नई दिल्ली, 8 अगस्त (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को दी गई सजा को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को अंतिम सुनवाई शुरू की।
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ को बानो की ओर से पेश वकील शोभा गुप्ता ने बताया कि जब पीड़िता गर्भवती थी तो उसके साथ क्रूरतापूर्वक सामूहिक बलात्कार किया गया और उसकी साढ़े तीन साल की बेटी को पत्थर से कुचलकर मार दिया गया।
वकील ने अदालत को बताया कि बिलकिस की मां के साथ भी सामूहिक बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई, उसके बाद उसके चार छोटे भाई-बहनों की भी हत्या कर दी गई।
उन्होंने तर्क दिया कि मामले में दोषी ट्रायल जज द्वारा दी गई प्रतिकूल राय के मद्देनजर छूट के हकदार नहीं हैं, इसलिए उन्हें दोषी ठहराया गया था और सजा सुनाई गई थी।
गुप्ता ने कहा कि पीड़िता को समाचार चैनलों के माध्यम से दोषियों की रिहाई के बारे में पता चला और यह भी कि जेल के बाहर जश्न मनाया जा रहा था और दोषियों को मालाएं पहनाई जा रही थीं।
इससे पहले जिन दोषियों को नोटिस नहीं दिया जा सका था, उस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई को दोषियों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया था। इसने गुजराती और अंग्रेजी सहित स्थानीय समाचार पत्रों में नोटिस प्रकाशित करने का भी निर्देश दिया था।
2 मई को केंद्र और गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वे बिलकिस बानो मामले में दोषियों की सजा माफ करने के संबंध में दस्तावेजों पर विशेषाधिकार का दावा नहीं करेंगे, और दस्तावेजों को शीर्ष अदालत के साथ साझा करने पर सहमत हुए थे।
मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को पिछले साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया गया था। गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति के तहत उनकी रिहाई की अनुमति दी थी, क्योकि षियों ने जेल में 15 साल पूरे कर लिए थे।
11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिकाओं का एक समूह दायर किया गया है, जिसमें बिलकिस बानो द्वारा दायर याचिका भी शामिल है।
अन्य याचिकाएं सीपीआई-एम नेता सुभाषिनी अली, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन, मीरान चड्ढा बोरवंकर, आसमां शफीक शेख और अन्य ने दायर की हैं।
–आईएएनएस
एसजीके