नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। भारत की रिन्यूएबल एनर्जी स्टोरेज क्षमता वित्त वर्ष 2028 तक बढ़कर 6 गीगावाट होने की संभावना है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
भारत में मार्च 2024 तक ऑपरेशनल रिन्यूएबल एनर्जी स्टोरेज क्षमता एक गीगावाट से भी कम है।
क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में रिन्यूएबल एनर्जी स्टोरेज क्षमता में बढ़ोतरी की वजह पाइपलाइन में नए प्रोजेक्ट और उनको लागू करना है।
रिपोर्ट में बताया गया कि अगर कुल ऊर्जा खपत में रिन्यूएबल एनर्जी की हिस्सेदारी बढ़ानी है तो सोलर और विंड एनर्जी दोनों में स्टोरेज क्षमता विकसित करना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। रिन्यूएबल एनर्जी दिन के एक निश्चित समय के लिए उपलब्ध होती है। इस वजह से रिन्यूएबल एनर्जी के साथ-साथ स्टोरेज क्षमता भी विकसित करनी होगी।
स्टोरेज क्षमता वाले प्रोजेक्ट्स के ऑक्शन में बढ़ोतरी देखने को मिली है। बीते दो वित्त वर्षों में 3 गीगावाट के स्टैंडअलोन स्टोरेज प्रोजेक्ट और 10 गीगावाट के स्टोरेज लिंक्ड प्रोजेक्ट्स ( जिसमें दो गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी स्टोरेज क्षमता शामिल है।) का ऑक्शन हुआ है। इस वजह से 6 गीगावाट की एनर्जी स्टोरेज की पाइपलाइन तैयार है।
क्रिसिल रेटिंग्स में सीनियर डायरेक्टर मनीष गुप्ता ने कहा कि इन प्रोजेक्ट्स का कार्यान्वयन काफी अहम होने वाला है। डिस्कॉम की ओर से इस तरह के प्रोजेक्ट्स पर काम काफी धीमा है। मई 2024 तक निष्पादित हुए 60 से 65 प्रतिशत प्रोजेक्ट्स के पावर परचेस एग्रीमेंट (पीपीए) तक हुए नहीं हुए हैं।
सरकार का उद्देश्य 2030 तक 450 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता विकसित करना है। मार्च 2024 तक भारत में 130 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता स्थापित है।
रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ाने के लिए सरकार ने डिस्कॉम से कुल आपूर्ति की जाने वाली बिजली में रिन्यूएबल की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2028 तक बढ़ाकर 39 प्रतिशत करने को कहा है, जो फिलहाल 25 प्रतिशत है।
–आईएएनएस
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