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ब्रिटिश सिख को कृपाण रखने के कारण ‘बर्मिंघम जूरी सेवा से मुक्‍त’ किया गया

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November 6, 2023
in ताज़ा समाचार
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लंदन, 6 नवंबर (आईएएनएस)। एक ब्रिटिश सिख, जिसे क्राउन कोर्ट में जूरर के रूप में काम करने के लिए बुलाया गया था, ने कहा है कि एक सुरक्षा गार्ड ने उसे कृपाण के कारण अंदर नहीं जाने दिया, जिसे एक अमृतधारी सिख को हमेशा अपने साथ रखना होता है।

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, जतिंदर सिंह ने कहा कि हाल ही में बर्मिंघम क्राउन कोर्ट में जूरी सेवा में शामिल होने से रोके जाने के बाद उन्हें “शर्मिंदगी और भेदभावपूर्ण” महसूस हुआ।

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स्मेथविक में गुरु नानक गुरुद्वारे के अध्यक्ष और सिख काउंसिल यूके के महासचिव सिंह ने कहा कि यह दूसरी बार था जब उन्हें जूरी सेवा के लिए बुलाया गया था।

सिंह ने बीबीसी न्यूज़ को बताया, “सुरक्षा गार्ड ने कहा कि मैं इसे (अपनी कृपाण को) उतार कर उसके पास छोड़ सकता हूं और शाम को इसे ले सकता हूं।” उन्होंने कहा कि पहली बार सेवा के दौरान उन्हें कोई समस्या नहीं हुई थी।

उन्‍होंने कहा, “मैं उस बच्चे की तरह महसूस कर रहा था जो स्कूल गया था और वह अपने साथ कुछ ऐसा ले गया जो उसे नहीं ले जाना चाहिए था और उसे जब्त कर लिया गया। मेरे साथ ऐसा होने पर मुझे शर्मिंदगी महसूस हुई, मुझे भेदभाव महसूस हुआ। मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरे साथ ऐसा होगा।”

घटना के बाद, सिख फेडरेशन यूके ने न्याय मंत्री एलेक्स चाक को पत्र लिखकर सिंह के साथ किए गए व्यवहार की निंदा करने की मांग की।

न्याय मंत्रालय (एमओजे) ने कहा कि सिंह को उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया क्योंकि आवश्यक जूरी सदस्यों की संख्या अधिक थी।

सिंह ने कहा कि उन्होंने अदालत भवन में प्रवेश करने के इच्छुक सिख समुदाय के सदस्यों के लिए मंत्रालय के आवश्‍यक दिशानिर्देशों का पालन किया है, जो पांच इंच (12 सेमी) तक लंबी ब्लेड वाली और कुल छह इंच (15 सेमी) तक लंबी कृपाण लाने की अनुमति देता है।

इस बीच, महामहिम की अदालतों और न्यायाधिकरण सेवा ने सिंह से “किसी भी परेशानी के लिए” माफी मांगी, और कहा कि उन्होंने अपने अनुबंधित सुरक्षा अधिकारियों को ऐसी घटनाओं को दोबारा होने से रोकने के लिए उठाए जाने वाले सही कदमों की याद दिला दी है।

–आईएएनएस

एकेजे

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लंदन, 6 नवंबर (आईएएनएस)। एक ब्रिटिश सिख, जिसे क्राउन कोर्ट में जूरर के रूप में काम करने के लिए बुलाया गया था, ने कहा है कि एक सुरक्षा गार्ड ने उसे कृपाण के कारण अंदर नहीं जाने दिया, जिसे एक अमृतधारी सिख को हमेशा अपने साथ रखना होता है।

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, जतिंदर सिंह ने कहा कि हाल ही में बर्मिंघम क्राउन कोर्ट में जूरी सेवा में शामिल होने से रोके जाने के बाद उन्हें “शर्मिंदगी और भेदभावपूर्ण” महसूस हुआ।

स्मेथविक में गुरु नानक गुरुद्वारे के अध्यक्ष और सिख काउंसिल यूके के महासचिव सिंह ने कहा कि यह दूसरी बार था जब उन्हें जूरी सेवा के लिए बुलाया गया था।

सिंह ने बीबीसी न्यूज़ को बताया, “सुरक्षा गार्ड ने कहा कि मैं इसे (अपनी कृपाण को) उतार कर उसके पास छोड़ सकता हूं और शाम को इसे ले सकता हूं।” उन्होंने कहा कि पहली बार सेवा के दौरान उन्हें कोई समस्या नहीं हुई थी।

