नई दिल्ली, 5 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय रेलवे वित्त निगम (आईआरएफसी), जो भारतीय रेलवे मंत्रालय के तहत एक प्रमुख वित्तीय संस्थान है, को भारत सरकार द्वारा प्रतिष्ठित ‘नवरत्न’ का दर्जा दिया गया है। यह मान्यता आईआरएफसी के सफर में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो भारतीय रेलवे के बुनियादी ढांचे को समर्थन देने वाला एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (सीपीएसई) है।
अपने सफर का आंकड़ा जारी करते हुए सीएमडी और सीईओ मनोज कुमार दुबे ने बताया है कि 12 दिसंबर 1986 को 100 प्रतिशत सरकारी स्वामित्व वाली संस्था के रूप में स्थापित आईआरएफसी ने भारतीय रेलवे के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए वित्तपोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। समय के साथ, यह एक प्रमुख वित्तीय खिलाड़ी बन गया है, जिसने 1993 में कंपनी अधिनियम के तहत एक सार्वजनिक वित्तीय संस्था के रूप में पंजीकरण कराया, 1998 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के तहत एनबीएफसी के रूप में पंजीकरण कराया और 2010 में एक इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी के रूप में रजिस्टर्ड हुआ।
उन्होंने बताया कि मार्च 2018 में इसे मिनी-रत्न श्रेणी-I का दर्जा दिया गया था। इसके बाद कंपनी जनवरी 2021 में आईपीओ के जरिए शेयर बाजार में सूचीबद्ध हुई थी, जिसकी कीमत 26 रुपये थी, जो अब बढ़कर करीब 140 रुपये हो गई है। उन्होंने बताया कि 31 मार्च 2024 तक 26,600 करोड़ रुपये से अधिक की आय और 6,400 करोड़ रुपये से अधिक का कर पश्चात लाभ प्राप्त करते हुए, आईआरएफसी अब भारत का तीसरा सबसे बड़ा सरकारी एनबीएफसी बन गया है। इसने भारतीय रेलवे के लगभग 80 प्रतिशत रोलिंग स्टॉक के लिए वित्तपोषण किया है और यह पहला सीपीएसई है, जिसने विदेशी बाजारों में 30 साल की अवधि वाला बांड जारी किया। 31 दिसंबर 2024 तक, आईआरएफसी का बाजार पूंजीकरण 2,00,000 करोड़ रुपये से अधिक, एसेट अंडर मैनेजमेंट 4.61 लाख करोड़ रुपये, नेट वर्थ लगभग 52,000 करोड़ रुपये और बैलेंस शीट आकार 4.81 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।
आईआरएफसी के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनोज कुमार दुबे ने कहा, “नवरत्न का दर्जा प्राप्त करना आईआरएफसी की वित्तीय ताकत और भारत के रेलवे बुनियादी ढांचे को समर्थन देने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह मान्यता हमें अपनी क्षमताओं का विस्तार करने और राष्ट्र की विकास यात्रा में और अधिक सार्थक योगदान देने के लिए प्रेरित करती है।”
रेलवे संपत्ति वित्तपोषण की अपनी मूल भूमिका से आगे बढ़ते हुए, आईआरएफसी अब उन क्षेत्रों में भी विस्तार कर रहा है, जिनका रेलवे से मजबूत पूर्व और पश्चात संबंध है, जैसे कि पावर जनरेशन और ट्रांसमिशन, खनन, ईंधन, कोयला, गोदाम, दूरसंचार और आतिथ्य। कंपनी ने पहले ही एनटीपीसी के लिए 20 बीओबीआर रेक्स के वित्तपोषण के लिए 700 करोड़ की राशि सुरक्षित की है और हाल ही में इसे एनटीपीसी के एक उपक्रम, पतरातू विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के लिए 3,190 करोड़ के ऋण के वित्तपोषण के लिए सबसे कम बोलीदाता घोषित किया गया है।
इसके अतिरिक्त, एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड ने आईआरएफसी की बोली को 7,500 करोड़ के रूप में स्वीकृत किया है, ताकि वह इसके अनुरोध प्रस्ताव (आरपीएफ) के तहत रूपे टर्म लोन का वित्तपोषण कर सके। आईआरएफसी भारतीय रेलवे के ग्राहकों के लिए रोलिंग स्टॉक की आवश्यकताओं, कंटेनर ट्रेन ऑपरेटरों, रेलवे के नवीकरणीय ऊर्जा आवश्यकताओं, मेट्रो रेल परियोजनाओं, बंदरगाह रेलवे कनेक्टिविटी और भारतीय रेलवे द्वारा स्वीकृत पीपीपी परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण के अवसरों की भी जांच कर रहा है।
दुबे ने कहा, “हम पूंजी-गहन रेलवे परियोजनाओं के लिए सबसे किफायती वित्तपोषण समाधान प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पूरा रेलवे पारिस्थितिकी तंत्र पूंजीगत व्यय में वृद्धि के दौर से गुजर रहा है, जो दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करता है, चाहे वह माल परिवहन हो या यात्री परिवहन। जैसे-जैसे भारत ‘अमृत काल’ में 10 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, आईआरएफसी को बुनियादी ढांचे के विकास और आधुनिकीकरण के लिए संसाधन जुटाने में एक और महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।”
–आईएएनएस
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