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बिहार : मौसम ने करवट बदली तो दिखने लगे प्रवासी पक्षी, 9500 अबाबील पक्षी पहुंचे बक्सर

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December 15, 2024
in राष्ट्रीय
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बिहार : मौसम ने करवट बदली तो दिखने लगे प्रवासी पक्षी, 9500 अबाबील पक्षी पहुंचे बक्सर
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पटना, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। मौसम में बदलाव के साथ ही कई प्रवासी पक्षी बिहार के विभिन्न इलाकों में पहुंचने लगे हैं। हाल ही में बक्सर के गंगा तट पर बार्न स्वालो यानी अबाबील पक्षी का करीब 9,500 का एक झुंड देखा गया।

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वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग से ठंड के मौसम में बिहार के जलाशयों में एशियाई शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य हर साल की तरह इस साल भी हो रहा है। अब तक राज्य के करीब 10-12 महत्वपूर्ण जलाशयों में शुरुआती मुआयना किया जा रहा है। इस वर्ष राज्य के 100 से भी ज्यादा जलाशयों में यह गणना का कार्य फरवरी माह में किया जाएगा। इसके बाद शीत काल के समाप्त होते ही फिर चुनिंदा जलाशयों में गणना का कार्य किया जाना हैI

इस गणना में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी का तकनीकी सहयोग शामिल है I इस इलाके में अब तक यह कार्य बक्सर के गंगा, गोकुल जलाशय और सुहिया भांगर में ही किया जाता था लेकिन, फरवरी माह में मध्य शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य बक्सर और भोजपुर के कई और जलाशयों में भी किया जाना है।

इस शुरुआती दौर में 12 दिसंबर को चौसा के रानी घाट से बियासी पुल अर्थात जनेश्वर मिश्रा पुल तक गंगा के करीब 50 किलोमीटर लम्बे क्षेत्र में पक्षियों की गणना बिहार के जाने-माने पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में की गई I

मिश्रा ने बताया कि इस भ्रमण में 43 प्रकार के करीब 11 हजार पक्षियों की गिनती की गई, जिनमें लगभग 20 प्रजाति के पक्षियों का आगमन सुदूर देशों से हुआ है।

इनमें ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब यानी शिवा हंस, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड यानी लालसर, यूरेशियन वीजन यानी छोटा लालसर, चकवा, शाह चकवा, अबलक बतख, गडवाल, कॉमन पोचार्ड, नॉर्दर्न पिनटेल यानी सींखपर आदि शामिल हैंI

बिहार में पक्षियों पर 35-40 वर्षों से अध्ययन कर रहे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य अरविन्द मिश्रा ने बताया, “काफी वर्षों पहले मात्र एक बार उन्होंने ऐसा झुण्ड भागलपुर के गंगा तट पर देखा था। प्रवास के क्रम में ये एक जगह इकठ्ठा होते हैं और फिर छोटे-छोटे झुंडों में बिखर जाते हैं I इस दौरान ये जमीन पर बैठे दिखाई देते हैं अन्यथा तो बस ये अपने भोजन को तलाशते हुए हवा में तेजी से तैरते ही नजर आते हैं जिन पर नजर टिकाना ही मुश्किल होता हैI

अन्य जीवों में गंगा के क्षेत्र में 20-25 रिवर डॉल्फिन के साथ सियारों की अच्छी संख्या देखी गई।

इस दल में भागलपुर से आए प्रशांत कुमार, जमुई के अनुभवी बर्ड गाइड संदीप कुमार, के साथ वनरक्षी नितीश कुमार, राज कुमार पासवान और अनीश कुमार भी शामिल थे I

–आईएएनएस

एमएनपी/एकेजे

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पटना, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। मौसम में बदलाव के साथ ही कई प्रवासी पक्षी बिहार के विभिन्न इलाकों में पहुंचने लगे हैं। हाल ही में बक्सर के गंगा तट पर बार्न स्वालो यानी अबाबील पक्षी का करीब 9,500 का एक झुंड देखा गया।

वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग से ठंड के मौसम में बिहार के जलाशयों में एशियाई शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य हर साल की तरह इस साल भी हो रहा है। अब तक राज्य के करीब 10-12 महत्वपूर्ण जलाशयों में शुरुआती मुआयना किया जा रहा है। इस वर्ष राज्य के 100 से भी ज्यादा जलाशयों में यह गणना का कार्य फरवरी माह में किया जाएगा। इसके बाद शीत काल के समाप्त होते ही फिर चुनिंदा जलाशयों में गणना का कार्य किया जाना हैI

इस गणना में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी का तकनीकी सहयोग शामिल है I इस इलाके में अब तक यह कार्य बक्सर के गंगा, गोकुल जलाशय और सुहिया भांगर में ही किया जाता था लेकिन, फरवरी माह में मध्य शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य बक्सर और भोजपुर के कई और जलाशयों में भी किया जाना है।

इस शुरुआती दौर में 12 दिसंबर को चौसा के रानी घाट से बियासी पुल अर्थात जनेश्वर मिश्रा पुल तक गंगा के करीब 50 किलोमीटर लम्बे क्षेत्र में पक्षियों की गणना बिहार के जाने-माने पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में की गई I

मिश्रा ने बताया कि इस भ्रमण में 43 प्रकार के करीब 11 हजार पक्षियों की गिनती की गई, जिनमें लगभग 20 प्रजाति के पक्षियों का आगमन सुदूर देशों से हुआ है।

इनमें ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब यानी शिवा हंस, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड यानी लालसर, यूरेशियन वीजन यानी छोटा लालसर, चकवा, शाह चकवा, अबलक बतख, गडवाल, कॉमन पोचार्ड, नॉर्दर्न पिनटेल यानी सींखपर आदि शामिल हैंI

