नई दिल्ली, 25 जुलाई (आईएएनएस)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को साल 2024-25 का बजट पेश किया, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट था। गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा-आरएसएस पर भारत की शिक्षा प्रणाली को नष्ट करने का आरोप लगाया लगाया है।
खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “भाजपा-आरएसएस भारत के शिक्षा क्षेत्र में कटौती कर इसे नष्ट करना चाहती है! उच्च शिक्षा के बजट में 9,600 करोड़ की भारी कटौती की गई है। अंतरिम बजट में भी इसमें 16.38 प्रतिशत की कटौती की गई है। आईआईटी और आईआईएम के बजट में लगातार दूसरे साल कटौती की गई है। यूजीसी के बजट में 61 प्रतिशत की भारी कटौती की गई है।”
उन्होंने आगे लिखा, “यूजीसी एक वैधानिक निकाय है, और इसे देश में एकमात्र अनुदान देने वाली एजेंसी माना जाता था, लेकिन मोदी सरकार ने इसकी शक्ति छीन ली है, जिससे इसकी स्वायत्तता खत्म हो गई है। यूजीसी की ‘अनुदान’ निधि की कार्यप्रणाली को उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (एचईएफए) ने हड़प लिया है, जो केनरा बैंक और शिक्षा मंत्रालय के बीच एक उद्यम है। यह न केवल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को अधिक स्व-वित्तपोषण पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए मजबूर करेगा, बल्कि एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस छात्रों की वित्तीय समस्याओं को भी बढ़ाएगा।”
उन्होंने आगे लिखा, “भारत की शिक्षा प्रणाली पर मोदी सरकार का पांच तरफा हमला जारी है। विश्वविद्यालयों को नियंत्रित करना, स्वायत्त संस्थानों के धन को गला घोंटना, उनकी स्वायत्तता को कम करना, सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करना और युवाओं को धोखा देने के रूप में हमला लगातार जारी है!”
मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें बुनियादी शिक्षा, उच्च शिक्षा और रोजगार सृजन पर फोकस किया गया है।
स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को सर्वाधिक 73,498 करोड़ रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ है। उच्च शिक्षा विभाग को 47,619.77 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। यह पिछले वर्ष की तुलना में 3,525.15 करोड़ रुपए (7.99 प्रतिशत) की वृद्धि को दर्शाता है।
वहीं एक करोड़ युवाओं को मासिक भत्ते के साथ इंटर्नशिप प्रदान करने की योजना शुरू करने का ऐलान किया गया है।
–आईएएनएस
एकेएस/एसकेपी
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नई दिल्ली, 25 जुलाई (आईएएनएस)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को साल 2024-25 का बजट पेश किया, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट था। गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा-आरएसएस पर भारत की शिक्षा प्रणाली को नष्ट करने का आरोप लगाया लगाया है।
खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “भाजपा-आरएसएस भारत के शिक्षा क्षेत्र में कटौती कर इसे नष्ट करना चाहती है! उच्च शिक्षा के बजट में 9,600 करोड़ की भारी कटौती की गई है। अंतरिम बजट में भी इसमें 16.38 प्रतिशत की कटौती की गई है। आईआईटी और आईआईएम के बजट में लगातार दूसरे साल कटौती की गई है। यूजीसी के बजट में 61 प्रतिशत की भारी कटौती की गई है।”
उन्होंने आगे लिखा, “यूजीसी एक वैधानिक निकाय है, और इसे देश में एकमात्र अनुदान देने वाली एजेंसी माना जाता था, लेकिन मोदी सरकार ने इसकी शक्ति छीन ली है, जिससे इसकी स्वायत्तता खत्म हो गई है। यूजीसी की ‘अनुदान’ निधि की कार्यप्रणाली को उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (एचईएफए) ने हड़प लिया है, जो केनरा बैंक और शिक्षा मंत्रालय के बीच एक उद्यम है। यह न केवल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को अधिक स्व-वित्तपोषण पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए मजबूर करेगा, बल्कि एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस छात्रों की वित्तीय समस्याओं को भी बढ़ाएगा।”
उन्होंने आगे लिखा, “भारत की शिक्षा प्रणाली पर मोदी सरकार का पांच तरफा हमला जारी है। विश्वविद्यालयों को नियंत्रित करना, स्वायत्त संस्थानों के धन को गला घोंटना, उनकी स्वायत्तता को कम करना, सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करना और युवाओं को धोखा देने के रूप में हमला लगातार जारी है!”
मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें बुनियादी शिक्षा, उच्च शिक्षा और रोजगार सृजन पर फोकस किया गया है।
स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को सर्वाधिक 73,498 करोड़ रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ है। उच्च शिक्षा विभाग को 47,619.77 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। यह पिछले वर्ष की तुलना में 3,525.15 करोड़ रुपए (7.99 प्रतिशत) की वृद्धि को दर्शाता है।
वहीं एक करोड़ युवाओं को मासिक भत्ते के साथ इंटर्नशिप प्रदान करने की योजना शुरू करने का ऐलान किया गया है।
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नई दिल्ली, 25 जुलाई (आईएएनएस)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को साल 2024-25 का बजट पेश किया, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट था। गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा-आरएसएस पर भारत की शिक्षा प्रणाली को नष्ट करने का आरोप लगाया लगाया है।
खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “भाजपा-आरएसएस भारत के शिक्षा क्षेत्र में कटौती कर इसे नष्ट करना चाहती है! उच्च शिक्षा के बजट में 9,600 करोड़ की भारी कटौती की गई है। अंतरिम बजट में भी इसमें 16.38 प्रतिशत की कटौती की गई है। आईआईटी और आईआईएम के बजट में लगातार दूसरे साल कटौती की गई है। यूजीसी के बजट में 61 प्रतिशत की भारी कटौती की गई है।”
उन्होंने आगे लिखा, “यूजीसी एक वैधानिक निकाय है, और इसे देश में एकमात्र अनुदान देने वाली एजेंसी माना जाता था, लेकिन मोदी सरकार ने इसकी शक्ति छीन ली है, जिससे इसकी स्वायत्तता खत्म हो गई है। यूजीसी की ‘अनुदान’ निधि की कार्यप्रणाली को उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (एचईएफए) ने हड़प लिया है, जो केनरा बैंक और शिक्षा मंत्रालय के बीच एक उद्यम है। यह न केवल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को अधिक स्व-वित्तपोषण पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए मजबूर करेगा, बल्कि एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस छात्रों की वित्तीय समस्याओं को भी बढ़ाएगा।”
उन्होंने आगे लिखा, “भारत की शिक्षा प्रणाली पर मोदी सरकार का पांच तरफा हमला जारी है। विश्वविद्यालयों को नियंत्रित करना, स्वायत्त संस्थानों के धन को गला घोंटना, उनकी स्वायत्तता को कम करना, सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करना और युवाओं को धोखा देने के रूप में हमला लगातार जारी है!”
मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें बुनियादी शिक्षा, उच्च शिक्षा और रोजगार सृजन पर फोकस किया गया है।
स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को सर्वाधिक 73,498 करोड़ रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ है। उच्च शिक्षा विभाग को 47,619.77 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। यह पिछले वर्ष की तुलना में 3,525.15 करोड़ रुपए (7.99 प्रतिशत) की वृद्धि को दर्शाता है।
वहीं एक करोड़ युवाओं को मासिक भत्ते के साथ इंटर्नशिप प्रदान करने की योजना शुरू करने का ऐलान किया गया है।
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खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “भाजपा-आरएसएस भारत के शिक्षा क्षेत्र में कटौती कर इसे नष्ट करना चाहती है! उच्च शिक्षा के बजट में 9,600 करोड़ की भारी कटौती की गई है। अंतरिम बजट में भी इसमें 16.38 प्रतिशत की कटौती की गई है। आईआईटी और आईआईएम के बजट में लगातार दूसरे साल कटौती की गई है। यूजीसी के बजट में 61 प्रतिशत की भारी कटौती की गई है।”
उन्होंने आगे लिखा, “यूजीसी एक वैधानिक निकाय है, और इसे देश में एकमात्र अनुदान देने वाली एजेंसी माना जाता था, लेकिन मोदी सरकार ने इसकी शक्ति छीन ली है, जिससे इसकी स्वायत्तता खत्म हो गई है। यूजीसी की ‘अनुदान’ निधि की कार्यप्रणाली को उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (एचईएफए) ने हड़प लिया है, जो केनरा बैंक और शिक्षा मंत्रालय के बीच एक उद्यम है। यह न केवल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को अधिक स्व-वित्तपोषण पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए मजबूर करेगा, बल्कि एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस छात्रों की वित्तीय समस्याओं को भी बढ़ाएगा।”
उन्होंने आगे लिखा, “भारत की शिक्षा प्रणाली पर मोदी सरकार का पांच तरफा हमला जारी है। विश्वविद्यालयों को नियंत्रित करना, स्वायत्त संस्थानों के धन को गला घोंटना, उनकी स्वायत्तता को कम करना, सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करना और युवाओं को धोखा देने के रूप में हमला लगातार जारी है!”
मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें बुनियादी शिक्षा, उच्च शिक्षा और रोजगार सृजन पर फोकस किया गया है।
स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को सर्वाधिक 73,498 करोड़ रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ है। उच्च शिक्षा विभाग को 47,619.77 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। यह पिछले वर्ष की तुलना में 3,525.15 करोड़ रुपए (7.99 प्रतिशत) की वृद्धि को दर्शाता है।
वहीं एक करोड़ युवाओं को मासिक भत्ते के साथ इंटर्नशिप प्रदान करने की योजना शुरू करने का ऐलान किया गया है।
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नई दिल्ली, 25 जुलाई (आईएएनएस)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को साल 2024-25 का बजट पेश किया, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट था। गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा-आरएसएस पर भारत की शिक्षा प्रणाली को नष्ट करने का आरोप लगाया लगाया है।
खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “भाजपा-आरएसएस भारत के शिक्षा क्षेत्र में कटौती कर इसे नष्ट करना चाहती है! उच्च शिक्षा के बजट में 9,600 करोड़ की भारी कटौती की गई है। अंतरिम बजट में भी इसमें 16.38 प्रतिशत की कटौती की गई है। आईआईटी और आईआईएम के बजट में लगातार दूसरे साल कटौती की गई है। यूजीसी के बजट में 61 प्रतिशत की भारी कटौती की गई है।”
उन्होंने आगे लिखा, “यूजीसी एक वैधानिक निकाय है, और इसे देश में एकमात्र अनुदान देने वाली एजेंसी माना जाता था, लेकिन मोदी सरकार ने इसकी शक्ति छीन ली है, जिससे इसकी स्वायत्तता खत्म हो गई है। यूजीसी की ‘अनुदान’ निधि की कार्यप्रणाली को उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (एचईएफए) ने हड़प लिया है, जो केनरा बैंक और शिक्षा मंत्रालय के बीच एक उद्यम है। यह न केवल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को अधिक स्व-वित्तपोषण पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए मजबूर करेगा, बल्कि एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस छात्रों की वित्तीय समस्याओं को भी बढ़ाएगा।”
उन्होंने आगे लिखा, “भारत की शिक्षा प्रणाली पर मोदी सरकार का पांच तरफा हमला जारी है। विश्वविद्यालयों को नियंत्रित करना, स्वायत्त संस्थानों के धन को गला घोंटना, उनकी स्वायत्तता को कम करना, सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करना और युवाओं को धोखा देने के रूप में हमला लगातार जारी है!”
मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें बुनियादी शिक्षा, उच्च शिक्षा और रोजगार सृजन पर फोकस किया गया है।
स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को सर्वाधिक 73,498 करोड़ रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ है। उच्च शिक्षा विभाग को 47,619.77 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। यह पिछले वर्ष की तुलना में 3,525.15 करोड़ रुपए (7.99 प्रतिशत) की वृद्धि को दर्शाता है।
वहीं एक करोड़ युवाओं को मासिक भत्ते के साथ इंटर्नशिप प्रदान करने की योजना शुरू करने का ऐलान किया गया है।
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खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “भाजपा-आरएसएस भारत के शिक्षा क्षेत्र में कटौती कर इसे नष्ट करना चाहती है! उच्च शिक्षा के बजट में 9,600 करोड़ की भारी कटौती की गई है। अंतरिम बजट में भी इसमें 16.38 प्रतिशत की कटौती की गई है। आईआईटी और आईआईएम के बजट में लगातार दूसरे साल कटौती की गई है। यूजीसी के बजट में 61 प्रतिशत की भारी कटौती की गई है।”
उन्होंने आगे लिखा, “यूजीसी एक वैधानिक निकाय है, और इसे देश में एकमात्र अनुदान देने वाली एजेंसी माना जाता था, लेकिन मोदी सरकार ने इसकी शक्ति छीन ली है, जिससे इसकी स्वायत्तता खत्म हो गई है। यूजीसी की ‘अनुदान’ निधि की कार्यप्रणाली को उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (एचईएफए) ने हड़प लिया है, जो केनरा बैंक और शिक्षा मंत्रालय के बीच एक उद्यम है। यह न केवल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को अधिक स्व-वित्तपोषण पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए मजबूर करेगा, बल्कि एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस छात्रों की वित्तीय समस्याओं को भी बढ़ाएगा।”
उन्होंने आगे लिखा, “भारत की शिक्षा प्रणाली पर मोदी सरकार का पांच तरफा हमला जारी है। विश्वविद्यालयों को नियंत्रित करना, स्वायत्त संस्थानों के धन को गला घोंटना, उनकी स्वायत्तता को कम करना, सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करना और युवाओं को धोखा देने के रूप में हमला लगातार जारी है!”
मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें बुनियादी शिक्षा, उच्च शिक्षा और रोजगार सृजन पर फोकस किया गया है।
स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को सर्वाधिक 73,498 करोड़ रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ है। उच्च शिक्षा विभाग को 47,619.77 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। यह पिछले वर्ष की तुलना में 3,525.15 करोड़ रुपए (7.99 प्रतिशत) की वृद्धि को दर्शाता है।
वहीं एक करोड़ युवाओं को मासिक भत्ते के साथ इंटर्नशिप प्रदान करने की योजना शुरू करने का ऐलान किया गया है।
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खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “भाजपा-आरएसएस भारत के शिक्षा क्षेत्र में कटौती कर इसे नष्ट करना चाहती है! उच्च शिक्षा के बजट में 9,600 करोड़ की भारी कटौती की गई है। अंतरिम बजट में भी इसमें 16.38 प्रतिशत की कटौती की गई है। आईआईटी और आईआईएम के बजट में लगातार दूसरे साल कटौती की गई है। यूजीसी के बजट में 61 प्रतिशत की भारी कटौती की गई है।”
उन्होंने आगे लिखा, “यूजीसी एक वैधानिक निकाय है, और इसे देश में एकमात्र अनुदान देने वाली एजेंसी माना जाता था, लेकिन मोदी सरकार ने इसकी शक्ति छीन ली है, जिससे इसकी स्वायत्तता खत्म हो गई है। यूजीसी की ‘अनुदान’ निधि की कार्यप्रणाली को उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (एचईएफए) ने हड़प लिया है, जो केनरा बैंक और शिक्षा मंत्रालय के बीच एक उद्यम है। यह न केवल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को अधिक स्व-वित्तपोषण पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए मजबूर करेगा, बल्कि एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस छात्रों की वित्तीय समस्याओं को भी बढ़ाएगा।”
उन्होंने आगे लिखा, “भारत की शिक्षा प्रणाली पर मोदी सरकार का पांच तरफा हमला जारी है। विश्वविद्यालयों को नियंत्रित करना, स्वायत्त संस्थानों के धन को गला घोंटना, उनकी स्वायत्तता को कम करना, सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करना और युवाओं को धोखा देने के रूप में हमला लगातार जारी है!”
मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें बुनियादी शिक्षा, उच्च शिक्षा और रोजगार सृजन पर फोकस किया गया है।
स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को सर्वाधिक 73,498 करोड़ रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ है। उच्च शिक्षा विभाग को 47,619.77 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। यह पिछले वर्ष की तुलना में 3,525.15 करोड़ रुपए (7.99 प्रतिशत) की वृद्धि को दर्शाता है।
वहीं एक करोड़ युवाओं को मासिक भत्ते के साथ इंटर्नशिप प्रदान करने की योजना शुरू करने का ऐलान किया गया है।
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खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “भाजपा-आरएसएस भारत के शिक्षा क्षेत्र में कटौती कर इसे नष्ट करना चाहती है! उच्च शिक्षा के बजट में 9,600 करोड़ की भारी कटौती की गई है। अंतरिम बजट में भी इसमें 16.38 प्रतिशत की कटौती की गई है। आईआईटी और आईआईएम के बजट में लगातार दूसरे साल कटौती की गई है। यूजीसी के बजट में 61 प्रतिशत की भारी कटौती की गई है।”
उन्होंने आगे लिखा, “यूजीसी एक वैधानिक निकाय है, और इसे देश में एकमात्र अनुदान देने वाली एजेंसी माना जाता था, लेकिन मोदी सरकार ने इसकी शक्ति छीन ली है, जिससे इसकी स्वायत्तता खत्म हो गई है। यूजीसी की ‘अनुदान’ निधि की कार्यप्रणाली को उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (एचईएफए) ने हड़प लिया है, जो केनरा बैंक और शिक्षा मंत्रालय के बीच एक उद्यम है। यह न केवल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को अधिक स्व-वित्तपोषण पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए मजबूर करेगा, बल्कि एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस छात्रों की वित्तीय समस्याओं को भी बढ़ाएगा।”
उन्होंने आगे लिखा, “भारत की शिक्षा प्रणाली पर मोदी सरकार का पांच तरफा हमला जारी है। विश्वविद्यालयों को नियंत्रित करना, स्वायत्त संस्थानों के धन को गला घोंटना, उनकी स्वायत्तता को कम करना, सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करना और युवाओं को धोखा देने के रूप में हमला लगातार जारी है!”
मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें बुनियादी शिक्षा, उच्च शिक्षा और रोजगार सृजन पर फोकस किया गया है।
स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को सर्वाधिक 73,498 करोड़ रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ है। उच्च शिक्षा विभाग को 47,619.77 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। यह पिछले वर्ष की तुलना में 3,525.15 करोड़ रुपए (7.99 प्रतिशत) की वृद्धि को दर्शाता है।
वहीं एक करोड़ युवाओं को मासिक भत्ते के साथ इंटर्नशिप प्रदान करने की योजना शुरू करने का ऐलान किया गया है।
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खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “भाजपा-आरएसएस भारत के शिक्षा क्षेत्र में कटौती कर इसे नष्ट करना चाहती है! उच्च शिक्षा के बजट में 9,600 करोड़ की भारी कटौती की गई है। अंतरिम बजट में भी इसमें 16.38 प्रतिशत की कटौती की गई है। आईआईटी और आईआईएम के बजट में लगातार दूसरे साल कटौती की गई है। यूजीसी के बजट में 61 प्रतिशत की भारी कटौती की गई है।”
उन्होंने आगे लिखा, “यूजीसी एक वैधानिक निकाय है, और इसे देश में एकमात्र अनुदान देने वाली एजेंसी माना जाता था, लेकिन मोदी सरकार ने इसकी शक्ति छीन ली है, जिससे इसकी स्वायत्तता खत्म हो गई है। यूजीसी की ‘अनुदान’ निधि की कार्यप्रणाली को उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (एचईएफए) ने हड़प लिया है, जो केनरा बैंक और शिक्षा मंत्रालय के बीच एक उद्यम है। यह न केवल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को अधिक स्व-वित्तपोषण पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए मजबूर करेगा, बल्कि एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस छात्रों की वित्तीय समस्याओं को भी बढ़ाएगा।”
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मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें बुनियादी शिक्षा, उच्च शिक्षा और रोजगार सृजन पर फोकस किया गया है।
स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को सर्वाधिक 73,498 करोड़ रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ है। उच्च शिक्षा विभाग को 47,619.77 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। यह पिछले वर्ष की तुलना में 3,525.15 करोड़ रुपए (7.99 प्रतिशत) की वृद्धि को दर्शाता है।
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खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “भाजपा-आरएसएस भारत के शिक्षा क्षेत्र में कटौती कर इसे नष्ट करना चाहती है! उच्च शिक्षा के बजट में 9,600 करोड़ की भारी कटौती की गई है। अंतरिम बजट में भी इसमें 16.38 प्रतिशत की कटौती की गई है। आईआईटी और आईआईएम के बजट में लगातार दूसरे साल कटौती की गई है। यूजीसी के बजट में 61 प्रतिशत की भारी कटौती की गई है।”
उन्होंने आगे लिखा, “यूजीसी एक वैधानिक निकाय है, और इसे देश में एकमात्र अनुदान देने वाली एजेंसी माना जाता था, लेकिन मोदी सरकार ने इसकी शक्ति छीन ली है, जिससे इसकी स्वायत्तता खत्म हो गई है। यूजीसी की ‘अनुदान’ निधि की कार्यप्रणाली को उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (एचईएफए) ने हड़प लिया है, जो केनरा बैंक और शिक्षा मंत्रालय के बीच एक उद्यम है। यह न केवल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को अधिक स्व-वित्तपोषण पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए मजबूर करेगा, बल्कि एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस छात्रों की वित्तीय समस्याओं को भी बढ़ाएगा।”
उन्होंने आगे लिखा, “भारत की शिक्षा प्रणाली पर मोदी सरकार का पांच तरफा हमला जारी है। विश्वविद्यालयों को नियंत्रित करना, स्वायत्त संस्थानों के धन को गला घोंटना, उनकी स्वायत्तता को कम करना, सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करना और युवाओं को धोखा देने के रूप में हमला लगातार जारी है!”
मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें बुनियादी शिक्षा, उच्च शिक्षा और रोजगार सृजन पर फोकस किया गया है।
स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को सर्वाधिक 73,498 करोड़ रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ है। उच्च शिक्षा विभाग को 47,619.77 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। यह पिछले वर्ष की तुलना में 3,525.15 करोड़ रुपए (7.99 प्रतिशत) की वृद्धि को दर्शाता है।
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नई दिल्ली, 25 जुलाई (आईएएनएस)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को साल 2024-25 का बजट पेश किया, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट था। गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा-आरएसएस पर भारत की शिक्षा प्रणाली को नष्ट करने का आरोप लगाया लगाया है।
खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “भाजपा-आरएसएस भारत के शिक्षा क्षेत्र में कटौती कर इसे नष्ट करना चाहती है! उच्च शिक्षा के बजट में 9,600 करोड़ की भारी कटौती की गई है। अंतरिम बजट में भी इसमें 16.38 प्रतिशत की कटौती की गई है। आईआईटी और आईआईएम के बजट में लगातार दूसरे साल कटौती की गई है। यूजीसी के बजट में 61 प्रतिशत की भारी कटौती की गई है।”
उन्होंने आगे लिखा, “यूजीसी एक वैधानिक निकाय है, और इसे देश में एकमात्र अनुदान देने वाली एजेंसी माना जाता था, लेकिन मोदी सरकार ने इसकी शक्ति छीन ली है, जिससे इसकी स्वायत्तता खत्म हो गई है। यूजीसी की ‘अनुदान’ निधि की कार्यप्रणाली को उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (एचईएफए) ने हड़प लिया है, जो केनरा बैंक और शिक्षा मंत्रालय के बीच एक उद्यम है। यह न केवल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को अधिक स्व-वित्तपोषण पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए मजबूर करेगा, बल्कि एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस छात्रों की वित्तीय समस्याओं को भी बढ़ाएगा।”
उन्होंने आगे लिखा, “भारत की शिक्षा प्रणाली पर मोदी सरकार का पांच तरफा हमला जारी है। विश्वविद्यालयों को नियंत्रित करना, स्वायत्त संस्थानों के धन को गला घोंटना, उनकी स्वायत्तता को कम करना, सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करना और युवाओं को धोखा देने के रूप में हमला लगातार जारी है!”
मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें बुनियादी शिक्षा, उच्च शिक्षा और रोजगार सृजन पर फोकस किया गया है।
स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को सर्वाधिक 73,498 करोड़ रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ है। उच्च शिक्षा विभाग को 47,619.77 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। यह पिछले वर्ष की तुलना में 3,525.15 करोड़ रुपए (7.99 प्रतिशत) की वृद्धि को दर्शाता है।
वहीं एक करोड़ युवाओं को मासिक भत्ते के साथ इंटर्नशिप प्रदान करने की योजना शुरू करने का ऐलान किया गया है।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 25 जुलाई (आईएएनएस)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को साल 2024-25 का बजट पेश किया, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट था। गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा-आरएसएस पर भारत की शिक्षा प्रणाली को नष्ट करने का आरोप लगाया लगाया है।
खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “भाजपा-आरएसएस भारत के शिक्षा क्षेत्र में कटौती कर इसे नष्ट करना चाहती है! उच्च शिक्षा के बजट में 9,600 करोड़ की भारी कटौती की गई है। अंतरिम बजट में भी इसमें 16.38 प्रतिशत की कटौती की गई है। आईआईटी और आईआईएम के बजट में लगातार दूसरे साल कटौती की गई है। यूजीसी के बजट में 61 प्रतिशत की भारी कटौती की गई है।”
उन्होंने आगे लिखा, “यूजीसी एक वैधानिक निकाय है, और इसे देश में एकमात्र अनुदान देने वाली एजेंसी माना जाता था, लेकिन मोदी सरकार ने इसकी शक्ति छीन ली है, जिससे इसकी स्वायत्तता खत्म हो गई है। यूजीसी की ‘अनुदान’ निधि की कार्यप्रणाली को उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (एचईएफए) ने हड़प लिया है, जो केनरा बैंक और शिक्षा मंत्रालय के बीच एक उद्यम है। यह न केवल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को अधिक स्व-वित्तपोषण पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए मजबूर करेगा, बल्कि एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस छात्रों की वित्तीय समस्याओं को भी बढ़ाएगा।”
उन्होंने आगे लिखा, “भारत की शिक्षा प्रणाली पर मोदी सरकार का पांच तरफा हमला जारी है। विश्वविद्यालयों को नियंत्रित करना, स्वायत्त संस्थानों के धन को गला घोंटना, उनकी स्वायत्तता को कम करना, सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करना और युवाओं को धोखा देने के रूप में हमला लगातार जारी है!”
मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें बुनियादी शिक्षा, उच्च शिक्षा और रोजगार सृजन पर फोकस किया गया है।
स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को सर्वाधिक 73,498 करोड़ रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ है। उच्च शिक्षा विभाग को 47,619.77 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। यह पिछले वर्ष की तुलना में 3,525.15 करोड़ रुपए (7.99 प्रतिशत) की वृद्धि को दर्शाता है।
वहीं एक करोड़ युवाओं को मासिक भत्ते के साथ इंटर्नशिप प्रदान करने की योजना शुरू करने का ऐलान किया गया है।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 25 जुलाई (आईएएनएस)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को साल 2024-25 का बजट पेश किया, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट था। गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा-आरएसएस पर भारत की शिक्षा प्रणाली को नष्ट करने का आरोप लगाया लगाया है।
खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “भाजपा-आरएसएस भारत के शिक्षा क्षेत्र में कटौती कर इसे नष्ट करना चाहती है! उच्च शिक्षा के बजट में 9,600 करोड़ की भारी कटौती की गई है। अंतरिम बजट में भी इसमें 16.38 प्रतिशत की कटौती की गई है। आईआईटी और आईआईएम के बजट में लगातार दूसरे साल कटौती की गई है। यूजीसी के बजट में 61 प्रतिशत की भारी कटौती की गई है।”
उन्होंने आगे लिखा, “यूजीसी एक वैधानिक निकाय है, और इसे देश में एकमात्र अनुदान देने वाली एजेंसी माना जाता था, लेकिन मोदी सरकार ने इसकी शक्ति छीन ली है, जिससे इसकी स्वायत्तता खत्म हो गई है। यूजीसी की ‘अनुदान’ निधि की कार्यप्रणाली को उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (एचईएफए) ने हड़प लिया है, जो केनरा बैंक और शिक्षा मंत्रालय के बीच एक उद्यम है। यह न केवल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को अधिक स्व-वित्तपोषण पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए मजबूर करेगा, बल्कि एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस छात्रों की वित्तीय समस्याओं को भी बढ़ाएगा।”
उन्होंने आगे लिखा, “भारत की शिक्षा प्रणाली पर मोदी सरकार का पांच तरफा हमला जारी है। विश्वविद्यालयों को नियंत्रित करना, स्वायत्त संस्थानों के धन को गला घोंटना, उनकी स्वायत्तता को कम करना, सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करना और युवाओं को धोखा देने के रूप में हमला लगातार जारी है!”
मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें बुनियादी शिक्षा, उच्च शिक्षा और रोजगार सृजन पर फोकस किया गया है।
स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को सर्वाधिक 73,498 करोड़ रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ है। उच्च शिक्षा विभाग को 47,619.77 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। यह पिछले वर्ष की तुलना में 3,525.15 करोड़ रुपए (7.99 प्रतिशत) की वृद्धि को दर्शाता है।
वहीं एक करोड़ युवाओं को मासिक भत्ते के साथ इंटर्नशिप प्रदान करने की योजना शुरू करने का ऐलान किया गया है।
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नई दिल्ली, 25 जुलाई (आईएएनएस)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को साल 2024-25 का बजट पेश किया, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट था। गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा-आरएसएस पर भारत की शिक्षा प्रणाली को नष्ट करने का आरोप लगाया लगाया है।
खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “भाजपा-आरएसएस भारत के शिक्षा क्षेत्र में कटौती कर इसे नष्ट करना चाहती है! उच्च शिक्षा के बजट में 9,600 करोड़ की भारी कटौती की गई है। अंतरिम बजट में भी इसमें 16.38 प्रतिशत की कटौती की गई है। आईआईटी और आईआईएम के बजट में लगातार दूसरे साल कटौती की गई है। यूजीसी के बजट में 61 प्रतिशत की भारी कटौती की गई है।”
उन्होंने आगे लिखा, “यूजीसी एक वैधानिक निकाय है, और इसे देश में एकमात्र अनुदान देने वाली एजेंसी माना जाता था, लेकिन मोदी सरकार ने इसकी शक्ति छीन ली है, जिससे इसकी स्वायत्तता खत्म हो गई है। यूजीसी की ‘अनुदान’ निधि की कार्यप्रणाली को उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (एचईएफए) ने हड़प लिया है, जो केनरा बैंक और शिक्षा मंत्रालय के बीच एक उद्यम है। यह न केवल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को अधिक स्व-वित्तपोषण पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए मजबूर करेगा, बल्कि एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस छात्रों की वित्तीय समस्याओं को भी बढ़ाएगा।”
उन्होंने आगे लिखा, “भारत की शिक्षा प्रणाली पर मोदी सरकार का पांच तरफा हमला जारी है। विश्वविद्यालयों को नियंत्रित करना, स्वायत्त संस्थानों के धन को गला घोंटना, उनकी स्वायत्तता को कम करना, सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करना और युवाओं को धोखा देने के रूप में हमला लगातार जारी है!”
मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें बुनियादी शिक्षा, उच्च शिक्षा और रोजगार सृजन पर फोकस किया गया है।
स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को सर्वाधिक 73,498 करोड़ रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ है। उच्च शिक्षा विभाग को 47,619.77 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। यह पिछले वर्ष की तुलना में 3,525.15 करोड़ रुपए (7.99 प्रतिशत) की वृद्धि को दर्शाता है।
वहीं एक करोड़ युवाओं को मासिक भत्ते के साथ इंटर्नशिप प्रदान करने की योजना शुरू करने का ऐलान किया गया है।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 25 जुलाई (आईएएनएस)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को साल 2024-25 का बजट पेश किया, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट था। गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा-आरएसएस पर भारत की शिक्षा प्रणाली को नष्ट करने का आरोप लगाया लगाया है।
खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “भाजपा-आरएसएस भारत के शिक्षा क्षेत्र में कटौती कर इसे नष्ट करना चाहती है! उच्च शिक्षा के बजट में 9,600 करोड़ की भारी कटौती की गई है। अंतरिम बजट में भी इसमें 16.38 प्रतिशत की कटौती की गई है। आईआईटी और आईआईएम के बजट में लगातार दूसरे साल कटौती की गई है। यूजीसी के बजट में 61 प्रतिशत की भारी कटौती की गई है।”
उन्होंने आगे लिखा, “यूजीसी एक वैधानिक निकाय है, और इसे देश में एकमात्र अनुदान देने वाली एजेंसी माना जाता था, लेकिन मोदी सरकार ने इसकी शक्ति छीन ली है, जिससे इसकी स्वायत्तता खत्म हो गई है। यूजीसी की ‘अनुदान’ निधि की कार्यप्रणाली को उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (एचईएफए) ने हड़प लिया है, जो केनरा बैंक और शिक्षा मंत्रालय के बीच एक उद्यम है। यह न केवल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को अधिक स्व-वित्तपोषण पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए मजबूर करेगा, बल्कि एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस छात्रों की वित्तीय समस्याओं को भी बढ़ाएगा।”
उन्होंने आगे लिखा, “भारत की शिक्षा प्रणाली पर मोदी सरकार का पांच तरफा हमला जारी है। विश्वविद्यालयों को नियंत्रित करना, स्वायत्त संस्थानों के धन को गला घोंटना, उनकी स्वायत्तता को कम करना, सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करना और युवाओं को धोखा देने के रूप में हमला लगातार जारी है!”
मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें बुनियादी शिक्षा, उच्च शिक्षा और रोजगार सृजन पर फोकस किया गया है।
स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को सर्वाधिक 73,498 करोड़ रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ है। उच्च शिक्षा विभाग को 47,619.77 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। यह पिछले वर्ष की तुलना में 3,525.15 करोड़ रुपए (7.99 प्रतिशत) की वृद्धि को दर्शाता है।
वहीं एक करोड़ युवाओं को मासिक भत्ते के साथ इंटर्नशिप प्रदान करने की योजना शुरू करने का ऐलान किया गया है।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 25 जुलाई (आईएएनएस)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को साल 2024-25 का बजट पेश किया, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट था। गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा-आरएसएस पर भारत की शिक्षा प्रणाली को नष्ट करने का आरोप लगाया लगाया है।
खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “भाजपा-आरएसएस भारत के शिक्षा क्षेत्र में कटौती कर इसे नष्ट करना चाहती है! उच्च शिक्षा के बजट में 9,600 करोड़ की भारी कटौती की गई है। अंतरिम बजट में भी इसमें 16.38 प्रतिशत की कटौती की गई है। आईआईटी और आईआईएम के बजट में लगातार दूसरे साल कटौती की गई है। यूजीसी के बजट में 61 प्रतिशत की भारी कटौती की गई है।”
उन्होंने आगे लिखा, “यूजीसी एक वैधानिक निकाय है, और इसे देश में एकमात्र अनुदान देने वाली एजेंसी माना जाता था, लेकिन मोदी सरकार ने इसकी शक्ति छीन ली है, जिससे इसकी स्वायत्तता खत्म हो गई है। यूजीसी की ‘अनुदान’ निधि की कार्यप्रणाली को उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (एचईएफए) ने हड़प लिया है, जो केनरा बैंक और शिक्षा मंत्रालय के बीच एक उद्यम है। यह न केवल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को अधिक स्व-वित्तपोषण पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए मजबूर करेगा, बल्कि एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस छात्रों की वित्तीय समस्याओं को भी बढ़ाएगा।”
उन्होंने आगे लिखा, “भारत की शिक्षा प्रणाली पर मोदी सरकार का पांच तरफा हमला जारी है। विश्वविद्यालयों को नियंत्रित करना, स्वायत्त संस्थानों के धन को गला घोंटना, उनकी स्वायत्तता को कम करना, सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करना और युवाओं को धोखा देने के रूप में हमला लगातार जारी है!”
मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें बुनियादी शिक्षा, उच्च शिक्षा और रोजगार सृजन पर फोकस किया गया है।
स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को सर्वाधिक 73,498 करोड़ रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ है। उच्च शिक्षा विभाग को 47,619.77 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। यह पिछले वर्ष की तुलना में 3,525.15 करोड़ रुपए (7.99 प्रतिशत) की वृद्धि को दर्शाता है।
वहीं एक करोड़ युवाओं को मासिक भत्ते के साथ इंटर्नशिप प्रदान करने की योजना शुरू करने का ऐलान किया गया है।