नई दिल्ली, 16 मार्च (आईएएनएस)। चीन को भारत का ‘बहुत चुनौतीपूर्ण’ और ‘प्रतिस्पर्धी पड़ोसी’ बताते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को कहा कि हमें इस पूर्वी एशियाई देश से निपटते समय धैर्यवान लेकिन दृढ़ रहने की जरूरत है।
मंत्री ने एक मीडिया कॉन्क्लेव में इस बात पर सहमति जताई कि 2020 के बाद संबंध बहुत अधिक जटिल हो गए हैं, लेकिन कहा कि “यह समय के साथ मजबूत हो रहा है”।
जयशंकर ने कहा, “मैं सहमत हूँ (कि) 2020 के बाद से, संबंध बहुत अधिक जटिल हो गए हैं। मैं इसे स्वीकार करता हूँ। लेकिन यह समय के साथ मजबूत हो रहा है… हम इसके बारे में खुद के प्रति भी ईमानदार नहीं थे। हम वास्तव में इसे लेकर स्पष्ट नहीं थे, और साफ-साफ कहें तो उसी के अनुसार रणनीति बना रहे थे।“
यह पूछे जाने पर कि ऐसे समय में जब देश में अप्रैल- मई में आम चुनाव होने वाले हैं, वह इस चुनौती से कैसे निपटना चाहते हैं, विदेश मंत्री ने कहा कि चीन के संबंध में सबसे पहले “यह दिखावा बंद करें कि सब कुछ अच्छा है। हम जो महसूस करते हैं उसे व्यक्त करने के लिए चिंतित होना बंद करें, और ऐसी शब्दावली का उपयोग बंद करें, जो हमारे लिए काम नहीं करती है”।
मंत्री ने कहा, “पहली बात यह है कि हमें आज यह स्वीकार करना होगा कि हमारे पास एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण, प्रतिस्पर्धी पड़ोसी है। कुछ समय के इतिहास में हमारे गंभीर मसले रहे हैं। उनमें से कई मसलों का समाधान नहीं हुआ है, कुछ और बिगड़ गए हैं।“
उन्होंने आगे इस बात पर प्रकाश डाला कि सीमा मुद्दों के अलावा, दोनों देशों के बीच प्रमुख आर्थिक मुद्दे भी हैं, और चीन के साथ निपटते समय “आपके पास एक ऐसी अर्थव्यवस्था होनी चाहिए जो इसके लिए तैयार हो”।
जून 2020 में गलवान घाटी में सैनिकों की झड़प के बाद, भारत और चीन में कई दौर की सैन्य वार्ता हुई है, जिसमें शांति बहाल करने के आधार के रूप में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिकों को पीछे हटाने की माँग की गई है।
सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने एलएसी पर स्थिति को “स्थिर” लेकिन “संवेदनशील” बताया है और कहा है कि भारतीय सैनिक किसी भी स्थिति से निपटने के लिए परिचालन तैयारियों की “बहुत उच्च स्थिति” बनाए हुए हैं।
जवाबी तैनाती के रूप में, भारत ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भारत-चीन सीमा की रक्षा के लिए एलएसी पर बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात किया है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने मीडिया कॉन्क्लेव में कहा कि सैन्य चर्चा में फोकस दोनों देशों के सैनिकों को पीछे हटाने और उसके बाद तनाव कम करने पर रहा है।
उन्होंने कहा, “…इसके साथ सभी खतरे जुड़े हुए हैं। हम दोनों (के सैनिक) बहुत आगे तक तैनात हैं। यह वह जगह नहीं है जहाँ पिछले कई दशकों में स्वाभाविक तैनाती होती थी।”
उन्होंने कहा, “…जब आप उतने पास-पास तैनात होते हैं, तो गश्त के मुद्दे, रुकावट के मुद्दे, कामकाज के मुद्दे होते हैं – ये सभी बहुत जटिल तरीके से आपस में जुड़ जाते हैं, स्पष्ट रूप से यह कुछ ऐसा है जहाँ हमें धैर्य रखने के साथबहुत दृढ़ भी रहना होगा”।
–आईएएनएस
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