बिहार में पक्षियों पर 35-40 वर्षों से अध्ययन कर रहे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य अरविन्द मिश्रा ने बताया, “काफी वर्षों पहले मात्र एक बार उन्होंने ऐसा झुण्ड भागलपुर के गंगा तट पर देखा था। प्रवास के क्रम में ये एक जगह इकठ्ठा होते हैं और फिर छोटे-छोटे झुंडों में बिखर जाते हैं I इस दौरान ये जमीन पर बैठे दिखाई देते हैं अन्यथा तो बस ये अपने भोजन को तलाशते हुए हवा में तेजी से तैरते ही नजर आते हैं जिन पर नजर टिकाना ही मुश्किल होता हैI

अन्य जीवों में गंगा के क्षेत्र में 20-25 रिवर डॉल्फिन के साथ सियारों की अच्छी संख्या देखी गई।

इस दल में भागलपुर से आए प्रशांत कुमार, जमुई के अनुभवी बर्ड गाइड संदीप कुमार, के साथ वनरक्षी नितीश कुमार, राज कुमार पासवान और अनीश कुमार भी शामिल थे I

–आईएएनएस

एमएनपी/एकेजे

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पटना, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। मौसम में बदलाव के साथ ही कई प्रवासी पक्षी बिहार के विभिन्न इलाकों में पहुंचने लगे हैं। हाल ही में बक्सर के गंगा तट पर बार्न स्वालो यानी अबाबील पक्षी का करीब 9,500 का एक झुंड देखा गया।

वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग से ठंड के मौसम में बिहार के जलाशयों में एशियाई शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य हर साल की तरह इस साल भी हो रहा है। अब तक राज्य के करीब 10-12 महत्वपूर्ण जलाशयों में शुरुआती मुआयना किया जा रहा है। इस वर्ष राज्य के 100 से भी ज्यादा जलाशयों में यह गणना का कार्य फरवरी माह में किया जाएगा। इसके बाद शीत काल के समाप्त होते ही फिर चुनिंदा जलाशयों में गणना का कार्य किया जाना हैI

इस गणना में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी का तकनीकी सहयोग शामिल है I इस इलाके में अब तक यह कार्य बक्सर के गंगा, गोकुल जलाशय और सुहिया भांगर में ही किया जाता था लेकिन, फरवरी माह में मध्य शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य बक्सर और भोजपुर के कई और जलाशयों में भी किया जाना है।

इस शुरुआती दौर में 12 दिसंबर को चौसा के रानी घाट से बियासी पुल अर्थात जनेश्वर मिश्रा पुल तक गंगा के करीब 50 किलोमीटर लम्बे क्षेत्र में पक्षियों की गणना बिहार के जाने-माने पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में की गई I

मिश्रा ने बताया कि इस भ्रमण में 43 प्रकार के करीब 11 हजार पक्षियों की गिनती की गई, जिनमें लगभग 20 प्रजाति के पक्षियों का आगमन सुदूर देशों से हुआ है।

इनमें ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब यानी शिवा हंस, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड यानी लालसर, यूरेशियन वीजन यानी छोटा लालसर, चकवा, शाह चकवा, अबलक बतख, गडवाल, कॉमन पोचार्ड, नॉर्दर्न पिनटेल यानी सींखपर आदि शामिल हैंI

बिहार में पक्षियों पर 35-40 वर्षों से अध्ययन कर रहे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य अरविन्द मिश्रा ने बताया, “काफी वर्षों पहले मात्र एक बार उन्होंने ऐसा झुण्ड भागलपुर के गंगा तट पर देखा था। प्रवास के क्रम में ये एक जगह इकठ्ठा होते हैं और फिर छोटे-छोटे झुंडों में बिखर जाते हैं I इस दौरान ये जमीन पर बैठे दिखाई देते हैं अन्यथा तो बस ये अपने भोजन को तलाशते हुए हवा में तेजी से तैरते ही नजर आते हैं जिन पर नजर टिकाना ही मुश्किल होता हैI

अन्य जीवों में गंगा के क्षेत्र में 20-25 रिवर डॉल्फिन के साथ सियारों की अच्छी संख्या देखी गई।

इस दल में भागलपुर से आए प्रशांत कुमार, जमुई के अनुभवी बर्ड गाइड संदीप कुमार, के साथ वनरक्षी नितीश कुमार, राज कुमार पासवान और अनीश कुमार भी शामिल थे I

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वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग से ठंड के मौसम में बिहार के जलाशयों में एशियाई शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य हर साल की तरह इस साल भी हो रहा है। अब तक राज्य के करीब 10-12 महत्वपूर्ण जलाशयों में शुरुआती मुआयना किया जा रहा है। इस वर्ष राज्य के 100 से भी ज्यादा जलाशयों में यह गणना का कार्य फरवरी माह में किया जाएगा। इसके बाद शीत काल के समाप्त होते ही फिर चुनिंदा जलाशयों में गणना का कार्य किया जाना हैI

इस गणना में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी का तकनीकी सहयोग शामिल है I इस इलाके में अब तक यह कार्य बक्सर के गंगा, गोकुल जलाशय और सुहिया भांगर में ही किया जाता था लेकिन, फरवरी माह में मध्य शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य बक्सर और भोजपुर के कई और जलाशयों में भी किया जाना है।

इस शुरुआती दौर में 12 दिसंबर को चौसा के रानी घाट से बियासी पुल अर्थात जनेश्वर मिश्रा पुल तक गंगा के करीब 50 किलोमीटर लम्बे क्षेत्र में पक्षियों की गणना बिहार के जाने-माने पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में की गई I

मिश्रा ने बताया कि इस भ्रमण में 43 प्रकार के करीब 11 हजार पक्षियों की गिनती की गई, जिनमें लगभग 20 प्रजाति के पक्षियों का आगमन सुदूर देशों से हुआ है।

इनमें ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब यानी शिवा हंस, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड यानी लालसर, यूरेशियन वीजन यानी छोटा लालसर, चकवा, शाह चकवा, अबलक बतख, गडवाल, कॉमन पोचार्ड, नॉर्दर्न पिनटेल यानी सींखपर आदि शामिल हैंI

