पटना, 3 अगस्त (आईएएनएस)। नौ सूत्रीय मांगों को लेकर आशा कार्यकर्ता गुरुवार को पटना की सड़कों पर उतरी। पटना के गर्दनीबाग इलाके में धरनास्थल पर हजारों की संख्या में आशा कार्यकर्ता पहुंची। इस दौरान अपनी मांगों और सरकार के विरोध में जमकर नारेबाजी की।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सुबह से ही प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आशा वर्कर्स पटना पहुंची और आशा संयुक्त मोर्चा संघ के बैनर तले प्रदर्शन कर गर्दनीबाग धरनास्थल पर धरने पर बैठी। इस दौरान सरकार को बाहर से समर्थन दे रही वामपंथी दलों का भी समर्थन मिला।
आशा कार्यकर्ता नेता शशि यादव ने कहा कि दो राउंड की वार्ता असफल हो चुकी है, लेकिन इससे हम निराश नहीं होने वाले हैं। जब तक हमारी मांगें मानी नहीं जाती हमारी हड़ताल जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि यह ताज्जुब वाली बात है कि बिहार की महागठबंधन सरकार आशाकर्मियों को न्यूनतम मानदेय भी नहीं देना चाहती। जबकि, वह महागठबंधन के घोषणापत्र में शामिल था।
उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को याद दिलाते हुए प्रदर्शनकारियों ने कहा कि चाहते हैं कि उन्होंने पारितोषिक की जगह मासिक मानदेय व सम्मानजनक राशि देने की घोषण की थी, उसे वे पूरा करें। उन्होंने कहा कि न्यूनतम रिटायरमेंट बेनिफिट देने से सरकार ने मना कर दिया है। जबकि, कई राज्यों में सम्मानजनक मासिक मानदेय के साथ एक लाख का रिटायरमेंट पैकेज और पेंशन मिलता है। उन्होंने यह भी कहा कि केरल, कर्नाटक, आंध्र, मध्यप्रदेश, ओडिशा, राजस्थान आदि राज्यों में आशा फैसिलिटेटरों को जो सुविधायें मिल रही हैं, बिहार सरकार उसे ही लागू कर दे।
विधायक सत्यदेव राम ने विश्वास दिलाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री से पुनः वार्ता कराने पर चर्चा हुई है। तेजस्वी यादव के पटना पहुंचते ही वार्ता अविलंब शुरू होगी और आशाओं के पक्ष में फैसला आएगा। उन्होंने कहा कि वाम दल के सभी विधायक मजबूती से हर प्लेटफॉर्म पर आशाओं के लिए न्यूनतम मानदेय की मांग उठायेंगे। इनकी मुख्य डिमांड में मासिक मानदेय में वृद्धि, बकाया राशि का जल्द भुगतान, भुगतान में व्याप्त भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी पर सख्ती से रोक लगाई जाने सहित कई मांग शामिल हैं।
–आईएएनएस
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