नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को मुश्किल समय में चुनौतियों का सामना करने की देश की क्षमता की सराहना करते हुए कहा कि भारत ने दूसरों के लिए आशा की किरण के रूप में काम किया है।
राष्ट्रपति ने 77वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने चुनौतियों को अवसरों में बदल दिया है और उच्च विकास दर हासिल किया है।
उन्होंने जी-20 नेता के रूप में देश की भूमिका का भी हवाला दिया।
राष्ट्रपति मुर्मू ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और चंद्रयान -3 के सफल प्रक्षेपण की ओर इशारा करते हुए शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति की भी बात की।
उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “चूंकि जी-20 समूह दुनिया की दो-तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए यह हमारे लिए वैश्विक प्राथमिकताओं को सही दिशा में ले जाने का एक अद्वितीय अवसर है। जी-20 की अध्यक्षता के माध्यम से भारत, व्यापार और वित्त के क्षेत्रों में हो रहे निर्णयों को न्याय-संगत प्रगति की ओर ले जाने के लिए प्रयासरत है। व्यापार और वित्त के अलावा, मानव विकास से जुड़े विषय भी कार्य-सूची में शामिल किए गए हैं।”
राष्ट्रपति ने कहा, “ऐसे कई मुद्दे हैं जो पूरी मानवता के लिए महत्वपूर्ण हैं और किसी भौगोलिक सीमा से बंधे हुए नहीं हैं। मुझे विश्वास है कि भारत के प्रभावी नेतृत्व के साथ, जी-20 के सदस्य-देश उन मोर्चों पर उपयोगी कार्रवाई को आगे बढ़ाएंगे।”
“भारत की जी-20 की अध्यक्षता में एक नई बात यह है कि कूटनीति को जमीन से जोड़ा गया है। एक अंतर्राष्ट्रीय राजनयिक गतिविधि में लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए अपनी तरह का पहला अभियान चलाया गया है। उदाहरण के लिए, यह देखकर मुझे अच्छा लगा कि स्कूलों और कॉलेजों में जी-20 से जुड़े विषयों पर आयोजित की जा रही गतिविधियों में विद्यार्थी उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं। जी-20 से जुड़े कार्यक्रमों के बारे में सभी नागरिकों में बहुत उत्साह देखने को मिल रहा है।”
राष्ट्रपति ने कहा कि वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति चिंता का कारण बनी हुई है, लेकिन ”सरकार और रिजर्व बैंक इस पर काबू पाने में सफल रहे हैं। सरकार ने जन-सामान्य पर मुद्रास्फीति का अधिक प्रभाव नहीं पड़ने दिया है और साथ ही गरीबों को व्यापक सुरक्षा कवच भी प्रदान किया है।” उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक विकास के लिए दुनिया की निगाहें आज भारत पर टिकी हुई हैं।
उन्होंने कहा, ”निरंतर हो रही आर्थिक प्रगति के दो प्रमुख आयाम हैं। एक ओर, व्यवसाय करना आसान बनाकर और रोजगार के अवसर पैदा करके उद्यमशीलता की संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है। दूसरी ओर, जरूरतमंदों की सहायता के लिए विभिन्न क्षेत्रों में पहल की गयी है तथा व्यापक स्तर पर कल्याणकारी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। वंचितों को वरीयता प्रदान करना हमारी नीतियों और कार्यों के केंद्र में रहता है। परिणामस्वरूप पिछले दशक में बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी से बाहर निकालना संभव हो पाया है।”
जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर राष्ट्रपति ने कहा: “असामान्य मौसम की घटनाएँ सभी पर असर डालती हैं। लेकिन गरीब और वंचित वर्गों के लोगों पर उनका और अधिक प्रभाव पड़ता है। शहरों और पहाड़ी क्षेत्रों को जलवायु परिवर्तन की स्थितियों का सामना करने के लिए विशेष रूप से सक्षम बनाने की आवश्यकता है। लोभ की संस्कृति दुनिया को प्रकृति से दूर करती है और अब हमें यह एहसास हो रहा है कि हमें अपनी जड़ों की ओर लौटना चाहिए। आज भी अनेक जनजातीय समुदाय ऐसे हैं जो प्रकृति के बहुत करीब और प्रकृति के साथ सौहार्द बनाकर रहते हैं। उनके जीवन-मूल्य और जीवन-शैली क्लाइमेट एक्शन के क्षेत्र में अमूल्य शिक्षा प्रदान करते हैं।”
स्वयं आदिवासी समुदाय से आने वाली मुर्मू ने कहा कि जनजातीय समुदायों द्वारा युगों से अपना अस्तित्व बनाए रखने के रहस्य को एक शब्द में ही व्यक्त किया जा सकता है। ”वह शब्द है: हमदर्दी।”
राष्ट्रपति ने कहा, ”जनजातीय समुदाय के लोग प्रकृति को माता समझते हैं तथा उसकी सभी संतानों अर्थात वनस्पतियों और जीव-जंतुओं के प्रति सहानुभूति रखते हैं। कभी-कभी दुनिया में हमदर्दी की कमी महसूस होती है। लेकिन इतिहास साक्षी है कि ऐसे दौर केवल कुछ समय के लिए ही आते हैं, क्योंकि करुणा हमारा मूल स्वभाव है।”
–आईएएनएस
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