बिहार में पक्षियों पर 35-40 वर्षों से अध्ययन कर रहे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य अरविन्द मिश्रा ने बताया, “काफी वर्षों पहले मात्र एक बार उन्होंने ऐसा झुण्ड भागलपुर के गंगा तट पर देखा था। प्रवास के क्रम में ये एक जगह इकठ्ठा होते हैं और फिर छोटे-छोटे झुंडों में बिखर जाते हैं I इस दौरान ये जमीन पर बैठे दिखाई देते हैं अन्यथा तो बस ये अपने भोजन को तलाशते हुए हवा में तेजी से तैरते ही नजर आते हैं जिन पर नजर टिकाना ही मुश्किल होता हैI

अन्य जीवों में गंगा के क्षेत्र में 20-25 रिवर डॉल्फिन के साथ सियारों की अच्छी संख्या देखी गई।

इस दल में भागलपुर से आए प्रशांत कुमार, जमुई के अनुभवी बर्ड गाइड संदीप कुमार, के साथ वनरक्षी नितीश कुमार, राज कुमार पासवान और अनीश कुमार भी शामिल थे I

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वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग से ठंड के मौसम में बिहार के जलाशयों में एशियाई शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य हर साल की तरह इस साल भी हो रहा है। अब तक राज्य के करीब 10-12 महत्वपूर्ण जलाशयों में शुरुआती मुआयना किया जा रहा है। इस वर्ष राज्य के 100 से भी ज्यादा जलाशयों में यह गणना का कार्य फरवरी माह में किया जाएगा। इसके बाद शीत काल के समाप्त होते ही फिर चुनिंदा जलाशयों में गणना का कार्य किया जाना हैI

इस गणना में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी का तकनीकी सहयोग शामिल है I इस इलाके में अब तक यह कार्य बक्सर के गंगा, गोकुल जलाशय और सुहिया भांगर में ही किया जाता था लेकिन, फरवरी माह में मध्य शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य बक्सर और भोजपुर के कई और जलाशयों में भी किया जाना है।

इस शुरुआती दौर में 12 दिसंबर को चौसा के रानी घाट से बियासी पुल अर्थात जनेश्वर मिश्रा पुल तक गंगा के करीब 50 किलोमीटर लम्बे क्षेत्र में पक्षियों की गणना बिहार के जाने-माने पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में की गई I

मिश्रा ने बताया कि इस भ्रमण में 43 प्रकार के करीब 11 हजार पक्षियों की गिनती की गई, जिनमें लगभग 20 प्रजाति के पक्षियों का आगमन सुदूर देशों से हुआ है।

इनमें ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब यानी शिवा हंस, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड यानी लालसर, यूरेशियन वीजन यानी छोटा लालसर, चकवा, शाह चकवा, अबलक बतख, गडवाल, कॉमन पोचार्ड, नॉर्दर्न पिनटेल यानी सींखपर आदि शामिल हैंI

बिहार में पक्षियों पर 35-40 वर्षों से अध्ययन कर रहे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य अरविन्द मिश्रा ने बताया, “काफी वर्षों पहले मात्र एक बार उन्होंने ऐसा झुण्ड भागलपुर के गंगा तट पर देखा था। प्रवास के क्रम में ये एक जगह इकठ्ठा होते हैं और फिर छोटे-छोटे झुंडों में बिखर जाते हैं I इस दौरान ये जमीन पर बैठे दिखाई देते हैं अन्यथा तो बस ये अपने भोजन को तलाशते हुए हवा में तेजी से तैरते ही नजर आते हैं जिन पर नजर टिकाना ही मुश्किल होता हैI

अन्य जीवों में गंगा के क्षेत्र में 20-25 रिवर डॉल्फिन के साथ सियारों की अच्छी संख्या देखी गई।

इस दल में भागलपुर से आए प्रशांत कुमार, जमुई के अनुभवी बर्ड गाइड संदीप कुमार, के साथ वनरक्षी नितीश कुमार, राज कुमार पासवान और अनीश कुमार भी शामिल थे I

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वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग से ठंड के मौसम में बिहार के जलाशयों में एशियाई शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य हर साल की तरह इस साल भी हो रहा है। अब तक राज्य के करीब 10-12 महत्वपूर्ण जलाशयों में शुरुआती मुआयना किया जा रहा है। इस वर्ष राज्य के 100 से भी ज्यादा जलाशयों में यह गणना का कार्य फरवरी माह में किया जाएगा। इसके बाद शीत काल के समाप्त होते ही फिर चुनिंदा जलाशयों में गणना का कार्य किया जाना हैI

इस गणना में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी का तकनीकी सहयोग शामिल है I इस इलाके में अब तक यह कार्य बक्सर के गंगा, गोकुल जलाशय और सुहिया भांगर में ही किया जाता था लेकिन, फरवरी माह में मध्य शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य बक्सर और भोजपुर के कई और जलाशयों में भी किया जाना है।

इस शुरुआती दौर में 12 दिसंबर को चौसा के रानी घाट से बियासी पुल अर्थात जनेश्वर मिश्रा पुल तक गंगा के करीब 50 किलोमीटर लम्बे क्षेत्र में पक्षियों की गणना बिहार के जाने-माने पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में की गई I

मिश्रा ने बताया कि इस भ्रमण में 43 प्रकार के करीब 11 हजार पक्षियों की गिनती की गई, जिनमें लगभग 20 प्रजाति के पक्षियों का आगमन सुदूर देशों से हुआ है।

इनमें ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब यानी शिवा हंस, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड यानी लालसर, यूरेशियन वीजन यानी छोटा लालसर, चकवा, शाह चकवा, अबलक बतख, गडवाल, कॉमन पोचार्ड, नॉर्दर्न पिनटेल यानी सींखपर आदि शामिल हैंI