उन्‍होंने कहा, “मैं उस बच्चे की तरह महसूस कर रहा था जो स्कूल गया था और वह अपने साथ कुछ ऐसा ले गया जो उसे नहीं ले जाना चाहिए था और उसे जब्त कर लिया गया। मेरे साथ ऐसा होने पर मुझे शर्मिंदगी महसूस हुई, मुझे भेदभाव महसूस हुआ। मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरे साथ ऐसा होगा।”

घटना के बाद, सिख फेडरेशन यूके ने न्याय मंत्री एलेक्स चाक को पत्र लिखकर सिंह के साथ किए गए व्यवहार की निंदा करने की मांग की।

न्याय मंत्रालय (एमओजे) ने कहा कि सिंह को उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया क्योंकि आवश्यक जूरी सदस्यों की संख्या अधिक थी।

सिंह ने कहा कि उन्होंने अदालत भवन में प्रवेश करने के इच्छुक सिख समुदाय के सदस्यों के लिए मंत्रालय के आवश्‍यक दिशानिर्देशों का पालन किया है, जो पांच इंच (12 सेमी) तक लंबी ब्लेड वाली और कुल छह इंच (15 सेमी) तक लंबी कृपाण लाने की अनुमति देता है।

इस बीच, महामहिम की अदालतों और न्यायाधिकरण सेवा ने सिंह से “किसी भी परेशानी के लिए” माफी मांगी, और कहा कि उन्होंने अपने अनुबंधित सुरक्षा अधिकारियों को ऐसी घटनाओं को दोबारा होने से रोकने के लिए उठाए जाने वाले सही कदमों की याद दिला दी है।

–आईएएनएस

एकेजे

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लंदन, 6 नवंबर (आईएएनएस)। एक ब्रिटिश सिख, जिसे क्राउन कोर्ट में जूरर के रूप में काम करने के लिए बुलाया गया था, ने कहा है कि एक सुरक्षा गार्ड ने उसे कृपाण के कारण अंदर नहीं जाने दिया, जिसे एक अमृतधारी सिख को हमेशा अपने साथ रखना होता है।

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, जतिंदर सिंह ने कहा कि हाल ही में बर्मिंघम क्राउन कोर्ट में जूरी सेवा में शामिल होने से रोके जाने के बाद उन्हें “शर्मिंदगी और भेदभावपूर्ण” महसूस हुआ।

स्मेथविक में गुरु नानक गुरुद्वारे के अध्यक्ष और सिख काउंसिल यूके के महासचिव सिंह ने कहा कि यह दूसरी बार था जब उन्हें जूरी सेवा के लिए बुलाया गया था।

सिंह ने बीबीसी न्यूज़ को बताया, “सुरक्षा गार्ड ने कहा कि मैं इसे (अपनी कृपाण को) उतार कर उसके पास छोड़ सकता हूं और शाम को इसे ले सकता हूं।” उन्होंने कहा कि पहली बार सेवा के दौरान उन्हें कोई समस्या नहीं हुई थी।

उन्‍होंने कहा, “मैं उस बच्चे की तरह महसूस कर रहा था जो स्कूल गया था और वह अपने साथ कुछ ऐसा ले गया जो उसे नहीं ले जाना चाहिए था और उसे जब्त कर लिया गया। मेरे साथ ऐसा होने पर मुझे शर्मिंदगी महसूस हुई, मुझे भेदभाव महसूस हुआ। मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरे साथ ऐसा होगा।”

घटना के बाद, सिख फेडरेशन यूके ने न्याय मंत्री एलेक्स चाक को पत्र लिखकर सिंह के साथ किए गए व्यवहार की निंदा करने की मांग की।

न्याय मंत्रालय (एमओजे) ने कहा कि सिंह को उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया क्योंकि आवश्यक जूरी सदस्यों की संख्या अधिक थी।

सिंह ने कहा कि उन्होंने अदालत भवन में प्रवेश करने के इच्छुक सिख समुदाय के सदस्यों के लिए मंत्रालय के आवश्‍यक दिशानिर्देशों का पालन किया है, जो पांच इंच (12 सेमी) तक लंबी ब्लेड वाली और कुल छह इंच (15 सेमी) तक लंबी कृपाण लाने की अनुमति देता है।

इस बीच, महामहिम की अदालतों और न्यायाधिकरण सेवा ने सिंह से “किसी भी परेशानी के लिए” माफी मांगी, और कहा कि उन्होंने अपने अनुबंधित सुरक्षा अधिकारियों को ऐसी घटनाओं को दोबारा होने से रोकने के लिए उठाए जाने वाले सही कदमों की याद दिला दी है।

