नई दिल्ली, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)। भिक्खु संघ के सदस्यों ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और पाली को ‘शास्त्रीय भाषा’ के रूप में शामिल करने के केंद्र सरकार के फैसले के लिए उनका आभार जताया। इस दौरान बौद्ध नेताओं ने पाली में कुछ छंद भी पीएम मोदी को सुनाए।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पोस्ट पर लिखा, “मुंबई में भिक्खु संघ के सदस्यों ने मुझसे मुलाकात की और पाली के साथ-साथ मराठी को भी शास्त्रीय भाषाओं का दर्जा देने के कैबिनेट के फैसले पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने बौद्ध धर्म के साथ पाली भाषा के घनिष्ठ संबंध को याद किया और आशा व्यक्त की कि आने वाले समय में अधिक से अधिक युवा पाली भाषा के बारे में ज्ञान प्राप्त करेंगे।”
पाली भाषा बौद्धों के लिए पवित्र भाषा है। यह थेरवाद बौद्ध धर्मग्रंथों की भाषा है, जिसे पाली कैनन के रूप में जाना जाता है। इसमें बुद्ध की मुख्य शिक्षाएं शामिल हैं। यह बौद्ध धर्म के अनुयायियों को ऐतिहासिक जड़ों से जोड़ता है। इससे उन्हें अस्थायित्व, दुख और स्व जैसी प्रमुख अवधारणाओं की समझ मिलती है।
बुद्ध ने अपने उपदेश देने के लिए पाली का इस्तेमाल किया और उनके अनुयायियों ने इसका इस्तेमाल दुनिया भर में उनकी शिक्षाओं को फैलाने के लिए किया।
आपको बता दें कि, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तीन अक्टूबर को मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषा को ‘शास्त्रीय भाषा’ का दर्जा दिया। इसके साथ ही अब 11 शास्त्रीय भाषाएं हो गई हैं। पांच भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने पर पीएम मोदी ने बधाई दी है।
भारत सरकार ने 12 अक्टूबर, 2004 को “शास्त्रीय भाषा” श्रेणी की शुरुआत की, इसमें सबसे पहले तमिल को शास्त्रीय भाषा घोषित किया गया।
–आईएएनएस
एकेएस/सीबीटी