बेंगलुरु, 9 अगस्त (आईएएनएस)। बार काउंसिल ने कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार का नाम एक कार्यक्रम के निमंत्रण से हटा दिया जिसमें मुख्यमंत्री सिद्दारमैया, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी. वराले और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ए.एस. बोपन्ना को आमंत्रित किया गया था।
शिवकुमार ने बुधवार को यहां संवाददाताओं से कहा कि अधिवक्ता संघ के सदस्यों ने आकर उनसे मुलाकात की। उन्होंने कहा, “मुझे कोई आपत्ति नहीं है और यह मेरी प्राथमिकता भी नहीं है। मैं देश के कानून का सम्मान करता हूं और अधिवक्ता संघ कोई भी निर्णय ले सकता है। मैं अधिवक्ता संघ या न्यायपालिका को शर्मिंदा नहीं करना चाहता। कानून अपना काम करेगा।”
पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक एस. सुरेश कुमार ने मैसूरु में आयोजित बार काउंसिल के कार्यक्रम में शिवकुमार के शामिल होने पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने तर्क दिया था कि चूंकि न्यायाधीश इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं, इसलिए अदालतों में कई मामलों का सामना कर रहे शिवकुमार उनके साथ मंच साझा नहीं कर सकते।
मैसूरु बार काउंसिल द्वारा 12 अगस्त से दो दिवसीय राज्य स्तरीय अधिवक्ता सम्मेलन का आयोजन किया गया है। आयोजकों ने शिवकुमार के नाम के साथ निमंत्रण प्रकाशित किया था। हालाँकि, आपत्तियों के बाद, उनका नाम हटाकर निमंत्रण को दोबारा मुद्रित किया गया।
कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल मुख्य अतिथि के तौर पर कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं।
भाजपा विधायक सुरेश कुमार ने कहा था कि कार्यक्रम में शिवकुमार की भागीदारी उचित नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया था कि शिवकुमार की भागीदारी न्यायपालिका के प्रोटोकॉल का उल्लंघन होगी। उन्होंने यह भी याद किया कि जब वह कानून मंत्री थे, तो उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश के साथ मंच साझा करने से पहले उनसे विशेष रूप से पूछा गया था कि क्या उनके खिलाफ कोई मामला है।
सुरेश कुमार ने आगे कहा कि शिवकुमार के खिलाफ मामले उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं। उन्होंने रेखांकित किया, “क्या ऐसे व्यक्ति के लिए न्यायाधीशों के साथ मंच साझा करना सही है? अधिवक्ता संघ को इस प्रश्न का उत्तर देना चाहिए और क्या न्यायाधीश इससे सहमत हैं? प्रोटोकॉल सभी पर लागू होना चाहिए।” उन्होंने इस संबंध में कर्नाटक हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र भी लिखा था।
शिवकुमार ने भाजपा विधायक सुरेश कुमार की आपत्ति पर टिप्पणी करते हुए कहा, “मैं एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ। बी.एस. सुरेश कुमार ने उस समय आपत्ति क्यों नहीं जताई जब बी.एस. येदियुरप्पा मुख्यमंत्री थे? उन पर भी कई मुकदमे चल रहे थे। मैं पहले भी अधिवक्ताओं द्वारा आयोजित कई कार्यक्रमों में शामिल हुआ था, फिर सुरेश कुमार ने तब अपनी आवाज क्यों नहीं उठाई?”
–आईएएनएस
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