बिहार में पक्षियों पर 35-40 वर्षों से अध्ययन कर रहे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य अरविन्द मिश्रा ने बताया, “काफी वर्षों पहले मात्र एक बार उन्होंने ऐसा झुण्ड भागलपुर के गंगा तट पर देखा था। प्रवास के क्रम में ये एक जगह इकठ्ठा होते हैं और फिर छोटे-छोटे झुंडों में बिखर जाते हैं I इस दौरान ये जमीन पर बैठे दिखाई देते हैं अन्यथा तो बस ये अपने भोजन को तलाशते हुए हवा में तेजी से तैरते ही नजर आते हैं जिन पर नजर टिकाना ही मुश्किल होता हैI

अन्य जीवों में गंगा के क्षेत्र में 20-25 रिवर डॉल्फिन के साथ सियारों की अच्छी संख्या देखी गई।

इस दल में भागलपुर से आए प्रशांत कुमार, जमुई के अनुभवी बर्ड गाइड संदीप कुमार, के साथ वनरक्षी नितीश कुमार, राज कुमार पासवान और अनीश कुमार भी शामिल थे I

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वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग से ठंड के मौसम में बिहार के जलाशयों में एशियाई शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य हर साल की तरह इस साल भी हो रहा है। अब तक राज्य के करीब 10-12 महत्वपूर्ण जलाशयों में शुरुआती मुआयना किया जा रहा है। इस वर्ष राज्य के 100 से भी ज्यादा जलाशयों में यह गणना का कार्य फरवरी माह में किया जाएगा। इसके बाद शीत काल के समाप्त होते ही फिर चुनिंदा जलाशयों में गणना का कार्य किया जाना हैI

इस गणना में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी का तकनीकी सहयोग शामिल है I इस इलाके में अब तक यह कार्य बक्सर के गंगा, गोकुल जलाशय और सुहिया भांगर में ही किया जाता था लेकिन, फरवरी माह में मध्य शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य बक्सर और भोजपुर के कई और जलाशयों में भी किया जाना है।

इस शुरुआती दौर में 12 दिसंबर को चौसा के रानी घाट से बियासी पुल अर्थात जनेश्वर मिश्रा पुल तक गंगा के करीब 50 किलोमीटर लम्बे क्षेत्र में पक्षियों की गणना बिहार के जाने-माने पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में की गई I

मिश्रा ने बताया कि इस भ्रमण में 43 प्रकार के करीब 11 हजार पक्षियों की गिनती की गई, जिनमें लगभग 20 प्रजाति के पक्षियों का आगमन सुदूर देशों से हुआ है।

इनमें ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब यानी शिवा हंस, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड यानी लालसर, यूरेशियन वीजन यानी छोटा लालसर, चकवा, शाह चकवा, अबलक बतख, गडवाल, कॉमन पोचार्ड, नॉर्दर्न पिनटेल यानी सींखपर आदि शामिल हैंI

बिहार में पक्षियों पर 35-40 वर्षों से अध्ययन कर रहे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य अरविन्द मिश्रा ने बताया, “काफी वर्षों पहले मात्र एक बार उन्होंने ऐसा झुण्ड भागलपुर के गंगा तट पर देखा था। प्रवास के क्रम में ये एक जगह इकठ्ठा होते हैं और फिर छोटे-छोटे झुंडों में बिखर जाते हैं I इस दौरान ये जमीन पर बैठे दिखाई देते हैं अन्यथा तो बस ये अपने भोजन को तलाशते हुए हवा में तेजी से तैरते ही नजर आते हैं जिन पर नजर टिकाना ही मुश्किल होता हैI

अन्य जीवों में गंगा के क्षेत्र में 20-25 रिवर डॉल्फिन के साथ सियारों की अच्छी संख्या देखी गई।

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वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग से ठंड के मौसम में बिहार के जलाशयों में एशियाई शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य हर साल की तरह इस साल भी हो रहा है। अब तक राज्य के करीब 10-12 महत्वपूर्ण जलाशयों में शुरुआती मुआयना किया जा रहा है। इस वर्ष राज्य के 100 से भी ज्यादा जलाशयों में यह गणना का कार्य फरवरी माह में किया जाएगा। इसके बाद शीत काल के समाप्त होते ही फिर चुनिंदा जलाशयों में गणना का कार्य किया जाना हैI

इस गणना में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी का तकनीकी सहयोग शामिल है I इस इलाके में अब तक यह कार्य बक्सर के गंगा, गोकुल जलाशय और सुहिया भांगर में ही किया जाता था लेकिन, फरवरी माह में मध्य शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य बक्सर और भोजपुर के कई और जलाशयों में भी किया जाना है।

इस शुरुआती दौर में 12 दिसंबर को चौसा के रानी घाट से बियासी पुल अर्थात जनेश्वर मिश्रा पुल तक गंगा के करीब 50 किलोमीटर लम्बे क्षेत्र में पक्षियों की गणना बिहार के जाने-माने पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में की गई I

मिश्रा ने बताया कि इस भ्रमण में 43 प्रकार के करीब 11 हजार पक्षियों की गिनती की गई, जिनमें लगभग 20 प्रजाति के पक्षियों का आगमन सुदूर देशों से हुआ है।

इनमें ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब यानी शिवा हंस, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड यानी लालसर, यूरेशियन वीजन यानी छोटा लालसर, चकवा, शाह चकवा, अबलक बतख, गडवाल, कॉमन पोचार्ड, नॉर्दर्न पिनटेल यानी सींखपर आदि शामिल हैंI

बिहार में पक्षियों पर 35-40 वर्षों से अध्ययन कर रहे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य अरविन्द मिश्रा ने बताया, “काफी वर्षों पहले मात्र एक बार उन्होंने ऐसा झुण्ड भागलपुर के गंगा तट पर देखा था। प्रवास के क्रम में ये एक जगह इकठ्ठा होते हैं और फिर छोटे-छोटे झुंडों में बिखर जाते हैं I इस दौरान ये जमीन पर बैठे दिखाई देते हैं अन्यथा तो बस ये अपने भोजन को तलाशते हुए हवा में तेजी से तैरते ही नजर आते हैं जिन पर नजर टिकाना ही मुश्किल होता हैI