–आईएएनएस

एकेजे

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लंदन, 6 नवंबर (आईएएनएस)। एक ब्रिटिश सिख, जिसे क्राउन कोर्ट में जूरर के रूप में काम करने के लिए बुलाया गया था, ने कहा है कि एक सुरक्षा गार्ड ने उसे कृपाण के कारण अंदर नहीं जाने दिया, जिसे एक अमृतधारी सिख को हमेशा अपने साथ रखना होता है।

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, जतिंदर सिंह ने कहा कि हाल ही में बर्मिंघम क्राउन कोर्ट में जूरी सेवा में शामिल होने से रोके जाने के बाद उन्हें “शर्मिंदगी और भेदभावपूर्ण” महसूस हुआ।

स्मेथविक में गुरु नानक गुरुद्वारे के अध्यक्ष और सिख काउंसिल यूके के महासचिव सिंह ने कहा कि यह दूसरी बार था जब उन्हें जूरी सेवा के लिए बुलाया गया था।

सिंह ने बीबीसी न्यूज़ को बताया, “सुरक्षा गार्ड ने कहा कि मैं इसे (अपनी कृपाण को) उतार कर उसके पास छोड़ सकता हूं और शाम को इसे ले सकता हूं।” उन्होंने कहा कि पहली बार सेवा के दौरान उन्हें कोई समस्या नहीं हुई थी।

उन्‍होंने कहा, “मैं उस बच्चे की तरह महसूस कर रहा था जो स्कूल गया था और वह अपने साथ कुछ ऐसा ले गया जो उसे नहीं ले जाना चाहिए था और उसे जब्त कर लिया गया। मेरे साथ ऐसा होने पर मुझे शर्मिंदगी महसूस हुई, मुझे भेदभाव महसूस हुआ। मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरे साथ ऐसा होगा।”

घटना के बाद, सिख फेडरेशन यूके ने न्याय मंत्री एलेक्स चाक को पत्र लिखकर सिंह के साथ किए गए व्यवहार की निंदा करने की मांग की।

न्याय मंत्रालय (एमओजे) ने कहा कि सिंह को उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया क्योंकि आवश्यक जूरी सदस्यों की संख्या अधिक थी।

सिंह ने कहा कि उन्होंने अदालत भवन में प्रवेश करने के इच्छुक सिख समुदाय के सदस्यों के लिए मंत्रालय के आवश्‍यक दिशानिर्देशों का पालन किया है, जो पांच इंच (12 सेमी) तक लंबी ब्लेड वाली और कुल छह इंच (15 सेमी) तक लंबी कृपाण लाने की अनुमति देता है।

इस बीच, महामहिम की अदालतों और न्यायाधिकरण सेवा ने सिंह से “किसी भी परेशानी के लिए” माफी मांगी, और कहा कि उन्होंने अपने अनुबंधित सुरक्षा अधिकारियों को ऐसी घटनाओं को दोबारा होने से रोकने के लिए उठाए जाने वाले सही कदमों की याद दिला दी है।

–आईएएनएस

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लंदन, 6 नवंबर (आईएएनएस)। एक ब्रिटिश सिख, जिसे क्राउन कोर्ट में जूरर के रूप में काम करने के लिए बुलाया गया था, ने कहा है कि एक सुरक्षा गार्ड ने उसे कृपाण के कारण अंदर नहीं जाने दिया, जिसे एक अमृतधारी सिख को हमेशा अपने साथ रखना होता है।

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, जतिंदर सिंह ने कहा कि हाल ही में बर्मिंघम क्राउन कोर्ट में जूरी सेवा में शामिल होने से रोके जाने के बाद उन्हें “शर्मिंदगी और भेदभावपूर्ण” महसूस हुआ।

स्मेथविक में गुरु नानक गुरुद्वारे के अध्यक्ष और सिख काउंसिल यूके के महासचिव सिंह ने कहा कि यह दूसरी बार था जब उन्हें जूरी सेवा के लिए बुलाया गया था।

सिंह ने बीबीसी न्यूज़ को बताया, “सुरक्षा गार्ड ने कहा कि मैं इसे (अपनी कृपाण को) उतार कर उसके पास छोड़ सकता हूं और शाम को इसे ले सकता हूं।” उन्होंने कहा कि पहली बार सेवा के दौरान उन्हें कोई समस्या नहीं हुई थी।

