नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय नौसेना को एक और अत्याधुनिक युद्धपोत मिलने जा रहा है। यह युद्धपोत 9 दिसंबर को रूस के कलिनिनग्राद में भारत को डिलीवर किया जाएगा। इस मल्टी रोल स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट को आईएनएस ‘तुशील’ नाम दिया गया है। रूस में भारतीय युद्धपोत की डिलीवरी के लिए एक विशेष समारोह आयोजित किया जा रहा है जिसकी अध्यक्षता भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे। इस अवसर पर कई उच्च रैंक वाले रूसी और भारतीय रक्षा अधिकारी भी मौजूद रहेंगे।
125 मीटर लंबा व 3900 टन वजन वाला यह घातक जहाज रूसी और भारतीय अत्याधुनिक तकनीकों और युद्धपोत निर्माण का एक प्रभावशाली मिश्रण है। जहाज का नया डिजाइन इसे रडार से बचने और बेहतर स्थिरता प्रदान करता है। भारतीय नौसैनिक विशेषज्ञों और सेवनॉय डिज़ाइन ब्यूरो के सहयोग से, जहाज की स्वदेशी सामग्री को 26 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है। यहां भारत में निर्मित प्रणालियों की संख्या दोगुनी से भी अधिक बढ़कर 33 हो गई है।
सेवा में आने के बाद, आईएनएस तुशील सबसे अधिक तकनीकी उन्नत फ्रिगेट के रूप में पश्चिमी नौसेना कमान के अंतर्गत भारतीय नौसेना के ‘स्वाॅर्ड आर्म’, पश्चिमी बेड़े में शामिल हो जाएगा। यह न केवल भारतीय नौसेना की बढ़ती क्षमताओं का, बल्कि भारत-रूस साझेदारी का भी प्रतीक होगा। आईएनएस तुशील परियोजना 1135.6 का एक उन्नत क्रिवाक-3 श्रेणी का फ्रिगेट है। इनमें से छह युद्धपोत पहले से ही सेवा में हैं। इन छह युद्धपोतों में से तीन तलवार श्रेणी के जहाजों का निर्माण सेंट पीटर्सबर्ग के बाल्टिस्की शिपयार्ड में हुआ हैं। वहीं तीन अनुवर्ती टेग श्रेणी के जहाजों का निर्माण कलिनिनग्राद के यंतर शिपयार्ड में हुआ है।
इस श्रृंखला का सातवां जहाज आईएनएस तुशील है। इसके लिए अनुबंध पर अक्टूबर 2016 में जेएससी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट, भारतीय नौसेना और भारत सरकार के बीच हस्ताक्षर किए गए थे। जहाज के निर्माण की निगरानी मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास के तत्वावधान में कलिनिनग्राद में तैनात युद्धपोत निगरानी दल के विशेषज्ञों की एक भारतीय टीम द्वारा की गई।
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि यह युद्धपोत सैकड़ों शिपयार्ड श्रमिकों और कई रूसी और भारतीय ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर (ओईएम) के निरंतर परिश्रम का परिणाम है। निर्माण और तैयारी के बाद यह जहाज जनवरी से शुरू होने वाले कई व्यापक परीक्षणों से गुज़रा है। इसमें फ़ैक्टरी सी ट्रायल, स्टेट कमेटी ट्रायल और अंत में भारतीय विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा डिलीवरी स्वीकृति परीक्षण शामिल है। इन परीक्षणों में जहाज़ पर लगे सभी रूसी उपकरणों और हथियारों का परीक्षण भी शामिल था। इन परीक्षणों के दौरान जहाज़ ने 30 नॉट से अधिक की गति दर्ज की। इन परीक्षणों के सफल होने के बाद यह जहाज युद्ध के लिए तैयार स्थिति में भारत पहुंचेगा।
जहाज का नाम ‘तुशील’ है। इसका अर्थ है ‘रक्षक कवच’ ‘ और इसका शिखर ‘अभेद्य कवच’ का प्रतिनिधित्व करता है। अपने आदर्श वाक्य ‘निर्भय, अभेद्य और बलशील’* (निडर, अदम्य, दृढ़) के साथ, यह जहाज देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा और सुरक्षा के लिए भारतीय नौसेना की अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है। इस जहाज के निर्माण में प्रमुख भारतीय ओईएम ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, केलट्रॉन, टाटा से नोवा इंटीग्रेटेड सिस्टम, एल्कोम मरीन, जॉनसन कंट्रोल्स इंडिया और कई अन्य शामिल थे।
–आईएएनएस
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