अन्य जीवों में गंगा के क्षेत्र में 20-25 रिवर डॉल्फिन के साथ सियारों की अच्छी संख्या देखी गई।

इस दल में भागलपुर से आए प्रशांत कुमार, जमुई के अनुभवी बर्ड गाइड संदीप कुमार, के साथ वनरक्षी नितीश कुमार, राज कुमार पासवान और अनीश कुमार भी शामिल थे I

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पटना, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। मौसम में बदलाव के साथ ही कई प्रवासी पक्षी बिहार के विभिन्न इलाकों में पहुंचने लगे हैं। हाल ही में बक्सर के गंगा तट पर बार्न स्वालो यानी अबाबील पक्षी का करीब 9,500 का एक झुंड देखा गया।

वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग से ठंड के मौसम में बिहार के जलाशयों में एशियाई शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य हर साल की तरह इस साल भी हो रहा है। अब तक राज्य के करीब 10-12 महत्वपूर्ण जलाशयों में शुरुआती मुआयना किया जा रहा है। इस वर्ष राज्य के 100 से भी ज्यादा जलाशयों में यह गणना का कार्य फरवरी माह में किया जाएगा। इसके बाद शीत काल के समाप्त होते ही फिर चुनिंदा जलाशयों में गणना का कार्य किया जाना हैI

इस गणना में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी का तकनीकी सहयोग शामिल है I इस इलाके में अब तक यह कार्य बक्सर के गंगा, गोकुल जलाशय और सुहिया भांगर में ही किया जाता था लेकिन, फरवरी माह में मध्य शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य बक्सर और भोजपुर के कई और जलाशयों में भी किया जाना है।

इस शुरुआती दौर में 12 दिसंबर को चौसा के रानी घाट से बियासी पुल अर्थात जनेश्वर मिश्रा पुल तक गंगा के करीब 50 किलोमीटर लम्बे क्षेत्र में पक्षियों की गणना बिहार के जाने-माने पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में की गई I

मिश्रा ने बताया कि इस भ्रमण में 43 प्रकार के करीब 11 हजार पक्षियों की गिनती की गई, जिनमें लगभग 20 प्रजाति के पक्षियों का आगमन सुदूर देशों से हुआ है।

इनमें ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब यानी शिवा हंस, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड यानी लालसर, यूरेशियन वीजन यानी छोटा लालसर, चकवा, शाह चकवा, अबलक बतख, गडवाल, कॉमन पोचार्ड, नॉर्दर्न पिनटेल यानी सींखपर आदि शामिल हैंI

बिहार में पक्षियों पर 35-40 वर्षों से अध्ययन कर रहे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य अरविन्द मिश्रा ने बताया, “काफी वर्षों पहले मात्र एक बार उन्होंने ऐसा झुण्ड भागलपुर के गंगा तट पर देखा था। प्रवास के क्रम में ये एक जगह इकठ्ठा होते हैं और फिर छोटे-छोटे झुंडों में बिखर जाते हैं I इस दौरान ये जमीन पर बैठे दिखाई देते हैं अन्यथा तो बस ये अपने भोजन को तलाशते हुए हवा में तेजी से तैरते ही नजर आते हैं जिन पर नजर टिकाना ही मुश्किल होता हैI

अन्य जीवों में गंगा के क्षेत्र में 20-25 रिवर डॉल्फिन के साथ सियारों की अच्छी संख्या देखी गई।

इस दल में भागलपुर से आए प्रशांत कुमार, जमुई के अनुभवी बर्ड गाइड संदीप कुमार, के साथ वनरक्षी नितीश कुमार, राज कुमार पासवान और अनीश कुमार भी शामिल थे I

–आईएएनएस

एमएनपी/एकेजे

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पटना, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। मौसम में बदलाव के साथ ही कई प्रवासी पक्षी बिहार के विभिन्न इलाकों में पहुंचने लगे हैं। हाल ही में बक्सर के गंगा तट पर बार्न स्वालो यानी अबाबील पक्षी का करीब 9,500 का एक झुंड देखा गया।

वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग से ठंड के मौसम में बिहार के जलाशयों में एशियाई शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य हर साल की तरह इस साल भी हो रहा है। अब तक राज्य के करीब 10-12 महत्वपूर्ण जलाशयों में शुरुआती मुआयना किया जा रहा है। इस वर्ष राज्य के 100 से भी ज्यादा जलाशयों में यह गणना का कार्य फरवरी माह में किया जाएगा। इसके बाद शीत काल के समाप्त होते ही फिर चुनिंदा जलाशयों में गणना का कार्य किया जाना हैI

इस गणना में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी का तकनीकी सहयोग शामिल है I इस इलाके में अब तक यह कार्य बक्सर के गंगा, गोकुल जलाशय और सुहिया भांगर में ही किया जाता था लेकिन, फरवरी माह में मध्य शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य बक्सर और भोजपुर के कई और जलाशयों में भी किया जाना है।

इस शुरुआती दौर में 12 दिसंबर को चौसा के रानी घाट से बियासी पुल अर्थात जनेश्वर मिश्रा पुल तक गंगा के करीब 50 किलोमीटर लम्बे क्षेत्र में पक्षियों की गणना बिहार के जाने-माने पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में की गई I

मिश्रा ने बताया कि इस भ्रमण में 43 प्रकार के करीब 11 हजार पक्षियों की गिनती की गई, जिनमें लगभग 20 प्रजाति के पक्षियों का आगमन सुदूर देशों से हुआ है।

इनमें ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब यानी शिवा हंस, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड यानी लालसर, यूरेशियन वीजन यानी छोटा लालसर, चकवा, शाह चकवा, अबलक बतख, गडवाल, कॉमन पोचार्ड, नॉर्दर्न पिनटेल यानी सींखपर आदि शामिल हैंI