उन्‍होंने कहा, “मैं उस बच्चे की तरह महसूस कर रहा था जो स्कूल गया था और वह अपने साथ कुछ ऐसा ले गया जो उसे नहीं ले जाना चाहिए था और उसे जब्त कर लिया गया। मेरे साथ ऐसा होने पर मुझे शर्मिंदगी महसूस हुई, मुझे भेदभाव महसूस हुआ। मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरे साथ ऐसा होगा।”

घटना के बाद, सिख फेडरेशन यूके ने न्याय मंत्री एलेक्स चाक को पत्र लिखकर सिंह के साथ किए गए व्यवहार की निंदा करने की मांग की।

न्याय मंत्रालय (एमओजे) ने कहा कि सिंह को उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया क्योंकि आवश्यक जूरी सदस्यों की संख्या अधिक थी।

सिंह ने कहा कि उन्होंने अदालत भवन में प्रवेश करने के इच्छुक सिख समुदाय के सदस्यों के लिए मंत्रालय के आवश्‍यक दिशानिर्देशों का पालन किया है, जो पांच इंच (12 सेमी) तक लंबी ब्लेड वाली और कुल छह इंच (15 सेमी) तक लंबी कृपाण लाने की अनुमति देता है।

इस बीच, महामहिम की अदालतों और न्यायाधिकरण सेवा ने सिंह से “किसी भी परेशानी के लिए” माफी मांगी, और कहा कि उन्होंने अपने अनुबंधित सुरक्षा अधिकारियों को ऐसी घटनाओं को दोबारा होने से रोकने के लिए उठाए जाने वाले सही कदमों की याद दिला दी है।

–आईएएनएस

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बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, जतिंदर सिंह ने कहा कि हाल ही में बर्मिंघम क्राउन कोर्ट में जूरी सेवा में शामिल होने से रोके जाने के बाद उन्हें “शर्मिंदगी और भेदभावपूर्ण” महसूस हुआ।

स्मेथविक में गुरु नानक गुरुद्वारे के अध्यक्ष और सिख काउंसिल यूके के महासचिव सिंह ने कहा कि यह दूसरी बार था जब उन्हें जूरी सेवा के लिए बुलाया गया था।

सिंह ने बीबीसी न्यूज़ को बताया, “सुरक्षा गार्ड ने कहा कि मैं इसे (अपनी कृपाण को) उतार कर उसके पास छोड़ सकता हूं और शाम को इसे ले सकता हूं।” उन्होंने कहा कि पहली बार सेवा के दौरान उन्हें कोई समस्या नहीं हुई थी।

उन्‍होंने कहा, “मैं उस बच्चे की तरह महसूस कर रहा था जो स्कूल गया था और वह अपने साथ कुछ ऐसा ले गया जो उसे नहीं ले जाना चाहिए था और उसे जब्त कर लिया गया। मेरे साथ ऐसा होने पर मुझे शर्मिंदगी महसूस हुई, मुझे भेदभाव महसूस हुआ। मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरे साथ ऐसा होगा।”

घटना के बाद, सिख फेडरेशन यूके ने न्याय मंत्री एलेक्स चाक को पत्र लिखकर सिंह के साथ किए गए व्यवहार की निंदा करने की मांग की।

न्याय मंत्रालय (एमओजे) ने कहा कि सिंह को उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया क्योंकि आवश्यक जूरी सदस्यों की संख्या अधिक थी।

सिंह ने कहा कि उन्होंने अदालत भवन में प्रवेश करने के इच्छुक सिख समुदाय के सदस्यों के लिए मंत्रालय के आवश्‍यक दिशानिर्देशों का पालन किया है, जो पांच इंच (12 सेमी) तक लंबी ब्लेड वाली और कुल छह इंच (15 सेमी) तक लंबी कृपाण लाने की अनुमति देता है।

इस बीच, महामहिम की अदालतों और न्यायाधिकरण सेवा ने सिंह से “किसी भी परेशानी के लिए” माफी मांगी, और कहा कि उन्होंने अपने अनुबंधित सुरक्षा अधिकारियों को ऐसी घटनाओं को दोबारा होने से रोकने के लिए उठाए जाने वाले सही कदमों की याद दिला दी है।

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बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, जतिंदर सिंह ने कहा कि हाल ही में बर्मिंघम क्राउन कोर्ट में जूरी सेवा में शामिल होने से रोके जाने के बाद उन्हें “शर्मिंदगी और भेदभावपूर्ण” महसूस हुआ।

स्मेथविक में गुरु नानक गुरुद्वारे के अध्यक्ष और सिख काउंसिल यूके के महासचिव सिंह ने कहा कि यह दूसरी बार था जब उन्हें जूरी सेवा के लिए बुलाया गया था।

