हैदराबाद, 20 मार्च (आईएएनएस)। भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामाराव ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद ईंधन की आसमान छूती कीमतों पर सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तेलंगाना भाजपा प्रमुख बंदी संजय से एक सीधा सवाल पूछा।
रामा राव ने कहा कि मई 2014 में जब कच्चा तेल 107 डॉलर प्रति बैरल था, तब पेट्रोल की कीमत 71 रुपये प्रति लीटर थी, लेकिन मार्च 2023 में जब कच्चा तेल प्रति बैरल 65 डॉलर है, तब पेट्रोल की कीमत 110 रुपये प्रति लीटर क्यों है?
केटीआर ने कहा, अगर कच्चे तेल की कीमत बढ़ने पर ईंधन की कीमतों में वृद्धि की जानी थी, तो कीमतों में गिरावट आने पर क्या उन्हें नीचे नहीं लाया जाना चाहिए? बढ़ोतरी से किसे फायदा हो रहा है?
केटीआर राज्य के मंत्री भी हैं, उन्होंने पीएम से सवाल पूछने के लिए ट्विटर का सहारा लिया। उन्होंने कहा, उन लोगों के लिए जो चाहते हैं कि ईंधन मूल्य वृद्धि को रोकने के लिए पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाया जाए, एलपीजी पहले से ही जीएसटी के तहत है। लेकिन 8 साल में कीमत 400 रुपये से बढ़कर 1200 रुपये हो गई।
उन्होंने पूछा कि एक गैर-निष्पादित गठबंधन (एनपीए) जो एलपीजी सिलिंडर की कीमतों को नियंत्रित नहीं कर सकता, उसे पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत तय करने का दायित्व कैसे सौंपा जा सकता है?
तेलंगाना भाजपा अध्यक्ष बंदी संजय ने केटीआर पर पलटवार किया।
उन्होंने ट्वीट किया, बीआरएस गंजे-झूठों की पार्टी है, लोग अब केटीआर की किसी भी बात पर विश्वास नहीं करेंगे, क्योंकि केसीआर वैट कम नहीं कर रहे हैं।
संजय ने कहा, तेलंगाना के लोगों को भारत में पेट्रोल के लिए उच्चतम दर 109.66 रुपये प्रति लीटर का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जाता है, जो पूरी तरह से लूट है। भाजपा शासित राज्य यूपी में इसकी कीमत 96.57 रुपये प्रति लीटर है।
भाजपा नेता ने कहा कि तेलंगाना में पेट्रोल और डीजल पर वैट क्रमश: 35.2 फीसदी और 26 फीसदी है, जबकि यूपी में यह 26.8 फीसदी और 17.48 फीसदी है।
संजय ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क में दो बार – मई 2022 और नवंबर 2021 में कुल मिलाकर पेट्रोल पर 13 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 15 रुपये प्रति लीटर की कटौती की, जिससे केंद्र को प्रतिवर्ष 2.2 लाख करोड़ रुपये की लागत आई। भारत (नई दिल्ली) में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में मार्च 2022 और मार्च 2023 के बीच क्रमश: 5 प्रतिशत और 3.71 प्रतिशत की गिरावट आई है। इन कीमतों में श्रीलंका में 38 प्रतिशत और 104.02 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, पाकिस्तान में 22 प्रतिशत और 45.16 प्रतिशत, बांग्लादेश में 28 प्रतिशत और 20.23 प्रतिशत और नेपाल में 22 प्रतिशत और 36.09 प्रतिशत है।
भाजपा नेता ने कहा, उनके मनगढंत झूठ इस तथ्य को नहीं छिपा सकते कि वैश्विक ऊर्जा विश्लेषक और टिप्पणीकार इस तथ्य से चकित हैं कि भारत, अपनी आबादी के विशाल पैमाने के बावजूद – ओएमसी द्वारा 50 लाख एलपीजी सिलिंडर वितरित किए जाते हैं और 6 करोड़ उपभोक्ता हर दिन ओएमसी पेट्रोल पंपों पर जाते हैं। 1.4 अरब लोगों के लिए सुलभ और सस्ती ऊर्जा सुनिश्चित करने में कामयाब रहे, जबकि पड़ोस में सूखे की स्थिति है और लोगों को बड़े पैमाने पर मूल्यवृद्धि का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने यह भी दावा किया कि घरेलू उपभोक्ताओं की कीमत पर निर्यातकों को मुनाफाखोरी से रोकने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने घरेलू उत्पादित पेट्रोलियम उत्पादों पर निर्यात उपकर और विंडफॉल टैक्स भी लगाया।
संजय ने कहा, तेल विपणन कंपनियों ने भारतीय नागरिकों को नियंत्रित दरों पर पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भारी नुकसान उठाया। सार्वजनिक क्षेत्र की ओएमसी ने मूल्य 6 अप्रैल 2022 से अपरिवर्तित रखा है। पीएम मोदी के निर्णायक उपभोक्ता-कल्याण भाव से प्रेरित होकर तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्य सरकारों ने वैट कम कर दिया है।
–आईएएनएस
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