बिहार में पक्षियों पर 35-40 वर्षों से अध्ययन कर रहे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य अरविन्द मिश्रा ने बताया, “काफी वर्षों पहले मात्र एक बार उन्होंने ऐसा झुण्ड भागलपुर के गंगा तट पर देखा था। प्रवास के क्रम में ये एक जगह इकठ्ठा होते हैं और फिर छोटे-छोटे झुंडों में बिखर जाते हैं I इस दौरान ये जमीन पर बैठे दिखाई देते हैं अन्यथा तो बस ये अपने भोजन को तलाशते हुए हवा में तेजी से तैरते ही नजर आते हैं जिन पर नजर टिकाना ही मुश्किल होता हैI

अन्य जीवों में गंगा के क्षेत्र में 20-25 रिवर डॉल्फिन के साथ सियारों की अच्छी संख्या देखी गई।

इस दल में भागलपुर से आए प्रशांत कुमार, जमुई के अनुभवी बर्ड गाइड संदीप कुमार, के साथ वनरक्षी नितीश कुमार, राज कुमार पासवान और अनीश कुमार भी शामिल थे I

–आईएएनएस

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पटना, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। मौसम में बदलाव के साथ ही कई प्रवासी पक्षी बिहार के विभिन्न इलाकों में पहुंचने लगे हैं। हाल ही में बक्सर के गंगा तट पर बार्न स्वालो यानी अबाबील पक्षी का करीब 9,500 का एक झुंड देखा गया।

वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग से ठंड के मौसम में बिहार के जलाशयों में एशियाई शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य हर साल की तरह इस साल भी हो रहा है। अब तक राज्य के करीब 10-12 महत्वपूर्ण जलाशयों में शुरुआती मुआयना किया जा रहा है। इस वर्ष राज्य के 100 से भी ज्यादा जलाशयों में यह गणना का कार्य फरवरी माह में किया जाएगा। इसके बाद शीत काल के समाप्त होते ही फिर चुनिंदा जलाशयों में गणना का कार्य किया जाना हैI

इस गणना में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी का तकनीकी सहयोग शामिल है I इस इलाके में अब तक यह कार्य बक्सर के गंगा, गोकुल जलाशय और सुहिया भांगर में ही किया जाता था लेकिन, फरवरी माह में मध्य शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य बक्सर और भोजपुर के कई और जलाशयों में भी किया जाना है।

इस शुरुआती दौर में 12 दिसंबर को चौसा के रानी घाट से बियासी पुल अर्थात जनेश्वर मिश्रा पुल तक गंगा के करीब 50 किलोमीटर लम्बे क्षेत्र में पक्षियों की गणना बिहार के जाने-माने पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में की गई I

मिश्रा ने बताया कि इस भ्रमण में 43 प्रकार के करीब 11 हजार पक्षियों की गिनती की गई, जिनमें लगभग 20 प्रजाति के पक्षियों का आगमन सुदूर देशों से हुआ है।

इनमें ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब यानी शिवा हंस, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड यानी लालसर, यूरेशियन वीजन यानी छोटा लालसर, चकवा, शाह चकवा, अबलक बतख, गडवाल, कॉमन पोचार्ड, नॉर्दर्न पिनटेल यानी सींखपर आदि शामिल हैंI

बिहार में पक्षियों पर 35-40 वर्षों से अध्ययन कर रहे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य अरविन्द मिश्रा ने बताया, “काफी वर्षों पहले मात्र एक बार उन्होंने ऐसा झुण्ड भागलपुर के गंगा तट पर देखा था। प्रवास के क्रम में ये एक जगह इकठ्ठा होते हैं और फिर छोटे-छोटे झुंडों में बिखर जाते हैं I इस दौरान ये जमीन पर बैठे दिखाई देते हैं अन्यथा तो बस ये अपने भोजन को तलाशते हुए हवा में तेजी से तैरते ही नजर आते हैं जिन पर नजर टिकाना ही मुश्किल होता हैI

अन्य जीवों में गंगा के क्षेत्र में 20-25 रिवर डॉल्फिन के साथ सियारों की अच्छी संख्या देखी गई।

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वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग से ठंड के मौसम में बिहार के जलाशयों में एशियाई शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य हर साल की तरह इस साल भी हो रहा है। अब तक राज्य के करीब 10-12 महत्वपूर्ण जलाशयों में शुरुआती मुआयना किया जा रहा है। इस वर्ष राज्य के 100 से भी ज्यादा जलाशयों में यह गणना का कार्य फरवरी माह में किया जाएगा। इसके बाद शीत काल के समाप्त होते ही फिर चुनिंदा जलाशयों में गणना का कार्य किया जाना हैI

इस गणना में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी का तकनीकी सहयोग शामिल है I इस इलाके में अब तक यह कार्य बक्सर के गंगा, गोकुल जलाशय और सुहिया भांगर में ही किया जाता था लेकिन, फरवरी माह में मध्य शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य बक्सर और भोजपुर के कई और जलाशयों में भी किया जाना है।

इस शुरुआती दौर में 12 दिसंबर को चौसा के रानी घाट से बियासी पुल अर्थात जनेश्वर मिश्रा पुल तक गंगा के करीब 50 किलोमीटर लम्बे क्षेत्र में पक्षियों की गणना बिहार के जाने-माने पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में की गई I

मिश्रा ने बताया कि इस भ्रमण में 43 प्रकार के करीब 11 हजार पक्षियों की गिनती की गई, जिनमें लगभग 20 प्रजाति के पक्षियों का आगमन सुदूर देशों से हुआ है।

इनमें ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब यानी शिवा हंस, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड यानी लालसर, यूरेशियन वीजन यानी छोटा लालसर, चकवा, शाह चकवा, अबलक बतख, गडवाल, कॉमन पोचार्ड, नॉर्दर्न पिनटेल यानी सींखपर आदि शामिल हैंI

