर्देश नागरिक स्वयंसेवकों के एक वर्ग द्वारा ज्यादती की लगातार शिकायतों के बाद आया, जो पुलिस नियमावली के अनुसार नियमित पुलिस कर्मियों की शक्तियों और अधिकार क्षेत्र का प्रयोग नहीं करते हैं।
कोलकाता पुलिस और पश्चिम बंगाल पुलिस में 2012 में नागरिक स्वयंसेवकों का पद सृजित किया गया था
मुख्यमंत्री कार्यालय के रिकॉर्ड के अनुसार, वर्तमान में राज्य में 1,19,916 नागरिक स्वयंसेवक हैं।
नागरिक स्वयंसेवकों के लिए नियुक्ति अनुबंध के आधार पर है और वे बीमा जैसे कुछ अतिरिक्त लाभों के अलावा 9,000 रुपये के मासिक भुगतान के हकदार हैं।
विपक्षी दल शुरू से ही नागरिक स्वयंसेवकों की नियुक्ति के खिलाफ मुखर रहे हैं।
विपक्षी दलों का तर्क था कि ये नागरिक स्वयंसेवक मुख्य रूप से सत्तारूढ़ तृणमूल के वदीर्धारी कैडर हैं।
–आईएएनएस
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