नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)। मंगलवार को एक नए अध्ययन से पता चला है कि गंभीर कोविड-19 संक्रमण के लंबे समय तक चलने वाले शारीरिक और मानसिक प्रभावों के पीछे मस्तिष्क के ‘नियंत्रण केंद्र’ यानी ब्रेनस्टेम में क्षति होना है।
कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने महामारी के शुरुआती दौर में गंभीर संक्रमण वाले 30 लोगों के मस्तिष्क में कोविड के हानिकारक प्रभावों को जानने के लिए हाई -रेजोल्यूशन स्कैनर का उपयोग किया। इस स्कैनर के जरिए मस्तिष्क का बारीकी से विवरण किया जा सकता है।
ब्रेन जर्नल में प्रकाशित उनके परिणामों से पता चला कि कोविड-19 सांस फूलने, थकान और चिंता से जुड़े ब्रेन स्टेम क्षेत्रों को कैसे प्रभावित करता है।
शोध का सह-नेतृत्व करने वाले क्लिनिकल न्यूरो साइंसेज विभाग के प्रोफेसर जेम्स रोवे ने कहा, “ब्रेनस्टेम हमारी चेतना और हमारे शरीर में घटित होने वाली घटनाओं के बीच महत्वपूर्ण जंक्शन बॉक्स है।”
रोवे ने कहा, “कोविड के बाद ब्रेनस्टेम कैसे बदलता है, यह देखने और समझने की क्षमता दीर्घकालिक प्रभावों को अधिक प्रभावी ढंग से समझने और उनका इलाज करने में मदद करेगी।”
महामारी की शुरुआत में अस्पताल में भर्ती कई रोगियों में थकान, सांस फूलना और सीने में दर्द के परेशान करने वाले लक्षण देखने को मिले।
टीम ने अनुमान लगाया कि ये लक्षण आंशिक रूप से मस्तिष्क के एक भाग में नुकसान के कारण नजर आए। मस्तिष्क की क्षति की यह स्थिति संक्रमण के गुजर जाने के बाद भी लंबे समय तक बनी रहती है।
शोध में पाया गया कि मस्तिष्क के तंत्रिका केंद्र (ब्रेनस्टेम) के कई क्षेत्रों – मेडुला ऑब्लांगेटा, पॉन्स और मिडब्रेन में यह असामान्यताएं पाई गईं जो न्यूरो इन्फ्लेमेटरी रिस्पांस से जुड़े हैं।
क्लिनिकल न्यूरोसाइंसेस विभाग की डॉ. कैटरीना रुआ ने कहा कि ये प्रभाव उन लोगों में अधिक स्पष्ट दिखाई दिए जो गंभीर रूप से कोविड-19 से पीड़ित थे।
टीम ने कहा कि यह परिणाम मस्तिष्क से जुड़ी अन्य स्थितियों, जैसे मल्टीपल स्केलेरोसिस और मनोभ्रंश को समझने में भी मदद कर सकते हैं।
–आईएएनएस
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