पटना, 31 मार्च (आईएएनएस)। बिहार में भले ही अन्य दलों के नेता राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और उनकी पार्टी पर सियासी हमला बोल रहे हों और उन्हें विभिन्न मुद्दों को लेकर घेर रहे हों, लेकिन हकीकत है कि आज बिहार के तीन बड़ी पार्टियों का नेतृत्व ऐसे नेता कर रहे हैं, जो लालू प्रसाद की पाठशाला से ही सियासी क, ख, ग सीख कर निकले हैं।
बिहार में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह हो या सत्ताधारी महागठबंधन के प्रमुख घटक दलों में शामिल जनता दल युनाइटेड के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा, दोनों ही राजनीति के गुर राजद में रहकर सीखे हैं। ये दोनों राजद की टिकट पर चुनाव भी लड़ चुके हैं और आज राजद से अलग होकर अपनी पार्टी की कमान संभाल रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नव नियुक्त अध्यक्ष और विधान पार्षद सम्राट चौधरी भी अपनी राजनीतिक पारी की शुरूआत राजद से ही की है।
भाजपा ने तो लगातार दूसरी बार राजद से आए नेता को प्रदेश की कमान सौंपी है। इससे पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रहे डॉ संजय जायसवाल भी राजद से ही अपनी राजनीति पारी की शुरूआत की थी और फिर भाजपा में शामिल हुए थे।
वैसे, कहा भी जाता है कि राजनीति में कब कौन दोस्त हो जाए और कग कौन दुश्मन हो जाए कहा नहीं जा सकता है।
सम्राट चौधरी 2000 में परबता विधानसभा क्षेत्र से राजद की टिकट से चुनाव लडे और विधायक बनकर विधानसभा में प्रवेश पाए थे। इसके बाद वे राजद में ही राबड़ी मंत्रिमंडल में मंत्री भी बने और अपने दायित्वों को निभाया। उसके बाद ये भाजपा में शामिल हो गए।
इधर, कांग्रेस के प्रदेश अखिलेश प्रसाद सिंह की भी राजनीति पारी की शुरूआत राजद से हुइ है। राजद के टिकट पर सिंह ने 2000 में अरवल विधानसभा से चुनाव लड़ा और विजयी हुए। राजद के बाद वे कांग्रेस का दामन थाम लिए और आज वे बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष हैं।
कुछ दिनों पहले एनडीए को छोडकर महागठबंधन में शामिल होने वाले जदयू की बिहार प्रदेश की कमान ऐसे नेता संभाल रहे हैं, जिनकी राजनीति पारी राजद से ही प्रारंभ हुई थी। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा वैशाली के जंदाहा से राजद के टिकट पर 2005 में चुनाव लड़ चुके हैं।
इधर, राजद के एक नेता कहते हैं कि इसमें कोई शक नहीं लालू प्रसाद राजनीति की एक पुस्तक हैं। इस बात को ये नेता साबित भी करते हैं।
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा भले ही विश्व की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करती हो लेकिन बिहार में भाजपा की हकीकत है कि आज के दौर में वह एक ऐसा नेता नहीं तैयार कर पा रही है जो राज्य की कमान संभाल सके। वे उन्हीं लोगों को कमान दे रही है, जो राजद से आए हैं।
–आईएएनएस
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