बिहार में पक्षियों पर 35-40 वर्षों से अध्ययन कर रहे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य अरविन्द मिश्रा ने बताया, “काफी वर्षों पहले मात्र एक बार उन्होंने ऐसा झुण्ड भागलपुर के गंगा तट पर देखा था। प्रवास के क्रम में ये एक जगह इकठ्ठा होते हैं और फिर छोटे-छोटे झुंडों में बिखर जाते हैं I इस दौरान ये जमीन पर बैठे दिखाई देते हैं अन्यथा तो बस ये अपने भोजन को तलाशते हुए हवा में तेजी से तैरते ही नजर आते हैं जिन पर नजर टिकाना ही मुश्किल होता हैI

अन्य जीवों में गंगा के क्षेत्र में 20-25 रिवर डॉल्फिन के साथ सियारों की अच्छी संख्या देखी गई।

इस दल में भागलपुर से आए प्रशांत कुमार, जमुई के अनुभवी बर्ड गाइड संदीप कुमार, के साथ वनरक्षी नितीश कुमार, राज कुमार पासवान और अनीश कुमार भी शामिल थे I

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वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग से ठंड के मौसम में बिहार के जलाशयों में एशियाई शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य हर साल की तरह इस साल भी हो रहा है। अब तक राज्य के करीब 10-12 महत्वपूर्ण जलाशयों में शुरुआती मुआयना किया जा रहा है। इस वर्ष राज्य के 100 से भी ज्यादा जलाशयों में यह गणना का कार्य फरवरी माह में किया जाएगा। इसके बाद शीत काल के समाप्त होते ही फिर चुनिंदा जलाशयों में गणना का कार्य किया जाना हैI

इस गणना में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी का तकनीकी सहयोग शामिल है I इस इलाके में अब तक यह कार्य बक्सर के गंगा, गोकुल जलाशय और सुहिया भांगर में ही किया जाता था लेकिन, फरवरी माह में मध्य शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य बक्सर और भोजपुर के कई और जलाशयों में भी किया जाना है।

इस शुरुआती दौर में 12 दिसंबर को चौसा के रानी घाट से बियासी पुल अर्थात जनेश्वर मिश्रा पुल तक गंगा के करीब 50 किलोमीटर लम्बे क्षेत्र में पक्षियों की गणना बिहार के जाने-माने पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में की गई I

मिश्रा ने बताया कि इस भ्रमण में 43 प्रकार के करीब 11 हजार पक्षियों की गिनती की गई, जिनमें लगभग 20 प्रजाति के पक्षियों का आगमन सुदूर देशों से हुआ है।

इनमें ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब यानी शिवा हंस, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड यानी लालसर, यूरेशियन वीजन यानी छोटा लालसर, चकवा, शाह चकवा, अबलक बतख, गडवाल, कॉमन पोचार्ड, नॉर्दर्न पिनटेल यानी सींखपर आदि शामिल हैंI

बिहार में पक्षियों पर 35-40 वर्षों से अध्ययन कर रहे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य अरविन्द मिश्रा ने बताया, “काफी वर्षों पहले मात्र एक बार उन्होंने ऐसा झुण्ड भागलपुर के गंगा तट पर देखा था। प्रवास के क्रम में ये एक जगह इकठ्ठा होते हैं और फिर छोटे-छोटे झुंडों में बिखर जाते हैं I इस दौरान ये जमीन पर बैठे दिखाई देते हैं अन्यथा तो बस ये अपने भोजन को तलाशते हुए हवा में तेजी से तैरते ही नजर आते हैं जिन पर नजर टिकाना ही मुश्किल होता हैI

अन्य जीवों में गंगा के क्षेत्र में 20-25 रिवर डॉल्फिन के साथ सियारों की अच्छी संख्या देखी गई।

इस दल में भागलपुर से आए प्रशांत कुमार, जमुई के अनुभवी बर्ड गाइड संदीप कुमार, के साथ वनरक्षी नितीश कुमार, राज कुमार पासवान और अनीश कुमार भी शामिल थे I

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वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग से ठंड के मौसम में बिहार के जलाशयों में एशियाई शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य हर साल की तरह इस साल भी हो रहा है। अब तक राज्य के करीब 10-12 महत्वपूर्ण जलाशयों में शुरुआती मुआयना किया जा रहा है। इस वर्ष राज्य के 100 से भी ज्यादा जलाशयों में यह गणना का कार्य फरवरी माह में किया जाएगा। इसके बाद शीत काल के समाप्त होते ही फिर चुनिंदा जलाशयों में गणना का कार्य किया जाना हैI

इस गणना में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी का तकनीकी सहयोग शामिल है I इस इलाके में अब तक यह कार्य बक्सर के गंगा, गोकुल जलाशय और सुहिया भांगर में ही किया जाता था लेकिन, फरवरी माह में मध्य शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य बक्सर और भोजपुर के कई और जलाशयों में भी किया जाना है।

इस शुरुआती दौर में 12 दिसंबर को चौसा के रानी घाट से बियासी पुल अर्थात जनेश्वर मिश्रा पुल तक गंगा के करीब 50 किलोमीटर लम्बे क्षेत्र में पक्षियों की गणना बिहार के जाने-माने पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में की गई I

मिश्रा ने बताया कि इस भ्रमण में 43 प्रकार के करीब 11 हजार पक्षियों की गिनती की गई, जिनमें लगभग 20 प्रजाति के पक्षियों का आगमन सुदूर देशों से हुआ है।

इनमें ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब यानी शिवा हंस, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड यानी लालसर, यूरेशियन वीजन यानी छोटा लालसर, चकवा, शाह चकवा, अबलक बतख, गडवाल, कॉमन पोचार्ड, नॉर्दर्न पिनटेल यानी सींखपर आदि शामिल हैंI

