बरेला. नगरमे खुले आम चल रहा सट्टे पुलिस के लिए चुनौती या अपराध है कि नही ,यह तो पुलिस ही जाने ,किंतु विगत लंबे समय से नगर सहित आस पास के दर्जनों गांव, सट्टे के खुलेआम केंद्र बन चुके हैं, नगर केप्रमुख बाजार , बस स्टैंड ,बस स्टेंड के पीछे , और अनेक चाय पान की दुकानों में, प्रतिदिन हो रहा ओपन क्लोज का खुलेआम अपराध पुलिस को नही दिख रहा है.
पुलिस के सहयोगी कार्य प्रणाली के कारण सटोरियों को किसी का डर नही रह गया है , और पूरा क्षेत्र सट्टा रूपी अपराध के मकड़ जाल में फस गया है.स्थानीय पुलिस से सटोरियों को किसी प्रकार का भय नहीं होना, इस बात का प्रमाण है कि कही न कही सैटिंग है? क्योंकि खुले आम हो रहा सट्टे का कारोबार जो पुलिस को छोड़कर अन्य सभी को दिख रहा है,अनेक शंकाओं को जन्म देता है.
*नव पदस्थ टी आई से है उम्मीद*
कुछ ही दिनों पूर्व नगर में पदस्थ हुई टी आई विजय कुमार विश्वकर्मा से क्षेत्र की समाजिक संस्थाओ, स्वतंत्र प्रतिभा मंच जागृति समाज कल्याण समिति सहित बुद्धिजीवियों को उम्मीद है की उनके द्वारा क्षेत्र में पूरी तरह फैले सट्टे के कारोबार को रोके जाने के लिए प्रभावी कार्यवाही की जावेगी.
*सट्टे के जाल में फंसे शासकीय कर्मचारी और गरीब मजदूर*
नगर में खुले आम काटी जा रही सट्टा पट्टियों के काउंटरों में आम गरीब मजदूर और अनेक शासकीय कर्मचारी को प्रतिदिन देखा जा सकता है, एक ओर अपने परिवार का पेट काटकर सट्टा खेल रहे गरीब मजदूर ,तो दूसरी ओर सट्टा खेल कर खुद को कर्ज के तले दबाने वाले शासकीय कर्मचारी अपना जीवन बरबाद कर रहे हैं.