सिंह ने बीबीसी न्यूज़ को बताया, “सुरक्षा गार्ड ने कहा कि मैं इसे (अपनी कृपाण को) उतार कर उसके पास छोड़ सकता हूं और शाम को इसे ले सकता हूं।” उन्होंने कहा कि पहली बार सेवा के दौरान उन्हें कोई समस्या नहीं हुई थी।

उन्‍होंने कहा, “मैं उस बच्चे की तरह महसूस कर रहा था जो स्कूल गया था और वह अपने साथ कुछ ऐसा ले गया जो उसे नहीं ले जाना चाहिए था और उसे जब्त कर लिया गया। मेरे साथ ऐसा होने पर मुझे शर्मिंदगी महसूस हुई, मुझे भेदभाव महसूस हुआ। मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरे साथ ऐसा होगा।”

घटना के बाद, सिख फेडरेशन यूके ने न्याय मंत्री एलेक्स चाक को पत्र लिखकर सिंह के साथ किए गए व्यवहार की निंदा करने की मांग की।

न्याय मंत्रालय (एमओजे) ने कहा कि सिंह को उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया क्योंकि आवश्यक जूरी सदस्यों की संख्या अधिक थी।

सिंह ने कहा कि उन्होंने अदालत भवन में प्रवेश करने के इच्छुक सिख समुदाय के सदस्यों के लिए मंत्रालय के आवश्‍यक दिशानिर्देशों का पालन किया है, जो पांच इंच (12 सेमी) तक लंबी ब्लेड वाली और कुल छह इंच (15 सेमी) तक लंबी कृपाण लाने की अनुमति देता है।

इस बीच, महामहिम की अदालतों और न्यायाधिकरण सेवा ने सिंह से “किसी भी परेशानी के लिए” माफी मांगी, और कहा कि उन्होंने अपने अनुबंधित सुरक्षा अधिकारियों को ऐसी घटनाओं को दोबारा होने से रोकने के लिए उठाए जाने वाले सही कदमों की याद दिला दी है।

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बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, जतिंदर सिंह ने कहा कि हाल ही में बर्मिंघम क्राउन कोर्ट में जूरी सेवा में शामिल होने से रोके जाने के बाद उन्हें “शर्मिंदगी और भेदभावपूर्ण” महसूस हुआ।

स्मेथविक में गुरु नानक गुरुद्वारे के अध्यक्ष और सिख काउंसिल यूके के महासचिव सिंह ने कहा कि यह दूसरी बार था जब उन्हें जूरी सेवा के लिए बुलाया गया था।

सिंह ने बीबीसी न्यूज़ को बताया, “सुरक्षा गार्ड ने कहा कि मैं इसे (अपनी कृपाण को) उतार कर उसके पास छोड़ सकता हूं और शाम को इसे ले सकता हूं।” उन्होंने कहा कि पहली बार सेवा के दौरान उन्हें कोई समस्या नहीं हुई थी।

उन्‍होंने कहा, “मैं उस बच्चे की तरह महसूस कर रहा था जो स्कूल गया था और वह अपने साथ कुछ ऐसा ले गया जो उसे नहीं ले जाना चाहिए था और उसे जब्त कर लिया गया। मेरे साथ ऐसा होने पर मुझे शर्मिंदगी महसूस हुई, मुझे भेदभाव महसूस हुआ। मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरे साथ ऐसा होगा।”

घटना के बाद, सिख फेडरेशन यूके ने न्याय मंत्री एलेक्स चाक को पत्र लिखकर सिंह के साथ किए गए व्यवहार की निंदा करने की मांग की।

न्याय मंत्रालय (एमओजे) ने कहा कि सिंह को उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया क्योंकि आवश्यक जूरी सदस्यों की संख्या अधिक थी।

सिंह ने कहा कि उन्होंने अदालत भवन में प्रवेश करने के इच्छुक सिख समुदाय के सदस्यों के लिए मंत्रालय के आवश्‍यक दिशानिर्देशों का पालन किया है, जो पांच इंच (12 सेमी) तक लंबी ब्लेड वाली और कुल छह इंच (15 सेमी) तक लंबी कृपाण लाने की अनुमति देता है।

इस बीच, महामहिम की अदालतों और न्यायाधिकरण सेवा ने सिंह से “किसी भी परेशानी के लिए” माफी मांगी, और कहा कि उन्होंने अपने अनुबंधित सुरक्षा अधिकारियों को ऐसी घटनाओं को दोबारा होने से रोकने के लिए उठाए जाने वाले सही कदमों की याद दिला दी है।

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