बिहार में पक्षियों पर 35-40 वर्षों से अध्ययन कर रहे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य अरविन्द मिश्रा ने बताया, “काफी वर्षों पहले मात्र एक बार उन्होंने ऐसा झुण्ड भागलपुर के गंगा तट पर देखा था। प्रवास के क्रम में ये एक जगह इकठ्ठा होते हैं और फिर छोटे-छोटे झुंडों में बिखर जाते हैं I इस दौरान ये जमीन पर बैठे दिखाई देते हैं अन्यथा तो बस ये अपने भोजन को तलाशते हुए हवा में तेजी से तैरते ही नजर आते हैं जिन पर नजर टिकाना ही मुश्किल होता हैI

अन्य जीवों में गंगा के क्षेत्र में 20-25 रिवर डॉल्फिन के साथ सियारों की अच्छी संख्या देखी गई।

इस दल में भागलपुर से आए प्रशांत कुमार, जमुई के अनुभवी बर्ड गाइड संदीप कुमार, के साथ वनरक्षी नितीश कुमार, राज कुमार पासवान और अनीश कुमार भी शामिल थे I

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वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग से ठंड के मौसम में बिहार के जलाशयों में एशियाई शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य हर साल की तरह इस साल भी हो रहा है। अब तक राज्य के करीब 10-12 महत्वपूर्ण जलाशयों में शुरुआती मुआयना किया जा रहा है। इस वर्ष राज्य के 100 से भी ज्यादा जलाशयों में यह गणना का कार्य फरवरी माह में किया जाएगा। इसके बाद शीत काल के समाप्त होते ही फिर चुनिंदा जलाशयों में गणना का कार्य किया जाना हैI

इस गणना में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी का तकनीकी सहयोग शामिल है I इस इलाके में अब तक यह कार्य बक्सर के गंगा, गोकुल जलाशय और सुहिया भांगर में ही किया जाता था लेकिन, फरवरी माह में मध्य शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य बक्सर और भोजपुर के कई और जलाशयों में भी किया जाना है।

इस शुरुआती दौर में 12 दिसंबर को चौसा के रानी घाट से बियासी पुल अर्थात जनेश्वर मिश्रा पुल तक गंगा के करीब 50 किलोमीटर लम्बे क्षेत्र में पक्षियों की गणना बिहार के जाने-माने पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में की गई I

मिश्रा ने बताया कि इस भ्रमण में 43 प्रकार के करीब 11 हजार पक्षियों की गिनती की गई, जिनमें लगभग 20 प्रजाति के पक्षियों का आगमन सुदूर देशों से हुआ है।

इनमें ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब यानी शिवा हंस, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड यानी लालसर, यूरेशियन वीजन यानी छोटा लालसर, चकवा, शाह चकवा, अबलक बतख, गडवाल, कॉमन पोचार्ड, नॉर्दर्न पिनटेल यानी सींखपर आदि शामिल हैंI

बिहार में पक्षियों पर 35-40 वर्षों से अध्ययन कर रहे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य अरविन्द मिश्रा ने बताया, “काफी वर्षों पहले मात्र एक बार उन्होंने ऐसा झुण्ड भागलपुर के गंगा तट पर देखा था। प्रवास के क्रम में ये एक जगह इकठ्ठा होते हैं और फिर छोटे-छोटे झुंडों में बिखर जाते हैं I इस दौरान ये जमीन पर बैठे दिखाई देते हैं अन्यथा तो बस ये अपने भोजन को तलाशते हुए हवा में तेजी से तैरते ही नजर आते हैं जिन पर नजर टिकाना ही मुश्किल होता हैI

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इस दल में भागलपुर से आए प्रशांत कुमार, जमुई के अनुभवी बर्ड गाइड संदीप कुमार, के साथ वनरक्षी नितीश कुमार, राज कुमार पासवान और अनीश कुमार भी शामिल थे I

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वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग से ठंड के मौसम में बिहार के जलाशयों में एशियाई शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य हर साल की तरह इस साल भी हो रहा है। अब तक राज्य के करीब 10-12 महत्वपूर्ण जलाशयों में शुरुआती मुआयना किया जा रहा है। इस वर्ष राज्य के 100 से भी ज्यादा जलाशयों में यह गणना का कार्य फरवरी माह में किया जाएगा। इसके बाद शीत काल के समाप्त होते ही फिर चुनिंदा जलाशयों में गणना का कार्य किया जाना हैI

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इस शुरुआती दौर में 12 दिसंबर को चौसा के रानी घाट से बियासी पुल अर्थात जनेश्वर मिश्रा पुल तक गंगा के करीब 50 किलोमीटर लम्बे क्षेत्र में पक्षियों की गणना बिहार के जाने-माने पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में की गई I

मिश्रा ने बताया कि इस भ्रमण में 43 प्रकार के करीब 11 हजार पक्षियों की गिनती की गई, जिनमें लगभग 20 प्रजाति के पक्षियों का आगमन सुदूर देशों से हुआ है।

इनमें ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब यानी शिवा हंस, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड यानी लालसर, यूरेशियन वीजन यानी छोटा लालसर, चकवा, शाह चकवा, अबलक बतख, गडवाल, कॉमन पोचार्ड, नॉर्दर्न पिनटेल यानी सींखपर आदि शामिल हैंI

बिहार में पक्षियों पर 35-40 वर्षों से अध्ययन कर रहे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य अरविन्द मिश्रा ने बताया, “काफी वर्षों पहले मात्र एक बार उन्होंने ऐसा झुण्ड भागलपुर के गंगा तट पर देखा था। प्रवास के क्रम में ये एक जगह इकठ्ठा होते हैं और फिर छोटे-छोटे झुंडों में बिखर जाते हैं I इस दौरान ये जमीन पर बैठे दिखाई देते हैं अन्यथा तो बस ये अपने भोजन को तलाशते हुए हवा में तेजी से तैरते ही नजर आते हैं जिन पर नजर टिकाना ही मुश्किल होता हैI

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इस दल में भागलपुर से आए प्रशांत कुमार, जमुई के अनुभवी बर्ड गाइड संदीप कुमार, के साथ वनरक्षी नितीश कुमार, राज कुमार पासवान और अनीश कुमार भी शामिल थे I

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